राजस्थान के ऐतिहासिक व्यक्ति
खंड 1: मध्यकालीन शासक और योद्धा
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महाराणा कुम्भा ने राजस्थान में कितने दुर्गों का निर्माण करवाया माना जाता है?
(A) 32
(B) 52
(C) 23
(D) 28
महाराणा कुम्भा ने राजस्थान में 32 दुर्गों का निर्माण करवाया माना जाता है।
यह माना जाता है कि मेवाड़ के 84 दुर्गों में से 32 दुर्गों का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया था।
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‘हिंदुआ सूरज’ और ‘हल्दीघाटी का शेर’ किस शासक को कहा जाता है?
(A) महाराणा सांगा
(B) महाराणा प्रताप
(C) महाराणा राज सिंह
(D) राव चंद्रसेन
सही उत्तर है (B) महाराणा प्रताप।
उन्हें इन उपाधियों से जाना जाता है:
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‘हिंदुआ सूरज’ (हिन्दू धर्म के सूर्य) ☀️
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‘हल्दीघाटी का शेर’ (हल्दीघाटी के युद्ध में उनके शौर्य के कारण) 🦁
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‘कीका’ (बचपन का नाम)
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खानवा का युद्ध (1527 ई.) किसके बीच लड़ा गया था?
(A) महाराणा सांगा और बाबर
(B) महाराणा प्रताप और अकबर
(C) राव मालदेव और शेरशाह सूरी
(D) पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गोरी
सही उत्तर है (A) महाराणा सांगा और बाबर।
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खानवा का युद्ध (Battle of Khanwa)
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तिथि: 16 या 17 मार्च, 1527 ई.
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स्थान: खानवा, राजस्थान (फतेहपुर सीकरी के निकट)
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लड़ने वाले पक्ष:
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महाराणा सांगा (मेवाड़ के राजपूत राजा और राजपूत संघ के प्रमुख)
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बाबर (मुगल साम्राज्य का संस्थापक)
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परिणाम: इस युद्ध में बाबर की निर्णायक विजय हुई, जिसने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव को और मजबूत किया।
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किस राजपूत शासक को ‘हशमत वाला राजा’ (प्रतापी राजा) कहा जाता है?
(A) राव बीका
(B) राव मालदेव
(C) राव चंद्रसेन
(D) महाराजा जसवंत सिंह
सही उत्तर है (B) राव मालदेव।
राव मालदेव को उनकी वीरता, विशाल सेना और सैन्य सफलताओं के कारण फारसी इतिहासकारों ने ‘हशमत वाला राजा’ (अर्थात् प्रतापी या शक्तिशाली शासक) कहा था। 👑
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किस शासक को ‘मारवाड़ का प्रताप’ या ‘भूला बिसरा राजा’ कहा जाता है?
(A) राव मालदेव
(B) राव चंद्रसेन
(C) महाराजा गजसिंह
(D) महाराजा अजीत सिंह
सही उत्तर है: (B) राव चंद्रसेन
व्याख्या:
राव चंद्रसेन को निम्नलिखित उपाधियाँ दी गईं:
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‘मारवाड़ का प्रताप’ (Marwar ka Pratap) या ‘प्रताप का अग्रगामी’ (Pratap ka Agragami)
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जिस प्रकार महाराणा प्रताप ने जीवनभर मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की, उसी प्रकार राव चंद्रसेन ने भी अकबर की अधीनता को अस्वीकार कर आजीवन संघर्ष किया। इसी दृढ़ता के कारण उनकी तुलना महाराणा प्रताप से की जाती है।
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‘भूला बिसरा राजा’ (Bhula Bisra Raja) या ‘विस्मृत नायक’ (Forgotten Hero)
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उन्हें यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि उनके संघर्ष को उनके समकालीन महाराणा प्रताप जितनी प्रसिद्धि और महत्व नहीं मिला, और लंबे समय तक वे इतिहास में एक तरह से भूले हुए नायक बने रहे।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं:
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(A) राव मालदेव: इन्हें इनकी विशाल शक्ति और साम्राज्य के कारण फारसी इतिहासकारों ने ‘हशमत वाला राजा’ (प्रतापी राजा) कहा था।
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(C) महाराजा गजसिंह: इन्हें जहाँगीर ने ‘दल थम्बन’ (सेना को रोकने वाला) की उपाधि दी थी।
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(D) महाराजा अजीत सिंह: इन्हें दुर्गादास राठौड़ ने औरंगजेब के खिलाफ 30 वर्षीय संघर्ष के बाद सिंहासन दिलवाया था।
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किस शासक को ‘राय पिथौरा’ और ‘दल पुंगल’ (विश्व विजेता) की उपाधि प्राप्त थी?
(A) राणा सांगा
(B) मिर्जा राजा जयसिंह
(C) पृथ्वीराज चौहान तृतीय
(D) महाराजा मानसिंह प्रथम
सही उत्तर है (C) पृथ्वीराज चौहान तृतीय।
उन्हें ये उपाधियाँ उनकी वीरता और युद्ध कौशल के कारण मिली थीं:
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राय पिथौरा: यह उपाधि उन्हें बचपन से ही प्राप्त थी, जिसका अर्थ है “युद्ध में भागने वाला नहीं” या “अजेय योद्धा”।
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दल पुंगल (दळ-पुंगळ): इसका शाब्दिक अर्थ है “सेना को जीतने वाला” या “विश्व विजेता”। यह उपाधि उनकी महान विजयों और विशाल सेना पर उनके नियंत्रण को दर्शाती है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं
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(A) राणा सांगा: इन्हें ‘हिंदूपत’ की उपाधि प्राप्त थी।
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(B) मिर्जा राजा जयसिंह: इन्हें मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा ‘मिर्जा राजा’ की उपाधि दी गई थी।
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(D) महाराजा मानसिंह प्रथम: इन्हें मुगल बादशाह अकबर द्वारा ‘फर्जंद’ (पुत्र) की उपाधि और ‘राजा’ का खिताब दिया गया था।
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वह शासक जिसे ‘राजेन्द्र’ (राजों में इंद्र) की उपाधि प्राप्त थी और जिसने बीकानेर राज्य की स्थापना की?
(A) राव जोधा
(B) राव बीका
(C) राव लूणकरण
(D) राव कल्याणमल
सही उत्तर है (B) राव बीका।
राव बीका को ही ‘राजेन्द्र’ (राजों में इंद्र) की उपाधि प्राप्त थी, हालाँकि यह उनकी सबसे प्रसिद्ध उपाधि नहीं है। उनकी मुख्य पहचान बीकानेर राज्य की स्थापना करने के रूप में है। 👑
व्याख्या और अन्य विकल्प क्यों गलत हैं
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(B) राव बीका (1465-1504 ई.):
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इन्होंने 1465 ई. में जांगल प्रदेश में बीकानेर राज्य की स्थापना की थी।
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ये मारवाड़ के शासक राव जोधा के पुत्र थे।
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कुछ स्रोतों में इन्हें ‘राजेन्द्र’ की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।
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(A) राव जोधा:
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ये मारवाड़ के प्रसिद्ध शासक थे और इन्होंने जोधपुर शहर तथा मेहरानगढ़ दुर्ग की स्थापना की थी।
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(C) राव लूणकरण (1505-1526 ई.):
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ये बीकानेर के शासक थे और ‘कलियुग का कर्ण’ के नाम से प्रसिद्ध थे (उपाधि: बिठू सूजा द्वारा)।
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(D) राव कल्याणमल:
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ये बीकानेर के पहले शासक थे जिन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार की और नागौर दरबार (1570 ई.) में उपस्थित हुए।
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इन्हें ‘राजेन्द्र’ की उपाधि प्राप्त नहीं थी।
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किस कछवाहा शासक को ‘मिर्जा राजा’ की उपाधि मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दी थी?
(A) राजा भारमल
(B) महाराजा मानसिंह
(C) जयसिंह प्रथम
(D) सवाई जयसिंह
सही उत्तर है (C) जयसिंह प्रथम।
उन्हें यह उपाधि मुगल बादशाह शाहजहाँ ने उनके असाधारण सैन्य कौशल और सेवाओं के लिए प्रदान की थी।
व्याख्या और अन्य विकल्प
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(C) जयसिंह प्रथम (1621-1667 ई.):
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ये आम्बेर (आमेर) के कछवाहा शासक थे।
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इन्हें 1638 ई. में शाहजहाँ द्वारा ‘मिर्ज़ा राजा’ की उपाधि दी गई थी।
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इन्होंने तीन मुगल सम्राटों (जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगज़ेब) की सेवा की।
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ये पुरंदर की संधि (1665 ई.) के लिए प्रसिद्ध हैं, जो इन्होंने शिवाजी के साथ की थी।
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(A) राजा भारमल (1547-1573 ई.):
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ये पहले राजपूत शासक थे जिन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार की और 1562 ई. में अपनी पुत्री हरका बाई (जोधा बाई) का विवाह उनसे किया। इन्हें ‘राजा’ की उपाधि प्राप्त थी।
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(B) महाराजा मानसिंह (1589-1614 ई.):
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ये अकबर के नवरत्नों में से एक थे।
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इन्हें अकबर ने ‘फर्जंद’ (पुत्र) और ‘राजा’ की उपाधि दी थी।
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(D) सवाई जयसिंह (जयसिंह द्वितीय) (1699-1743 ई.):
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इन्हें मुगल बादशाह औरंगज़ेब ने ‘सवाई’ की उपाधि दी थी, जिसका अर्थ है “दूसरों से सवा गुना बेहतर”।
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इन्होंने जयपुर शहर की स्थापना की और पाँच वेधशालाएँ (जंतर-मंतर) बनवाईं।
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किस शासक को ‘सवाई’ की उपाधि और ‘पुरंदर की संधि’ (1665 ई.) करने के लिए जाना जाता है?
(A) मिर्जा राजा जयसिंह
(B) सवाई जयसिंह
(C) राजा भारमल
(D) मानसिंह प्रथम
सही उत्तर है (A) मिर्जा राजा जयसिंह।
व्याख्या –
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मिर्ज़ा राजा जयसिंह (जयसिंह प्रथम):
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इन्हें ‘मिर्ज़ा राजा’ की उपाधि मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दी थी।
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इन्हें ही 1665 ई. में शिवाजी के साथ ‘पुरंदर की संधि’ करने के लिए जाना जाता है। इस संधि के तहत शिवाजी को अपने 35 में से 23 दुर्ग मुगलों को सौंपने पड़े थे।
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उन्होंने तीन मुगल सम्राटों (जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगज़ेब) की सेवा की।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं
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(B) सवाई जयसिंह (जयसिंह द्वितीय):
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इन्हें ‘सवाई’ की उपाधि मुगल बादशाह औरंगज़ेब ने दी थी, न कि पुरंदर की संधि इन्होंने की थी। ये जयपुर शहर के संस्थापक और जंतर-मंतर वेधशालाओं के निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं।
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(C) राजा भारमल:
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ये अकबर की अधीनता स्वीकार करने वाले और उनसे वैवाहिक संबंध स्थापित करने वाले पहले कछवाहा शासक थे। इन्हें ‘सवाई’ की उपाधि प्राप्त नहीं थी।
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(D) मानसिंह प्रथम:
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ये अकबर के नवरत्नों में से एक थे और हल्दीघाटी के युद्ध (1576 ई.) में मुगल सेना के सेनापति थे। इन्हें अकबर ने ‘फर्जंद’ (पुत्र) और ‘राजा’ की उपाधियाँ दी थीं।
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वह शासक जिसने औरंगजेब के विरुद्ध जाकर ‘चारुमती’ से विवाह किया?
(A) महाराणा उदयसिंह
(B) महाराणा राजसिंह
(C) महाराणा अमरसिंह
(D) महाराणा जगतसिंह
सही उत्तर है (B) महाराणा राजसिंह।
यह महाराणा राजसिंह ही थे जिन्होंने औरंगजेब की इच्छा के विरुद्ध जाकर किशनगढ़ की राजकुमारी चारुमती से विवाह किया था।
व्याख्या और अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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महाराणा राजसिंह (1652-1680 ई.):
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वह मेवाड़ के राणा थे और मुगल बादशाह औरंगजेब के कट्टर विरोधी थे।
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चारुमती प्रसंग: किशनगढ़ की राजकुमारी चारुमती ने औरंगजेब से विवाह करने के बजाय, महाराणा राजसिंह को पत्र लिखकर सहायता मांगी थी। राजसिंह ने चारुमती से विवाह कर औरंगजेब को एक सीधी चुनौती दी, जिससे दोनों के बीच दुश्मनी बढ़ गई। 💔
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राजसिंह ने औरंगजेब के कई अन्य फैसलों का भी विरोध किया, जैसे कि जजिया कर का विरोध करना और औरंगजेब द्वारा तोड़ी जा रही मूर्तियों को शरण देकर नाथद्वारा में श्रीनाथजी का मंदिर बनवाना। 🕉️
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(A) महाराणा उदयसिंह: ये महाराणा प्रताप के पिता थे। इनका काल 16वीं शताब्दी में था, जो औरंगजेब (17वीं शताब्दी) से बहुत पहले का है।
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(C) महाराणा अमरसिंह: ये महाराणा प्रताप के पुत्र थे और 1615 ई. में मुगलों से संधि करने के लिए जाने जाते हैं। इनका काल भी औरंगजेब से पहले था।
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(D) महाराणा जगतसिंह: इनका शासनकाल भी औरंगजेब के शासनकाल से पहले (17वीं शताब्दी के आरंभ में) समाप्त हो गया था।
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खंड 2: संत, भक्त और धार्मिक व्यक्तित्व
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वह संत जिनकी प्रमुख पीठ कतरियासर (बीकानेर) में है और जिनके अनुयायी आग पर नृत्य करते हैं?
(A) संत वल्लभ जी
(B) संत जसनाथ जी
(C) संत जांभोजी
(D) संत दादूदयाल
सही उत्तर है (B) संत जसनाथ जी।
व्याख्या सहित हल
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सही उत्तर: (B) संत जसनाथ जी
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संप्रदाय: जसनाथी संप्रदाय
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प्रमुख पीठ: कतरियासर (बीकानेर)
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अनुयायियों का कार्य: जसनाथी संप्रदाय के अनुयायी धधकते हुए अंगारों पर ‘अग्नि नृत्य’ (Agni Nritya) 🔥 करते हैं, जो इस संप्रदाय की एक अनूठी और प्रसिद्ध विशेषता है।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) संत वल्लभ जी (वल्लभाचार्य): ये पुष्टिमार्ग संप्रदाय के प्रवर्तक थे। राजस्थान में इनकी प्रमुख पीठ नाथद्वारा (राजसमंद) में श्रीनाथजी का मंदिर है।
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(C) संत जांभोजी: ये विश्नोई संप्रदाय के संस्थापक थे। इनकी प्रमुख पीठ मुकाम तालवा (बीकानेर) में है। ये पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रसिद्ध हैं।
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(D) संत दादूदयाल: ये दादू संप्रदाय के प्रवर्तक थे। इनकी प्रमुख पीठ नरेना/नारायणा (जयपुर) में है। इन्हें ‘राजस्थान का कबीर’ भी कहा जाता है।
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‘बिश्नोई संप्रदाय’ के संस्थापक कौन थे, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण हेतु 29 नियम दिए?
(A) संत पीपा
(B) संत रैदास
(C) संत जांभोजी
(D) संत मावजी
सही उत्तर है (C) संत जांभोजी।
विश्नोई संप्रदाय की स्थापना और सिद्धांत
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संस्थापक: संत जांभोजी (या जम्भेश्वर जी) 🧘♂️
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स्थापना: 15वीं शताब्दी के अंत में (विक्रम संवत 1542, 1485 ई.)
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नियम: संत जांभोजी ने अपने अनुयायियों के लिए 29 नियम (20+9 = बिश्नोई) निर्धारित किए। ये नियम मुख्यतः नैतिक आचरण, शाकाहार, और पर्यावरण संरक्षण (पेड़ों की कटाई पर रोक, वन्यजीवों की रक्षा, जल संरक्षण) पर केंद्रित हैं। 🌳🦌
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प्रमुख पीठ: मुकाम तालवा, बीकानेर।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं
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(A) संत पीपा: ये दर्जी समुदाय के आराध्य संत थे, जिनकी प्रमुख गुफा टोडा (टोंक) में है।
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(B) संत रैदास: ये संत मीराबाई के गुरु थे और रामानंद संप्रदाय से जुड़े थे।
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(D) संत मावजी: ये निष्कलंक संप्रदाय के संस्थापक थे। इनकी प्रमुख पीठ साबला (डूंगरपुर) में है।
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राजस्थान की ‘मीराबाई’ किसे कहा जाता है?
(A) रानी पद्मिनी
(B) पन्ना धाय
(C) गवरी बाई
(D) कर्मेती बाई
सही उत्तर है (C) गवरी बाई।
व्याख्या सहित हल
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मीराबाई की उपाधि: गवरी बाई को उनके कृष्ण प्रेम और भक्ति के कारण ‘राजस्थान की मीराबाई’ कहा जाता है।
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स्थान: गवरी बाई डूंगरपुर की रहने वाली थीं।
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अन्य तथ्य: डूंगरपुर के महारावल शिवसिंह ने गवरी बाई के लिए डूंगरपुर में बालमुकुंद मंदिर का निर्माण करवाया था। उनकी भक्ति और रचनाएँ मीराबाई के समान थीं, जिससे उन्हें यह सम्मानजनक उपनाम मिला।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) रानी पद्मिनी: ये चित्तौड़ की रानी थीं, जिन्होंने अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय जौहर किया था। ये अपनी सुंदरता और बलिदान के लिए प्रसिद्ध हैं।
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(B) पन्ना धाय: ये मेवाड़ के राजकुमार उदयसिंह को बचाने के लिए अपने पुत्र चंदन का बलिदान देने वाली वीर धात्री माता थीं। इन्हें ‘बलिदान की मूर्ति’ कहा जाता है।
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(D) कर्मेती बाई: यह नाम किसी प्रसिद्ध ऐतिहासिक या धार्मिक व्यक्तित्व से जुड़ा नहीं है, जिसे यह विशेष उपाधि प्राप्त हो।
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वह संत जिन्हें ‘राजस्थान का कबीर’ कहा जाता है?
(A) संत जसनाथ
(B) संत जांभोजी
(C) दादूदयाल
(D) संत मावजी
सही उत्तर है (C) दादूदयाल।
व्याख्या सहित हल
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सही उत्तर: (C) दादूदयाल
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उपाधि: संत दादूदयाल को उनके निर्गुण भक्ति मार्ग, पाखंडवाद के विरोध और सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन के प्रयासों के कारण ‘राजस्थान का कबीर’ कहा जाता है।
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संप्रदाय: इन्होंने दादू संप्रदाय की स्थापना की, जिसकी प्रमुख पीठ नरेना/नारायणा (जयपुर) में है।
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अन्य तथ्य: ये अकबर के समकालीन थे और उन्होंने फतेहपुर सीकरी में अकबर से मुलाकात भी की थी।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं
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(A) संत जसनाथ: ये जसनाथी संप्रदाय के संस्थापक थे। इनकी मुख्य पीठ कतरियासर (बीकानेर) में है, और इनके अनुयायी अग्नि नृत्य के लिए प्रसिद्ध हैं।
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(B) संत जांभोजी: ये विश्नोई संप्रदाय के संस्थापक थे, जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए 29 नियम दिए। इनकी प्रमुख पीठ मुकाम तालवा (बीकानेर) में है।
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(D) संत मावजी: ये निष्कलंक संप्रदाय के संस्थापक थे। इनकी प्रमुख पीठ साबला (डूंगरपुर) में है और ये वागड़ के संत के रूप में प्रसिद्ध हैं।
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राजस्थान के वह संत जो दर्जी समुदाय के थे और जिनकी गुफा टोंक जिले के टोडा गाँव में है?
(A) संत धन्ना
(B) संत पीपा
(C) संत रैदास
(D) संत लालदास
सही उत्तर है (B) संत पीपा।
व्याख्या सहित हल –
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संत का नाम: संत पीपा (प्रताप सिंह)
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ये मूल रूप से गागरोन (झालावाड़) के खींची राजपूत शासक थे, लेकिन बाद में ये रामानंद जी के शिष्य बनकर भक्ति मार्ग पर चले गए और दर्जी समुदाय को अपना गुरु माना। इसी कारण, दर्जी समुदाय इन्हें अपना आराध्य संत मानता है।
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गुफा का स्थान: इनकी प्रमुख साधना स्थली और गुफा टोंक जिले के टोडा गाँव (या टोडा रायसिंह) में स्थित है।
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मंदिर/पीठ: इनकी मुख्य छतरी (मंदिर) गागरोन दुर्ग (झालावाड़) में और इनका मंदिर समदड़ी (बाड़मेर) में स्थित है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) संत धन्ना: ये धुवनिया (टोंक) के एक जाट परिवार में जन्मे थे। इन्हें ‘राजस्थान में भक्ति आंदोलन का जनक’ माना जाता है।
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(C) संत रैदास: ये संत मीराबाई के गुरु थे और चर्मकार (चमार/रैदास) समुदाय से संबंधित थे। इनकी पीठ मुख्य रूप से बनारस (वाराणसी) और चित्तौड़गढ़ में है।
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(D) संत लालदास: ये मेवात (अलवर) क्षेत्र के मेव (लकड़हारा) समुदाय से संबंधित थे। इन्होंने लालदासी संप्रदाय की स्थापना की, जिसकी प्रमुख पीठ धौलीदूव (अलवर) में है।
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खंड 3: आधुनिक व्यक्तित्व और स्वतंत्रता सेनानी
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किसे ‘राजस्थान के लौह पुरुष’ के रूप में जाना जाता है?
(A) जयनारायण व्यास
(B) दामोदर लाल व्यास
(C) भोगीलाल पंड्या
(D) गोकुल भाई भट्ट
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सही उत्तर: (B) दामोदर लाल व्यास
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उपाधि: दामोदर लाल व्यास को उनकी दृढ़ता, स्पष्टवादिता और राजस्थान के एकीकरण में महत्वपूर्ण योगदान के कारण ‘राजस्थान के लौह पुरुष’ (Iron Man of Rajasthan) के रूप में जाना जाता है।
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योगदान: वे टोंक के निवासी थे और राजस्थान के एकीकरण के समय एक प्रमुख नेता थे।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) जयनारायण व्यास: इन्हें ‘लोकनायक’ और ‘मास साब’ के नाम से जाना जाता है। ये जोधपुर से थे और राजस्थान के तीसरे मुख्यमंत्री (मनोनीत) बने।
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(C) भोगीलाल पंड्या: इन्हें ‘वागड़ का गांधी’ (Gandhi of Wagad) कहा जाता है। इन्होंने डूंगरपुर में आदिवासियों के उत्थान के लिए काम किया।
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(D) गोकुल भाई भट्ट: इन्हें ‘राजस्थान का गांधी’ (Gandhi of Rajasthan) कहा जाता है। ये सिरोही से थे और राजस्थान प्रजा मंडल के प्रमुख नेता थे।
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किसे ‘राजस्थान का गांधी’ कहा जाता है?
(A) जयनारायण व्यास
(B) भोगीलाल पंड्या
(C) गोकुल भाई भट्ट
(D) हीरालाल शास्त्री
सही उत्तर है (B) दामोदर लाल व्यास।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (B) दामोदर लाल व्यास
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उपाधि: दामोदर लाल व्यास को उनकी दृढ़ता, स्पष्टवादिता और राजस्थान के एकीकरण में महत्वपूर्ण योगदान के कारण ‘राजस्थान के लौह पुरुष’ (Iron Man of Rajasthan) के रूप में जाना जाता है।
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योगदान: वे टोंक के निवासी थे और राजस्थान के एकीकरण के समय एक प्रमुख नेता थे।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) जयनारायण व्यास: इन्हें ‘लोकनायक’ और ‘मास साब’ के नाम से जाना जाता है। ये जोधपुर से थे और राजस्थान के तीसरे मुख्यमंत्री (मनोनीत) बने।
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(C) भोगीलाल पंड्या: इन्हें ‘वागड़ का गांधी’ (Gandhi of Wagad) कहा जाता है। इन्होंने डूंगरपुर में आदिवासियों के उत्थान के लिए काम किया।
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(D) गोकुल भाई भट्ट: इन्हें ‘राजस्थान का गांधी’ (Gandhi of Rajasthan) कहा जाता है। ये सिरोही से थे और राजस्थान प्रजा मंडल के प्रमुख नेता थे।
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किसे ‘वागड़ का गांधी’ कहा जाता है?
(A) गोकुल भाई भट्ट
(B) भोगीलाल पंड्या
(C) माणिक्यलाल वर्मा
(D) हरिदेव जोशी
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सही उत्तर: (B) भोगीलाल पंड्या
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उपाधि: भोगीलाल पंड्या को उनके द्वारा डूंगरपुर और बाँसवाड़ा के आदिवासी (वागड़) क्षेत्र में किए गए सामाजिक उत्थान और शिक्षा के कार्यों, तथा स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका के कारण ‘वागड़ का गांधी’ (Gandhi of Wagad) कहा जाता है। 👨🏫
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं
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(A) गोकुल भाई भट्ट: इन्हें ‘राजस्थान का गांधी’ कहा जाता है। ये सिरोही से थे।
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(C) माणिक्यलाल वर्मा: इन्हें मेवाड़ में किसान आंदोलनों के नेतृत्व और प्रजा मंडल आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है।
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(D) हरिदेव जोशी: ये आधुनिक राजस्थान के एक प्रमुख राजनेता थे, जो राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री बने।
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किस महिला स्वतंत्रता सेनानी को ‘राजस्थान की लक्ष्मीबाई’ कहा जाता है?
(A) कालीबाई
(B) रानी लक्ष्मी कुमारी चूंडावत
(C) अंजना देवी चौधरी
(D) किशोरी देवी
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सही उत्तर: (B) रानी लक्ष्मी कुमारी चूंडावत
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रानी लक्ष्मी कुमारी चूंडावत को उनकी निर्भीकता, शौर्य और सामाजिक-राजनीतिक सक्रियता के कारण ‘राजस्थान की लक्ष्मीबाई’ कहा जाता है। वह एक प्रसिद्ध लेखिका, राज्यसभा सांसद और राजनेता भी थीं। ✍️
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) कालीबाई: इन्हें ‘आधुनिक राजस्थान की एकलव्य’ कहा जाता है। ये रास्तापाल (डूंगरपुर) की एक भील बालिका थीं, जिन्होंने शिक्षा की मशाल बुझने से बचाने के लिए अपने गुरु सेंगाभाई को बचाते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। 🕯️
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(C) अंजना देवी चौधरी: ये बिजौलिया किसान आंदोलन से जुड़ी थीं और किसान आंदोलन में गिरफ्तार होने वाली राजस्थान की पहली महिला थीं।
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(D) किशोरी देवी: ये सीकर किसान आंदोलन से जुड़ी थीं और कटराथल सम्मेलन (1934 ई.) में हजारों महिलाओं का नेतृत्व करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
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किसे ‘आदिवासियों की बाईजी’ कहा जाता है?
(A) अंजना देवी चौधरी
(B) जानकी देवी बजाज
(C) मंजू राजपाल
(D) नारायणी देवी वर्मा
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सही उत्तर: (C) मंजू राजपाल
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मंजू राजपाल एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और महिला नेता हैं, जिन्होंने डूंगरपुर क्षेत्र में आदिवासियों, विशेषकर महिलाओं के कल्याण और उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है। उनके इन समर्पित कार्यों के कारण ही उन्हें ‘आदिवासियों की बाईजी’ के नाम से जाना जाता है।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) अंजना देवी चौधरी: ये किसान आंदोलनों में सक्रिय थीं और राजस्थान में गिरफ्तार होने वाली पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं।
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(B) जानकी देवी बजाज: ये गांधीवादी विचारधारा से जुड़ी थीं और प्रसिद्ध उद्योगपति जमनालाल बजाज की पत्नी थीं। इन्हें गौ-सेवा और भूदान आंदोलन में योगदान के लिए जाना जाता है।
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(D) नारायणी देवी वर्मा: ये माणिक्यलाल वर्मा की पत्नी थीं और मेवाड़ प्रजामंडल आंदोलन की प्रमुख महिला नेता थीं। इन्होंने भी महिला शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया।
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किस व्यक्ति को ‘जोधपुर का चाणक्य’ कहा जाता है?
(A) जयनारायण व्यास
(B) हरिलाल शास्त्री
(C) माणिक्यलाल वर्मा
(D) गोकुल भाई भट्ट
सही उत्तर है (A) जयनारायण व्यास।
व्याख्या सहित हल –
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जयनारायण व्यास को उनकी तीव्र बुद्धि, राजनीतिक सूझबूझ और मारवाड़ (जोधपुर) की राजनीति में महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका के कारण ‘जोधपुर का चाणक्य’ कहा जाता है।
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उन्हें अन्य उपाधियाँ भी प्राप्त हैं, जैसे:
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लोकनायक
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मास साब (Mass Saab)
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(B) हीरालाल शास्त्री: ये जयपुर प्रजामंडल के प्रमुख नेता और राजस्थान के प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री थे। इन्हें ‘जोधपुर का चाणक्य’ नहीं कहा जाता।
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(C) माणिक्यलाल वर्मा: इन्हें मेवाड़ प्रजामंडल आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इन्हें ‘जोधपुर का चाणक्य’ नहीं कहा जाता।
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(D) गोकुल भाई भट्ट: इन्हें ‘राजस्थान का गांधी’ कहा जाता है और ये सिरोही प्रजामंडल आंदोलन से जुड़े थे।
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मेवाड़ प्रजामंडल के संस्थापक और ‘पंछीड़ा’ नामक गीत के रचयिता कौन थे?
(A) जयनारायण व्यास
(B) हीरालाल शास्त्री
(C) माणिक्यलाल वर्मा
(D) गोकुल भाई भट्ट
सही उत्तर है (C) माणिक्यलाल वर्मा।
व्याख्या सहित हल –
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संस्थापक: माणिक्यलाल वर्मा ने 24 अप्रैल 1938 ई. को मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना की थी। 🚩
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गीत के रचयिता: ये ‘पंछीड़ा’ नामक लोकप्रिय देशभक्ति गीत के रचयिता भी थे, जिसका उपयोग उन्होंने बिजौलिया किसान आंदोलन और प्रजामंडल आंदोलनों के दौरान जन-जागरण के लिए किया था। 🎶
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अन्य उपाधि: उन्हें मेवाड़ के गांधी के रूप में भी जाना जाता है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) जयनारायण व्यास: ये जोधपुर (मारवाड़) प्रजामंडल के संस्थापक और ‘राजस्थान के लोकनायक’ थे।
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(B) हीरालाल शास्त्री: ये जयपुर प्रजामंडल से जुड़े थे और राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री (मनोनीत) थे।
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(D) गोकुल भाई भट्ट: इन्हें ‘राजस्थान का गांधी’ कहा जाता है और ये सिरोही प्रजामंडल के संस्थापक थे।
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किस स्वतंत्रता सेनानी को ‘गांधीजी के पाँचवें पुत्र’ के रूप में जाना जाता है?
(A) भोगीलाल पंड्या
(B) जमनालाल बजाज
(C) हीरालाल शास्त्री
(D) जयनारायण व्यास
सही उत्तर है (B) जमनालाल बजाज।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (B) जमनालाल बजाज
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उपाधि: सेठ जमनालाल बजाज को महात्मा गांधी ने ‘गांधीजी के पाँचवें पुत्र’ (Fifth Son of Gandhi) की उपाधि दी थी।
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कारण: गांधीजी के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा, उनके सिद्धांतों के प्रति पूर्ण समर्पण, और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके आर्थिक और व्यक्तिगत योगदान (जैसे- अपना पूरा जीवन, संपत्ति और समय राष्ट्र को समर्पित करना) के कारण गांधीजी उन्हें अपने पुत्र जैसा मानते थे।
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अन्य उपाधियाँ: इन्हें ‘गुलाम नंबर चार’ (Ghulam No. 4) भी कहा जाता था, क्योंकि वे स्वयं को भारत माता का चौथा गुलाम मानते थे (अन्य तीन गुलाम थे: भारत, भारतीय रजवाड़े और सीकर)।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) भोगीलाल पंड्या: इन्हें ‘वागड़ का गांधी’ कहा जाता है।
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(C) हीरालाल शास्त्री: ये राजस्थान के प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री थे और जयपुर प्रजामंडल से जुड़े थे।
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(D) जयनारायण व्यास: इन्हें ‘लोकनायक’ और ‘जोधपुर का चाणक्य’ कहा जाता है।
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जयपुर प्रजामंडल से संबंधित ‘प्रलय प्रतीक्षा नमो नमः’ गीत के रचयिता कौन थे?
(A) जयनारायण व्यास
(B) हीरालाल शास्त्री
(C) माणिक्यलाल वर्मा
(D) जमनालाल बजाज
सही उत्तर है (B) हीरालाल शास्त्री।
व्याख्या सहित हल
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रचयिता: हीरालाल शास्त्री ✍️
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गीत का नाम: ‘प्रलय प्रतीक्षा नमो नमः’
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संदर्भ: यह गीत हीरालाल शास्त्री ने अपनी पत्नी रत्न शास्त्री के साथ मिलकर स्वतंत्रता आंदोलन के समय रचा था। यह उनकी देशभक्ति और बलिदान की भावना को दर्शाता है।
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अन्य तथ्य: हीरालाल शास्त्री जयपुर प्रजामंडल के प्रमुख नेताओं में से एक थे और बाद में राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री (मनोनीत) बने। उन्होंने निवाई (टोंक) में ‘वनस्थली विद्यापीठ’ की स्थापना भी की।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं
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(A) जयनारायण व्यास: ये मारवाड़ (जोधपुर) प्रजामंडल से जुड़े थे और ‘लोकनायक’ के नाम से प्रसिद्ध थे।
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(C) माणिक्यलाल वर्मा: ये मेवाड़ प्रजामंडल के संस्थापक थे और इन्होंने प्रसिद्ध देशभक्ति गीत ‘पंछीड़ा’ की रचना की थी।
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(D) जमनालाल बजाज: ये जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष और ‘गांधीजी के पाँचवें पुत्र’ के रूप में प्रसिद्ध थे, लेकिन इस गीत के रचयिता नहीं थे।
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डूंगरपुर रियासत के किस अध्यापक ने भीलों की शिक्षा के लिए संघर्ष करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए?
(A) कालीबाई
(B) नानाभाई खाँट
(C) भोगीलाल पंड्या
(D) मोतीलाल तेजावत
सही उत्तर है (B) नानाभाई खाँट।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (B) नानाभाई खाँट
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घटनास्थल: रास्तापाल, डूंगरपुर रियासत।
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बलिदान: नानाभाई खाँट रास्तापाल में भीलों के बच्चों को पढ़ाने के लिए एक विद्यालय (पाठशाला) चलाते थे। 18 जून 1947 को, डूंगरपुर की पुलिस ने पाठशाला को बंद कराने की कोशिश की। नानाभाई खाँट ने विद्यालय की चाबी देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें बेरहमी से पीटा और अंततः उनकी मृत्यु हो गई।
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कालीबाई का बलिदान: इसी घटना में, पुलिस जब नानाभाई खाँट के शिष्य सेंगाभाई को रस्सी से बांधकर ले जा रही थी, तब कालीबाई नामक एक भील बालिका ने रस्सी काट दी और अपने गुरु को बचाने के प्रयास में पुलिस की गोली से शहीद हो गईं। इसलिए, नानाभाई खाँट उस अध्यापक थे जिन्होंने संघर्ष करते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) कालीबाई: वह शिक्षिका नहीं बल्कि नानाभाई खाँट की छात्रा थीं, जिन्होंने अपने गुरु सेंगाभाई और नानाभाई खाँट को बचाने के प्रयास में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
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(C) भोगीलाल पंड्या: ये ‘वागड़ का गांधी’ कहलाते हैं, और डूंगरपुर प्रजामंडल के संस्थापक थे। इन्होंने आदिवासियों की शिक्षा और उत्थान के लिए संघर्ष किया, लेकिन ये उस पाठशाला के बलिदानी अध्यापक नहीं थे।
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(D) मोतीलाल तेजावत: इन्हें ‘आदिवासियों का मसीहा’ कहा जाता है। इन्होंने ‘एक ही आंदोलन’ चलाया था और मेवाड़, सिरोही और गुजरात के भीलों को एकजुट किया था।
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खंड 4: साहित्य, कला और समाज सुधारक
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वह कवि जिसने 19वीं शताब्दी में 22 राजाओं की कुंडली और जन्मपत्री के आधार पर ‘वीर विनोद’ ग्रंथ की रचना की?
(A) मुहणोत नैणसी
(B) सूर्यमल्ल मिश्रण
(C) श्यामलदास
(D) दयालदास
सही उत्तर है (C) श्यामलदास।
व्याख्या सहित हल –
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रचनाकार: कविराजा श्यामलदास (Kaviraja Shyamaldas)।
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ग्रंथ: ‘वीर विनोद’ (Vir Vinod)।
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समय और विषय: इस ग्रंथ की रचना 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में मेवाड़ के महाराणा सज्जनसिंह के आदेश पर हुई थी। इसमें मेवाड़ के 22 राजाओं की वंशावली, राजनीतिक घटनाएँ, और सामाजिक जानकारी का विस्तृत विवरण है। यह ग्रंथ राजस्थान के इतिहास, विशेषकर मेवाड़ के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण और प्रामाणिक स्रोत माना जाता है।
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प्रमुख तथ्य: इसी ग्रंथ में उल्लेख है कि महाराणा कुम्भा ने मेवाड़ के 84 में से 32 दुर्गों का निर्माण करवाया था।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) मुहणोत नैणसी: इन्होंने ‘नैणसी री ख्यात’ और ‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ ग्रंथों की रचना की। वे मारवाड़ के शासक जसवंत सिंह प्रथम के दरबारी थे।
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(B) सूर्यमल्ल मिश्रण: ये बूंदी के दरबारी कवि थे और इन्होंने ‘वंश भास्कर’ तथा ‘वीर सतसई’ जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की।
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(D) दयालदास: इन्होंने बीकानेर के राठौड़ों के इतिहास से संबंधित ग्रंथ ‘दयालदास री ख्यात’ की रचना की।
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‘वंश भास्कर’ और ‘वीर सतसई’ जैसे ग्रंथों के रचयिता कौन हैं?
(A) मुहणोत नैणसी
(B) सूर्यमल्ल मिश्रण
(C) श्यामलदास
(D) दयालदास
सही उत्तर है (B) सूर्यमल्ल मिश्रण।
ग्रंथों के रचयिता और उनका योगदान
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रचयिता: सूर्यमल मिश्रण ✍️
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प्रमुख ग्रंथ:
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वंश भास्कर (Vansh Bhaskar): यह बूंदी राज्य के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण और विस्तृत ग्रंथ है। हालांकि यह अपूर्ण रहा, पर इसमें राजस्थान के राजपूत राजवंशों का विस्तृत वर्णन मिलता है।
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वीर सतसई (Veer Satsai): इस ग्रंथ की रचना 1857 की क्रांति के आस-पास हुई थी। इसमें वीर रस का अद्भुत समावेश है और यह देशभक्ति तथा शौर्य की भावना से ओत-प्रोत है।
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दरबारी कवि: सूर्यमल्ल मिश्रण बूंदी के शासक महाराव राम सिंह के दरबारी कवि थे। उन्हें “राजस्थान के राज्य कवि” के रूप में भी जाना जाता है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं
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(A) मुहणोत नैणसी: इन्होंने ‘नैणसी री ख्यात’ (राजस्थान की सबसे प्राचीन ख्यात) और ‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ (जिसे ‘राजस्थान का गजेटियर’ भी कहते हैं) की रचना की।
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(C) श्यामलदास: इन्होंने मेवाड़ के इतिहास पर आधारित प्रसिद्ध ग्रंथ ‘वीर विनोद’ की रचना की।
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(D) दयालदास: इन्होंने बीकानेर के राठौड़ों के इतिहास से संबंधित ग्रंथ ‘दयालदास री ख्यात’ की रचना की।
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किसे ‘राजपूताने का अबुल फजल’ कहा जाता है?
(A) श्यामलदास
(B) मुहणोत नैणसी
(C) सूर्यमल्ल मिश्रण
(D) पृथ्वीराज राठौड़
सही उत्तर है (B) मुहणोत नैणसी।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (B) मुहणोत नैणसी ✍️
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मुहणोत नैणसी मारवाड़ (जोधपुर) के शासक महाराजा जसवंत सिंह प्रथम के दरबारी थे।
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उन्हें मुगल बादशाह अकबर के दरबारी अबुल फजल की तरह ही अपनी उत्कृष्ट इतिहास लेखन शैली के लिए जाना जाता है।
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उन्हें यह उपाधि इतिहासकार मुंशी देवी प्रसाद ने दी थी।
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नैणसी द्वारा रचित प्रमुख ग्रंथ:
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नैणसी री ख्यात (Nainsi ri Khyat): इसे ‘राजस्थान की सबसे प्राचीन ख्यात’ माना जाता है।
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मारवाड़ रा परगना री विगत (Marwar Ra Pargana ri Vigat): इसे ‘राजस्थान का गजेटियर’ भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें मारवाड़ के विभिन्न क्षेत्रों की जनगणना, सामाजिक और आर्थिक जानकारी का विस्तृत विवरण है।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) श्यामलदास: इन्होंने मेवाड़ के इतिहास पर प्रसिद्ध ग्रंथ ‘वीर विनोद’ की रचना की।
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(C) सूर्यमल्ल मिश्रण: ये बूंदी के दरबारी कवि थे और इन्हें ‘राजस्थान के राज्य कवि’ के रूप में जाना जाता है। इन्होंने ‘वंश भास्कर’ और ‘वीर सतसई’ की रचना की।
-
(D) पृथ्वीराज राठौड़: ये बीकानेर के राजकुमार थे, जो अकबर के दरबारी थे। इन्होंने ‘वेलि क्रिसन रुक्मणी री’ नामक प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की, जिसे दुर्सा आढ़ा ने ‘पाँचवाँ वेद’ कहा है।
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किसे ‘डिंगल का हैरोस’ कहा जाता है?
(A) मुहणोत नैणसी
(B) सूर्यमल्ल मिश्रण
(C) श्यामलदास
(D) पृथ्वीराज राठौड़
सही उत्तर है (D) पृथ्वीराज राठौड़।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (D) पृथ्वीराज राठौड़ ✍️
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पृथ्वीराज राठौड़ बीकानेर के राजकुमार और मुगल बादशाह अकबर के दरबारी कवि थे।
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उन्हें यह उपाधि इतालवी इतिहासकार एल. पी. टेस्सीटोरी (L. P. Tessitori) ने दी थी। ‘डिंगल’ राजस्थानी साहित्य की एक शैली है, और ‘हैरोस’ (Heeros) यूनानी पौराणिक कथाओं के नायक (Hero) को संदर्भित करता है।
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उन्हें यह उपाधि उनके कालजयी ग्रंथ ‘वेलि क्रिसन रुक्मणी री’ (Velikrishan Rukmani Ri) की रचना के लिए दी गई थी, जो डिंगल भाषा में लिखा गया एक उत्कृष्ट काव्य है।
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अन्य तथ्य:
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इस ग्रंथ को दुर्सा आढ़ा ने ‘पाँचवाँ वेद’ और ‘उन्नीसवाँ पुराण’ कहा था।
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पृथ्वीराज राठौड़ ने अपना अधिकांश समय अकबर के दरबार में गागरोन दुर्ग (झालावाड़) में रहकर बिताया था।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) मुहणोत नैणसी: इन्हें ‘राजपूताने का अबुल फजल’ कहा जाता है।
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(B) सूर्यमल्ल मिश्रण: इन्हें ‘राजस्थान के राज्य कवि’ के रूप में जाना जाता है, और इन्होंने ‘वंश भास्कर’ की रचना की।
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(C) श्यामलदास: इन्होंने ‘वीर विनोद’ ग्रंथ की रचना की।
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वह क्रांतिकारी जिसने 1903 ई. में मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह को दिल्ली दरबार में जाने से रोकने के लिए ‘चेतावनी रा चूंगट्या’ नामक सोरठे लिखे?
(A) केसरिया सिंह बारहट
(B) केसरी सिंह बारहठ
(C) प्रताप सिंह बारहठ
(D) जोरावर सिंह बारहठ
सही उत्तर है (B) केसरी सिंह बारहठ।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (B) केसरी सिंह बारहठ ✍️
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रचना: ‘चेतावनी रा चूंगट्या’ नामक 13 सोरठे।
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समय: 1903 ई.।
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उद्देश्य: ये सोरठे मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह को लॉर्ड कर्जन द्वारा आयोजित दिल्ली दरबार में भाग लेने से रोकने के लिए लिखे गए थे। इन सोरठों में महाराणा को उनके पूर्वजों के गौरव और त्याग का स्मरण कराकर ब्रिटिश अधीनता के अपमान के विरुद्ध जागृत करने का प्रयास किया गया था।
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परिणाम: महाराणा फतेह सिंह दिल्ली पहुँचने के बाद भी दरबार में शामिल हुए बिना ही उदयपुर लौट आए थे, जिसने देशभक्तों के मनोबल को बढ़ाया।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) केसरिया सिंह बारहट : यह व्यक्ति कोई नही है |
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(C) प्रताप सिंह बारहठ: ये केसरी सिंह बारहठ के पुत्र थे, जिन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया और बरेली जेल में अमानवीय यातनाएँ सहीं। उनका प्रसिद्ध कथन है, “मैं अपनी माँ को रोने के लिए नहीं छोड़ सकता, जिससे हजारों माताओं को न रोना पड़े।”
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(D) जोरावर सिंह बारहठ: ये केसरी सिंह बारहठ के भाई थे। ये लॉर्ड हार्डिंग्ज पर बम फेंकने की घटना (1912 ई.) में शामिल थे और आजीवन भूमिगत रहे।
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खंड 5: अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक व्यक्ति
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किस शासक के बारे में कहा जाता है कि उसने एक बार मुगलों को 108 रानियाँ दहेज में दी थीं?
(A) महाराजा मानसिंह
(B) राव कल्याणमल
(C) राव जैतसी
(D) राव बीका
सही उत्तर है (B) राव कल्याणमल।
हालांकि यह संख्या 108 ऐतिहासिक रूप से अतिरंजित और विवादित है, लेकिन यह घटना बीकानेर के शासक राव कल्याणमल से जुड़ी हुई मानी जाती है।
व्याख्या –
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शासक: राव कल्याणमल (बीकानेर)
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संदर्भ:
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राव कल्याणमल उन पहले प्रमुख राजपूत शासकों में से थे, जिन्होंने 1570 ई. में नागौर दरबार में मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार की थी।
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अधीनता स्वीकार करने के बाद, उन्होंने अपनी पुत्री (राजकुमारी) का विवाह अकबर के साथ किया।
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ऐतिहासिक लोक कथाओं और कुछ ग्रंथों में यह उल्लेख मिलता है कि उन्होंने अपनी राजकुमारी के साथ भारी भरकम दहेज दिया था, जिसमें 108 दासियाँ (Dasis) भी शामिल थीं।
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भ्रम की स्थिति: समय के साथ और लोक कहानियों के प्रचार से, “108 दासियाँ” की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर या गलत ढंग से “108 रानियाँ” के रूप में प्रसारित कर दिया गया। ऐतिहासिक रूप से, किसी भी राजपूत शासक द्वारा मुगलों को इतनी बड़ी संख्या में रानियाँ दहेज में देने का कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) महाराजा मानसिंह: ये आम्बेर के शासक थे और अकबर के सेनापति थे। इन्हें अधीनता स्वीकार करने के लिए नहीं, बल्कि अपनी सैन्य सेवाओं के लिए जाना जाता है।
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(C) राव जैतसी: ये राव कल्याणमल के पिता थे, जो बाबर के पुत्र कामरान के विरुद्ध पाहोबा के युद्ध (1534 ई.) में शहीद हुए थे।
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(D) राव बीका: ये बीकानेर के संस्थापक थे। इनका काल मुगलों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित होने से पहले का था।
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वह महिला जिसने अपने बेटे चंदन का बलिदान देकर उदय सिंह की जान बचाई थी?
(A) रानी पद्मिनी
(B) पन्ना धाय
(C) गवरी बाई
(D) हाड़ी रानी
सही उत्तर है (B) पन्ना धाय।
पन्ना धाय का बलिदान
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बलिदान: पन्ना धाय ने मेवाड़ के राजकुमार उदय सिंह (महाराणा प्रताप के पिता) को उनके चाचा बनवीर से बचाने के लिए अपने स्वयं के पुत्र चंदन का बलिदान दे दिया था। 😥
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महत्व: बनवीर मेवाड़ के सिंहासन पर कब्ज़ा करना चाहता था और उसने उदय सिंह की हत्या की योजना बनाई थी। पन्ना धाय ने उदय सिंह के स्थान पर अपने पुत्र चंदन को उदय सिंह के पलंग पर लिटा दिया, जिससे बनवीर ने चंदन को उदय सिंह समझकर मार डाला। पन्ना धाय ने उदय सिंह को एक टोकरी में छिपाकर कुंभलगढ़ दुर्ग पहुँचाया और उनके जीवन की रक्षा की।
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उपाधि: उन्हें उनके इस अतुलनीय त्याग के लिए ‘बलिदान की मूर्ति’ और ‘मेवाड़ की जननी’ कहा जाता है।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं
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(A) रानी पद्मिनी: ये चित्तौड़ की रानी थीं, जिन्होंने अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय जौहर किया था।
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(C) गवरी बाई: इन्हें उनके कृष्ण प्रेम के कारण ‘राजस्थान की मीराबाई’ कहा जाता है।
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(D) हाड़ी रानी: यह नाम रानी सलह कंवर से जुड़ा है। उन्होंने अपने पति राव रतन सिंह चूंडावत (जो राजसिंह की सेना में थे) को युद्ध में जाने से पहले निशानी के तौर पर अपना सिर काटकर दे दिया था ताकि उनका मोह युद्ध में बाधक न बने।
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‘मेवाड़ की थर्मोपल्ली’ कहे जाने वाले हल्दीघाटी के युद्ध (1576 ई.) में महाराणा प्रताप के सेनापति कौन थे?
(A) झाला बिदा
(B) हकीम खाँ सूर
(C) भामाशाह
(D) झाला अज्जा
सही उत्तर है (B) हकीम खाँ सूर।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (B) हकीम खाँ सूर ⚔️
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हल्दीघाटी के युद्ध (1576 ई.) में महाराणा प्रताप की सेना के मुख्य सेनापति हकीम खाँ सूर थे।
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यह मेवाड़ के इतिहास का एक अनूठा उदाहरण है, जहाँ एक हिन्दू राजा की सेना का नेतृत्व एक मुस्लिम सेनापति कर रहा था, जबकि मुगल सम्राट अकबर की सेना का नेतृत्व एक हिन्दू राजपूत राजा मानसिंह (कछवाहा) कर रहा था।
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यह युद्ध धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) झाला बिदा: ये महाराणा प्रताप के सेनापति नहीं, बल्कि एक वीर सेनानी थे। युद्ध के दौरान, जब महाराणा प्रताप घायल हो गए थे, तब झाला बिदा ने उनका राजचिह्न (मुकुट और छत्र) धारण कर लिया था, जिससे मुगल सेना उन्हें ही प्रताप समझती रही और प्रताप को सुरक्षित बाहर निकलने का मौका मिल गया।
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(C) भामाशाह: ये महाराणा प्रताप के मंत्री थे। इन्होंने विकट परिस्थिति में अपनी सारी संपत्ति महाराणा को दान कर दी थी, जिससे प्रताप ने अपनी सेना को पुनर्गठित किया। इन्हें ‘मेवाड़ का उद्धारक’ कहा जाता है।
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(D) झाला अज्जा: ये झाला बिदा के ही पूर्वज थे, जिन्होंने खानवा के युद्ध (1527 ई.) में घायल हुए महाराणा सांगा का राजचिह्न धारण किया था।
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किस शासक ने गोविन्ददेव जी मंदिर (जयपुर) और मदनमोहन जी मंदिर (करौली) की मूर्तियों को वृंदावन से लाकर स्थापित करवाया?
(A) मिर्जा राजा जयसिंह
(B) सवाई जयसिंह
(C) महाराजा मानसिंह
(D) राजा भारमल
सही उत्तर है (B) सवाई जयसिंह।
व्याख्या –
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शासक: सवाई जयसिंह (जयसिंह द्वितीय) 👑
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संदर्भ: यह घटना मुगल बादशाह औरंगजेब के मूर्तिभंजक अभियानों (Image-breaking campaigns) से संबंधित है।
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स्थापना: जब औरंगजेब ने हिंदू मंदिरों को तोड़ना शुरू किया, तो ब्रज (वृंदावन) से वैष्णव संप्रदाय की मूर्तियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाने लगा। सवाई जयसिंह ने इन मूर्तियों को अपने राज्य में शरण दी और उनकी स्थापना करवाई:
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गोविन्ददेव जी मंदिर: इस मूर्ति को जयपुर शहर में स्थापित करवाया गया था। यह मंदिर गौड़ीय संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है और जयपुर के आराध्य देव के रूप में पूजे जाते हैं।
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मदनमोहन जी मंदिर: इस मूर्ति को करौली में स्थापित करवाया गया था। यह मंदिर भी गौड़ीय संप्रदाय से संबंधित है।
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नोट: हालाँकि मदनमोहन जी मंदिर की मूर्ति करौली में उनके एक सामंत ने स्थापित करवाई थी, लेकिन मूर्तियों को औरंगजेब के भय से ब्रज से लाने और उन्हें सुरक्षित स्थान देने में सवाई जयसिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) मिर्ज़ा राजा जयसिंह: इनका काल (17वीं सदी) औरंगजेब के आरंभिक काल से संबंधित था, लेकिन ये मुख्य रूप से शिवाजी के साथ पुरंदर की संधि के लिए जाने जाते हैं।
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(C) महाराजा मानसिंह: इनका काल (16वीं सदी) अकबर से जुड़ा है, जो औरंगजेब से लगभग एक सदी पहले था।
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(D) राजा भारमल: इनका काल (16वीं सदी) अकबर के प्रारंभिक काल से जुड़ा है।
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जयपुर के किस शासक ने नहरगढ़ दुर्ग में अपनी नौ प्रेमिकाओं के लिए एक जैसे नौ महल बनवाए थे?
(A) सवाई जयसिंह
(B) सवाई रामसिंह
(C) सवाई माधोसिंह प्रथम
(D) सवाई प्रताप सिंह
सही उत्तर है (C) सवाई माधोसिंह प्रथम।
व्याख्या –
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शासक: सवाई माधोसिंह प्रथम (Sawai Madho Singh I, 1750-1768 ई.)
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स्थान: नाहरगढ़ दुर्ग (Nahargarh Fort), जयपुर।
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निर्माण कार्य: उन्होंने नाहरगढ़ दुर्ग में अपनी नौ प्रेमिकाओं (या पासवानों) के लिए एक जैसे नौ महल (Nine Palaces) बनवाए थे। इन महलों का निर्माण माधवेन्द्र भवन के नाम से जाना जाता है।
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विशेषता: इन महलों का निर्माण जयपुर के वास्तुकार विद्याधर की शैली पर किया गया था, जहाँ गोपनीयता और समानता को प्राथमिकता दी गई थी। सभी नौ महल (प्रत्येक का नाम अलग था) अंदरूनी तौर पर एक-दूसरे से जुड़े हुए थे, लेकिन बाहर से पूरी तरह से अलग दिखते थे, जो शाही हरम की गोपनीयता बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किए गए थे।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) सवाई जयसिंह (जयसिंह द्वितीय): ये जयपुर शहर के संस्थापक और पाँच जंतर-मंतर वेधशालाओं के निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं।
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(B) सवाई रामसिंह द्वितीय: ये राम निवास बाग के निर्माण और जयपुर को गुलाबी रंग (पिंक सिटी) से रंगवाने के लिए जाने जाते हैं।
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(D) सवाई प्रताप सिंह: ये हवा महल (Hawa Mahal) के निर्माण और कला, साहित्य व संगीत (गन्धर्व बाईसी) के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध हैं।
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किस राजपूत रानी को “राजस्थान की जलपरी” के रूप में जाना जाता है?
(A) कालीबाई
(B) नारायणी देवी वर्मा
(C) रीमा दत्ता
(D) किशोरी देवी
सही उत्तर है (C) रीमा दत्ता।
व्याख्या –
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रीमा दत्ता को उनकी उत्कृष्ट तैराकी (Swimming) उपलब्धियों के कारण “राजस्थान की जलपरी” (Mermaid of Rajasthan) के रूप में जाना जाता है। 🏊♀️
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उन्होंने 1960 के दशक में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई रिकॉर्ड बनाए और कई पदक जीते। उन्हें “एशियाई खेलों की राजकुमारी” (Princess of Asian Games) के रूप में भी जाना जाता था।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं
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(A) कालीबाई: ये रास्तापाल (डूंगरपुर) की भील बालिका थीं, जिन्होंने अपने गुरु की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया था।
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(B) नारायणी देवी वर्मा: ये मेवाड़ प्रजामंडल आंदोलन की प्रमुख महिला नेता थीं और माणिक्यलाल वर्मा की पत्नी थीं।
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(D) किशोरी देवी: ये सीकर किसान आंदोलन से जुड़ी थीं और कटराथल सम्मेलन (1934 ई.) में हजारों महिलाओं का नेतृत्व करने के लिए प्रसिद्ध हैं।
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वह शासक जो ‘ब्रजनिधि’ नाम से कविताएँ लिखता था और जिसने हवामहल (1799 ई.) का निर्माण करवाया?
(A) सवाई जयसिंह
(B) सवाई रामसिंह
(C) सवाई प्रताप सिंह
(D) सवाई माधोसिंह
सही उत्तर है (C) सवाई प्रताप सिंह।
व्याख्या –
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शासक: सवाई प्रताप सिंह (Sawai Pratap Singh, 1778-1803 ई.) 👑
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उपाधि/छद्म नाम: वे स्वयं को ‘ब्रजनिधि’ (Brijnidhi) नाम से संबोधित करते थे और इसी नाम से कृष्ण भक्ति से संबंधित कविताएँ और ब्रज भाषा में रचनाएँ करते थे। 📝
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निर्माण कार्य: उन्होंने 1799 ई. में हवामहल (Hawa Mahal) का निर्माण करवाया था। यह पाँच मंजिला इमारत श्रीकृष्ण के मुकुट के आकार की है, जिसमें 953 झरोखे हैं। इसका उद्देश्य शाही महिलाओं को बिना किसी रुकावट के बाहर के त्योहार और जुलूस देखने में सक्षम बनाना था।
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कला संरक्षण: वे ‘गन्धर्व बाईसी’ (Gandarva Baiisi) नामक 22 संगीतज्ञों और विद्वानों के समूह को संरक्षण देने के लिए भी प्रसिद्ध थे।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) सवाई जयसिंह (जयसिंह द्वितीय): ये जयपुर शहर के संस्थापक और जंतर-मंतर (वेधशालाओं) के निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं।
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(B) सवाई रामसिंह द्वितीय: ये जयपुर को गुलाबी रंग से रंगवाने और राम निवास बाग के निर्माण के लिए जाने जाते हैं।
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(D) सवाई माधोसिंह प्रथम: इन्होंने नाहरगढ़ दुर्ग में अपनी नौ प्रेमिकाओं के लिए एक जैसे नौ महल बनवाए थे।
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किसे ‘आधुनिक राजस्थान का निर्माता’ कहा जाता है?
(A) जयनारायण व्यास
(B) हीरालाल शास्त्री
(C) मोहनलाल सुखाड़िया
(D) हरिदेव जोशी
सही उत्तर है (C) मोहनलाल सुखाड़िया।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (C) मोहनलाल सुखाड़िया 🛠️
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मोहनलाल सुखाड़िया को ‘आधुनिक राजस्थान का निर्माता’ (Architect of Modern Rajasthan) कहा जाता है क्योंकि वे सर्वाधिक लंबे समय तक राजस्थान के मुख्यमंत्री (1954 से 1971 ई. तक) रहे थे।
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उनके शासनकाल के दौरान, राजस्थान में शिक्षा, पंचायती राज, औद्योगिक विकास और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में आधुनिक बुनियादी ढाँचे और संस्थागत सुधारों का व्यापक निर्माण हुआ।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) जयनारायण व्यास: इन्हें ‘लोकनायक’ और ‘जोधपुर का चाणक्य’ कहा जाता है। ये राजस्थान के तीसरे मुख्यमंत्री थे।
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(B) हीरालाल शास्त्री: ये राजस्थान के प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री थे और जयपुर प्रजामंडल के प्रमुख नेता थे।
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(D) हरिदेव जोशी: ये आधुनिक राजस्थान के प्रमुख राजनेता थे, जो तीन बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन ‘आधुनिक राजस्थान का निर्माता’ की उपाधि सुखाड़िया को प्राप्त है।
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महाराणा प्रताप की संकटकालीन राजधानी कौन सी थी?
(A) कुम्भलगढ़
(B) चावंड
(C) गोगुन्दा
(D) उदयपुर
सही उत्तर है (B) चावंड।
संकटकालीन राजधानी –
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चावंड (Chavand) 1585 ई. में महाराणा प्रताप द्वारा स्थापित की गई संकटकालीन राजधानी थी।
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हल्दीघाटी के युद्ध (1576 ई.) के बाद महाराणा प्रताप ने मुगलों से लगातार संघर्ष करते हुए अपना खोया हुआ मेवाड़ का अधिकांश भाग वापस जीत लिया था।
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1585 ई. में, उन्होंने लूणा चावंडिया को हराकर चावंड को अपनी राजधानी बनाया और यह अगले 28 वर्षों तक (प्रताप की मृत्यु के बाद उनके पुत्र अमरसिंह के शासनकाल तक) मेवाड़ की राजधानी बनी रही।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) कुम्भलगढ़: यह हल्दीघाटी के युद्ध के बाद कुछ समय तक (1576-1578 ई.) महाराणा प्रताप का प्रमुख केंद्र और अस्थायी आश्रय स्थल रहा, लेकिन यह उनकी संकटकालीन राजधानी नहीं थी।
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(C) गोगुन्दा: यह हल्दीघाटी के युद्ध के समय (1576 ई.) महाराणा प्रताप के राज्य का प्रमुख केंद्र था और जहाँ उनका राज्याभिषेक हुआ था।
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(D) उदयपुर: इसकी स्थापना महाराणा प्रताप के पिता उदयसिंह ने 1559 ई. में की थी। हल्दीघाटी के युद्ध के समय मुगलों का इस पर नियंत्रण था।
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बीकानेर के किस शासक को उसकी दानशीलता के कारण ‘कलयुग का कर्ण’ कहा जाता है?
(A) महाराजा रायसिंह
(B) राव बीका
(C) राव लूणकरण
(D) राव कल्याणमल
सही उत्तर है (C) राव लूणकरण।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (C) राव लूणकरण 💰
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राव लूणकरण बीकानेर के शासक थे।
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उन्हें उनकी अतुलनीय दानशीलता और उदारता के कारण ‘कलयुग का कर्ण’ की उपाधि दी गई थी।
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यह उपाधि उन्हें उनके समकालीन कवि बिठू सूजा ने अपने ग्रंथ ‘राव जैतसी रो छंद’ में दी थी।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) महाराजा रायसिंह: इन्हें मुगल बादशाह अकबर ने ‘महाराजा’ की उपाधि दी थी। इन्हें दानशीलता के कारण ‘राजपूताने का कर्ण’ कहा जाता है (हालांकि ‘कलयुग का कर्ण’ उपाधि लूणकरण के लिए अधिक प्रसिद्ध है)।
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(B) राव बीका: ये बीकानेर राज्य के संस्थापक थे।
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(D) राव कल्याणमल: ये पहले बीकानेर शासक थे जिन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार की और अपनी पुत्री का विवाह अकबर से किया।
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बीकानेर के किस शासक को ‘राजपूताने का कर्ण’ कहा जाता है?
(A) राव लूणकरण
(B) महाराजा रायसिंह
(C) राव बीका
(D) राव कल्याणमल
सही उत्तर है (B) महाराजा रायसिंह।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (B) महाराजा रायसिंह 👑
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उपाधि: महाराजा रायसिंह को उनकी अत्यधिक दानशीलता (Generosity) और गरीबों के प्रति उदारता के कारण ‘राजपूताने का कर्ण’ कहा जाता है।
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देने वाले: यह उपाधि उन्हें मुंशी देवी प्रसाद ने दी थी।
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अन्य तथ्य: वे अकबर और जहाँगीर के दरबारी थे। उन्होंने बीकानेर में जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) राव लूणकरण: इन्हें भी दानशीलता के कारण ‘कलयुग का कर्ण’ कहा जाता है। यह उपाधि इन्हें बिठू सूजा ने अपने ग्रंथ ‘राव जैतसी रो छंद’ में दी थी।
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स्पष्टीकरण: अक्सर ‘कलयुग का कर्ण’ (लूणकरण) और ‘राजपूताने का कर्ण’ (रायसिंह) में भ्रम होता है, लेकिन पारंपरिक रूप से राजपूताने का कर्ण महाराजा रायसिंह को ही माना जाता है।
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(C) राव बीका: ये बीकानेर राज्य के संस्थापक थे।
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(D) राव कल्याणमल: ये पहले बीकानेर शासक थे जिन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार की थी।
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किस क्रांतिकारी की मृत्यु जेल में भूख हड़ताल के दौरान हुई थी?
(A) केसरी सिंह बारहठ
(B) बालमुकुंद बिस्सा
(C) प्रताप सिंह बारहठ
(D) जोरावर सिंह बारहठ
सही उत्तर है (B) बालमुकुंद बिस्सा।
बालमुकुंद बिस्सा का बलिदान –
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मृत्यु का कारण: क्रांतिकारी बालमुकुंद बिस्सा (Balmukund Bissa) की मृत्यु जेल में भूख हड़ताल (Hunger Strike) के दौरान हुई थी।
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स्थान और समय: जोधपुर में जेल की अमानवीय परिस्थितियों और राजनैतिक कैदियों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार के विरोध में उन्होंने भूख हड़ताल की थी। इसी हड़ताल के दौरान 19 जून 1942 को उनकी मृत्यु हो गई।
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उपाधि: उन्हें ‘राजस्थान का जतिन दास’ (Jatin Das of Rajasthan) कहा जाता है क्योंकि जतिन दास की मृत्यु भी लाहौर जेल में भूख हड़ताल के कारण हुई थी।
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अन्य तथ्य: वे जोधपुर प्रजामंडल के सक्रिय सदस्य थे और खादी व चरखा आंदोलन से जुड़े थे।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) केसरी सिंह बारहठ: इनकी मृत्यु जेल में नहीं हुई थी। ये ‘चेतावनी रा चूंगट्या’ के रचयिता थे और इन्हें बिहार की हजारीबाग जेल में कैद किया गया था, जहाँ से वे बाद में रिहा हुए थे।
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(C) प्रताप सिंह बारहठ: इनकी मृत्यु भी जेल में हुई थी, लेकिन भूख हड़ताल के कारण नहीं। इन्हें बरेली जेल में ब्रिटिश पुलिस द्वारा दी गई अमानवीय यातनाओं के कारण शहीद हो गए थे।
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(D) जोरावर सिंह बारहठ: ये कभी पुलिस के हाथ नहीं आए और आजीवन भूमिगत रहे। इनकी मृत्यु कोटा में बीमारी के कारण हुई थी, न कि जेल में भूख हड़ताल से।
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किस शासक के शासनकाल को ‘मेवाड़ की चित्रकला का स्वर्णकाल’ कहा जाता है?
(A) महाराणा कुम्भा
(B) महाराणा प्रताप
(C) महाराणा जगत सिंह प्रथम
(D) महाराणा राज सिंह
सही उत्तर है (C) महाराणा जगत सिंह प्रथम।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (C) महाराणा जगत सिंह प्रथम (1628-1652 ई.) 🎨
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महाराणा जगत सिंह प्रथम के शासनकाल को ‘मेवाड़ की चित्रकला का स्वर्णकाल’ कहा जाता है क्योंकि इस दौरान चित्रकला को अभूतपूर्व राजकीय संरक्षण मिला और मेवाड़ शैली अपनी पराकाष्ठा पर पहुँची।
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इन्होंने चित्तौड़गढ़ में ‘तस्वीरों रा कारखानों’ (चित्रों का कारखाना) नामक कला विद्यालय की स्थापना की, जिसे ‘सूरतखाना’ कहा जाता था।
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इस काल के प्रमुख चित्रकार साहिबदीन थे, जिन्होंने रागमाला और रसमंजरी जैसे महत्त्वपूर्ण चित्र ग्रंथों का चित्रण किया।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) महाराणा कुम्भा: इनका काल (15वीं सदी) मुख्य रूप से स्थापत्य कला (दुर्ग निर्माण) और संगीत के लिए स्वर्णकाल माना जाता है, न कि चित्रकला के लिए।
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(B) महाराणा प्रताप: इनका काल (16वीं सदी) मुगलों से लगातार संघर्ष का काल था। इस दौरान चित्रकला को विकसित होने का अवसर नहीं मिला।
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(D) महाराणा राज सिंह: इनका काल (17वीं सदी) औरंगजेब के विरुद्ध धार्मिक प्रतिरोध और स्थापत्य (राजसमंद झील और श्रीनाथजी मंदिर) के लिए प्रसिद्ध है।
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‘स्वराज शब्द’ का सर्वप्रथम प्रयोग करने वाले राजस्थान के व्यक्ति कौन थे?
(A) स्वामी दयानंद सरस्वती
(B) स्वामी विवेकानन्द
(C) दयानंद सरस्वती
(D) इनमें से कोई नहीं
सही उत्तर है (C) दयानंद सरस्वती।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (C) दयानंद सरस्वती 🧘♂️
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‘स्वराज शब्द’ का सर्वप्रथम प्रयोग करने वाले व्यक्ति स्वामी दयानंद सरस्वती थे। उन्होंने यह शब्द 1876 ई. में दिया था।
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हालाँकि स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म गुजरात में हुआ था, लेकिन उनका राजस्थान से गहरा नाता था। उन्होंने उदयपुर में परोपकारिणी सभा की स्थापना की और राजस्थान के अनेक शहरों (करौली, अजमेर, उदयपुर, जोधपुर) में प्रवास किया।
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भारत में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के संदर्भ में इस शब्द को लोकप्रिय बनाने का श्रेय बाल गंगाधर तिलक को जाता है, जिन्होंने इसे एक राजनीतिक हथियार बनाया।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) स्वामी दयानंद सरस्वती: यह विकल्प और (C) विकल्प एक ही व्यक्ति को संदर्भित करते हैं। प्रश्न में स्वामी लगाना या न लगाना केवल औपचारिक संबोधन का अंतर है। अतः, यह भी तकनीकी रूप से सही है।
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(B) स्वामी विवेकानन्द: इन्होंने ‘स्वराज’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग नहीं किया। ये शिकागो में धर्म संसद में दिए गए अपने प्रभावशाली भाषणों के लिए प्रसिद्ध हैं।
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(D) इनमें से कोई नहीं: यह गलत है, क्योंकि स्वामी दयानंद सरस्वती ने ही इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया था।
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वह क्रांतिकारी जिसे होर्डिंग्ज बम कांड (1912) में शामिल होने के कारण 5 वर्ष की सज़ा हुई?
(A) जोरावर सिंह बारहठ
(B) प्रताप सिंह बारहठ
(C) केसरी सिंह बारहठ
(D) अर्जुनलाल सेठी
सही उत्तर है (B) प्रताप सिंह बारहठ।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (B) प्रताप सिंह बारहठ 💣
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घटना: लॉर्ड हार्डिंग्ज पर बम फेंकने का कांड (दिल्ली षड्यंत्र केस), 1912 ई.।
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शामिल होना: प्रताप सिंह बारहठ इस कांड में शामिल थे। इस मामले में गिरफ्तार होने पर उन्हें पाँच वर्ष की सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई गई थी।
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शहीदी: उन्हें बरेली जेल में रखा गया, जहाँ ब्रिटिश पुलिस द्वारा दी गई अमानवीय यातनाओं के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी।
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प्रसिद्ध कथन: प्रताप सिंह बारहठ ने जेल में यातना के दौरान यह कहकर अपने साथियों के नाम बताने से मना कर दिया था कि: “मैं अपनी माँ को रोने के लिए नहीं छोड़ सकता, जिससे हजारों माताओं को न रोना पड़े।”
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) जोरावर सिंह बारहठ: ये प्रताप सिंह बारहठ के चाचा थे और ये भी इस बम कांड में शामिल थे। लेकिन ये आजीवन फरार रहे और कभी पुलिस के हाथ नहीं आए। इनकी मृत्यु बीमारी से हुई थी।
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(C) केसरी सिंह बारहठ: ये प्रताप सिंह के पिता थे और ‘चेतावनी रा चूंगट्या’ के रचयिता थे। इन्हें प्यारा लाल हत्याकांड में शामिल होने के कारण हजारीबाग जेल में कैद किया गया था।
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(D) अर्जुनलाल सेठी: ये जयपुर के क्रांतिकारी थे, जिन्होंने कहा था, “यदि मैं नौकरी करूँगा, तो अंग्रेजों को भारत से बाहर कौन निकालेगा।” इन्हें वेलूर जेल (मद्रास) में रखा गया था।
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राजस्थान की वह महिला जिसने कटराथल सम्मेलन (सीकर, 1934) में 10,000 महिलाओं का नेतृत्व किया?
(A) अंजना देवी चौधरी
(B) नारायणी देवी वर्मा
(C) किशोरी देवी
(D) जानकी देवी बजाज
सही उत्तर है (C) किशोरी देवी।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (C) किशोरी देवी 👩🌾
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सम्मेलन: कटराथल सम्मेलन, सीकर (1934 ई.)।
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नेतृत्व: किशोरी देवी ने इस सम्मेलन में 10,000 से अधिक जाट महिलाओं का सफल नेतृत्व किया।
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पृष्ठभूमि: यह सम्मेलन सीकर के जागीरदार द्वारा सोत्या का बास गाँव में महिलाओं के साथ किए गए दुर्व्यवहार के विरोध में आयोजित किया गया था। किशोरी देवी ने विरोध प्रदर्शन का प्रभावी नेतृत्व करके महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई थी।
अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) अंजना देवी चौधरी: ये बिजौलिया किसान आंदोलन और बेगूं किसान आंदोलन में सक्रिय थीं। ये राजस्थान में गिरफ्तार होने वाली पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं।
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(B) नारायणी देवी वर्मा: ये मेवाड़ प्रजामंडल की प्रमुख नेता थीं और माणिक्यलाल वर्मा की पत्नी थीं।
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(D) जानकी देवी बजाज: ये जयपुर प्रजामंडल की अध्यक्ष थीं और गांधीजी के पाँचवें पुत्र जमनालाल बजाज की पत्नी थीं। इन्हें गौ-सेवा और भूदान आंदोलन के लिए जाना जाता है।
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किसे ‘राजस्थान का नरसिंह’ कहा जाता है?
(A) संत जसनाथ
(B) संत जांभोजी
(C) भक्त कवि दुर्लभ
(D) संत पीपा
सही उत्तर है (C) भक्त कवि दुर्लभ।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (C) भक्त कवि दुर्लभ 💖
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उपाधि का कारण: भक्त कवि दुर्लभ (Bhakt Kavi Durlabh) को भगवान कृष्ण की भक्ति में उनकी गहरी तल्लीनता और उनके अद्वैतवादी (Non-dualistic) विचारों के कारण ‘राजस्थान का नरसिंह’ कहा जाता है।
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नरसिंह मेहता (Narsinh Mehta) गुजरात के एक महान संत और कृष्ण भक्त थे। चूंकि भक्त कवि दुर्लभ की कृष्ण भक्ति का स्तर और उनका सामाजिक संदेश नरसिंह मेहता से मेल खाता था, इसलिए उन्हें यह उपाधि दी गई।
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क्षेत्र: उनका कार्यक्षेत्र मुख्य रूप से वागड़ क्षेत्र (डूंगरपुर-बाँसवाड़ा) था।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) संत जसनाथ: ये जसनाथी संप्रदाय के संस्थापक हैं, जिनकी मुख्य पीठ कतरियासर (बीकानेर) में है।
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(B) संत जांभोजी: ये विश्नोई संप्रदाय के संस्थापक हैं और इन्हें ‘पर्यावरण वैज्ञानिक’ के रूप में जाना जाता है।
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(D) संत पीपा: ये दर्जी समुदाय के आराध्य संत हैं, जिनकी गुफा टोडा (टोंक) में है।
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जोधपुर में वीर भारत सभा की स्थापना किसने की थी?
(A) केसरी सिंह बारहठ
(B) गोकुलजी वर्मा
(C) जयनारायण व्यास
(D) हीरालाल शास्त्री
सही उत्तर है (C) जयनारायण व्यास।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (C) जयनारायण व्यास 🚩
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जयनारायण व्यास ने 1923 ई. में जोधपुर में ‘वीर भारत सभा’ नामक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की थी।
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इस संगठन का उद्देश्य मारवाड़ क्षेत्र में जनजागृति फैलाना और स्वतंत्रता आंदोलन के लिए युवाओं को संगठित करना था।
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उन्हें ‘लोकनायक’ और ‘जोधपुर का चाणक्य’ भी कहा जाता है।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) केसरी सिंह बारहठ: इन्होंने ‘चेतावनी रा चूंगट्या’ की रचना की और ये क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए ‘वीर भारत सभा’ (Veer Bharat Sabha) नामक संस्था से जुड़े थे, लेकिन जोधपुर में इस सभा की स्थापना जयनारायण व्यास ने की थी।
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(B) गोकुलजी वर्मा: ये भरतपुर प्रजामंडल से जुड़े थे और ‘बयाना का गांधी’ कहलाते थे।
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(D) हीरालाल शास्त्री: ये जयपुर प्रजामंडल के प्रमुख नेता और राजस्थान के प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री थे।
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राजस्थान में ‘सामंतशाही का अंत’ करने वाला शासक किसे माना जाता है?
(A) सवाई जयसिंह
(B) महाराजा मानसिंह
(C) राव मालदेव
(D) महाराजा जसवंत सिंह
सही उत्तर है (C) राव मालदेव।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (C) राव मालदेव 🗡️
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राव मालदेव (मारवाड़ के शासक, 1532-1562 ई.) को राजस्थान में ‘सामंतशाही का अंत’ करने वाला शासक माना जाता है क्योंकि उन्होंने अपनी विशाल सैन्य शक्ति का उपयोग करके मारवाड़ के आस-पास के कई छोटे सामंतों और सरदारों की रियासतों को जीतकर अपने राज्य में मिला लिया था।
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उन्होंने अपनी शक्ति का विस्तार इतना अधिक कर लिया था कि उन्होंने पारंपरिक सामंती व्यवस्था के प्रभाव को कम कर दिया और एक केंद्रीकृत प्रशासन स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया।
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उनकी इसी शक्ति, वैभव और विस्तारवादी नीति के कारण उन्हें ‘हशमत वाला राजा’ भी कहा जाता है।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) सवाई जयसिंह: ये जयपुर के संस्थापक थे। इन्होंने सामंतशाही का अंत नहीं किया, बल्कि मुगलों से अच्छे संबंध बनाकर अपने राज्य का विस्तार किया।
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(B) महाराजा मानसिंह: ये आम्बेर के शासक और अकबर के सेनापति थे। इन्होंने सामंतशाही के विपरीत जाकर काम नहीं किया, बल्कि मुगलों की मनसबदारी व्यवस्था में एक उच्च पद प्राप्त किया।
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(D) महाराजा जसवंत सिंह: ये जोधपुर के शासक थे और मुगल बादशाह शाहजहाँ तथा औरंगजेब के दरबारी थे। ये भी सामंतशाही के अंत के लिए नहीं जाने जाते।
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वह शासक जो कवि, संगीतज्ञ, गणितज्ञ और ज्योतिषी भी था, जिसने 5 वेधशालाओं का निर्माण करवाया?
(A) मिर्जा राजा जयसिंह
(B) सवाई जयसिंह
(C) महाराजा मानसिंह
(D) सवाई प्रताप सिंह
सही उत्तर है (B) सवाई जयसिंह।
व्याख्या सहित हल –
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सही उत्तर: (B) सवाई जयसिंह (जयसिंह द्वितीय) 🔭
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बहुमुखी प्रतिभा: सवाई जयसिंह (1699-1743 ई.) कछवाहा वंश के सबसे प्रतापी शासकों में से एक थे। वे न केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ और योद्धा थे, बल्कि उन्हें कवि, संगीतज्ञ, गणितज्ञ और ज्योतिषी (Astronomer) के रूप में भी जाना जाता है।
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वेधशालाएँ (Jantar Mantar): उन्होंने ज्योतिष और खगोल विज्ञान में अपनी गहरी रुचि के कारण भारत के पाँच स्थानों पर विशाल और सटीक वेधशालाओं का निर्माण करवाया। इन्हें ‘जंतर-मंतर’ के नाम से जाना जाता है:
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जयपुर (सबसे बड़ी और सबसे प्रसिद्ध)
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दिल्ली
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उज्जैन
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मथुरा
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बनारस (वाराणसी)
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अन्य उपलब्धि: उन्होंने जयपुर शहर की भी स्थापना की थी।
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अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –
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(A) मिर्ज़ा राजा जयसिंह (जयसिंह प्रथम): इन्हें शिवाजी के साथ पुरंदर की संधि (1665 ई.) के लिए जाना जाता है, न कि वेधशालाओं के निर्माण के लिए।
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(C) महाराजा मानसिंह: ये अकबर के सेनापति थे और कला संरक्षण के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इन्हें गणितज्ञ या ज्योतिषी के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त नहीं है।
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(D) सवाई प्रताप सिंह: ये हवामहल के निर्माण और ‘ब्रजनिधि’ नाम से कविताएँ लिखने के लिए जाने जाते हैं।
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