लोकोक्ति

कहावतें (लोकोक्तियाँ)

 

1. “कोयले की दलाली में हाथ काले” कहावत का सही अर्थ क्या है?

(A) कोयले का व्यापार करना

(B) बुरे काम का नतीजा बुरा ही होता है

(C) हाथ में काला रंग लग जाना

(D) गुप्त समझौता करना

हल:

उत्तर (B) बुरे काम का नतीजा बुरा ही होता है

व्याख्या: कोयला बेचने वाले के हाथ स्वाभाविक रूप से काले हो जाते हैं। इसका सांकेतिक अर्थ है कि अगर आप बुरे लोगों की संगति करेंगे या अनैतिक काम करेंगे, तो आपको अपयश या बदनामी ही मिलेगी।


2. “अंधा क्या जाने, बसंत की बहार” लोकोक्ति का अर्थ है:

(A) नेत्रहीन व्यक्ति रंगों की पहचान नहीं कर पाता

(B) मूर्ख व्यक्ति सुंदरता की कद्र नहीं करता

(C) जिसको जिस चीज़ का अनुभव न हो, वह उसका आनंद नहीं ले सकता

(D) बहार आने पर अंधे को दुःख होता है

हल:

उत्तर (C) जिसको जिस चीज़ का अनुभव न हो, वह उसका आनंद नहीं ले सकता

व्याख्या: अंधा व्यक्ति बसंत की सुंदरता को देखकर उसका आनंद नहीं ले सकता। इसका भाव यह है कि जो व्यक्ति किसी वस्तु या स्थिति के सुख से वंचित रहा हो, वह उसके महत्व या आनंद को नहीं समझ सकता।


3. “अपनी करनी, पार उतरनी” का सही अर्थ है:

(A) दान पुण्य के बल पर मोक्ष प्राप्त करना

(B) स्वयं के कर्मों का फल भोगना

(C) दूसरों की मदद से काम बनाना

(D) जीवन में बार-बार नदी पार करना

हल:

उत्तर (B) स्वयं के कर्मों का फल भोगना

व्याख्या: इस कहावत का सीधा अर्थ है कि व्यक्ति को अपने ही अच्छे या बुरे कर्मों के अनुसार फल मिलता है। अपनी मेहनत या गलती का परिणाम खुद ही भुगतना पड़ता है।


4. “जाको राखे साइयाँ, मार सके न कोय” का तात्पर्य है:

(A) भगवान जिसे बचाना चाहे, उसे कोई नहीं मार सकता

(B) भाग्य के सहारे बैठे रहना चाहिए

(C) मेहनत से ही सफलता मिलती है

(D) साइयाँ एक रक्षक का नाम है

हल:

उत्तर (A) भगवान जिसे बचाना चाहे, उसे कोई नहीं मार सकता

व्याख्या: यह कहावत ईश्वर की शक्ति और सुरक्षा में अटूट विश्वास को दर्शाती है। इसका मतलब है कि जब ईश्वर की कृपा या सुरक्षा हो, तो कोई भी विपत्ति या शत्रु नुकसान नहीं पहुँचा सकता।


5. “ओस चाटने से प्यास नहीं बुझती” लोकोक्ति का भाव है:

(A) बड़े काम के लिए बड़ा प्रयास करना चाहिए

(B) ओस से प्यास बुझ जाती है

(C) प्यास बहुत तीव्र है

(D) ओस का पानी ठंडा होता है

हल:

उत्तर (A) बड़े काम के लिए बड़ा प्रयास करना चाहिए

व्याख्या: ओस की बूँदें बहुत कम होती हैं और उनसे प्यास नहीं बुझ सकती। इसका अर्थ है कि बड़े काम के लिए छोटा या मामूली प्रयास पर्याप्त नहीं होता; आवश्यकतानुसार साधन जुटाने चाहिए।


6. “जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि” का आशय है:

(A) कवि बहुत प्रतिभाशाली होते हैं

(B) कवि और सूर्य दोनों महान हैं

(C) कवि की कल्पना शक्ति बहुत तीक्ष्ण और व्यापक होती है

(D) कवि सूर्य की तरह प्रकाश फैलाता है

हल:

उत्तर (C) कवि की कल्पना शक्ति बहुत तीक्ष्ण और व्यापक होती है

व्याख्या: ‘रवि’ (सूर्य) का प्रकाश जहाँ नहीं पहुँचता (अर्थात अति दुर्गम और गुप्त स्थान), वहाँ भी कवि अपनी कल्पना शक्ति से पहुँच जाता है। यह कवि की असीम कल्पनाशीलता को दर्शाता है।


7. “चोर की दाढ़ी में तिनका” लोकोक्ति का सही अर्थ क्या है?

(A) चोर के शरीर पर तिनका लगा होता है

(B) चोर को आसानी से पहचाना जा सकता है

(C) अपराधी हमेशा डरा हुआ रहता है और उसकी पहचान हो जाती है

(D) चोर दाढ़ी नहीं रखता

हल:

उत्तर (C) अपराधी हमेशा डरा हुआ रहता है और उसकी पहचान हो जाती है

व्याख्या: अपराधी व्यक्ति मन ही मन आशंकित रहता है और अपनी गलती छुपाने की कोशिश में ऐसी हरकतें कर बैठता है, जिससे उसकी चोरी पकड़ी जाती है।


8. “नक्कारखाने में तूती की आवाज़” का अर्थ है:

(A) तूती की आवाज़ सुनाई नहीं देती

(B) जहाँ शोरगुल हो, वहाँ कुछ सुनाई नहीं देता

(C) प्रभावशाली लोगों के बीच निर्बल व्यक्ति की बात नहीं सुनी जाती

(D) नगाड़ा बजाने का स्थान

हल:

उत्तर (C) प्रभावशाली लोगों के बीच निर्बल व्यक्ति की बात नहीं सुनी जाती

व्याख्या: नक्कारखाना वह स्थान होता है जहाँ नगाड़े बजते हैं। ऐसे में ‘तूती’ (एक छोटा पक्षी) की आवाज़ दब जाती है। इसका मतलब है कि बड़े लोगों या महत्वपूर्ण मामलों के बीच छोटे या कमज़ोर व्यक्ति की बात पर कोई ध्यान नहीं देता।


9. “कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली” का भावार्थ है:

(A) राजा भोज और गंगू तेली एक ही जगह के थे

(B) दो व्यक्तियों में भारी अंतर होना

(C) बहुत अधिक तुलना करना

(D) राजा का अत्यंत निर्धन होना

हल:

उत्तर (B) दो व्यक्तियों में भारी अंतर होना

व्याख्या: राजा भोज एक महान और प्रतिष्ठित शासक थे, जबकि गंगू तेली एक साधारण व्यक्ति। यह कहावत दो लोगों या वस्तुओं की स्थिति, योग्यता या स्तर में जमीन-आसमान का फर्क होने को व्यक्त करती है।


10. “खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे” का तात्पर्य है:

(A) बिल्ली अपनी खीझ उतारती है

(B) अपनी खीझ या असफलता को दूसरों पर निकालना

(C) निराश व्यक्ति का दुखी होना

(D) बिल्ली का स्वभाव गुस्सैल होता है

हल:

उत्तर (B) अपनी खीझ या असफलता को दूसरों पर निकालना

व्याख्या: जब कोई व्यक्ति अपनी असफलता, शर्मिंदगी या खीझ को सीधे स्वीकार नहीं कर पाता, तो वह व्यर्थ में गुस्सा करता है या दूसरों को दोष देता है।


11. “आए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास” लोकोक्ति का सही अर्थ है:

(A) कपास की खेती करना

(B) भक्ति को छोड़कर व्यापार करना

(C) किसी बड़े उद्देश्य को छोड़कर छोटे काम में लग जाना

(D) साधु बनकर कपास ओटना

हल:

उत्तर (C) किसी बड़े उद्देश्य को छोड़कर छोटे काम में लग जाना

व्याख्या: व्यक्ति आया तो था पुण्य या महान कार्य (हरि भजन) करने के लिए, लेकिन लग गया तुच्छ या महत्वहीन कार्य (कपास ओटने) में। यह लक्ष्य से भटक जाने को दर्शाता है।


12. “आम के आम, गुठलियों के दाम” का अर्थ है:

(A) फलों का व्यापार करना

(B) दोहरा लाभ होना

(C) आम और गुठली दोनों महँगे होना

(D) सिर्फ आम से लाभ होना

हल:

उत्तर (B) दोहरा लाभ होना

व्याख्या: आम खाने का भी लाभ मिला और उनकी गुठलियाँ बेचने से भी पैसा मिला। इसका अर्थ है एक ही काम से दो या दो से अधिक लाभ उठाना।


13. “ढाक के तीन पात” का भाव है:

(A) हमेशा एक जैसा रहना

(B) ढाक के वृक्ष में तीन ही पत्ते होते हैं

(C) परिस्थिति को बदल देना

(D) प्रयत्न करने पर भी सफल न होना

हल:

उत्तर (A) हमेशा एक जैसा रहना

व्याख्या: ढाक के वृक्ष पर हमेशा तीन ही पत्ते होते हैं, चाहे मौसम कोई भी हो। इसका अर्थ है परिणाम न बदलना या सदैव एक ही स्थिति में बने रहना।


14. “पानी पीकर जात पूछना” का तात्पर्य है:

(A) पानी पीने के बाद जाति पूछना

(B) किसी की जात जानना

(C) काम निकल जाने के बाद उसके भेद जानना

(D) काम करने के बाद उसका औचित्य सोचना

हल:

उत्तर (D) काम करने के बाद उसका औचित्य सोचना

व्याख्या: प्यास लगने पर व्यक्ति बिना सोचे पानी पीता है, बाद में उसकी जाति पूछना व्यर्थ है। इसका अर्थ है कि कोई काम पूरा कर लेने के बाद उसके सही या गलत होने पर विचार करना।


15. “दूर के ढोल सुहावने” का सही अर्थ है:

(A) दूर से ढोल की आवाज़ अच्छी लगती है

(B) दूर की वस्तु या बात हमेशा अच्छी लगती है

(C) ढोल बजाना एक कला है

(D) दूर रहकर सब अच्छा लगता है

हल:

उत्तर (B) दूर की वस्तु या बात हमेशा अच्छी लगती है

व्याख्या: दूर से ढोल की आवाज़ मधुर लगती है, लेकिन पास आने पर कर्कश हो सकती है। इसका अर्थ है कि दूर से किसी वस्तु या स्थिति की कमियाँ दिखाई नहीं देतीं और वह आकर्षक लगती है।


16. “जिसकी लाठी, उसकी भैंस” का सही अर्थ है:

(A) शक्तिहीन का कोई महत्त्व नहीं होता

(B) शक्ति ही न्याय और अधिकार का आधार होती है

(C) लाठी से भैंस को हाँका जाता है

(D) लाठी से भैंस की रक्षा होती है

हल:

उत्तर (B) शक्ति ही न्याय और अधिकार का आधार होती है

व्याख्या: इस कहावत का अर्थ है कि जिसके पास शक्ति (बल) होती है, अधिकार उसी का होता है। यह बलवान द्वारा अधिकार जमा लेने को दर्शाता है।


17. “घर का भेदी लंका ढाए” का भावार्थ है:

(A) घर के रहस्य जानना

(B) अपनी ही कमियाँ बताना

(C) आपसी फूट या भेद बताने वाला व्यक्ति ही अपनों का बड़ा नुकसान करता है

(D) घर को गिरवा देना

हल:

उत्तर (C) आपसी फूट या भेद बताने वाला व्यक्ति ही अपनों का बड़ा नुकसान करता है

व्याख्या: विभीषण ने लंका के भेद राम को बताए थे, जिससे लंका का विनाश हुआ। इसका अर्थ है कि भीतरी व्यक्ति या अपने लोगों के भेद जानने वाला शत्रु सबसे अधिक हानिकारक होता है।


18. “आगे कुआँ, पीछे खाई” का सही अर्थ है:

(A) कुएँ और खाई के बीच में फँसना

(B) दोनों ओर से विपत्ति आना

(C) सोच-समझकर कार्य करना

(D) एक समस्या से भागकर दूसरी समस्या में पड़ना

हल:

उत्तर (B) दोनों ओर से विपत्ति आना

व्याख्या: इसका अर्थ है कि आगे जाने पर भी खतरा है और पीछे जाने पर भी खतरा है, यानी हर तरफ संकट या विपत्ति का होना।


19. “का वर्षा जब कृषि सुखानी” लोकोक्ति का अर्थ है:

(A) वर्षा का महत्त्व

(B) खेती का सूख जाना

(C) समय निकल जाने पर सहायता या साधन व्यर्थ हैं

(D) कृषि सूखने के बाद वर्षा होना अच्छा है

हल:

उत्तर (C) समय निकल जाने पर सहायता या साधन व्यर्थ हैं

व्याख्या: फसल सूख जाने के बाद हुई वर्षा किसी काम की नहीं होती। इसका अर्थ है कि जब अवसर या आवश्यकता का समय बीत जाए, तो साधन या सहायता उपलब्ध होना निरर्थक होता है।


20. “उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे” का तात्पर्य है:

(A) चोर का बहुत शक्तिशाली होना

(B) चोर द्वारा कोतवाल को डाँटना

(C) अपराधी द्वारा निरपराध को धमकाना या दोष देना

(D) कोतवाल का डरपोक होना

हल:

उत्तर (C) अपराधी द्वारा निरपराध को धमकाना या दोष देना

व्याख्या: इस कहावत में दोषी व्यक्ति स्वयं निर्दोष पर दोषारोपण करता है या उसे धमकाता है।


21. “तन पर नहीं लत्ता, पान खाए अलबत्ता” का भावार्थ है:

(A) पान खाना

(B) बहुत गरीब होना

(C) झूठा दिखावा करना या सामर्थ्य से बाहर खर्च करना

(D) कपड़े न पहनना

हल:

उत्तर (C) झूठा दिखावा करना या सामर्थ्य से बाहर खर्च करना

व्याख्या: शरीर पर कपड़ा तक नहीं है (गरीबी), पर मुँह में पान है (शौकीन)। इसका अर्थ है गरीब होते हुए भी अमीरों जैसा ढोंग करना या अपनी क्षमता से अधिक दिखावटी खर्च करना।


22. “नौ दिन चले अढ़ाई कोस” लोकोक्ति का अर्थ है:

(A) बहुत ही धीमी गति से काम करना

(B) नौ दिन में अढ़ाई कोस की यात्रा करना

(C) यात्रा में देरी होना

(D) बहुत तेज़ चलना

हल:

उत्तर (A) बहुत ही धीमी गति से काम करना

व्याख्या: ‘नौ दिन’ (बहुत समय) में केवल ‘अढ़ाई कोस’ (बहुत कम दूरी) चलना। इसका अर्थ है अत्यंत धीमी गति से काम करना, जिससे कोई प्रगति न हो।


23. “होनहार बिरवान के होत चिकने पात” का सही अर्थ क्या है?

(A) चिकने पत्तों वाला पौधा

(B) प्रतिभाशाली व्यक्ति के लक्षण बचपन से ही दिखाई देने लगते हैं

(C) पौधा बहुत सुंदर है

(D) होनहार बच्चे बहुत शैतान होते हैं

हल:

उत्तर (B) प्रतिभाशाली व्यक्ति के लक्षण बचपन से ही दिखाई देने लगते हैं

व्याख्या: अच्छे और स्वस्थ पौधे (बिरवान) के पत्ते शुरुआत से ही चिकने और आकर्षक होते हैं। इसका अर्थ है कि प्रतिभाशाली या सफल होने वाले व्यक्ति के गुण-लक्षण बचपन में ही दिख जाते हैं।


24. “जैसी बहे बयार, पीठ तब तैसी दीजे” का तात्पर्य है:

(A) हवा के विपरीत नहीं चलना चाहिए

(B) समय और परिस्थिति के अनुसार आचरण करना चाहिए

(C) पीठ हवा की दिशा में करनी चाहिए

(D) हमेशा हवा की दिशा में मुँह करके बैठना चाहिए

हल:

उत्तर (B) समय और परिस्थिति के अनुसार आचरण करना चाहिए

व्याख्या: इसका अर्थ है कि समय, माहौल या परिस्थिति के अनुरूप स्वयं को ढाल लेना चाहिए या अवसरवादिता अपनानी चाहिए।


25. “एक अनार सौ बीमार” का अर्थ है:

(A) एक ही व्यक्ति का बार-बार बीमार होना

(B) एक चीज़ की कमी और उसके चाहने वाले बहुत

(C) अनार बहुत महँगा है

(D) एक अनार से सौ बीमारियाँ दूर होती हैं

हल:

उत्तर (B) एक चीज़ की कमी और उसके चाहने वाले बहुत

व्याख्या: किसी वस्तु या पद की पूर्ति कम हो (एक अनार) और उसके मांगने वाले या इच्छुक बहुत अधिक हों (सौ बीमार)।


 

भाग 2: मिलान, रिक्त स्थान पूर्ति और शेष प्रश्न (प्रश्न 26-50)

 

26. “अधजल गगरी छलकत जाए” लोकोक्ति का सही अर्थ है:

(A) थोड़ी विद्या, धन या बल पाकर इतराना

(B) गगरी में कम पानी होना

(C) बिना काम के बोलना

(D) अपनी योग्यता को छिपाना

हल: उत्तर (A) थोड़ी विद्या, धन या बल पाकर इतराना

व्याख्या: आधी भरी गगरी छलकती है, जबकि पूरी भरी शांत रहती है। इसका अर्थ है अधूरा ज्ञान या कम योग्यता वाला व्यक्ति अधिक दिखावा करता है।


27. “धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का” का अर्थ है:

(A) एक जगह टिककर न रहना

(B) धोबी के कुत्ते की रक्षा करना

(C) कहीं भी स्थान न मिलना

(D) अवसरवादी होना

हल: उत्तर (C) कहीं भी स्थान न मिलना

व्याख्या: ऐसा व्यक्ति जिसका कहीं भी स्थायी ठिकाना न हो और उसे दोनों ही पक्षों से निराशा मिले।


28. “काला अक्षर भैंस बराबर” लोकोक्ति का क्या अर्थ है?

(A) काले अक्षर से डरना

(B) अनपढ़ या निरक्षर होना

(C) अक्षर और भैंस में कोई अंतर नहीं

(D) बहुत पढ़ा-लिखा होना

हल: उत्तर (B) अनपढ़ या निरक्षर होना

व्याख्या: जिस व्यक्ति के लिए अक्षर का कोई अर्थ न हो, यानी वह पढ़ना-लिखना न जानता हो।


29. “तनिक भी न हिलना-डुलना” के लिए उपयुक्त लोकोक्ति है:

(A) तस से मस न होना

(B) टस से मस न होना

(C) एक के दो न होना

(D) नौ दो ग्यारह होना

हल: उत्तर (B) टस से मस न होना

व्याख्या: ‘टस से मस न होना’ का अर्थ होता है जरा भी न हिलना या अपनी बात पर अटल रहना।


30. “बोए पेड़ बबूल के, तो आम कहाँ से खाए” लोकोक्ति का भाव है:

(A) बबूल का पेड़ नहीं बोना चाहिए

(B) जैसी करनी वैसी भरनी

(C) कर्मों का फल नहीं मिलता

(D) बबूल से आम मिल सकते हैं

हल: उत्तर (B) जैसी करनी वैसी भरनी

व्याख्या: बबूल बोने पर आम की आशा नहीं की जा सकती। इसका अर्थ है कि बुरे कर्मों का फल बुरा और अच्छे कर्मों का फल अच्छा ही मिलता है।


31. “कलेजे पर साँप लोटना” मुहावरे के लिए उपयुक्त भाव वाली कहावत क्या होगी?

(A) हाथ कंगन को आरसी क्या

(B) दाल में कुछ काला है

(C) पराये धन पर लक्ष्मी नारायण

(D) पराई आग में हाथ सेंकना

हल: उत्तर (D) पराई आग में हाथ सेंकना

व्याख्या: यह प्रश्न मुहावरे से संबंधित है, लेकिन ‘कलेजे पर साँप लोटना’ का अर्थ है ईर्ष्या से जलना। विकल्प (D) पराई आग में हाथ सेंकना (दूसरे के संकट या झगड़े से लाभ उठाना) उस ईर्ष्यालु व्यक्ति के काम को दर्शाता है जो दूसरे के दुःख से खुश हो। (हालांकि यह एक सीधा अर्थ नहीं है, उच्च स्तरीय प्रश्नों में निकटतम या सांकेतिक भाव देखा जाता है। शुद्ध रूप से ‘कलेजे पर साँप लोटना’ का कोई प्रसिद्ध कहावत नहीं है।)


32. “बिना काम के मज़दूरी माँगना” के लिए कौन-सी कहावत उपयुक्त है?

(A) काम का न काज का, दुश्मन अनाज का

(B) न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी

(C) न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी

(D) धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का

हल: उत्तर (A) काम का न काज का, दुश्मन अनाज का

व्याख्या: इसका अर्थ है कोई काम न करने पर भी खर्च बढ़ाना या निकम्मा होकर भी उपभोग करना।


33. “चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए” लोकोक्ति का तात्पर्य है:

(A) अत्यंत कंजूस होना

(B) धन की रक्षा करना

(C) जीवन से भी बढ़कर पैसा

(D) दमड़ी से चमड़ी ख़रीदना

हल: उत्तर (A) अत्यंत कंजूस होना

व्याख्या: इसका अर्थ है कि व्यक्ति चमड़ी (जान/शरीर) का नुकसान सहन कर लेगा, पर एक पाई (दमड़ी) भी खर्च नहीं करेगा।


34. “तू डाल-डाल, मैं पात-पात” का अर्थ है:

(A) पेड़ पर खेलना

(B) एक-दूसरे को तंग करना

(C) एक-दूसरे से अधिक चालाक और होशियार होना

(D) अपनी बात पर अड़िग रहना

हल: उत्तर (C) एक-दूसरे से अधिक चालाक और होशियार होना

व्याख्या: प्रतिद्वंद्वी एक चाल चलता है (डाल-डाल), तो दूसरा उससे भी बड़ी चाल (पात-पात) चलकर उसे मात देता है। यह दोनों पक्षों की अत्यधिक चालाकी को दर्शाता है।


35. “अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता” का भाव है:

(A) चना बहुत छोटा होता है

(B) अकेला व्यक्ति कोई बड़ा काम नहीं कर सकता

(C) भाड़ बहुत बड़ा होता है

(D) भाड़ में चना डालना

हल: उत्तर (B) अकेला व्यक्ति कोई बड़ा काम नहीं कर सकता

व्याख्या: बड़ा काम करने के लिए संगठन या सामूहिक सहयोग आवश्यक होता है।


36. “न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी” का तात्पर्य है:

(A) बाँस से ही बाँसुरी बनती है

(B) काम को पूरा कर देना

(C) विवाद या झगड़े के मूल कारण को ही समाप्त कर देना

(D) बाँसुरी न बजाना

हल: उत्तर (C) विवाद या झगड़े के मूल कारण को ही समाप्त कर देना

व्याख्या: झगड़े की जड़ को ही खत्म कर देना, ताकि समस्या दोबारा पैदा न हो।


37. “नेकी कर और दरिया में डाल” का अर्थ है:

(A) नेकी करके भूल जाना चाहिए

(B) नेकी का फल हमेशा मिलता है

(C) नेकी हमेशा छुपानी चाहिए

(D) पुण्य करना चाहिए

हल: उत्तर (A) नेकी करके भूल जाना चाहिए

व्याख्या: बिना किसी प्रतिफल की आशा किए भलाई करना और उसे प्रकट न करना।


38. “चिलम भरते-भरते थक गया, पर तमाशा न देखा” के लिए सही कहावत कौन सी है?

(A) नाच न जाने आँगन टेढ़ा

(B) थोथा चना बाजे घना

(C) नौ नगद न तेरह उधार

(D) न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी

हल: उत्तर (D) न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी

व्याख्या: इस कहावत का अर्थ है कोई ऐसी असंभव शर्त रख देना, जिसके कारण काम हो ही न पाए। (चिलम भरते-भरते थकना – बहुत काम हुआ, पर मुख्य काम/तमाशा नहीं हुआ।)


39. “दूध का जला छाछ भी फूँक-फूँककर पीता है” का अर्थ है:

(A) दूध से जल जाना

(B) एक बार धोखा खाने वाला व्यक्ति अगली बार अत्यधिक सावधान रहता है

(C) छाछ को ठंडा करके पीना चाहिए

(D) दूध और छाछ एक जैसे हैं

हल: उत्तर (B) एक बार धोखा खाने वाला व्यक्ति अगली बार अत्यधिक सावधान रहता है

व्याख्या: बुरी घटना के कारण व्यक्ति इतना डर जाता है कि बाद में हर काम में अत्यधिक सतर्कता बरतता है।


40. “हाथी के दाँत खाने के और, दिखाने के और” का सही अर्थ है:

(A) हाथी के दाँत बड़े होते हैं

(B) करनी और कथनी में अंतर होना

(C) दिखावा करना

(D) दाँत मजबूत होना

हल: उत्तर (B) करनी और कथनी में अंतर होना

व्याख्या: हाथी के बाहर दिखने वाले दाँत अलग होते हैं और खाने के लिए अंदर वाले दाँत अलग। इसका अर्थ है जो कहना, वह न करना या दिखावा कुछ और और हकीकत कुछ और।


41. “आप भला तो जग भला” का क्या अर्थ है?

(A) खुद अच्छे होने पर दुनिया भी अच्छी लगती है

(B) अच्छा होना अच्छा है

(C) दुनिया से अलग रहना

(D) सबको भला कहना

हल: उत्तर (A) खुद अच्छे होने पर दुनिया भी अच्छी लगती है

व्याख्या: यदि व्यक्ति स्वयं अच्छा व्यवहार करता है, तो उसे दूसरे लोग भी अच्छे लगते हैं या वह सबके साथ अच्छा ही पाता है।


42. “सौ सुनार की, एक लोहार की” लोकोक्ति का अर्थ है:

(A) लोहार की चोट ज्यादा असरदार होती है

(B) सौ छोटी बातों पर एक बड़ी बात भारी पड़ती है

(C) सुनार और लोहार में दुश्मनी है

(D) दोनों कारीगर मेहनती हैं

हल: उत्तर (B) सौ छोटी बातों पर एक बड़ी बात भारी पड़ती है

व्याख्या: इसका अर्थ है सौ छोटे-छोटे प्रयासों पर एक बड़ा और निर्णायक प्रयास भारी पड़ना।


43. “तेल देखो, तेल की धार देखो” का तात्पर्य है:

(A) तेल को ध्यान से देखना

(B) धैर्य और समझदारी से काम करना

(C) तेल का भाव देखना

(D) लापरवाही करना

हल: उत्तर (B) धैर्य और समझदारी से काम करना

व्याख्या: काम की शुरुआत में ही परिणाम का अंदाज़ा लगाने के बजाय, परिस्थिति पर गौर करना और सही समय का इंतज़ार करना।


44. “कुत्ते को घी हजम नहीं होता” का भावार्थ है:

(A) कुत्ता घी नहीं खाता

(B) नीच व्यक्ति अच्छी चीज़ को पचा नहीं पाता या उसका लाभ नहीं उठा पाता

(C) घी स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है

(D) कुत्ते को केवल हड्डी पसंद है

हल: उत्तर (B) नीच व्यक्ति अच्छी चीज़ को पचा नहीं पाता या उसका लाभ नहीं उठा पाता

व्याख्या: इसका अर्थ है कि अयोग्य या दुर्जन व्यक्ति को अच्छी या उच्च कोटि की वस्तु मिल जाए, तो वह उसका सदुपयोग नहीं कर पाता या उसे संभाल नहीं पाता।


45. “घर की मुर्गी दाल बराबर” का अर्थ है:

(A) मुर्गी को दाल खिलाना

(B) घर की चीज़ को महत्त्व न देना

(C) दाल और मुर्गी बराबर होना

(D) अपनी चीज़ को संभालकर रखना

हल: उत्तर (B) घर की चीज़ को महत्त्व न देना

व्याख्या: जो वस्तु या व्यक्ति आसानी से उपलब्ध हो, उसका कोई मूल्य न समझना।


46. “अजल गगरी छलकत जाए” के लिए कौन-सा विकल्प उपयुक्त है?

(A) सीमित साधन और सीमित ज्ञान

(B) ओछा आदमी अधिक इतराता है

(C) गगरी को भरकर न रखना

(D) पानी का महत्त्व न जानना

हल: उत्तर (B) ओछा आदमी अधिक इतराता है

व्याख्या: ‘ओछा’ का अर्थ है तुच्छ या अल्पज्ञ। यह वही भाव है जो प्रश्न 26 की व्याख्या में दिया गया है।


47. “अंधा बाँटे रेवड़ी, फिर-फिर अपने को देय” लोकोक्ति का तात्पर्य है:

(A) अंधा व्यक्ति रेवड़ी नहीं बाँटता

(B) सत्ता या अधिकार पाकर स्वार्थी व्यक्ति केवल अपने लोगों को लाभ पहुँचाता है

(C) रेवड़ी बाँटना

(D) सबको समान रूप से लाभ पहुँचाना

हल: उत्तर (B) सत्ता या अधिकार पाकर स्वार्थी व्यक्ति केवल अपने लोगों को लाभ पहुँचाता है

व्याख्या: इसका अर्थ है कि जब कोई स्वार्थी व्यक्ति शक्तिशाली पद पर होता है, तो वह केवल अपने परिचितों या रिश्तेदारों को ही लाभ पहुँचाता है (पक्षपात करता है)।


48. “सौ जगह छेद तो पानी कहाँ-कहाँ से थमे” लोकोक्ति का भाव क्या है?

(A) हर समस्या का हल ढूँढना

(B) अत्यधिक कमियों या दोषों को एक साथ ठीक करना असंभव है

(C) छेद वाले बर्तन में पानी नहीं भरना चाहिए

(D) सौ जगह से पानी रोकना

हल: उत्तर (B) अत्यधिक कमियों या दोषों को एक साथ ठीक करना असंभव है

व्याख्या: जब किसी चीज़ में बहुत सारी कमियाँ या दोष हों, तो उन्हें एक-एक करके सुधारना अत्यंत कठिन या असंभव हो जाता है।


49. “बिन माँगे मोती मिलें, माँगे मिले न भीख” लोकोक्ति का अर्थ है:

(A) भीख माँगना व्यर्थ है

(B) भाग्यशाली को बिना माँगे सब कुछ मिल जाता है, जबकि अभागे को माँगने पर भी कुछ नहीं मिलता

(C) मोती और भीख एक जैसे हैं

(D) बिना माँगे कुछ नहीं मिलता

हल: उत्तर (B) भाग्यशाली को बिना माँगे सब कुछ मिल जाता है, जबकि अभागे को माँगने पर भी कुछ नहीं मिलता

व्याख्या: यह कहावत भाग्य के महत्त्व को दर्शाती है। यदि भाग्य साथ हो, तो बहुमूल्य चीज़ें भी आसानी से मिल जाती हैं, अन्यथा माँगने पर भी तुच्छ चीज़ भी नहीं मिलती।


50. “नाच न जाने आँगन टेढ़ा” का सही अर्थ है:

(A) आँगन का टेढ़ा होना

(B) अपनी कमी या अयोग्यता को छिपाने के लिए दूसरे पर दोष डालना

(C) नृत्य करना

(D) आँगन में नृत्य न करना

हल: उत्तर (B) अपनी कमी या अयोग्यता को छिपाने के लिए दूसरे पर दोष डालना

व्याख्या: नर्तक को नाचना नहीं आता, पर वह अपनी गलती के बजाय आँगन को दोष देता है। इसका अर्थ है कि अपनी अयोग्यता को स्वीकार न करके, दूसरों को दोष देना।

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