Ans. (a): भारतीय संविधान के भाग-IV में राज्य के नीति निदेशक तत्वों का उल्लेख किया गया है। इसके अंतर्गत अनुच्छेद-40 में ग्राम पंचायतों के गठन संबंधी प्रावधान किया गया है।
Ans. (c): भारत के संविधान का अनुच्छेद 40, यह निर्धारित करता है कि ‘राज्य ग्राम पंचायतों को संगठित करने के लिए कदम उठाएगा और उन्हें ऐसी शक्तियां और अधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्वशासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक हो।
Ans. (a): राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख संविधान के भाग IV के अनुच्छेद 36 से 51 तक में किया गया है। संविधान निर्माताओं ने यह विचार 1937 में निर्मित आयरलैंड के संविधान से लिया था। डॉ. भीम राव अम्बेडकर ने इन तत्वों का ‘अनोखी विशेषता’ वाला बताया है। मैनविल ऑस्टिन ने नीति निदेशक तत्व और मौलिक अधिकारों को ‘संविधान की मूल आत्मा’ कहा है।
280. भारत सरकार द्वारा अधिगृहित निम्न में से कौन सी नीति ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ द्वारा निर्देशित नहीं है ?
(a) ग्राम पंचायतों का संवर्धन
(b) भवन निर्माण संबंधी उपनियमों की तैयारी
(c) समान नागरिक संहिता
(d) मादक पेय के सेवन का प्रतिषेध
Ans. (b): दिये गये विकल्पों में से ‘भवन निर्माण संबंधी उपनियमों की तैयारी’ राज्य के नीति निदेशक तत्व द्वारा निर्देशित नहीं है। जबकी ग्राम पंचायतों का संवर्धन, (अनु. 40) समान नागरिक संहिता (अनु-44) एवं मादक पेय के सेवन का प्रतिषेध (अनु-47) राज्य के नीति निदेशक तत्व में निर्देशित हैं। राज्य के नीति निदेशक तत्वों का उल्लेख संविधान के भाग चार के अनुच्छेद 36 से 51 तक में वर्णित है। संविधान निर्माताओं ने यह विचार 1937 में निर्मित आयरलैंड के संविधान से लिया है।
281. भारतीय संविधान की किस धारा के अंतर्गत राज्यों के अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा संबंधी दायित्व का उल्लेख किया गया है?
(a) राज्य के नीति निर्देशक तत्व
(b) मौलिक अधिकार
(c) मौलिक कर्तव्य
(d) प्रस्तावना
Ans. (a): भारतीय संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्वों को आयरलैण्ड के संविधान से लिया गया। इनका उल्लेख भारतीय संविधान के भाग-4 में अनुच्छेद 36-51 तक किया गया है। नीति निदेशक तत्व के अनुच्छेद 51 में अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा संबंधी दायित्वों का उल्लेख किया गया है।
मौलिक अधिकारों को संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान के अधिकार पत्र (Bill of Rights) से लिया गया है।
मौलिक कर्तव्य मूल संविधान का भाग नहीं था। इसे सरदार स्वर्ण सिंह समिति (1976) की सिफारिश पर 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा संविधान में जोड़ा गया। मौलिक कर्तव्य पूर्व सोवियत संघ के संविधान से ग्रहण किया गया है। वर्तमान में इनकी संख्या 11 है।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना जवाहर लाल नेहरू द्वारा बनाए गए ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ पर आधारित हैं। प्रस्तावना को सर्वप्रथम अमेरिकी संविधान में शामिल किया गया था।
282. भारत के संविधान के …….. में समान नागरिक संहिता के प्रावधानों का उल्लेख किया गया है-
(a) भाग VI
(d) भाग III
Ans: (b) भारतीय संविधान के भाग IV में नीति निदेशक सिद्धान्तों के तहत अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता समान सिविल/संहिता का वर्णन किया गया है। समान नागरिक संहिता अथवा समान आचार संहिता का अर्थ एक धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) कानून होता है। दूसरे शब्दों में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग सिविल कानून न होना ही ‘समान नागरिक संहिता’ की मूल भावना है। हालाँकि इस तरह का कानून अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है। गोवा एक मात्र ऐसा राज्य है जहाँ यह लागू है।
283. समान सिविल संहिता का वर्णन संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है ?
(a) 41
(b) 42
(c) 43
(d) 44
Ans : (d) उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
284. भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से किस भाग में कार्यपालिका को न्यायपालिका से अलग किया गया है ?
(a) मौलिक अधिकार
(b) प्रस्तावना
(c) राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत
(d) सातवीं अनुसूची
Ans. (c) भारतीय संविधान के भाग IV के अनु. 50 में कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण किया गया है।
285. ‘राज्य की नीतियों के निर्देशित सिद्धान्तों” के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सच नहीं है ?
(a) नीतियाँ बनाने और कानून अभिनीत करते हुए राज्य को ध्यान में रखने वाले आदर्शों को दर्शाता है।
(b) वे समुदाय के कल्याण को बढ़ावा देते हैं और इसलिए सामाजिक और समाजवादी है।
(c) ये उल्लंघन के लिए अदालतों द्वारा कानूनी तौर पर प्रवर्तनीय नहीं है।
(d) ये अपने आप प्रवर्तनीय होते हैं और इन्हें कार्यान्वयन करने के लिए किसी भी कानून की आवश्यकता नहीं होती है
Ans : (d) भारतीय संविधान के भाग-4 के अनुच्छेद 36 से अनुच्छेद 51 तक राज्य के नीति निदेशक तत्व शामिल किये गये है। अनुच्छेद 37 के अनुसार ये तत्व किसी न्यायालय में लागू नही करवाये जा सकते। यह तत्व वैधानिक न होकर राजनैतिक स्वरुप रखते है। ये मात्र राज्य के लिए ऐसे सामान्य निर्देश है। जिसके अनुसार राज्य कुछ ऐसे कार्य करे जो राज्य की जनता के लिए लाभदायक हो। इन नीतियो का पालन कार्यपालिका की नीति तथा विधायिका की विधियों से हो सकता है।