राजस्थानी पोशाक / परिधान

राजस्थानी पोशाक / परिधान

खंड 1: पुरुष परिधान (Male Attire)

  1. सामान्यतया पुरुष शरीर के ऊपरी भाग में जो वस्त्र पहनते हैं, उसे क्या कहते हैं?

    (A) पाग

    (B) अँगरखी/बगलबंदी

    (C) जामा

    (D) तिलका

    यह एक पारंपरिक भारतीय वस्त्रों से संबंधित प्रश्न है।

    सामान्यतया पुरुष शरीर के ऊपरी भाग में जो वस्त्र पहनते हैं, उसे इन विकल्पों में से अँगरखी/बगलबंदी कहा जाता है।

    सही उत्तर है (B) अँगरखी/बगलबंदी।

    यहाँ संक्षेप में अन्य विकल्पों की जानकारी दी गई है:

    • (A) पाग: यह एक प्रकार की पगड़ी या सिर पर पहनने वाला वस्त्र है।

    • (B) अँगरखी/बगलबंदी: यह शरीर के ऊपरी हिस्से में पहनी जाने वाली एक पारंपरिक पोशाक है, जो अक्सर लंबी और ढीली होती है, और बगलबंदी में बगल में बांधने के लिए डोरियाँ या पट्टियाँ होती हैं।

    • (C) जामा: यह भी ऊपरी शरीर का एक वस्त्र है, लेकिन यह अँगरखी की तुलना में अधिक औपचारिक और अक्सर लंबा होता है, जिसे विशेष अवसरों पर पहना जाता था।

    • (D) तिलका: यह एक प्रकार की टोपी या सिर पर पहनने का छोटा वस्त्र हो सकता है, या इसका संबंध माथे पर लगाए जाने वाले चिह्न (जैसे तिलक) से हो सकता है।

  2. पुरुषों द्वारा कमर के नीचे पहने जाने वाला वस्त्र जो तंग (tight) होता है, उसे क्या कहते हैं?

    (A) धोती

    (B) पाग

    (C) ब्रिचेस/पायजामा

    (D) जामा

    यह प्रश्न भी पारंपरिक भारतीय वस्त्रों से संबंधित है।

    पुरुषों द्वारा कमर के नीचे पहने जाने वाला वस्त्र जो तंग (tight) होता है, उसे इन विकल्पों में से ब्रिचेस/पायजामा के संदर्भ में समझा जा सकता है।

    • ब्रिचेस (Breeches) कमर से घुटने तक पहने जाने वाले तंग वस्त्र होते हैं, जो तंग होने की शर्त को पूरा करते हैं।

    • जबकि पायजामा (Pajama) सामान्यतः ढीला होता है, लेकिन जब विकल्प में इसे ब्रिचेस के साथ रखा गया है और ‘धोती’ तथा ‘जामा’ स्पष्ट रूप से ढीले वस्त्र हैं, तो ‘ब्रिचेस’ शब्द तंग वस्त्र की श्रेणी में सबसे उपयुक्त है।


    अन्य विकल्पों की व्याख्या:

    • (A) धोती: यह कमर के नीचे पहना जाने वाला एक ढीला और अनसिला वस्त्र है।

    • (B) पाग: यह सिर पर पहना जाने वाला वस्त्र (पगड़ी) है, कमर के नीचे नहीं।

    • (C) ब्रिचेस/पायजामा: इस विकल्प में ब्रिचेस शब्द ‘तंग’ वस्त्र की शर्त को पूरा करता है।

    • (D) जामा: यह कमर के ऊपर पहना जाने वाला एक लंबा और ढीला वस्त्र है।


    इसलिए, सही उत्तर है (C) ब्रिचेस/पायजामा, जिसमें ब्रिचेस शब्द तंग वस्त्र के लिए अधिक सटीक है।

  3. राजस्थानी पुरुषों द्वारा सिर पर बाँधा जाने वाला वस्त्र क्या कहलाता है?

    (A) चुन्दड़ी

    (B) पाग/पगड़ी

    (C) लहरिया

    (D) जामा

    सही उत्तर है (B) पाग/पगड़ी।

    • पाग (Paag) या पगड़ी (Pagri): यह राजस्थान में पुरुषों द्वारा सिर पर बाँधा जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण और पारंपरिक वस्त्र है। इसे राजस्थान की संस्कृति और सम्मान (Honor) का प्रतीक माना जाता है।

      • इसे बाँधने के तरीके, कपड़े के प्रकार (जैसे सूती, रेशमी), और रंग से व्यक्ति के क्षेत्र, जाति, और सामाजिक दर्जे का पता चलता है।

      • विभिन्न क्षेत्रों में इसे साफा भी कहा जाता है, जो पाग का ही एक रूप है और बाँधने की एक विशेष शैली है।

  4. विवाह के अवसर पर पहने जाने वाली विशिष्ट पगड़ी कौन सी है?

    (A) मोठड़ा

    (B) लहरिया

    (C) मोठड़े की पाग (या आटे की पाग)

    (D) मदील

     

    विवाह के अवसर पर पहने जाने वाली विशिष्ट पगड़ी मोठड़े की पाग (या आटे की पाग) है।

    सही उत्तर है: (C) मोठड़े की पाग (या आटे की पाग)

    यह पगड़ी विशेष रूप से राजस्थान में विवाह समारोह के अवसर पर पहनी जाती है।

    • मोठड़ा स्वयं एक प्रकार का डिज़ाइन होता है जो इस पगड़ी पर होता है।

    • लहरिया पगड़ी आमतौर पर जयपुर में राजशाही पगड़ी कहलाती है और श्रावण मास (बारिश के मौसम) से जुड़ी है।

    • मदील भी एक प्रकार की पगड़ी है, लेकिन विवाह के लिए विशेष रूप से मोठड़े की पाग को माना जाता है।

  5. शीतकाल (सर्दी) में पुरुषों द्वारा ओढ़ा जाने वाला वस्त्र क्या कहलाता है?

    (A) चुनरी

    (B) पछेवड़ा

    (C) जामा

    (D) तिलका

    शीतकाल (सर्दी) में पुरुषों द्वारा ओढ़ा जाने वाला वस्त्र पछेवड़ा कहलाता है।

    सही उत्तर है: (B) पछेवड़ा

    पछेवड़ा एक मोटा सूती वस्त्र होता है, जिसे विशेष रूप से ग्रामीण राजस्थान में पुरुष ठंड से बचने के लिए शॉल या कंबल की तरह ओढ़ते हैं।

  6. मुगलों के प्रभाव से पुरुषों द्वारा पहना जाने वाला लम्बा वस्त्र, जो घुटनों तक होता था, क्या कहलाता था?

    (A) पटका

    (B) जाजम

    (C) जामा

    (D) अँगरखी

    मुगलों के प्रभाव से पुरुषों द्वारा पहना जाने वाला लम्बा वस्त्र, जो घुटनों तक होता था, जामा कहलाता था।

    सही उत्तर है: (C) जामा

    • जामा एक लंबा, घेरदार वस्त्र होता था जिसे कमर में कसकर बाँधा जाता था और इसकी लम्बाई घुटनों तक या उससे थोड़ी नीचे तक होती थी। यह शाही और दरबारी पोशाक का एक प्रमुख हिस्सा था और मुग़ल काल में बहुत लोकप्रिय हुआ।

    • (A) पटका: यह कमर पर बाँधा जाने वाला वस्त्र था, जिस पर तलवार या कटार आदि लगाई जाती थी (कमरबंध)।

    • (B) जाजम: यह वस्त्र नहीं, बल्कि ज़मीन पर बिछाने की एक चादर या मोटी दरी होती थी।

    • (D) अँगरखी: यह शरीर के ऊपरी भाग में पहना जाने वाला कुर्तानुमा वस्त्र था, जो जामा की तुलना में छोटा और अधिक सामान्य होता था।

  7. पुरुषों द्वारा कमर पर बाँधे जाने वाले वस्त्र, जिस पर तलवार, कटार आदि लगाए जाते थे, उसे क्या कहते हैं?

    (A) कमरबंध

    (B) पटका

    (C) जामा

    (D) उपर्णा

     

    पुरुषों द्वारा कमर पर बाँधे जाने वाले वस्त्र, जिस पर तलवार, कटार आदि लगाए जाते थे, उसे पटका कहते हैं।

    सही उत्तर है: (B) पटका

    पटका को कमरबंध भी कहा जाता है। यह जामा या अँगरखी जैसे ऊपरी वस्त्रों के ऊपर कमर पर बाँधा जाता था और इसका मुख्य उद्देश्य तलवार, कटार या अन्य हथियार रखने के लिए एक आवरण प्रदान करना था। यह पुरुषों की प्रतिष्ठा और सज्जा का भी सूचक था।

    • (A) कमरबंध: यह पटका का ही दूसरा नाम है।

    • (C) जामा: यह लम्बा, घुटनों तक का वस्त्र है जिसे शरीर के ऊपरी भाग में पहना जाता था।

    • (D) उपर्णा: यह कंधे पर रखा जाने वाला एक वस्त्र या दुपट्टा होता था।

  8. भील जनजाति के पुरुष कमर पर एक तंग लंगोटी पहनते हैं, उसे क्या कहते हैं?

    (A) पोत्या

    (B) खोयतू

    (C) फालू

    (D) डेपाड़ा

     

    भील जनजाति के पुरुष कमर पर एक तंग लंगोटी पहनते हैं, उसे खोयतू कहते हैं।

    सही उत्तर है: (B) खोयतू

    • खोयतू भील पुरुषों द्वारा कमर पर पहनी जाने वाली तंग लंगोटी है, जो उनके पारंपरिक परिधान का हिस्सा है।

    • (A) पोत्या: यह भील पुरुषों द्वारा सिर पर बाँधा जाने वाला सफेद साफा या पगड़ी कहलाता है।

    • (C) फालू: यह भील पुरुषों की साधारण धोती या अंगोछा है जिसे कमर में बाँधा जाता है। (हालांकि कुछ स्रोतों में ‘कच्छाबू’ को भील महिलाओं का वस्त्र बताया गया है)।

    • (D) डेपाड़ा/ढेपाड़ा: यह भील पुरुषों द्वारा कमर से घुटनों तक पहनी जाने वाली तंग धोती होती है।

  9. भील पुरुषों द्वारा सिर पर बाँधा जाने वाला सफेद साफा क्या कहलाता है?

    (A) पोटिया

    (B) पोत्या

    (C) पाग

    (D) सेल्लो

    भील पुरुषों द्वारा सिर पर बाँधा जाने वाला सफेद साफा पोत्या कहलाता है।

    सही उत्तर है: (B) पोत्या

    पोत्या भील पुरुषों की पारंपरिक पगड़ी या सफेद साफा है।

  10. सिखों द्वारा पगड़ी के स्थान पर पहने जाने वाला कपड़ा, जो राजस्थान में भी प्रचलन में है?

    (A) पग

    (B) पटका

    (C) साफा

    (D) टोपी

     

    सिखों द्वारा पगड़ी के स्थान पर पहने जाने वाला कपड़ा, जो राजस्थान में भी प्रचलन में है, उसे साफा कहते हैं।

    सही उत्तर है: (C) साफा

    साफा पगड़ी का ही एक रूप है, लेकिन इसे बाँधने की शैली और आकार में अंतर होता है। पगड़ी और साफा दोनों ही राजस्थान में पुरुषों के सम्मान और पहचान के प्रतीक हैं, और साफा विशेष रूप से मारवाड़ (जोधपुर) क्षेत्र में प्रसिद्ध है। सिखों के बीच भी पगड़ी या दस्तार को सम्मान के साथ बांधा जाता है, और साफा एक सामान्य पगड़ीनुमा वस्त्र है।


 

खंड 2: महिला परिधान (Female Attire)

 

  1. महिलाओं द्वारा ओढ़ा जाने वाला सबसे लोकप्रिय वस्त्र कौन सा है?

    (A) घाघरा

    (B) चोली

    (C) ओढ़नी/लुगड़ी

    (D) तिलका

    महिलाओं द्वारा ओढ़ा जाने वाला सबसे लोकप्रिय वस्त्र ओढ़नी/लुगड़ी है।

    सही उत्तर है: (C) ओढ़नी/लुगड़ी

    • ओढ़नी या लुगड़ी एक लंबा कपड़ा होता है जिसे महिलाएँ अपने सिर और शरीर के ऊपरी हिस्से को ढकने के लिए इस्तेमाल करती हैं। यह राजस्थान की पारंपरिक पोशाक (घाघरा, चोली/काँचली) का एक अभिन्न अंग है और मर्यादा व सम्मान का प्रतीक माना जाता है।

    • (A) घाघरा: यह महिलाओं द्वारा शरीर के निचले हिस्से में पहना जाने वाला लम्बा, घेरदार स्कर्ट है।

    • (B) चोली: यह ऊपरी हिस्से (छाती) पर पहना जाने वाला छोटा ब्लाउज होता है।

    • (D) तिलका: यह एक प्रकार का तिलक या गहना हो सकता है, वस्त्र नहीं।

  2. राजस्थानी महिलाओं के निचले हिस्से का वस्त्र क्या कहलाता है?

    (A) चुनरी

    (B) घाघरा

    (C) चोली

    (D) तिलका

    राजस्थानी महिलाओं के निचले हिस्से का वस्त्र घाघरा कहलाता है।

    सही उत्तर है: (B) घाघरा

    यह पारंपरिक राजस्थानी पोशाक का एक मुख्य हिस्सा है, जो एक लंबी और घेरदार स्कर्ट होती है।

    • (A) चुनरी: यह एक तरह की ओढ़नी या दुपट्टा है, जिसे सिर और शरीर के ऊपरी भाग पर ओढ़ा जाता है।

    • (C) चोली: यह शरीर के ऊपरी भाग पर पहना जाने वाला छोटा ब्लाउज होता है।

    • (D) तिलका: यह एक आभूषण या तिलक हो सकता है, वस्त्र नहीं।

  3. महिलाएँ शरीर के ऊपरी हिस्से में जो वस्त्र पहनती हैं, जो आगे से खुला होता है, उसे क्या कहते हैं?

    (A) कुर्ती

    (B) ओढ़नी

    (C) काँचली/कब्जा

    (D) तिलका

    महिलाएँ शरीर के ऊपरी हिस्से में जो वस्त्र पहनती हैं और जो आगे से खुला होता है, उसे काँचली/कब्जा कहते हैं।

    सही उत्तर है: (C) काँचली/कब्जा

    यह पारंपरिक राजस्थानी पोशाक का एक भाग है, जो ब्लाउज के समान होता है, लेकिन इसकी बनावट विशिष्ट होती है और यह छाती और ऊपरी धड़ को ढकता है। यह अक्सर पीछे या कंधे पर कसने के लिए डोरियों (strings) या गाँठों का उपयोग करता था, जिससे यह आगे से खुला रहता था।

    • (A) कुर्ती: यह कमर या घुटनों तक का ऊपरी वस्त्र होता है, जो आगे से बंद (बटन या सिलाई से) होता है, न कि खुला।

    • (B) ओढ़नी: यह सिर और ऊपरी शरीर को ओढ़ने वाला लंबा कपड़ा है (दुपट्टा या घूंघट के समान)।

    • (D) तिलका: यह एक प्रकार का आभूषण या तिलक है, वस्त्र नहीं।

  4. विवाह के अवसर पर दुल्हन द्वारा पहनी जाने वाली विशेष ओढ़नी क्या कहलाती है?

    (A) लहरिया

    (B) चुनरी

    (C) पोमचा (या पीला पोमचा)

    (D) मोठड़ा

    विवाह के अवसर पर दुल्हन द्वारा पहनी जाने वाली विशेष ओढ़नी को दिए गए विकल्पों में सबसे सामान्य और उपयुक्त रूप से चुनरी कहा जाता है।

    सही उत्तर है: (B) चुनरी

    • चुनरी (Chunari) लाल रंग की एक पारंपरिक ओढ़नी है जिसे राजस्थान में सुहाग और शुभता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, यह विवाह और अन्य मांगलिक अवसरों पर दुल्हन और सुहागिन महिलाओं द्वारा अनिवार्य रूप से पहनी जाती है।


    विकल्पों का स्पष्टीकरण

    विकल्प नाम उपयोग और सांस्कृतिक महत्त्व
    (B) चुनरी विवाह/शुभ अवसर (सुहाग का प्रतीक): यह लाल रंग की होती है और दुल्हन के मुख्य वस्त्रों में से एक है।
    (A) लहरिया सावन का महीना/त्यौहार: यह वह ओढ़नी है जिस पर लहरदार (Wavy) पैटर्न होता है और इसे मुख्य रूप से श्रावण (सावन) मास में तीज के त्यौहार पर पहना जाता है।
    (C) पोमचा (या पीला पोमचा) संतान का जन्म: यह ओढ़नी (जिस पर कमल के फूल छपे होते हैं) मुख्यतः पुत्र जन्म (पीला पोमचा) या पुत्री जन्म (गुलाबी पोमचा) के अवसर पर माँ को उसके पीहर पक्ष से भेंट की जाती है। यह विवाह का मुख्य वस्त्र नहीं है।
    (D) मोठड़ा सावन का महीना/त्यौहार: यह लहरिया का एक प्रकार है जिसमें लहरें एक-दूसरे को काटती हुई (Criss-cross or Checkered pattern) दिखाई देती हैं। यह भी तीज और सावन से संबंधित है, विवाह से नहीं।
  5. सावन के महीने में महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली रंग-बिरंगी ओढ़नी जिसकी धारियाँ तिरछी होती हैं?

    (A) मोठड़ा

    (B) लहरिया

    (C) पोमचा

    (D) चुन्दड़ी

    सावन के महीने में महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली रंग-बिरंगी ओढ़नी जिसकी धारियाँ तिरछी होती हैं, उसे लहरिया कहते हैं।

    सही उत्तर है: (B) लहरिया


     

    वस्त्रों का स्पष्टीकरण

     

    विकल्प नाम विशेषता और अवसर क्यों सही/गलत
    (B) लहरिया कपड़े पर बनी तिरछी धारियाँ (waves) होती हैं। इसे मुख्य रूप से सावन के महीने में (विशेषकर तीज पर) पहना जाता है। सही: इसकी पहचान ही तिरछी लहरों (धारियों) से होती है, जो सावन की वर्षा की लहरों का प्रतीक हैं।
    (A) मोठड़ा इसमें धारियाँ एक-दूसरे को काटती हैं (Criss-cross), जिससे चौकोर जाल (चेक) जैसा पैटर्न बनता है। यह भी सावन से संबंधित है। गलत: इसमें धारियाँ तिरछी होने के बजाय जाल या चेकर पैटर्न बनाती हैं।
    (C) पोमचा यह कमल के फूल के डिज़ाइन वाली ओढ़नी है, जो मुख्य रूप से संतान के जन्म पर पहनी जाती है। गलत: इसका संबंध सावन या तिरछी धारियों से नहीं, बल्कि पुत्र/पुत्री जन्म से है।
    (D) चुन्दड़ी यह छोटे-छोटे बिन्दुओं (Dots) की बंधेज वाली ओढ़नी है, जो शुभ अवसरों (जैसे विवाह) पर पहनी जाती है। गलत: इसकी विशेषता तिरछी धारियाँ नहीं, बल्कि बिन्दियाँ (Dots) होती हैं।
  6. महिलाओं का वह वस्त्र जो लम्बा, तंग और सिर से पैर तक होता है, तथा विवाहित मुस्लिम महिलाएँ पहनती हैं?

    (A) काँचली

    (B) लहँगा

    (C) अबाया

    (D) कुर्ती

    आपके द्वारा दिए गए विकल्पों और वस्त्र के विवरण के अनुसार, सही उत्तर है:

    (C) अबाया


    स्पष्टीकरण

    आपके प्रश्न में दिए गए वस्त्र का वर्णन है: लंबा, सिर से पैर तक और विवाहित मुस्लिम महिलाएँ पहनती हैं।

    • अबाया (Abaya): यह एक लंबा और ढका हुआ (सिर से पैर तक) गाउन जैसा वस्त्र होता है, जिसे मुस्लिम महिलाएँ सार्वजनिक रूप से अपने सामान्य कपड़ों के ऊपर पहनती हैं। यह वस्त्र धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पर्दे (Hijab) का एक रूप है। (हालांकि, “तंग” (Tight) शब्द अबाया के लिए सटीक नहीं है, क्योंकि धार्मिक पहनावा आमतौर पर ढीला-ढाला होता है, लेकिन विकल्पों में अबाया ही सबसे करीब है)।

    अन्य विकल्पों का विवरण:

    • (A) काँचली: यह एक छोटा चोली या ब्लाउज होता है, जो ऊपरी शरीर पर पहना जाता है। यह सिर से पैर तक नहीं होता।

    • (B) लहँगा: यह कमर से नीचे पहना जाने वाला एक लंबी स्कर्ट है। यह सिर से पैर तक नहीं होता।

    • (D) कुर्ती: यह कमर या घुटने तक का ढीला ऊपरी वस्त्र है। यह सिर से पैर तक नहीं होता।

  7. आदिवासी महिलाओं द्वारा पहने जाने वाला प्राचीन वस्त्र क्या कहलाता है?

    (A) कुर्ती

    (B) तिलका

    (C) कटकी

    (D) पावरी

    सही उत्तर है (B) तिलका

    आदिवासी महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले प्राचीन वस्त्रों में से एक को तिलका कहा जाता है। यह झारखंड और आसपास के क्षेत्रों के कुछ आदिवासी समाजों, विशेष रूप से उरांव समाज, में प्रचलित पारंपरिक परिधान है।

    अन्य विकल्प:

    • (A) कुर्ती: यह एक सामान्य ऊपरी वस्त्र है, जिसे विभिन्न समाजों और क्षेत्रों में पहना जाता है।

    • (C) कटकी: यह किसी विशिष्ट आदिवासी वस्त्र का नाम नहीं है।

    • (D) पावरी: यह आमतौर पर टोपी या पगड़ी के लिए उपयोग किया जाने वाला शब्द है, वस्त्र के लिए नहीं। (हालांकि, ‘पावड़ा’ जनजाति का भी उल्लेख होता है, पर यह वस्त्र का नाम नहीं है।)

    यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत में कई आदिवासी समूह हैं और हर समूह का अपना विशिष्ट पारंपरिक वस्त्र हो सकता है (जैसे साड़ी को ‘पिंधना’ या ओढ़ने की चादर को ‘बरकी’ या ‘पेछौरी’ कहा जाता है, या अलग-अलग राज्यों में मेखला चादर या घाघरा चोली जैसे पारंपरिक वस्त्र)। लेकिन दिए गए विकल्पों में से, तिलका सबसे उपयुक्त उत्तर है जो एक विशिष्ट प्राचीन आदिवासी महिला वस्त्र से संबंधित है।

  8. भील महिलाओं द्वारा घुटनों तक पहना जाने वाला घाघरा क्या कहलाता है?

    (A) कटकी

    (B) खोयतू

    (C) कछाबू

    (D) डेपाड़ा

    सही उत्तर है (C) कछाबू

    भील महिलाओं द्वारा घुटनों तक पहना जाने वाला पारंपरिक घाघरा कछाबू (Kachabu) कहलाता है। यह भील स्त्रियों का प्रमुख पारंपरिक निचला वस्त्र है।


    अन्य विकल्पों का स्पष्टीकरण :-

    • (A) कटकी (Katki): यह भील महिलाओं की एक प्रकार की ओढ़नी या साड़ी होती है, घाघरा नहीं।

    • (B) खोयतू (Khoytu): यह भील पुरुषों द्वारा कमर पर बाँधा जाने वाला लंगोटा या वस्त्र है।

    • (D) डेपाड़ा/ढेपाड़ा (Dhepaada): यह भील पुरुषों द्वारा कमर से घुटनों तक पहनी जाने वाली तंग धोती है।

  9. किस जनजाति की महिलाएँ बिना काँचली (ब्लाउज) के घाघरा और ओढ़नी पहनती हैं?

    (A) भील

    (B) गरासिया

    (C) कंजर

    (D) सहरिया

    हल: (C) कंजर। कंजर जनजाति की महिलाएँ काँचली का प्रयोग नहीं करती हैं।

  10. महिलाओं द्वारा विवाह के समय पहने जाने वाली विशेष वेशभूषा क्या कहलाती है?

    (A) शूट 

    (B) चीर

    (C) ओढ़नी

    (D) कुर्ती

    सही उत्तर है: (C) चुनरी


    व्याख्या और अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –

    विकल्प नाम व्याख्या क्यों गलत है
    (C) चुनरी यह सही उत्तर है। चुनरी (या चुंदड़ी) विवाह के अवसर पर दुल्हन द्वारा ओढ़ा जाने वाला लाल या पीले रंग का शुभ वस्त्र (ओढ़नी) है। यह सौभाग्य (सुहाग) का प्रतीक है और दुल्हन के पहनावे का सबसे अनिवार्य हिस्सा होता है। यह विवाह की विशिष्ट पहचान है।
    (A) शूट (Suit) यह एक सामान्य आधुनिक परिधान है जिसमें कुर्ता, सलवार/पैंट और दुपट्टा शामिल होता है। यह विवाह की पारंपरिक या विशेष वेशभूषा का विशिष्ट नाम नहीं है। यह एक सामान्य वस्त्र है।
    (B) चीर यह वस्त्र का एक सामान्य या पुराना नाम है जिसका अर्थ केवल कपड़ा या साड़ी का टुकड़ा होता है। यह विवाह की विशेष वेशभूषा का नाम नहीं है। यह बहुत सामान्य शब्द है।
    (D) कुर्ती यह कमर से घुटनों तक का ऊपरी वस्त्र (कमीज) है। दुल्हन इसे लहंगे या घाघरे के साथ पहन सकती है, लेकिन यह संपूर्ण ‘विशेष वेशभूषा’ (जो लहंगे, चोली और ओढ़नी का संयोजन होती है) का पर्याय नहीं है। यह केवल एक हिस्सा है, संपूर्ण वेशभूषा नहीं।

     


 

खंड 3: वेशभूषा से संबंधित कला और प्रकार

 

  1. वस्त्र को रंगने की वह तकनीक जिसमें कपड़े को बाँधकर (tie-dye) रंगाई की जाती है?

    (A) बंधेज

    (B) गोटाकारी

    (C) छपाई

    (D) पेंचवर्क

    वस्त्र को रंगने की वह तकनीक जिसमें कपड़े को बाँधकर (tie-dye) रंगाई की जाती है, बंधेज कहलाती है।

    सही उत्तर है: (A) बंधेज


    व्याख्या और अन्य विकल्प क्यों गलत हैं –

    विकल्प नाम प्रक्रिया/विशेषता व्याख्या
    (A) बंधेज (Bandhej) गाँठ लगाना (बांधना) और रंगना (Tie and Dye) यह सही उत्तर है। बंधेज एक प्राचीन और प्रसिद्ध राजस्थानी कला है। इसमें कपड़े को रंगने से पहले विभिन्न स्थानों पर धागे से कसकर बाँधा जाता है, ताकि उन बाँधे हुए हिस्सों पर रंग न चढ़े। बाँधने और खोलने पर कपड़े पर सुंदर बिंदुदार (dotted) पैटर्न बन जाते हैं।
    (B) गोटाकारी (Gotapatti) कढ़ाई/सजावट यह कपड़े को रंगने की तकनीक नहीं, बल्कि कपड़े पर छोटे सुनहरे या चमकीले फीतों (गोटा) की सहायता से की जाने वाली कढ़ाई या सजावट है।
    (C) छपाई (Chhapaai) ब्लॉक प्रिंटिंग यह कपड़े पर छपाई के साँचे (blocks) का उपयोग करके रंग लगाने की तकनीक है, न कि बाँधकर रंगने की। (जैसे सांगानेरी या बगरू प्रिंट)।
    (D) पेंचवर्क (Patchwork) सिलाई/जुड़ान यह अलग-अलग कपड़ों के टुकड़ों (पैच) को एक साथ सिलकर एक नया डिज़ाइन बनाने की तकनीक है, रंगाई की तकनीक नहीं।
  2. बंधेज की वह कला जिसमें रंग-बिरंगे बिन्दुओं या छोटे गोलों का प्रयोग होता है?

    (A) लहरिया

    (B) चुनरी/चूनड़ी

    (C) मोठड़ा

    (D) पोमचा

    हल: (B) चुनरी/चूनड़ी। चुनरी में मुख्यतः बिन्दुओं या छोटे गोलों के पैटर्न होते हैं।

  3. बंधेज का वह प्रकार जिसमें लहरिया की धारियाँ एक-दूसरे को काटती हुई चतुर्भुज (वर्ग/चौकोर) का निर्माण करती हैं?

    (A) चुनरी

    (B) लहरिया

    (C) मोठड़ा

    (D) पोमचा

    हल: (C) मोठड़ा। मोठड़ा बंधेज में लहरिया की दो धारियाँ एक-दूसरे को काटती हैं, जिससे चौकोर पैटर्न बनता है।

  4. विभिन्न प्रकार की रंगीन ओढ़नियाँ जो बंधेज कला से संबंधित हैं?

    (A) पाग, साफा, पटका

    (B) लहरिया, मोठड़ा, पोमचा

    (C) फालू, खोयतू, डेपाड़ा

    (D) चुन्दड़ी, तिलका, जामा

    हल: (B) लहरिया, मोठड़ा, पोमचा। ये सभी महिलाओं की ओढ़नियों से संबंधित बंधेज कला के प्रकार हैं।

  5. महिलाओं के कपड़ों पर गोटे (धातु या जरी के काम) को सजाने की कला क्या कहलाती है?

    (A) बंधेज

    (B) गोटाकारी

    (C) बाटिक

    (D) जाजम

    हल: (B) गोटाकारी। गोटाकारी में गोटे या पत्ती जैसे सोने-चाँदी के धागे से कपड़ों को सजाया जाता है।

  6. कपड़े पर मोम लगाकर या अन्य अवरोधक सामग्री से रंगाई करना, जिससे कपड़ा कुछ स्थानों पर बिना रंगे रह जाए?

    (A) अजरख

    (B) बाटिक

    (C) दाबू प्रिंट

    (D) बंधेज

    हल: (B) बाटिक। बाटिक कपड़े पर मोम (wax) का प्रयोग करके रंगाई करने की कला है।

  7. किस वस्त्र पर धार्मिक और पौराणिक कथाओं का चित्रण होता है, जो राजस्थान की एक अनूठी कला है?

    (A) बंधेज

    (B) फड़

    (C) पिछवाई

    (D) जाजम

    हल: (B) फड़। फड़ कपड़े पर लोक देवताओं (जैसे पाबूजी, देवनारायण जी) की जीवनी का चित्रण होता है, जिसे भाट/भोपा गाकर सुनाते हैं।

  8. पुरुषों की पगड़ियों को किस कारण से विभिन्न अवसरों और जातियों के लिए अलग-अलग तरह से बाँधा जाता है?

    (A) केवल फैशन

    (B) सिर की सुरक्षा

    (C) सामाजिक/जातीय पहचान और मान-सम्मान

    (D) मौसमी बदलाव

    हल: (C) सामाजिक/जातीय पहचान और मान-सम्मान। पगड़ी का रंग, आकार और बाँधने का तरीका व्यक्ति की जाति, पद और अवसर का प्रतीक होता है।

  9. महिलाओं की ओढ़नी में ‘पोमचा’ का अर्थ क्या है?

    (A) विवाह का वस्त्र

    (B) पुत्र जन्म पर माँ को दिया जाने वाला वस्त्र

    (C) शीतकाल का वस्त्र

    (D) विधवाओं का वस्त्र

    हल: (B) पुत्र जन्म पर माँ को दिया जाने वाला वस्त्र। पीला पोमचा पुत्र जन्म पर शुभ माना जाता है।

  10. ‘चीर’ नामक वस्त्र का संबंध किससे है?

    (A) पुरुषों का साफा

    (B) आदिवासी महिलाओं का घाघरा

    (C) शोक या विधवा महिलाओं का वस्त्र

    (D) विवाह की ओढ़नी

    हल: (C) शोक या विधवा महिलाओं का वस्त्र। यह सफेद या हल्के रंग का वस्त्र होता है, जो शोक का प्रतीक है।


 

खंड 4: जनजातीय वेशभूषा

 

  1. मीणा जनजाति के पुरुष कमर पर जो वस्त्र बाँधते हैं, उसे क्या कहते हैं?

    (A) धोती

    (B) पाग

    (C) डेपाड़ा

    (D) जामा

    हल: (C) डेपाड़ा। यह मीणा पुरुषों द्वारा कमर से नीचे पहना जाने वाला वस्त्र है।

  2. भील पुरुषों द्वारा सिर पर बाँधा जाने वाला साफा क्या कहलाता है?

    (A) खोयतू

    (B) पोत्या

    (C) फालू

    (D) जामा

    हल: (B) पोत्या। यह भील पुरुषों की पगड़ी का नाम है।

  3. कंजर जनजाति की महिलाओं द्वारा पहने जाने वाला घाघरा क्या कहलाता है?

    (A) फालू

    (B) खोयतू

    (C) खुसनी

    (D) कटकी

    हल: (C) खुसनी। कंजर महिलाओं द्वारा घुटनों तक पहने जाने वाले घाघरे को खुसनी कहते हैं।

  4. ‘तारा भांत की ओढ़नी’ राजस्थान की किस जनजाति की महिलाओं में लोकप्रिय है?

    (A) सहरिया

    (B) आदिवासी (मुख्यतः भील, मीणा)

    (C) गरासिया

    (D) कंजर

    हल: (B) आदिवासी (मुख्यतः भील, मीणा)। तारा\ भांत\ की\ ओढ़नी (साथ ही कैरी भांत, ज्वार भांत) आदिवासी महिलाओं में प्रचलित है।

  5. सहरिया जनजाति के पुरुष सिर पर जो साफा बाँधते हैं, उसे क्या कहते हैं?

    (A) पोत्या

    (B) खोयतू

    (C) खपटा

    (D) डेपाड़ा

    हल: (C) खपटा। खपटा सहरिया पुरुषों द्वारा बाँधा जाने वाला साफा है।


 

खंड 5: विविध प्रश्न

 

  1. किस परिधान को अकबर के शासनकाल में अधिक लोकप्रियता मिली और यह दरबारी वस्त्र बन गया?

    (A) अँगरखी

    (B) जामा

    (C) पाग

    (D) पटका

    हल: (B) जामा। जामा मुगल काल में दरबारी और शाही वस्त्र के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

  2. महिलाएँ ओढ़नी को सिर पर बाँधने के लिए जिस तंग पट्टी का उपयोग करती हैं, उसे क्या कहते हैं?

    (A) लूम

    (B) गूंज

    (C) चुन्दड़ी

    (D) पटका

    हल: (B) गूंज। यह सिर पर ओढ़नी के नीचे बाँधी जाने वाली पट्टी है।

  3. राजस्थान में किस जगह की पगड़ियाँ सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं?

    (A) जयपुर

    (B) उदयपुर

    (C) जोधपुर

    (D) बीकानेर

    हल: (B) उदयपुर। उदयपुर की पगड़ियाँ और पगड़ी बाँधने की कला विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

  4. वस्त्रों पर कढ़ाई के काम में किस जिले का ‘पैचवर्क’ (patchwork) प्रसिद्ध है?

    (A) जयपुर

    (B) जोधपुर

    (C) शेखावाटी क्षेत्र

    (D) उदयपुर

    हल: (C) शेखावाटी क्षेत्र। शेखावाटी क्षेत्र का पैचवर्क (कपड़े के टुकड़ों को जोड़कर कढ़ाई करना) प्रसिद्ध है।

  5. जैन महिलाओं द्वारा धार्मिक उत्सवों पर पहने जाने वाला पारम्परिक वस्त्र क्या है?

    (A) कटकी

    (B) तिलका

    (C) कुसुमल

    (D) साफा

    हल: (C) कुसुमल। कुसुमल लाल रंग का वस्त्र होता है जो जैन महिलाओं द्वारा धार्मिक अवसरों पर पहना जाता है।

  6. जयपुर में 19वीं शताब्दी में महिलाओं के लिए पहने जाने वाले पारम्परिक वस्त्रों का नाम क्या था?

    (A) घाघरा, चोली, ओढ़नी

    (B) तिलका, बुर्का

    (C) कुर्ती, काँचली

    (D) जामा, अंगरखी

    हल: (C) कुर्ती, काँचली। कुर्ती और काँचली 19वीं शताब्दी में जयपुर में महिलाओं का आम परिधान था।

  7. दहेज में बेटी के साथ दी जाने वाली साड़ी को राजस्थानी भाषा में क्या कहते हैं?

    (A) चीर

    (B) बेस

    (C) पोमचा

    (D) कटकी

    हल: (B) बेस।

  8. महिलाओं द्वारा कमर में बाँधी जाने वाली सोने-चाँदी की पट्टी जिसमें चाबियाँ बाँधी जाती थीं?

    (A) करधनी

    (B) मेखला

    (C) कंदोरा

    (D) पटका

    हल: (C) कंदोरा। कंदोरा या करधनी कमर पर पहना जाने वाला आभूषण भी है, लेकिन वस्त्र के रूप में यह चाबियाँ रखने के लिए भी प्रयोग होता था।

  9. लहरिया ओढ़नी का सबसे प्रसिद्ध रंग कौन सा है?

    (A) हरा और पीला

    (B) नीला और लाल

    (C) गुलाबी और लाल

    (D) नारंगी और बैंगनी

    हल: (C) गुलाबी और लाल। गुलाबी और लाल लहरिया सबसे अधिक शुभ और प्रसिद्ध माना जाता है।

  10. राजस्थानी संस्कृति में ‘रियान’ शब्द किससे संबंधित है?

    (A) एक आभूषण

    (B) एक वस्त्र का प्रकार

    (C) एक परम्परा

    (D) एक लोकगीत

    हल: (B) एक वस्त्र का प्रकार। रियान भी एक प्रकार का प्राचीन राजस्थानी वस्त्र है।

  11. पुरुषों द्वारा घुटनों तक पहने जाने वाला चूड़ीदार पायजामा किस नाम से प्रसिद्ध था?

    (A) धोती

    (B) पटका

    (C) चूड़ीदार

    (D) जामा

    हल: (C) चूड़ीदार।

  12. अँगरखी के ऊपर पहने जाने वाला कोटनुमा वस्त्र क्या कहलाता था?

    (A) जामा

    (B) दुतई

    (C) पटका

    (D) पछेवड़ा

    हल: (B) दुतई। दुतई अँगरखी के ऊपर पहना जाने वाला एक प्रकार का अचकन या कोट है।

  13. महिलाओं द्वारा अपनी ओढ़नी के छोर पर लटके हुए झालरदार पल्लू को क्या कहा जाता है?

    (A) झालर

    (B) लूम

    (C) गुल्ला

    (D) छोर

    हल: (B) लूम। लूम या फूमना ओढ़नी के छोर पर लगाए जाने वाले रंगीन धागों के गुच्छे या झालर होते हैं।

  14. ‘पोतदार’, ‘खुंटदार’ और ‘उदयशाही’ आदि किसके प्रकार हैं?

    (A) महिलाओं की ओढ़नी

    (B) पुरुषों की पगड़ी

    (C) पुरुषों का पायजामा

    (D) महिलाओं का घाघरा

    हल: (B) पुरुषों की पगड़ी। ये पगड़ी के विभिन्न प्रकार और शैलियाँ हैं, जैसे ‘अमरशाही’ भी पगड़ी का ही एक प्रकार है।

  15. वस्त्रों को कलात्मक ढंग से छापने की ‘अजरख’ शैली कहाँ की प्रसिद्ध है?

    (A) बाड़मेर

    (B) सांगानेर

    (C) बगरू

    (D) चित्तौड़गढ़

    हल: (A) बाड़मेर। अजरख\ प्रिंट (दोनों तरफ छपाई) और मलीर\ प्रिंट बाड़मेर के प्रसिद्ध हैं।


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