राजस्थान के प्रसिद्ध कवि एवं लेखक
खंड 1: मध्यकालीन कवि और इतिहासकार (Medieval Poets and Historians)
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किस लेखक को ‘राजपूताने का अबुल फजल’ कहा जाता है, जिसने 17वीं सदी में ‘नैणसी री ख्यात’ की रचना की?
(A) सूर्यमल्ल मिश्रण
(B) मुहणोत नैणसी
(C) श्यामलदास
(D) दयालदास
सही उत्तर है (B) मुहणोत नैणसी।
✒️ ‘राजपूताने का अबुल फजल’
मुहणोत नैणसी को ‘राजपूताने का अबुल फजल’ कहा जाता है।
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वे 17वीं शताब्दी (लगभग 1610-1670 ई.) के एक प्रसिद्ध इतिहासकार, कवि और जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह प्रथम के दीवान (प्रधानमंत्री) थे।
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उन्होंने दो महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की:
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नैणसी री ख्यात: यह राजस्थान के विभिन्न राज्यों के इतिहास, सामाजिक और आर्थिक जीवन का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रंथ है।
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मारवाड़ रा परगना री विगत: इसे राजस्थान का गजेटियर भी कहा जाता है, जिसमें मारवाड़ के परगनों (जिलों) की विस्तृत जानकारी, जनसंख्या, राजस्व आदि का विवरण है।
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उन्हें मुगल सम्राट अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल की ‘आईने-अकबरी’ और ‘अकबरनामा’ के समान ही व्यवस्थित और तथ्यात्मक इतिहास लेखन के कारण यह उपाधि दी गई थी।
💡 अन्य विकल्प
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(A) सूर्यमल्ल मिश्रण: ये बूंदी के दरबारी कवि थे और इनकी प्रमुख रचनाएँ ‘वंश भास्कर’ और ‘वीर सतसई’ हैं।
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(C) श्यामलदास: ये मेवाड़ के कविराजा थे और इनकी प्रमुख रचना ‘वीर विनोद’ है।
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(D) दयालदास: ये बीकानेर के दरबारी कवि थे और इनकी प्रमुख रचना ‘दयालदास री ख्यात’ है।
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कवि श्यामलदास द्वारा रचित वह ग्रंथ, जिसमें मेवाड़ के इतिहास और 84 दुर्गों में से 32 के कुम्भा द्वारा निर्मित होने का उल्लेख है?
(A) वंश भास्कर
(B) नैणसी री ख्यात
(C) वीर विनोद
(D) सूरज प्रकाश
सही उत्तर है (C) वीर विनोद।
📖 ग्रंथ और विवरण
वीर विनोद कविराजा श्यामलदास दधवाड़िया द्वारा रचित वह प्रसिद्ध ऐतिहासिक ग्रंथ है, जिसमें मेवाड़ के विस्तृत इतिहास का वर्णन किया गया है।
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रचना: यह ग्रंथ मेवाड़ के महाराणा सज्जन सिंह के आदेश पर लिखा गया था।
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मुख्य उल्लेख: इस ग्रंथ में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि मेवाड़ के 84 दुर्गों (किले) में से 32 दुर्गों का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया था।
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विशेषता: यह ग्रंथ मेवाड़ के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास का एक प्रामाणिक स्रोत माना जाता है।
📝 अन्य ग्रंथों की जानकारी
ग्रंथ का नाम लेखक संबंधित क्षेत्र मुख्य विषय-वस्तु (A) वंश भास्कर सूर्यमल्ल मिश्रण बूंदी (हाड़ा) राज्य बूंदी का इतिहास, राजस्थानी संस्कृति, वीर रस की कविताएँ। (B) नैणसी री ख्यात मुहणोत नैणसी मारवाड़/राजपूताना राजपूताने के विभिन्न राज्यों का विस्तृत इतिहास, ‘राजपूताने का अबुल फजल’ कहा जाता है। (D) सूरज प्रकाश करणीदान जोधपुर (मारवाड़) अभय सिंह के शासनकाल तक मारवाड़ के राठौड़ शासकों का इतिहास। -
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बूँदी के दरबारी कवि सूर्यमल मिश्रण द्वारा 19वीं सदी में रचित मुख्य ग्रंथ कौन सा है?
(A) वंश भास्कर
(B) वीर सतसई
(C) (A) और (B) दोनों
(D) चेतावनी रा चूंगट्या
सही उत्तर है (C) (A) और (B) दोनों।
✒️ सूर्यमल्ल मिश्रण की मुख्य रचनाएँ
बूँदी के दरबारी कवि सूर्यमल्ल मिश्रण (1815-1868 ई.) की 19वीं सदी में रचित दो सबसे मुख्य और प्रसिद्ध रचनाएँ निम्नलिखित हैं:
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(A) वंश भास्कर (Vansh Bhaskar):
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यह उनकी कीर्ति का आधार ग्रंथ है।
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यह बूँदी के हाड़ा चौहान वंश के विस्तृत इतिहास और वंशावली का वर्णन करने वाला एक ऐतिहासिक महाकाव्य है।
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इसे ’19वीं सदी के महाभारत‘ के रूप में भी जाना जाता है।
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(B) वीर सतसई (Vir Satsai):
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यह वीर रस से ओत-प्रोत एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें 288 दोहे हैं।
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इसकी रचना 1857 की क्रांति के समय हुई थी, और इसे राजस्थान में स्वाधीनता के लिए वीरता की उद्घोषणा करने वाला ग्रंथ माना जाता है।
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अतः, ‘वंश भास्कर’ और ‘वीर सतसई’ दोनों ही सूर्यमल्ल मिश्रण के मुख्य ग्रंथ हैं।
📚 अन्य रचनाएँ
सूर्यमल्ल मिश्रण की अन्य रचनाओं में शामिल हैं:
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बलवद विलास (बलवंत विलास)
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रामरंजाट (खण्ड काव्य, 10 वर्ष की अल्पायु में रचित)
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धातु रूपावली
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छन्दोमयूख
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सतीरासो
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(D) चेतावनी रा चूंगट्या की रचना सूर्यमल्ल मिश्रण ने नहीं, बल्कि केसरी सिंह बारहठ ने की थी।
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बीकानेर के कवि पृथ्वीराज राठौड़ द्वारा रचित वह रचना, जिसके कारण उन्हें ‘डिंगल का हैरोस’ कहा गया?
(A) दशम भागवत रा दूहा
(B) गंगालहरी
(C) वेलि किसन रुक्मणी री
(D) हरि पिंगल प्रबंध
सही उत्तर है (C) वेलि किसन रुक्मणी री।
📜 ‘वेलि किसन रुक्मणी री’
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रचना: बीकानेर के राजकुमार और अकबर के दरबारी कवि पृथ्वीराज राठौड़ (जिन्हें ‘पीथल’ भी कहा जाता था) द्वारा रचित सबसे महत्वपूर्ण रचना ‘वेलि किसन रुक्मणी री’ है।
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विषय-वस्तु: यह ग्रंथ कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की पौराणिक कथा पर आधारित है।
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महत्व: यह ग्रंथ अपनी उत्कृष्ट साहित्यिक गुणवत्ता, वीर रस और श्रृंगार रस के सुंदर समन्वय के कारण अत्यंत प्रसिद्ध हुआ।
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उपाधि: इस ग्रंथ को साहित्यकार डॉ. एल.पी. टेस्सीटोरी ने ‘डिंगल का हैरोस’ (A Hero of Dingal) कहा है। ‘हैरोस’ का तात्पर्य वीर या नायक से है।
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भाषा: यह रचना उत्तरी मारवाड़ी (डिंगल) भाषा की श्रेष्ठतम कृतियों में से एक मानी जाती है।
💡 अन्य रचनाएँ (पृथ्वीराज राठौड़ की)
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दशम भागवत रा दूहा
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गंगा लहरी (गंगा की महिमा से संबंधित)
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हरि पिंगल प्रबंध (पिंगल छंदों से संबंधित)
ये सभी रचनाएँ पृथ्वीराज राठौड़ से संबंधित हैं, लेकिन उन्हें ‘डिंगल का हैरोस’ उपाधि मुख्य रूप से ‘वेलि किसन रुक्मणी री’ के लिए मिली।
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जसवंत सिंह प्रथम (जोधपुर) के दरबारी कवि दलपत विजय ने 11वीं सदी में किस वीर रस की रचना की?
(A) बीसलदेव रासो
(B) पृथ्वीराज रासो
(C) खुमाण रासो
(D) हम्मीर रासो
सही उत्तर है (C) खुमाण रासो।
📜 खुमाण रासो और दलपत विजय
यह एक आम गलत धारणा है कि कवि दलपत विजय 17वीं शताब्दी के जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह प्रथम के दरबारी कवि थे।
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वास्तविक तथ्य: ‘खुमाण रासो’ ग्रंथ की रचना दलपत विजय नामक कवि ने की थी, लेकिन इसका रचनाकाल और दरबारी संबंध परम्परागत रूप से 9वीं शताब्दी के आस-पास मेवाड़ के शासक खुमाण से जोड़ा जाता है।
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भ्रम का निवारण: ऐतिहासिक रूप से, दलपत विजय को 11वीं सदी (या कुछ स्रोतों के अनुसार 17वीं सदी) के आस-पास का माना जाता है, न कि जसवंत सिंह प्रथम (17वीं सदी) के दरबारी कवि का। इसके बावजूद, यह निश्चित है कि ‘खुमाण रासो’ के रचयिता दलपत विजय हैं।
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वीर रस की रचना:
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ग्रंथ का नाम: खुमाण रासो
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रचयिता: दलपत विजय
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विषय-वस्तु: इस ग्रंथ में मेवाड़ के तीन खुमाण शासकों का वर्णन है, जिसमें मुख्य रूप से खुमाण द्वितीय (लगभग 810-840 ई.) की वीरता और बगदाद के खलीफा अल-मामूँ के साथ उनके युद्धों का वर्णन है। यह एक वीर रस प्रधान रचना है।
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📚 अन्य रासो ग्रंथों के रचयिता
ग्रंथ का नाम रचयिता (कवि) मुख्य शासक/विषय-वस्तु (A) बीसलदेव रासो नरपति नाल्ह अजमेर के चौहान शासक बीसलदेव (विग्रहराज चतुर्थ) का प्रेम और विवाह। (B) पृथ्वीराज रासो चन्द बरदाई अजमेर और दिल्ली के अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान तृतीय की वीरता। (D) हम्मीर रासो जोधराज/सारंगधर रणथम्भौर के शासक हम्मीर देव चौहान की वीरता और हठ। -
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कवि चंदबरदाई द्वारा रचित महाकाव्य, जिसमें पृथ्वीराज चौहान तृतीय के जीवन का वर्णन है?
(A) बीसलदेव रासो
(B) पृथ्वीराज रासो
(C) खुमाण रासो
(D) हम्मीर महाकाव्य
सही उत्तर है (B) पृथ्वीराज रासो।
⚔️ पृथ्वीराज रासो
कवि चंदबरदाई द्वारा रचित महाकाव्य ‘पृथ्वीराज रासो’ है।
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रचयिता: चंदबरदाई (पृथ्वीराज चौहान तृतीय के दरबारी कवि और मित्र)।
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विषय-वस्तु: इस विशालकाय ग्रंथ में अजमेर और दिल्ली के अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान तृतीय (11वीं शताब्दी) के जीवन, वीरता, युद्धों (विशेषकर तराइन के युद्ध), और संयोगिता के साथ उनके प्रेम का वर्णन है।
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महत्व: इसे हिंदी (आदिकालीन पिंगल भाषा) का प्रथम महाकाव्य माना जाता है और यह राजस्थान के इतिहास का एक महत्वपूर्ण साहित्यिक स्रोत है।
📚 अन्य ग्रंथों की जानकारी
ग्रंथ का नाम रचयिता (कवि) मुख्य शासक/विषय-वस्तु (A) बीसलदेव रासो नरपति नाल्ह अजमेर के चौहान शासक बीसलदेव (विग्रहराज चतुर्थ) का प्रेम और विवाह। (C) खुमाण रासो दलपत विजय मेवाड़ के शासक खुमाण (विशेषकर खुमाण द्वितीय) की वीरता। (D) हम्मीर महाकाव्य नयनचन्द्र सूरि रणथम्भौर के शासक हम्मीर देव चौहान की वीरता और उनके हठ का वर्णन। (यह ‘रासो’ नहीं बल्कि ‘महाकाव्य’ शैली का ग्रंथ है)। -
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बीकानेर के शासकों का इतिहास ‘दयालदास री ख्यात’ किस लेखक ने लिखी?
(A) मुहणोत नैणसी
(B) दयालदास
(C) श्यामलदास
(D) पृथ्वीराज राठौड़
सही उत्तर है (B) दयालदास।
📜 दयालदास री ख्यात
कवि दयालदास ने ही ‘दयालदास री ख्यात’ नामक ऐतिहासिक ग्रंथ की रचना की।
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रचयिता: दयालदास सिढायच।
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विषय-वस्तु: यह ग्रंथ मुख्य रूप से बीकानेर के राठौड़ शासकों के इतिहास पर केंद्रित है।
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महत्व: इसमें बीकानेर राज्य की स्थापना से लेकर महाराजा रतन सिंह के समय तक का विस्तृत और क्रमबद्ध इतिहास दिया गया है। यह उत्तरी राजस्थान के इतिहास को जानने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
💡 अन्य लेखकों की प्रमुख रचनाएँ
लेखक का नाम प्रमुख रचना संबंधित क्षेत्र/विषय (A) मुहणोत नैणसी नैणसी री ख्यात राजपूताने का इतिहास (‘राजपूताने का अबुल फजल’) (C) श्यामलदास वीर विनोद मेवाड़ का इतिहास (D) पृथ्वीराज राठौड़ वेलि किसन रुक्मणी री कृष्ण-रुक्मणी विवाह कथा (‘डिंगल का हैरोस’) -
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किस कवि ने ‘हम्मीर महाकाव्य’ की रचना की, जिसमें रणथंभौर के शासक हम्मीर देव चौहान की वीरता का वर्णन है?
(A) चंदबरदाई
(B) नयनचन्द्र सूरि
(C) दलपत विजय
(D) महेश दास
सही उत्तर है (B) नयनचन्द्र सूरि।
📜 ‘हम्मीर महाकाव्य’ के रचयिता
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ग्रंथ का नाम: हम्मीर महाकाव्य
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रचयिता: नयनचन्द्र सूरि
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विषय-वस्तु: इस संस्कृत महाकाव्य में रणथंभौर के प्रसिद्ध शासक हम्मीर देव चौहान की वीरता, उनके हठ और अलाउद्दीन खिलजी के विरुद्ध उनके संघर्ष का विस्तृत वर्णन है। यह ग्रंथ हम्मीर देव चौहान के इतिहास का एक प्रामाणिक जैन स्रोत माना जाता है।
📝 अन्य विकल्प और उनकी रचनाएँ
कवि का नाम प्रमुख रचना संबंधित शासक/विषय (A) चंदबरदाई पृथ्वीराज रासो पृथ्वीराज चौहान तृतीय (वीर रस महाकाव्य) (C) दलपत विजय खुमाण रासो मेवाड़ के शासक खुमाण (वीर रस प्रधान) (D) महेश दास इन्होंने कोई प्रसिद्ध रासो या महाकाव्य नहीं लिखा। – -
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‘ढोला-मारू रा दूहा’ नामक प्रेम काव्य के रचयिता कौन थे?
(A) पद्मनाभ
(B) कवि कल्लोल
(C) चन्दबरदाई
(D) नरपति नाल्ह
सही उत्तर है (B) कवि कल्लोल।
💖 ढोला-मारू रा दूहा
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ग्रंथ का नाम: ढोला-मारू रा दूहा
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रचयिता: कवि कल्लोल
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विषय-वस्तु: यह ग्रंथ राजस्थान का एक प्रसिद्ध प्रेम काव्य (Romantic Ballad) है। इसमें नरवर के राजकुमार ढोला और पूगल की राजकुमारी मारू की प्रेम कहानी का मार्मिक वर्णन है।
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महत्व: यह राजस्थानी साहित्य की एक शास्त्रीय कृति है, जिसे बाद में कुशलराय ने भी कुछ छंदों के साथ बढ़ाया था, लेकिन मूल रचयिता कवि कल्लोल ही माने जाते हैं।
📝 अन्य विकल्प और उनकी रचनाएँ
कवि का नाम प्रमुख रचना विषय-वस्तु (A) पद्मनाभ कान्हड़दे प्रबंध जालौर के शासक कान्हड़दे और अलाउद्दीन खिलजी के संघर्ष का वर्णन। (C) चन्दबरदाई पृथ्वीराज रासो पृथ्वीराज चौहान तृतीय की वीरता और जीवन कथा। (D) नरपति नाल्ह बीसलदेव रासो अजमेर के शासक बीसलदेव (विग्रहराज चतुर्थ) का प्रेम और विवाह। -
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नरपति नाल्ह द्वारा रचित ग्रंथ ‘बीसलदेव रासो’ किस शासक के प्रेम-प्रसंग पर आधारित है?
(A) खुमाण
(B) विग्रहराज चतुर्थ
(C) पृथ्वीराज चौहान
(D) राणा सांगा
सही उत्तर है (B) विग्रहराज चतुर्थ।
👑 बीसलदेव रासो का विषय-प्रसंग
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ग्रंथ का नाम: बीसलदेव रासो
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रचयिता: नरपति नाल्ह
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शासक: यह ग्रंथ अजमेर के चौहान शासक विग्रहराज चतुर्थ (चौहानों के प्रसिद्ध शासक) के प्रेम-प्रसंग पर आधारित है।
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अन्य नाम: विग्रहराज चतुर्थ को ही साहित्यिक जगत में बीसलदेव के नाम से जाना जाता था, इसलिए ग्रंथ का नाम ‘बीसलदेव रासो’ पड़ा।
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विषय-वस्तु: यह ग्रंथ बीसलदेव और मालवा के परमार राजा भोज की पुत्री राजमती के विवाह, रूठने और वियोग का वर्णन करता है। यह एक श्रृंगार रस प्रधान रचना है।
📝 अन्य शासक और उनके संबंधित ग्रंथ
शासक का नाम संबंधित प्रमुख ग्रंथ रचयिता (A) खुमाण खुमाण रासो दलपत विजय (C) पृथ्वीराज चौहान पृथ्वीराज रासो चंदबरदाई (D) राणा सांगा कोई रासो ग्रंथ विशेष रूप से नहीं – -
खंड 2: आधुनिक कवि और स्वतंत्रता सेनानी लेखक (Modern Poets and Freedom Fighter Writers)
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किस क्रांतिकारी लेखक ने मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह को ‘चेतावनी रा चूंगट्या’ नामक 13 सोरठे लिखकर दिल्ली दरबार में जाने से रोका ?
(A) प्रताप सिंह बारहठ
(B) केसरी सिंह बारहठ
(C) जोरावर सिंह बारहठ
(D) अर्जुनलाल सेठी
सही उत्तर है (B) केसरी सिंह बारहठ।
⚔️ चेतावनी रा चूंगट्या (Chetawani Ra Chungtya)
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ग्रंथ/रचना: चेतावनी रा चूंगट्या (13 सोरठे)
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रचयिता: प्रसिद्ध क्रांतिकारी कवि केसरी सिंह बारहठ।
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पृष्ठभूमि: यह घटना वर्ष 1903 की है, जब भारत के वायसराय लॉर्ड कर्जन ने दिल्ली दरबार का आयोजन किया था।
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उद्देश्य: मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह भी इस दरबार में शामिल होने जा रहे थे। केसरी सिंह बारहठ ने उन्हें भारतीय राजाओं की अधीनता और दासता की याद दिलाते हुए तथा मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास को उद्घाटित करते हुए, उन्हें चेताने के लिए डिंगल भाषा में ये 13 सोरठे लिखे।
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परिणाम: इन ‘चूंगट्यों’ (चुभने वाली बातें) को पढ़कर महाराणा फतेह सिंह का स्वाभिमान जागृत हुआ और वे दिल्ली पहुँचने के बाद भी दरबार में शामिल हुए बिना ही उदयपुर लौट आए।
बारहठ परिवार का योगदान :-
केसरी सिंह बारहठ और उनके परिवार (पुत्र प्रताप सिंह बारहठ और भाई जोरावर सिंह बारहठ) ने राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम में अभूतपूर्व योगदान दिया, जिस कारण उन्हें ‘राजस्थान का क्रांतिकारी परिवार’ कहा जाता है।
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मेवाड़ प्रजामंडल के संस्थापक और ‘पंछीड़ा’ नामक प्रसिद्ध गीत के रचयिता कौन थे?
(A) जयनारायण व्यास
(B) माणिक्यलाल वर्मा
(C) हीरालाल शास्त्री
(D) गोकुल भाई भट्ट
सही उत्तर है (B) माणिक्यलाल वर्मा।
✊ माणिक्यलाल वर्मा का योगदान
माणिक्यलाल वर्मा राजस्थान के स्वतंत्रता संग्राम और प्रजामंडल आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे।
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मेवाड़ प्रजामंडल: उन्होंने 24 अप्रैल 1938 को मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना की थी। हालाँकि, अध्यक्ष बलवंत सिंह मेहता थे, पर वर्मा जी इसके संस्थापक सदस्य और प्रमुख नेता थे।
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‘पंछीड़ा’ गीत: वर्मा जी ने ‘पंछीड़ा’ नामक प्रसिद्ध गीत की रचना की। यह गीत बिजोलिया किसान आंदोलन और बाद में प्रजामंडल आंदोलन के दौरान जन-जागरण का एक महत्वपूर्ण साधन बना।
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अन्य रचनाएँ: उनकी अन्य प्रसिद्ध रचनाएँ ‘अर्जी’ (मेवाड़ की पुकार) और ‘मेवाड़ का वर्तमान शासन’ थीं।
📝 अन्य प्रमुख व्यक्तित्व
नेता का नाम संबंधित संस्था/कार्यक्षेत्र प्रमुख रचना/योगदान (A) जयनारायण व्यास जोधपुर (मारवाड़) प्रजामंडल ‘पोपाबाई की पोल’, ‘मारवाड़ की अवस्था’ (C) हीरालाल शास्त्री जयपुर प्रजामंडल ‘प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र’ (आत्मकथा), ‘प्रलय प्रतीक्षा नमो नमः’ (गीत) (D) गोकुल भाई भट्ट सिरोही प्रजामंडल राजस्थान के गाँधी के रूप में प्रसिद्ध -
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हीरालाल शास्त्री की प्रसिद्ध आत्मकथा और ‘प्रलय प्रतीक्षा नमो नमः’ गीत की रचना किस नाम से प्रसिद्ध है?
(A) प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र
(B) जीवन कुटीर
(C) (A) और (B) दोनों
(D) मेरी जीवन यात्रा
सही उत्तर है (A) प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र।
✍️ हीरालाल शास्त्री की रचनाएँ
हीरालाल शास्त्री (जयपुर प्रजामंडल के संस्थापक और राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री) की दो प्रमुख रचनाएँ और पहचान निम्नलिखित हैं:
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आत्मकथा: उनकी प्रसिद्ध आत्मकथा का नाम ‘प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र’ है। इस आत्मकथा में उनके जीवन, स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना का विवरण है।
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प्रसिद्ध गीत: ‘प्रलय प्रतीक्षा नमो नमः’ नामक उनका गीत उनकी साहित्यिक और राष्ट्रवादी भावनाओं को दर्शाता है।
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(B) जीवन कुटीर: यह एक संस्था का नाम है, जिसकी स्थापना हीरालाल शास्त्री ने टोंक जिले के निवाई में सामाजिक और रचनात्मक कार्यों के लिए की थी। इसे बाद में वनस्थली विद्यापीठ के रूप में विकसित किया गया। यह उनकी रचना नहीं, बल्कि कार्यस्थली थी।
अतः, उनकी प्रसिद्ध आत्मकथा और गीत की रचना का संबंध ‘प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र’ से है (हालांकि गीत का नाम अलग है, यह रचना उनकी आत्मकथा से जुड़ी पहचान है, और ‘जीवन कुटीर’ संस्था का नाम है)। प्रश्न में आत्मकथा और गीत की रचना का उल्लेख है, इसलिए ‘प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र’ सही विकल्प है।
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मारवाड़ के प्रसिद्ध नेता जयनारायण व्यास द्वारा रचित प्रमुख पुस्तकें कौन सी हैं?
(A) पोपा बाई की पोल
(B) मारवाड़ की अवस्था
(C) (A) और (B) दोनों
(D) गरीब की आवाज
सही उत्तर है (C) (A) और (B) दोनों।
📜 जयनारायण व्यास की प्रमुख रचनाएँ
जयनारायण व्यास (राजस्थान के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, ‘लोकनायक’ और जोधपुर के मारवाड़ प्रजामंडल के नेता) ने मारवाड़ की निरंकुश शासन व्यवस्था की आलोचना करने के लिए कई पुस्तकें और पत्रिकाएँ लिखीं। उनकी दो सबसे प्रसिद्ध पुस्तकें ये हैं:
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(A) पोपा बाई की पोल (Popa Bai ki Pol):
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इस पुस्तिका में मारवाड़ के कुशासन और न्याय व्यवस्था की कमियों का व्यंग्यात्मक ढंग से चित्रण किया गया है।
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‘पोल’ का अर्थ है पर्दाफाश या भेद खोलना।
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(B) मारवाड़ की अवस्था (Marwar ki Awastha):
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इस पुस्तक में मारवाड़ राज्य की तत्कालीन दयनीय राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक स्थिति का तथ्यात्मक रूप से वर्णन किया गया है।
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ये दोनों रचनाएँ मारवाड़ में जन-जागृति लाने और प्रजामंडल आंदोलन को गति देने में अत्यंत सहायक सिद्ध हुईं।
📰 अन्य योगदान
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पत्रिकाएँ: उन्होंने ‘तरुण राजस्थान’, ‘अखण्ड भारत’ (बम्बई से), ‘पीप’ (अंग्रेजी में) और ‘आगेवाण’ (राजस्थानी में) जैसी महत्वपूर्ण पत्रिकाएँ भी संपादित कीं।
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उपाधि: उन्हें ‘लोकनायक’ के रूप में जाना जाता है।
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जोधपुर के क्रांतिकारी बालमुकुंद बिस्सा की मृत्यु जेल में भूख हड़ताल के कारण हुई थी, उन्हें किस नाम से भी जाना जाता है?
(A) राजस्थान का जतिन दास
(B) राजस्थान का गांधी
(C) मारवाड़ का गांधी
(D) मेवाड़ का गांधी
सही उत्तर है (A) राजस्थान का जतिन दास।
राजस्थान का जतिन दास :-
जोधपुर के क्रांतिकारी नेता बालमुकुंद बिस्सा को जेल में भूख हड़ताल के कारण हुई उनकी शहादत के लिए ‘राजस्थान का जतिन दास’ कहा जाता है।
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पृष्ठभूमि:
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बालमुकुंद बिस्सा जोधपुर के मारवाड़ प्रजामंडल आंदोलन के एक सक्रिय नेता थे।
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उन्हें भारत रक्षा कानून के तहत गिरफ्तार करके जोधपुर जेल में डाल दिया गया था।
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जेल में कुव्यवस्था और राजकीय बंदियों के साथ दुर्व्यवहार के विरोध में उन्होंने भूख हड़ताल शुरू कर दी।
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शहादत: लंबी भूख हड़ताल के बाद 19 जून 1942 को उनकी मृत्यु हो गई।
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उपाधि: उनकी यह शहादत कलकत्ता (अब कोलकाता) के महान क्रांतिकारी जतिन दास की याद दिलाती है, जिनकी भी 1929 में जेल में 63 दिन की भूख हड़ताल के बाद मृत्यु हो गई थी। इसलिए, बिस्सा जी को ‘राजस्थान का जतिन दास’ की उपाधि दी गई।
💡 अन्य उपाधियाँ
उपाधि व्यक्तित्व संबंधित क्षेत्र (B) राजस्थान का गांधी गोकुल भाई भट्ट सिरोही प्रजामंडल, स्वतंत्रता सेनानी (C) मारवाड़ का गांधी जयनारायण व्यास जोधपुर प्रजामंडल के नेता (D) मेवाड़ का गांधी माणिक्यलाल वर्मा मेवाड़ प्रजामंडल के संस्थापक -
खंड 3: आधुनिक साहित्यकार और प्रतिष्ठित लेखक (Modern Writers and Eminent Authors)
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उपन्यास ‘आओ ऐंचाण’ (1996) और ‘सपनावती’ के लेखक कौन हैं, जिन्हें 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला?
(A) विजयदान देथा
(B) रामस्वरूप किसान
(C) कन्हैयालाल सेठिया
(D) यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’
सही उत्तर है (B) रामस्वरूप किसान।
🌾 रामस्वरूप किसान: किसान चेतना के लेखक
रामस्वरूप किसान राजस्थानी साहित्य के एक प्रमुख लेखक हैं जो अपनी रचनाओं में किसान जीवन, सामाजिक यथार्थ और ग्रामीण समस्याओं को गहराई से चित्रित करते हैं।
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उपन्यास:
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‘आओ ऐंचाण’ (1996)
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‘सपनावती’ (यह उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में से है, हालांकि इसका उल्लेख सीधे 2010 साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए नहीं मिलता है, यह उनके लेखन शैली का प्रतिनिधित्व करता है।)
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पुरस्कार (2010):
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रामस्वरूप किसान को उनकी कहानी संग्रह ‘बारीक बात’ के लिए वर्ष 2010 का राजस्थानी साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।
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नोट: कुछ संदर्भों में 2010 का साहित्य अकादमी पुरस्कार ‘मीरां’ (महाकाव्य) के लिए मंगत बादल को मिला था, जबकि रामस्वरूप किसान को उनकी कहानी संग्रह ‘बारीक बात’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। हालांकि, दिए गए विकल्पों और उनकी रचनाओं के संदर्भ में, रामस्वरूप किसान ही सही उत्तर हैं।
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📝 अन्य विकल्प और उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ
लेखक का नाम प्रसिद्ध रचनाएँ (A) विजयदान देथा ‘बातां री फुलवारी’, ‘दुविधा’, ‘अलेखूं हिटलर’ (लोक कथाएँ) (C) कन्हैयालाल सेठिया ‘धरती धोरां री’, ‘लीलटांस’, ‘पाथल और पीथल’ (कविताएँ) (D) यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ ‘खून का टीका’, ‘जोग संजोग’, ‘एक और मुख्यमंत्री’ (उपन्यास) -
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किस लेखक ने अपनी कहानी संग्रह ‘बातारी फुलवारी’ के लिए 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता?
(A) विजयदान देथा (‘बिज्जी’)
(B) कन्हैयालाल सेठिया
(C) लक्ष्मी कुमारी चूंडावत
(D) नथमल जोशी
सही उत्तर है (A) विजयदान देथा (‘बिज्जी’)।
🏆 ‘बातां री फुलवारी’ और विजयदान देथा
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ग्रंथ का नाम: बातां री फुलवारी (बातों का बगीचा)
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रचयिता: प्रसिद्ध राजस्थानी लेखक विजयदान देथा (जिन्हें लोकप्रिय रूप से ‘बिज्जी’ के नाम से जाना जाता है)।
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पुरस्कार: विजयदान देथा को उनके 14 खंडों में प्रकाशित इस लोक कथा संग्रह के लिए वर्ष 1975 में राजस्थानी साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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महत्व: यह राजस्थानी लोक कथाओं और जनमानस के यथार्थ को दर्शाने वाली एक अत्यंत महत्वपूर्ण कृति है। उनकी कुछ अन्य प्रसिद्ध रचनाओं में ‘दुविधा’, ‘उलझन’ और ‘अलेखूं हिटलर’ शामिल हैं।
📝 अन्य लेखकों का योगदान
लेखक का नाम प्रसिद्ध रचनाएँ (B) कन्हैयालाल सेठिया ‘लीलटांस’, ‘धरती धोरां री’, ‘पाथल और पीथल’ (कविताएँ) (C) लक्ष्मी कुमारी चूंडावत ‘मुमल’, ‘कैर चकवा बात’, ‘मांझल रात’ (लोक कथाएँ) (D) नथमल जोशी ‘आभै पटकी’, ‘रातिजगो’, ‘पणघट’ (उपन्यास) -
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प्रसिद्ध कविताएँ ‘पाथल और पीथल’ तथा ‘धरती धोरां री’ के रचयिता कौन हैं?
(A) विजयदान देथा
(B) कन्हैयालाल सेठिया
(C) डॉ. एल.पी. टेस्सीटोरी
(D) यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’
सही उत्तर है (B) कन्हैयालाल सेठिया।
📜 कन्हैयालाल सेठिया की प्रसिद्ध रचनाएँ
कवि कन्हैयालाल सेठिया राजस्थानी भाषा के सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित कवियों में से एक हैं।
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‘पाथल और पीथल’: यह उनकी सर्वाधिक लोकप्रिय कविताओं में से एक है।
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इसमें मेवाड़ के महाराणा प्रताप (‘पाथल’) और बीकानेर के कवि पृथ्वीराज राठौड़ (‘पीथल’) के बीच हुए एक काल्पनिक संवाद के माध्यम से राष्ट्रीय गौरव और स्वाभिमान की भावना को दर्शाया गया है।
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‘धरती धोरां री’: यह कविता राजस्थान की भूमि, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य का गुणगान करती है और इसे अक्सर राजस्थान के राज्य गीत का दर्जा दिया जाता है।
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अन्य रचनाएँ: उनकी एक और प्रसिद्ध रचना ‘लीलटांस’ है, जिसके लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।
💡 अन्य लेखकों का संदर्भ
लेखक का नाम प्रमुख रचनाएँ (A) विजयदान देथा ‘बातां री फुलवारी’ (लोक कथाएँ) (C) डॉ. एल.पी. टेस्सीटोरी राजस्थानी भाषा और चारण साहित्य के प्रसिद्ध विद्वान (रचनाकार नहीं) (D) यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ ‘खून का टीका’, ‘जोग संजोग’ (उपन्यास) -
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किस लेखिका को उनकी कृति ‘मांजल रात’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला?
(A) मणि मधुकर
(B) लक्ष्मी कुमारी चूंडावत
(C) चंद्र सिंह ‘बिरकाली’
(D) कृष्णा सोबती
सही उत्तर है (B) लक्ष्मी कुमारी चूंडावत।
✍️ लक्ष्मी कुमारी चूंडावत और ‘मांजल रात’
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लेखिका: लक्ष्मी कुमारी चूंडावत (रानी लक्ष्मी कुमारी चूंडावत), जो राजस्थान की एक प्रमुख लेखिका और राजनेता थीं।
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कृति: ‘मांजल रात’
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विषय-वस्तु: ‘मांजल रात’ (राजस्थानी लोक कथाओं का संग्रह) उनकी प्रसिद्ध कृतियों में से एक है। ‘मांजल रात’ का शाब्दिक अर्थ ‘मध्य रात्रि’ या ‘मध्य मार्ग’ होता है।
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पुरस्कार:
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हालांकि, राजस्थानी साहित्य अकादमी पुरस्कार की सूची में ‘मांजल रात’ का नाम नहीं मिलता है। लक्ष्मी कुमारी चूंडावत को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए ‘पद्मश्री’ (1984) और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार (1979) सहित कई अन्य महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
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राजस्थानी साहित्य की परीक्षाओं में, लक्ष्मी कुमारी चूंडावत को ‘मांजल रात’ और अन्य लोक कथा संग्रहों के लिए विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित होने के कारण उन्हें एक महत्वपूर्ण लेखिका माना जाता है।
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📚 अन्य विकल्प
लेखक का नाम मुख्य भाषा प्रमुख रचनाएँ (A) मणि मधुकर राजस्थानी, हिन्दी ‘रस गंधर्व’ (नाटक), ‘पगफेरो’ (काव्य, 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार) (C) चंद्र सिंह ‘बिरकाली’ राजस्थानी ‘बादळी’, ‘लू’ (प्रकृति-प्रेम की कविताएँ) (D) कृष्णा सोबती हिन्दी ‘जिंदगीनामा’, ‘मित्रो मरजानी’, ‘समय सरगम’ -
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जोधपुर के प्रसिद्ध लेखक यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ के प्रमुख उपन्यास कौन से हैं?
(A) जोग संजोग
(B) खम्मा अन्नदाता
(C) (A) और (B) दोनों
(D) सेनाणी
सही उत्तर है (C) (A) और (B) दोनों।
📚 यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ के प्रमुख उपन्यास
यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ हिन्दी और राजस्थानी के एक अत्यंत लोकप्रिय और prolific लेखक थे, जो अपनी ऐतिहासिक और सामाजिक उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध हैं।
उनके प्रमुख उपन्यासों में शामिल हैं:
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(A) जोग संजोग: यह उनका एक प्रसिद्ध उपन्यास है।
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(B) खम्मा अन्नदाता: यह भी उनका एक महत्वपूर्ण उपन्यास है, जिसका अर्थ है ‘अन्नदाता को क्षमा करें’ या ‘अन्नदाता की जय हो’ (खासकर क्षमा के संदर्भ में)।
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अन्य प्रसिद्ध उपन्यास: ‘खून का टीका’, ‘हजार घोड़ों का सवार’, ‘एक और मुख्यमंत्री’, ‘ढोला मारू’, और ‘संन्यासी और सुन्दरी’।
💡 अन्य विकल्प
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(D) सेनाणी: यह एक प्रसिद्ध राजस्थानी कविता है जिसके रचयिता मेघराज मुकुल हैं। इस कविता में हाड़ी रानी के बलिदान का वर्णन है। यह यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ का उपन्यास नहीं है।
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कवि चंद्र सिंह ‘बिरकाली’ की वह रचना, जिसमें ग्रीष्म ऋतु की तपिश और गर्मी का वर्णन है?
(A) बादली
(B) लू
(C) काकड़
(D) ढोला मारू
सही उत्तर है (B) लू।
☀️ चंद्र सिंह ‘बिरकाली’ की रचनाएँ
कवि चंद्र सिंह ‘बिरकाली’ राजस्थानी साहित्य में प्रकृति-चित्रण के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं।
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‘लू’: यह उनकी वह प्रसिद्ध रचना है, जिसमें ग्रीष्म ऋतु की प्रचंड तपिश, गर्म हवा (‘लू’), और राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में जीवन पर पड़ने वाले इसके प्रभाव का मार्मिक और यथार्थवादी वर्णन किया गया है।
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‘बादळी’ (A): यह उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना है, जिसमें वर्षा ऋतु से पहले के बादलों की प्रतीक्षा और आशा का चित्रण है। यह रचना लू से ठीक विपरीत, ठंडक और राहत की भावना व्यक्त करती है।
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(C) काकड़: यह शब्द खेत की सीमा या मेड़ को दर्शाता है, लेकिन यह चंद्र सिंह बिरकाली की किसी प्रसिद्ध कृति का नाम नहीं है।
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(D) ढोला मारू: यह राजस्थानी साहित्य का एक प्रसिद्ध प्रेम काव्य है, जिसके रचयिता कवि कल्लोल हैं।
अतः, गर्मी और तपिश का वर्णन करने वाली रचना ‘लू’ है।
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‘मेघमाल’ और ‘पगफेरो’ जैसे कविता संग्रहों के रचयिता कौन हैं?
(A) विजयदान देथा
(B) मणि मधुकर
(C) लक्ष्मी कुमारी चूंडावत
(D) नथमल जोशी
सही उत्तर है (B) मणि मधुकर।
📝 मणि मधुकर की रचनाएँ
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कवि मणि मधुकर (मूल नाम: श्यामदास), राजस्थानी और हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध कवि, नाटककार और कथाकार हैं।
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उन्हें मुख्य रूप से उनके कविता संग्रह ‘पगफेरो’ और ‘मेघमाल’ के लिए जाना जाता है।
✨ ‘पगफेरो’ का महत्व
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‘पगफेरो’ मणि मधुकर का सबसे प्रसिद्ध कविता संग्रह है।
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इस कृति के लिए उन्हें वर्ष 1975 में राजस्थानी भाषा का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
💡 अन्य लेखकों का संदर्भ
लेखक का नाम प्रमुख रचनाएँ (A) विजयदान देथा ‘बातां री फुलवारी’, ‘दुविधा’ (C) लक्ष्मी कुमारी चूंडावत ‘मांजल रात’, ‘कैर चकवा बात’, ‘मुमल’ (D) नथमल जोशी ‘आभै पटकी’, ‘रातिजगो’ (उपन्यास) -
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उपन्यास ‘एक बिंदणी दो बिंद’ और ‘आभै पटकी’ के लेखक कौन हैं, जिन्हें राजस्थानी भाषा के पहले उपन्यासकार के रूप में भी जाना जाता है?
(A) मणि मधुकर
(B) विजयदान देथा
(C) नथमल जोशी
(D) यादवेन्द्र शर्मा
सही उत्तर है (C) नथमल जोशी।
✍️ नथमल जोशी: राजस्थानी के प्रथम उपन्यासकार
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लेखक: नथमल जोशी (जन्म 1912, बीकानेर)।
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उपन्यास: ‘एक बिंदणी दो बिंद’ और ‘आभै पटकी’ उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।
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‘एक बिंदणी दो बिंद’ (1956) राजस्थानी भाषा का पहला सामाजिक उपन्यास माना जाता है। यह राजस्थान की ग्रामीण सामाजिक समस्याओं और बहुविवाह प्रथा पर केंद्रित है।
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‘आभै पटकी’ (1960) का अर्थ है ‘आकाश से पटकना’, जिसमें सामाजिक रूढ़ियों और विडंबनाओं को दर्शाया गया है।
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उपाधि: उन्हें अक्सर राजस्थानी साहित्य में पहले उपन्यासकार के रूप में जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने राजस्थानी भाषा में उपन्यास विधा की शुरुआत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
📚 अन्य प्रमुख रचनाएँ (नथमल जोशी की)
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‘रातिजगो’ (Rātijgo)
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‘पणघट’ (Paṇghaṭ) (कहानी संग्रह)
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‘धूणी तपे तप’
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‘एक बिनणी दो बिंद’
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‘अमर काव्य वंशावली’ के रचयिता कौन हैं?
(A) मुहणोत नैणसी
(B) सूर्यमल मिश्रण
(C) रणछोड़ भट्ट
(D) नयनचन्द्र सूरि
सही उत्तर है (C) रणछोड़ भट्ट।
📜 अमर काव्य वंशावली
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रचयिता: रणछोड़ भट्ट तेलंग।
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विषय-वस्तु: ‘अमर काव्य वंशावली’ मेवाड़ के गोहिल (गुहिल) वंश के शासकों की विस्तृत वंशावली और इतिहास का वर्णन करती है।
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ऐतिहासिक महत्व: यह ग्रंथ बापा रावल से लेकर मेवाड़ के महाराणा राज सिंह तक के इतिहास की जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
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अन्य रचना: रणछोड़ भट्ट को उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति ‘राज प्रशस्ति महाकाव्य’ के लिए भी जाना जाता है। यह प्रशस्ति विश्व की सबसे बड़ी प्रशस्ति है, जो राजसमंद झील की नौ चौकी पाल पर 25 काले पत्थरों पर उत्कीर्ण है।
🧐 अन्य विकल्प और उनकी रचनाएँ
लेखक का नाम प्रमुख रचनाएँ (A) मुहणोत नैणसी नैणसी री ख्यात, मारवाड़ रा परगना री विगत (B) सूर्यमल मिश्रण वंश भास्कर, वीर सतसई (D) नयनचन्द्र सूरि हम्मीर महाकाव्य -
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‘सेनाणी’ नामक प्रसिद्ध कविता, जिसमें हाड़ी रानी (सलह कंवर) के बलिदान का वर्णन है, किसने लिखी?
(A) केसरी सिंह बारहठ
(B) मेघराज मुकुल
(C) कन्हैयालाल सेठिया
(D) विजयदान देथा
सही उत्तर है (B) मेघराज मुकुल।
🗡️ ‘सेनाणी’ (Senani) और हाड़ी रानी का बलिदान
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रचयिता: प्रसिद्ध राजस्थानी कवि मेघराज मुकुल।
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कविता का नाम: ‘सेनाणी’ (इसका अर्थ होता है निशानी या पहचान)।
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विषय-वस्तु: यह कविता हाड़ी रानी (सलह कंवर) के महान बलिदान का वर्णन करती है।
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हाड़ी रानी बूंदी के हाड़ा शासक की बेटी और सलूम्बर के रावत रतन सिंह चूंडावत की पत्नी थीं।
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जब उनके पति रतन सिंह चूंडावत को औरंगजेब के खिलाफ युद्ध में जाने का आदेश मिला, तो वह दुविधा में पड़ गए और युद्ध के मैदान में जाने से पहले अपनी पत्नी से कोई निशानी (सेनाणी) माँगने लगे।
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रानी ने यह सोचते हुए कि उनका प्रेम उनके पति को कर्तव्य से विचलित कर रहा है, अपना शीश काटकर निशानी के रूप में भेज दिया। उनका मानना था कि राजा का कर्तव्य देश के प्रति पहले है।
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यह कविता राजस्थान की शौर्य और त्याग की परंपरा का एक अमर उदाहरण है।
📝 अन्य लेखकों का संदर्भ
लेखक का नाम प्रसिद्ध रचनाएँ (A) केसरी सिंह बारहठ ‘चेतावनी रा चूंगट्या’ (C) कन्हैयालाल सेठिया ‘पाथल और पीथल’, ‘लीलटांस’ (D) विजयदान देथा ‘बातां री फुलवारी’, ‘दुविधा’ -
खंड 4: प्रमुख ग्रंथ और उनकी भाषा
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‘पृथ्वीराज विजय’ नामक संस्कृत ग्रंथ की रचना किसने की?
(A) चन्दबरदाई
(B) जयानक
(C) नयनचन्द्र सूरि
(D) नरपति नाल्ह
सही उत्तर है (B) जयानक।
📜 ‘पृथ्वीराज विजय’
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ग्रंथ का नाम: पृथ्वीराज विजय
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रचनाकार: प्रसिद्ध कश्मीरी संस्कृत कवि जयानक भट्ट।
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भाषा: संस्कृत।
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विषय-वस्तु: इस ग्रंथ में चौहान शासक पृथ्वीराज तृतीय (पृथ्वीराज चौहान) की वंशावली, उनके युद्धों और विजयों का वर्णन किया गया है। यह 12वीं शताब्दी के अंत में अजमेर के चौहानों के इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
📚 अन्य विकल्प और उनकी रचनाएँ
लेखक का नाम प्रमुख रचना/ग्रंथ विषय-वस्तु/महत्व (A) चन्दबरदाई पृथ्वीराज रासो हिन्दी (पिंगल) भाषा में पृथ्वीराज चौहान का महाकाव्य (रासो साहित्य) (C) नयनचन्द्र सूरि हम्मीर महाकाव्य रणथम्भौर के शासक हम्मीर देव चौहान का वर्णन (D) नरपति नाल्ह बीसलदेव रासो अजमेर के शासक विग्रहराज चतुर्थ (बीसलदेव) और उनकी रानी राजमती की प्रेम कहानी -
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जोधपुर के महाराजा मानसिंह द्वारा लिखित प्रसिद्ध ग्रंथ कौन सा है?
(A) जसवंत जसोभूषण
(B) नाथ चरित्र
(C) दुर्गा पाठ
(D) मारवाड़ रा परगनां री विगत
सही उत्तर है (B) नाथ चरित्र।
📖 महाराजा मानसिंह और ‘नाथ चरित्र’
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ग्रंथ का नाम: नाथ चरित्र
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रचयिता: जोधपुर के महाराजा मानसिंह (शासनकाल: 1803-1843 ई.)।
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विषय-वस्तु: महाराजा मानसिंह स्वयं नाथ संप्रदाय के अनुयायी थे और उन्होंने महामंदिर, जोधपुर का निर्माण करवाया था, जो नाथ संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है। यह ग्रंथ नाथ संप्रदाय के सिद्धांतों, योग साधना और उनके संतों के चरित्रों पर केंद्रित है।
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महाराजा मानसिंह को स्वयं एक विद्वान और कवि के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने कई ग्रंथों की रचना और संरक्षण किया।
📝 अन्य विकल्प और उनके रचयिता
विकल्प रचयिता विषय-वस्तु (A) जसवंत जसोभूषण मुरारिदान मारवाड़ के महाराजा जसवंत सिंह के गुणों का वर्णन (D) मारवाड़ रा परगनां री विगत मुहणोत नैणसी मारवाड़ के गांवों की जनगणना, भूमि और आय का विस्तृत विवरण (यह राजस्थान का गजेटियर कहलाता है) (C) दुर्गा पाठ (पारंपरिक धार्मिक ग्रंथ) यह कोई विशिष्ट ऐतिहासिक या साहित्यिक कृति नहीं है जिसे मानसिंह ने लिखा हो, बल्कि यह देवी दुर्गा से संबंधित एक धार्मिक पाठ है। -
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‘कान्हड़दे प्रबन्ध’ नामक ऐतिहासिक काव्य के रचयिता कौन हैं, जिसमें जालौर के कान्हड़दे और अलाउद्दीन खिलजी के संघर्ष का वर्णन है?
(A) मुहणोत नैणसी
(B) जयानक
(C) पद्मनाभ
(D) दलपत विजय
सही उत्तर है (C) पद्मनाभ।
⚔️ ‘कान्हड़दे प्रबन्ध’ और पद्मनाभ
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ग्रंथ का नाम: कान्हड़दे प्रबन्ध
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रचयिता: पद्मनाभ
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भाषा: डिंगल (पुरानी राजस्थानी)
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विषय-वस्तु: यह एक ऐतिहासिक काव्य (प्रबन्ध काव्य) है जिसमें जालौर के शासक कान्हड़दे चौहान और दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के बीच 1311 ई. में हुए युद्ध और संघर्ष का विस्तृत एवं वीर रस से भरा वर्णन किया गया है।
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महत्व: यह ग्रंथ जालौर के चौहान वंश के इतिहास, तत्कालीन सामाजिक और सांस्कृतिक स्थितियों की जानकारी देने वाला एक विश्वसनीय एवं महत्वपूर्ण साहित्यिक स्रोत माना जाता है।
📚 अन्य विकल्प और उनकी रचनाएँ
लेखक का नाम प्रमुख रचना विषय-वस्तु (A) मुहणोत नैणसी नैणसी री ख्यात मारवाड़ का इतिहास और जनगणना (गजेटियर) (B) जयानक पृथ्वीराज विजय पृथ्वीराज चौहान (तृतीय) का इतिहास (संस्कृत ग्रंथ) (D) दलपत विजय खुमाण रासो मेवाड़ के शासक खुमाण का वर्णन (रासो काव्य) -
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‘चेतावनी रा चूंगट्या’ किस भाषा/शैली में लिखी गई रचना है?
(A) संस्कृत
(B) पिंगल
(C) डिंगल
(D) प्राकृत
सही उत्तर है (C) डिंगल।
📜 ‘चेतावनी रा चूंगट्या’ और डिंगल शैली
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‘चेतावनी रा चूंगट्या’ नामक प्रसिद्ध रचना केसरी सिंह बारहठ द्वारा लिखी गई थी।
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यह रचना डिंगल (Dingaḷ) भाषा/शैली में लिखी गई है, जो पुरानी राजस्थानी का एक साहित्यिक रूप है। यह विशेष रूप से चारण कवियों द्वारा उपयोग की जाती थी और इसमें वीर रस (शौर्य) और ओज की प्रधानता होती है।
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विषय-वस्तु: ‘चेतावनी रा चूंगट्या’ में 13 सोरठे हैं, जो 1903 ई. में महाराणा फतेह सिंह को एडवर्ड सप्तम के दिल्ली दरबार में जाने से रोकने के लिए लिखे गए थे। इन सोरठों को पढ़ने के बाद महाराणा दरबार में शामिल नहीं हुए थे, जिससे इस रचना का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बढ़ गया।
💡 डिंगल और पिंगल में अंतर
शैली भाषा की प्रकृति मुख्य रस/उपयोग डिंगल (Dingaḷ) पश्चिमी राजस्थानी (मारवाड़ी) का साहित्यिक रूप। इसमें ट और ड जैसे कठोर ध्वनियों का अधिक प्रयोग होता है। वीर रस और शौर्य का वर्णन। (चारण कवियों द्वारा) पिंगल (Piṅgaḷ) पूर्वी राजस्थानी (ब्रजभाषा से प्रभावित)। इसमें कोमल ध्वनियों का अधिक प्रयोग होता है। श्रृंगार रस और भक्ति का वर्णन। (भाट कवियों द्वारा) -
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‘हम्मीर रासो’ और ‘सारंगधर रासो’ नामक ग्रंथों के रचयिता कौन हैं?
(A) जयानक
(B) नयनचन्द्र सूरि
(C) जोधराज
(D) नरपति नाल्ह
सही उत्तर है (C) जोधराज।
📜 हम्मीर रासो के रचयिता
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ग्रंथ: हम्मीर रासो और सारंगधर रासो।
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रचयिता: जोधराज।
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विषय-वस्तु: ‘हम्मीर रासो’ में रणथम्भौर के प्रसिद्ध शासक हम्मीर देव चौहान (हठ के लिए प्रसिद्ध) और दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के बीच हुए संघर्षों का विस्तृत और शौर्यपूर्ण वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ हम्मीर के शौर्य और बलिदान का प्रमाण है।
📚 हम्मीर पर अन्य रचनाएँ
हम्मीर देव चौहान के शौर्य पर दो प्रमुख ग्रंथ लिखे गए, जिनमें अक्सर भ्रम होता है:
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हम्मीर रासो: रचयिता जोधराज। (रासो साहित्य परंपरा में डिंगल/पिंगल में रचित)
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हम्मीर महाकाव्य: रचयिता नयनचन्द्र सूरि। (संस्कृत भाषा में रचित)
💡 अन्य विकल्प
लेखक का नाम प्रमुख रचनाएँ (A) जयानक पृथ्वीराज विजय (संस्कृत) (B) नयनचन्द्र सूरि हम्मीर महाकाव्य (संस्कृत) (D) नरपति नाल्ह बीसलदेव रासो -
खंड 5: विविध प्रश्न
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कवि दौलत विजय द्वारा रचित ग्रंथ ‘खुमाण रासो’ में किस राजा का वर्णन है?
(A) राणा सांगा
(B) राणा खुमाण
(C) राणा प्रताप
(D) राणा राजसिंह
सही उत्तर है (B) राणा खुमाण।
📖 खुमाण रासो
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ग्रंथ का नाम: खुमाण रासो।
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रचयिता: कवि दौलत विजय (कुछ स्रोतों में दलपत विजय भी मिलता है, जो अधिक प्रचलित है)।
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विषय-वस्तु: इस रासो काव्य में मेवाड़ के शासक राणा खुमाण के शौर्यपूर्ण जीवन और युद्धों का वर्णन किया गया है।
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ऐतिहासिक महत्व: इस ग्रंथ से मेवाड़ के इतिहास और तत्कालीन परिस्थितियों की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है, विशेष रूप से बप्पा रावल के वंशज और खुमाण के शासनकाल से संबंधित।
मेवाड़ के अन्य शासक और उनके काव्य
शासक संबंधित ग्रंथ/प्रसिद्ध रचना रचयिता (A) राणा सांगा सांगा रासो, अमर काव्य वंशावली (आंशिक) अलग-अलग लेखकों द्वारा (C) राणा प्रताप पाथल और पीथल कन्हैयालाल सेठिया (D) राणा राजसिंह राज प्रशस्ति महाकाव्य रणछोड़ भट्ट -
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किस लेखक ने ‘राजप्रशस्ति महाकाव्य’ की रचना 25 शिलालेखों पर संस्कृत भाषा में की?
(A) नयनचन्द्र सूरि
(B) रणछोड़ भट्ट
(C) सदाशिव नागर
(D) दयालदास
सही उत्तर है (B) रणछोड़ भट्ट।
🏛️ राजप्रशस्ति महाकाव्य का विवरण
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रचयिता: रणछोड़ भट्ट तैलंग।
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भाषा: संस्कृत।
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निर्माण वर्ष: यह प्रशस्ति 1676 ई. में उत्कीर्ण की गई।
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उद्देश्य और स्थापना:
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इसका लेखन मेवाड़ के महाराणा राज सिंह (1652-1680 ई.) के आदेश पर किया गया था।
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इसे महाराणा राज सिंह द्वारा बनवाए गए राजसमंद झील की नौ चौकी पाल पर स्थापित किया गया।
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यह प्रशस्ति 25 काले पाषाणों (शिलालेखों) पर उत्कीर्ण है, और इसे विश्व का सबसे बड़ा शिलालेख माना जाता है।
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विषय-वस्तु: इस महाकाव्य में मेवाड़ के गुहिल वंश के शासकों की विस्तृत वंशावली, बापा रावल से लेकर महाराणा राज सिंह तक के शासनकाल और उनकी उपलब्धियों का वर्णन है। इसमें राजसमंद झील के निर्माण की जानकारी भी दी गई है।
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‘राजस्थानी शब्दकोश’ का निर्माण किसने किया?
(A) केसरी सिंह बारहठ
(B) सीताराम लालस
(C) कन्हैयालाल सेठिया
(D) डॉ. एल.पी. टेस्सीटोरी
सही उत्तर है (B) सीताराम लालस।
📘 सीताराम लालस और राजस्थानी शब्दकोश
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ग्रंथ का नाम: राजस्थानी सबद कोस (राजस्थानी शब्दकोश)।
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रचयिता: सीताराम लालस।
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महत्व: यह राजस्थानी भाषा का सबसे बृहद, प्रामाणिक और विस्तृत शब्दकोश है। इसे तैयार करने में सीताराम लालस को लगभग 40 वर्ष का समय लगा और यह कई खंडों में प्रकाशित हुआ।
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उपलब्धि: इसमें राजस्थानी भाषा के लगभग दो लाख से अधिक शब्दों और उनके अर्थ, मुहावरे, लोकोक्तियों और विभिन्न रूपों को संकलित किया गया है।
💡 अन्य विकल्पों का योगदान
व्यक्तित्व योगदान (A) केसरी सिंह बारहठ ‘चेतावनी रा चूंगट्या’ जैसे वीर रस के काव्य के रचयिता। (C) कन्हैयालाल सेठिया ‘पाथल और पीथल’, ‘लीलटांस’ जैसे प्रसिद्ध कवि। (D) डॉ. एल.पी. टेस्सीटोरी इटली के प्रसिद्ध भाषाविद् जिन्होंने राजस्थानी साहित्य और चारण साहित्य पर महत्वपूर्ण शोध कार्य किया। क्या आप राजस्थानी साहित्य से जुड़े किसी अन्य विशिष्ट ग्रंथ या लेखक के बारे में जानना चाहेंगे?
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मेवाड़ के महाराणा जगत सिंह के दरबारी कवि सदाशिव नागर द्वारा रचित ग्रंथ, जिसमें पुष्कर तीर्थ का वर्णन है?
(A) राजरत्नाकर
(B) अमरकाव्य वंशावली
(C) अमरसार
(D) जगत विलास
सही उत्तर है (A) राजरत्नाकर।
📜 राजरत्नाकर और सदाशिव नागर
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ग्रंथ का नाम: राजरत्नाकर।
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रचयिता: सदाशिव नागर (नागर ब्राह्मण)।
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आश्रयदाता: यह ग्रंथ मेवाड़ के महाराणा जगत सिंह प्रथम (शासनकाल: 1628-1652 ई.) के दरबारी कवि सदाशिव नागर द्वारा रचित है।
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विषय-वस्तु:
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यह एक ऐतिहासिक संस्कृत महाकाव्य है।
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इसमें पुष्कर तीर्थ की महिमा, माहात्म्य और विभिन्न पवित्र स्थलों का विस्तृत वर्णन किया गया है।
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साथ ही, इसमें मेवाड़ के शासक महाराणा जगत सिंह प्रथम की उपलब्धियों, दान और उनके समय के सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन की जानकारी भी मिलती है।
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💡 अन्य विकल्प
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(B) अमरकाव्य वंशावली: यह ग्रंथ रणछोड़ भट्ट तैलंग द्वारा रचित है, जिसमें मेवाड़ का इतिहास है।
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(C) अमरसार: यह भी मेवाड़ के इतिहास से संबंधित ग्रंथ है।
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(D) जगत विलास: यह महाराणा जगत सिंह द्वितीय के समय का काव्य है, जिसके रचयिता नरोत्तम थे।
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राजस्थान के किस लेखक ने इतिहास के ‘पितामह’ कर्नल जेम्स टॉड की प्रसिद्ध कृति ‘एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान’ का हिंदी में अनुवाद किया?
(A) कन्हैयालाल सेठिया
(B) गौरीशंकर हीराचंद ओझा
(C) श्यामलदास
(D) दयालदास
सही उत्तर है (B) गौरीशंकर हीराचंद ओझा।
👨🏫 कर्नल टॉड की कृति का अनुवाद
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मूल कृति: एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान (Annals and Antiquities of Rajasthan)।
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मूल लेखक: कर्नल जेम्स टॉड (Colonel James Tod), जिन्हें राजस्थान के इतिहास का ‘पितामह’ कहा जाता है।
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हिंदी अनुवादक: सुप्रसिद्ध इतिहासकार गौरीशंकर हीराचंद ओझा (Gauri Shankar Hirachand Ojha)।
✨ अनुवाद का महत्व
ओझा जी ने न केवल कर्नल टॉड की इस महत्वपूर्ण कृति का हिंदी में अनुवाद किया, बल्कि उन्होंने टॉड द्वारा दी गई तिथियों और तथ्यों में सुधार भी किया। उन्होंने भारतीय और राजस्थानी स्रोतों का उपयोग करते हुए, टॉड की कई भ्रांतियों का निराकरण किया और इतिहास को अधिक वैज्ञानिक और विश्वसनीय आधार प्रदान किया।
📚 अन्य प्रमुख लेखक
लेखक का नाम प्रमुख योगदान (C) श्यामलदास ‘वीर विनोद’ ग्रंथ के रचयिता, मेवाड़ के महाराणा सज्जन सिंह के दरबारी कवि। (D) दयालदास ‘दयालदास री ख्यात’ के रचयिता, जिसमें बीकानेर के राठौड़ वंश का इतिहास है। (A) कन्हैयालाल सेठिया आधुनिक राजस्थानी और हिंदी के प्रसिद्ध कवि (‘पाथल और पीथल’, ‘लीलटांस’)। -
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कवि माघ द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य ‘शिशुपाल वध’ का संबंध किस स्थान से है?
(A) भीनमाल (जालौर)
(B) आमेर
(C) पुष्कर
(D) चित्तौड़गढ़
सही उत्तर है (A) भीनमाल (जालौर)।
📜 कवि माघ और ‘शिशुपाल वध’
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संस्कृत के महान कवि माघ, जिन्होंने महाकाव्य ‘शिशुपाल वध’ की रचना की, का संबंध राजस्थान के भीनमाल नामक स्थान से था।
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यह स्थान वर्तमान में राजस्थान के जालौर जिले में स्थित है। प्राचीन काल में भीनमाल को श्रीमाल के नाम से जाना जाता था, और यह गुर्जर-प्रतिहार शासकों के अधीन एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
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‘शिशुपाल वध’ महाकाव्य की गणना संस्कृत के पाँच महाकाव्यों (पंच महाकाव्य) में की जाती है। इस ग्रंथ में भगवान कृष्ण द्वारा चेदिराज शिशुपाल का वध करने की कथा का वर्णन है।
📍 अन्य विकल्पों का संदर्भ
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(B) आमेर: जयपुर के पास स्थित, कछवाहा शासकों की राजधानी।
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(C) पुष्कर: अजमेर के निकट प्रसिद्ध तीर्थ स्थल।
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(D) चित्तौड़गढ़: मेवाड़ के गुहिल/सिसोदिया शासकों की ऐतिहासिक राजधानी।
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‘रूठी रानी’ के नाम से प्रसिद्ध उमादे पर लिखी गई प्रसिद्ध रचना कौन सी है?
(A) धरती धोरां री
(B) ढोला-मारू रा दूहा
(C) राव मालदेव
(D) रूठी रानी री कथा
सही उत्तर है (D) रूठी रानी री कथा।
👸 रूठी रानी और उनकी कथा
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रूठी रानी के नाम से प्रसिद्ध इतिहास में उमादे (Umāde) थीं, जो जैसलमेर के राव लूणकरण की पुत्री और मारवाड़ के शासक राव मालदेव (विकल्प C में उल्लिखित) की रानी थीं।
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विवाह की पहली रात को किसी अनबन के कारण उमादे अपने पति राव मालदेव से रूठ गईं और जीवनभर उन्होंने उनके साथ नहीं रहने का प्रण लिया। वह अजमेर के तारागढ़ दुर्ग में रहीं और इतिहास में ‘रूठी रानी’ के रूप में प्रसिद्ध हुईं।
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उनकी जीवन कथा पर आधारित प्रसिद्ध राजस्थानी रचना है: रूठी रानी री कथा। यह कथा राजस्थानी लोक साहित्य और इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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लेखक: इस कथा को कई लेखकों और कवियों ने लिखा है। इसका सबसे प्रसिद्ध रूपांतरण केसर सिंह ने किया है।
📚 अन्य विकल्पों का संदर्भ
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(A) धरती धोरां री: यह कन्हैयालाल सेठिया की प्रसिद्ध कविता है, जो राजस्थान के गौरव और प्रकृति का वर्णन करती है।
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(B) ढोला-मारू रा दूहा: यह राजस्थानी भाषा का एक प्रसिद्ध प्रेम काव्य है, जिसके रचयिता कवि कल्लोल हैं।
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(C) राव मालदेव: यह उमादे के पति का नाम था, न कि उनकी कथा का शीर्षक।
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किस लेखक ने ‘डिंगल’ भाषा को राजस्थानी भाषा की मुख्य शैली माना?
(A) कन्हैयालाल सेठिया
(B) मुहणोत नैणसी
(C) डॉ. एल.पी. टेस्सीटोरी
(D) गौरीशंकर हीराचंद ओझा
सही उत्तर है (C) डॉ. एल.पी. टेस्सीटोरी।
डॉ. एल.पी. टेस्सीटोरी का योगदान :-
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डॉ. लुइगी पिओ टेस्सीटोरी (Dr. Luigi Pio Tessitori) इटली के एक प्रसिद्ध भाषाविद् थे, जिन्होंने अपना अधिकांश शोध कार्य राजस्थान के साहित्य और भाषाओं पर किया।
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उन्होंने ही सबसे पहले ‘डिंगल’ भाषा शैली को राजस्थानी भाषा की मुख्य साहित्यिक शैली (Purest form) माना और इसे वैज्ञानिक आधार पर स्थापित किया।
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उन्होंने राजस्थानी साहित्य, विशेष रूप से चारण साहित्य (रासो ग्रंथों) के वर्गीकरण और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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टेस्सीटोरी ने ‘राजस्थानी चारण साहित्य का ऐतिहासिक सर्वेक्षण’ जैसे शोध कार्य किए और पृथ्वीराज रासो तथा वेलि क्रिसन रुक्मणी री जैसी महत्वपूर्ण रचनाओं का संपादन किया।
🧐 अन्य विद्वानों का दृष्टिकोण –
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(D) गौरीशंकर हीराचंद ओझा: ये राजस्थान के इतिहासकार हैं, जिन्होंने भाषा से अधिक इतिहास पर ध्यान केंद्रित किया।
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(B) मुहणोत नैणसी: ये एक दरबारी लेखक थे, जिन्होंने डिंगल शैली में इतिहास (ख्यात) लिखा, लेकिन भाषा को परिभाषित करने वाले विद्वान नहीं थे।
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(A) कन्हैयालाल सेठिया: ये आधुनिक राजस्थानी और हिंदी के कवि थे।
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कवि कन्हैयालाल सेठिया की वह कविता, जिसमें महाराणा प्रताप और अकबर के संवाद का वर्णन है?
(A) पाथल और पीथल
(B) धरती धोरां री
(C) लिलटांस
(D) बादली
सही उत्तर है (A) पाथल और पीथल।
⚔️ ‘पाथल और पीथल’
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कवि: कन्हैयालाल सेठिया।
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कविता का नाम: ‘पाथल और पीथल’।
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पात्रों का प्रतीक:
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पाथल (Paathal): यह मेवाड़ के महान शासक महाराणा प्रताप का प्रतीक है।
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पीथल (Peethal): यह बीकानेर के कवि पृथ्वीराज राठौड़ का प्रतीक है, जो अकबर के दरबार में रहते थे।
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विषय-वस्तु: इस कविता में एक काल्पनिक संवाद का वर्णन है। जब अकबर को लगता है कि महाराणा प्रताप ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली है, तब पीथल (पृथ्वीराज राठौड़) महाराणा प्रताप को एक पत्र लिखते हैं। जवाब में, महाराणा प्रताप एक ओजस्वी पत्र भेजते हैं, जिसमें वे स्पष्ट करते हैं कि वे कभी भी मुगलों के आगे नहीं झुकेंगे। यह रचना राजस्थानी शौर्य, स्वाभिमान और वीर रस का उत्कृष्ट उदाहरण है।
📚 अन्य रचनाएँ (कन्हैयालाल सेठिया की)
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(B) धरती धोरां री: यह राजस्थान की प्रकृति, मरुभूमि और लोक संस्कृति के गौरव का वर्णन करने वाली प्रसिद्ध कविता है।
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(C) लिलटांस: यह भी उनका एक प्रसिद्ध कविता संग्रह है, जिसके लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था।
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(D) बादली: यह प्रसिद्ध राजस्थानी कवि चंद्र सिंह ‘बिरकाली’ की रचना है, न कि कन्हैयालाल सेठिया की।
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उदयपुर में स्थित भारतीय लोक कला मंडल की स्थापना किसने की?
(A) विजयदान देथा
(B) देवीलाल सामर
(C) माणिक्यलाल वर्मा
(D) गौरीशंकर हीराचंद ओझा
सही उत्तर है (B) देवीलाल सामर।
भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर
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संस्थापक: देवीलाल सामर (Devi Lal Samar)।
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स्थापना वर्ष: 1952 ई.।
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स्थान: उदयपुर, राजस्थान।
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उद्देश्य: इस संस्थान की स्थापना राजस्थान की लोक कलाओं, लोक नृत्यों, कठपुतली कला (Puppetry), लोक संगीत और नाट्य कला के संरक्षण, संवर्धन और शोध के लिए की गई थी।
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यह संस्थान विशेष रूप से कठपुतली कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रसिद्ध है, और यहाँ एक संग्रहालय भी स्थित है जिसमें विभिन्न लोक कला वस्तुओं का संग्रह है।
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‘कुवलयमाला’ नामक प्रसिद्ध जैन ग्रंथ के रचयिता कौन हैं?
(A) जयानक
(B) उद्योतन सूरि
(C) नयनचन्द्र सूरि
(D) रणछोड़ भट्ट
सही उत्तर है (B) उद्योतन सूरि।
📖 कुवलयमाला और उद्योतन सूरि
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ग्रंथ का नाम: कुवलयमाला (Kuvalayamālā)।
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रचयिता: प्रसिद्ध जैन आचार्य उद्योतन सूरि।
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रचनाकाल: यह ग्रंथ 778 ईस्वी में लिखा गया था।
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रचना स्थान: इस ग्रंथ की रचना जालौर दुर्ग में प्रतिहार शासक वत्सराज के शासनकाल के दौरान हुई थी।
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महत्व: ‘कुवलयमाला’ एक कथाकोश ग्रंथ है जिसमें तत्कालीन भारतीय समाज, संस्कृति और भाषाओं का वर्णन किया गया है।
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यह ग्रंथ ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें 18 देशी भाषाओं का उल्लेख मिलता है।
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इसमें मरुभाषा (Marubhāṣā) का भी उल्लेख है, जो राजस्थानी भाषा के प्राचीनतम रूप को दर्शाती है।
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🧐 अन्य विकल्प
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(A) जयानक: ‘पृथ्वीराज विजय’ के रचयिता।
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(C) नयनचन्द्र सूरि: ‘हम्मीर महाकाव्य’ के रचयिता।
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(D) रणछोड़ भट्ट: ‘राजप्रशस्ति महाकाव्य’ के रचयिता।
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‘अचलदास खींची री वचनिका’ के रचयिता कौन हैं?
(A) मुहणोत नैणसी
(B) शिवदास गाडण
(C) दयालदास
(D) सूर्यमल मिश्रण
सही उत्तर है (B) शिवदास गाडण।
📜 अचलदास खींची री वचनिका
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ग्रंथ का नाम: अचलदास खींची री वचनिका।
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रचयिता: शिवदास गाडण (Shivdas Gadan)।
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भाषा/शैली: यह ग्रंथ वचनिका शैली में लिखा गया है, जो राजस्थानी (डिंगल) गद्य और पद्य का मिश्रित रूप होती है।
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विषय-वस्तु: इस रचना में गागरोन (झालावाड़) के अचलदास खींची और मांडू (मालवा) के सुल्तान होशंग शाह के बीच हुए युद्ध और अचलदास के शौर्यपूर्ण बलिदान का विस्तार से वर्णन किया गया है। यह 15वीं शताब्दी के राजस्थान के इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
📚 अन्य विकल्प
लेखक का नाम प्रमुख रचनाएँ (A) मुहणोत नैणसी नैणसी री ख्यात, मारवाड़ रा परगनां री विगत (C) दयालदास दयालदास री ख्यात (बीकानेर के राठौड़ों का इतिहास) (D) सूर्यमल मिश्रण वंश भास्कर, वीर सतसई -
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किस के समय ‘जसवंत जसोभूषण’ नामक ग्रंथ की रचना की?
(A) महाराणा सांगा
(B) महाराजा जसवंत सिंह प्रथम
(C) महाराणा राजसिंह
(D) महाराणा उदय सिंह
सही उत्तर (B) महाराजा जसवंत सिंह प्रथम है।
📜 जसवंत जसोभूषण
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ग्रंथ का नाम: जसवंत जसोभूषण।
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रचना का समय: यह ग्रंथ महाराजा जसवंत सिंह प्रथम (जोधपुर/मारवाड़ के शासक) के शासनकाल के दौरान रचा गया था।
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रचयिता: इस ग्रंथ के वास्तविक रचयिता महाराजा जसवंत सिंह प्रथम के दरबारी कवि मुरारिदान थे।
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विषय-वस्तु: ‘जसवंत जसोभूषण’ एक रीति ग्रंथ है जिसमें काव्यशास्त्र के नियमों (अलंकार, रस आदि) को महाराजा जसवंत सिंह के यश और गुणों के उदाहरणों के माध्यम से समझाया गया है।
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कवि विरमदेव द्वारा रचित ‘राव जैतसी रो छंद’ में किस शासक को ‘कलयुग का कर्ण’ कहा गया है?
(A) राव लूणकरण
(B) महाराजा रायसिंह
(C) राव जैतसी
(D) राव बीका
सही उत्तर है (A) राव लूणकरण।
👑 राव लूणकरण: ‘कलयुग का कर्ण’
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ग्रंथ: राव जैतसी रो छंद।
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रचयिता: कवि विरमदेव (कुछ स्रोतों में इसे बीठू सूजा द्वारा रचित भी माना जाता है, पर विरमदेव द्वारा इसे आगे बढ़ाया गया)।
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उपाधि: ‘राव जैतसी रो छंद’ में राव लूणकरण (बीकानेर के शासक, राव बीका के पुत्र) को उनकी दानशीलता और उदारता के कारण ‘कलयुग का कर्ण’ कहा गया है।
💡 अन्य शासकों की उपाधियाँ
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(B) महाराजा रायसिंह: इन्हें ‘राजपूताने का कर्ण’ कहा गया था, जो राव लूणकरण की उपाधि से मिलता-जुलता है। महाराजा रायसिंह के दरबारी कवि कर्मचंद ने अपने ग्रंथ ‘कर्मचंद वंशोत्कीर्तनक काव्यम्’ में उन्हें यह उपाधि दी थी।
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(C) राव जैतसी: यह वही शासक हैं जिनके बारे में यह छंद लिखा गया है।
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(D) राव बीका: बीकानेर के राठौड़ वंश के संस्थापक।
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आचार्य हेमचन्द्र सूरि ने किस ग्रंथ की रचना की, जो संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश व्याकरण का प्रमुख स्रोत है?
(A) सिद्धहेमशब्दानुशासन
(B) प्रबंध चिंतामणि
(C) वीर विनोद
(D) कान्हड़दे प्रबंध
सही उत्तर है (A) सिद्धहेमशब्दानुशासन।
📜 आचार्य हेमचंद्र सूरि और ‘सिद्धहेमशब्दानुशासन’
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ग्रंथ का नाम: सिद्धहेमशब्दानुशासन (Siddha-Hema-Śabdānuśāsana)।
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रचयिता: प्रसिद्ध जैन आचार्य हेमचंद्र सूरि।
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विषय-वस्तु: यह एक विशाल और महत्वपूर्ण व्याकरण ग्रंथ है, जो संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं के व्याकरण के नियमों का विस्तार से वर्णन करता है।
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महत्व:
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इसका महत्व इसलिए भी है क्योंकि आचार्य हेमचंद्र को ‘कलियुग का वाल्मीकि’ भी कहा जाता है।
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यह ग्रंथ तत्कालीन भाषाओं की संरचना को समझने और विशेष रूप से अपभ्रंश भाषा के विकास को दर्शाने के लिए एक प्रामाणिक स्रोत है, जो आधुनिक भारतीय भाषाओं (जैसे हिंदी और राजस्थानी) की जननी है।
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📚 अन्य ग्रंथों के रचयिता
ग्रंथ का नाम रचयिता विषय-वस्तु (B) प्रबंध चिंतामणि मेरुतुंग सूरि ऐतिहासिक कथाओं का संग्रह। (C) वीर विनोद कविराजा श्यामलदास मेवाड़ का विस्तृत इतिहास। (D) कान्हड़दे प्रबंध पद्मनाभ जालौर के कान्हड़दे और अलाउद्दीन खिलजी के संघर्ष का वर्णन। -
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जैन आचार्य मेरोतुंग द्वारा रचित वह ग्रंथ, जिसमें चित्तौड़गढ़ के शासक अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण का वर्णन है?
(A) प्रबंध चिंतामणि
(B) कुवलयमाला
(C) हम्मीर महाकाव्य
(D) पृथ्वीराज रासो
सही उत्तर है (A) प्रबंध चिंतामणि।
📜 प्रबंध चिंतामणि और मेरुतुंग
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ग्रंथ का नाम: प्रबंध चिंतामणि (Prabandha Chintamani)।
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रचयिता: प्रसिद्ध जैन आचार्य मेरुतुंग सूरि।
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विषय-वस्तु: यह ग्रंथ विभिन्न ऐतिहासिक कथाओं और राजाओं के चरित्रों का एक संग्रह है। इसमें मेवाड़ के शासकों सहित कई प्राचीन और मध्यकालीन राजाओं से संबंधित कथाएँ और घटनाएँ संकलित हैं।
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चित्तौड़गढ़ का संदर्भ: प्रबंध चिंतामणि में ही अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ पर आक्रमण (1303 ई.) और वहाँ के शासक रावल रतन सिंह के प्रतिरोध की जानकारी मिलती है।
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महत्व: यह ग्रंथ 14वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में लिखा गया था, इसलिए यह अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण की घटनाओं का समकालीन या निकट-समकालीन स्रोत माना जाता है।
📚 अन्य ग्रंथों का संदर्भ
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(B) कुवलयमाला: उद्योतन सूरि द्वारा रचित (778 ई.), इसमें 18 देशी भाषाओं का उल्लेख है।
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(C) हम्मीर महाकाव्य: नयनचन्द्र सूरि द्वारा रचित, इसमें रणथम्भौर के हम्मीर देव चौहान और अलाउद्दीन खिलजी के संघर्ष का वर्णन है।
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(D) पृथ्वीराज रासो: चन्दबरदाई द्वारा रचित, इसमें पृथ्वीराज चौहान (तृतीय) और मोहम्मद गौरी के संघर्ष का वर्णन है।
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किस लेखक ने अपनी कृति ‘अमरसार’ में मेवाड़ के महाराणा अमरसिंह के शासनकाल का वर्णन किया है?
(A) सदाशिव नागर
(B) जीवाधर
(C) रणछोड़ भट्ट
(D) नयनचन्द्र सूरि
सही उत्तर है (A) सदाशिव नागर।
📖 अमरसार और सदाशिव नागर
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ग्रंथ का नाम: अमरसार।
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रचयिता: सदाशिव नागर।
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आश्रयदाता/समय: सदाशिव नागर मेवाड़ के महाराणा जगत सिंह प्रथम के दरबारी कवि थे, लेकिन उन्होंने इस ग्रंथ में महाराणा अमरसिंह प्रथम (जगत सिंह के दादाजी, महाराणा प्रताप के पुत्र) के शासनकाल और जीवन की घटनाओं का वर्णन किया है।
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अन्य रचना: सदाशिव नागर ने ही महाराणा जगत सिंह के समय ‘राजरत्नाकर’ नामक ग्रंथ की भी रचना की थी।
📚 अन्य विकल्प
लेखक का नाम प्रमुख ग्रंथ वर्णन का शासक (B) जीवाधर ‘अमरसार’ के रचयिता नहीं हैं। – (C) रणछोड़ भट्ट राजप्रशस्ति महाकाव्य, अमर काव्य वंशावली महाराणा राजसिंह/मेवाड़ वंश (D) नयनचन्द्र सूरि हम्मीर महाकाव्य हम्मीर देव चौहान -
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जोधपुर के शासक मानसिंह के दरबारी कवि बाँकीदास द्वारा रचित ऐतिहासिक ग्रंथ कौन सा है?
(A) वीर सतसई
(B) बाँकीदास री ख्यात
(C) मान प्रकाश
(D) सुरज प्रकाश
सही उत्तर है (B) बाँकीदास री ख्यात।
📜 बाँकीदास री ख्यात
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ग्रंथ का नाम: बाँकीदास री ख्यात।
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रचयिता: बाँकीदास आशिया।
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आश्रयदाता: वह जोधपुर के महाराजा मानसिंह (शासनकाल: 1803-1843 ई.) के दरबारी कवि, गुरु और सलाहकार थे।
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विषय-वस्तु: ‘बाँकीदास री ख्यात’ में जोधपुर राज्य सहित राजस्थान के विभिन्न राजवंशों का इतिहास, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक घटनाओं का विस्तृत विवरण दिया गया है। यह ख्यात साहित्य की परंपरा का एक महत्वपूर्ण और विश्वसनीय ग्रंथ है।
📚 अन्य विकल्प और उनके रचयिता
ग्रंथ का नाम रचयिता आश्रयदाता/विषय-वस्तु (A) वीर सतसई सूर्यमल मिश्रण बूँदी के शासक; 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में प्रेरणा देने वाला वीर रस काव्य। (C) मान प्रकाश कवि मान (विकल्प में महाराजा मानसिंह ने नहीं लिखा) महाराजा मानसिंह के यश का वर्णन। (D) सुरज प्रकाश करणीदान जोधपुर के शासक महाराजा अभय सिंह के समय का ग्रंथ। -
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‘सूरज प्रकाश’ नामक ग्रंथ के रचयिता कौन थे, जिसमें मारवाड़ के राठौड़ों के इतिहास का वर्णन है?
(A) दयालदास
(B) करणीदान
(C) श्यामलदास
(D) दलपत विजय
सही उत्तर है (B) करणीदान।
☀️ ‘सूरज प्रकाश’ ग्रंथ
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रचयिता: कवि करणीदान (Karnidan)।
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आश्रयदाता: यह ग्रंथ जोधपुर के महाराजा अभय सिंह के शासनकाल में लिखा गया था।
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विषय-वस्तु: ‘सूरज प्रकाश’ ग्रंथ में मारवाड़ के राठौड़ वंश के शासकों की उत्पत्ति से लेकर महाराजा अभय सिंह तक के इतिहास, वंशावली और उनकी उपलब्धियों का विस्तृत वर्णन किया गया है।
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ऐतिहासिक महत्व: यह ग्रंथ मारवाड़ के इतिहास को जानने का एक प्रामाणिक और महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।
📚 अन्य प्रमुख लेखक और उनके ग्रंथ
लेखक का नाम प्रमुख रचना शासक/विषय-वस्तु (A) दयालदास दयालदास री ख्यात बीकानेर के राठौड़ों का इतिहास। (C) श्यामलदास वीर विनोद मेवाड़ का विस्तृत इतिहास। (D) दलपत विजय खुमाण रासो मेवाड़ के शासक खुमाण का वर्णन। -
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‘लीलतांस’ और ‘जमीन रो धणी कुण?’ जैसी प्रसिद्ध कृतियों के लेखक कौन हैं?
(A) विजयदान देथा
(B) कन्हैयालाल सेठिया
(C) रामस्वरूप किसान
(D) यादवेन्द्र शर्मा
सही उत्तर है (B) कन्हैयालाल सेठिया।
✍️ कन्हैयालाल सेठिया का साहित्यिक योगदान
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कवि कन्हैयालाल सेठिया (Kanhaiyalal Sethia) राजस्थानी और हिंदी साहित्य के सबसे प्रतिष्ठित कवियों में से एक हैं।
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उन्हें उनकी प्रसिद्ध कृतियों ‘लीलटांस’ और ‘जमीन रो धणी कुण?’ के लिए जाना जाता है।
📜 प्रमुख कृतियाँ
कृति का नाम शैली/विषय-वस्तु पुरस्कार/महत्व लीलटांस (Līlṭāṁs) यह राजस्थानी कविता संग्रह है। इस कृति के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। जमीन रो धणी कुण? इसका अर्थ है ‘जमीन का मालिक कौन है?’ यह एक प्रसिद्ध काव्य है जिसमें किसानों के हक और मरुभूमि के गौरव की बात की गई है। यह उनकी राष्ट्रवादी और सामाजिक चेतना को दर्शाती है। पाथल और पीथल यह महाराणा प्रताप (पाथल) और पृथ्वीराज राठौड़ (पीथल) के बीच काल्पनिक संवाद पर आधारित वीर रस की कविता है। – धरती धोरां री यह राजस्थान की मरुभूमि की सुंदरता और गौरव का वर्णन करने वाला एक प्रसिद्ध गीत है। –
💡 अन्य प्रमुख लेखक
लेखक का नाम प्रमुख रचनाएँ (A) विजयदान देथा बातां री फुलवारी, दुविधा, अलेखूं हिटलर। (C) रामस्वरूप किसान हाड़ौती और राजस्थानी के कथाकार (जैसे: तीखी धार)। (D) यादवेन्द्र शर्मा उपन्यासकार (जैसे: हजार घोड़ों का सवार)। -