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लूनी नदी
लूनी नदी – राजस्थान में बहने वाली पश्चिमी राजस्थान की सबसे लम्बी अरब सागरीय अपवाह तंत्र की यह नदी अजमेर में आनासागर झील के समीप स्थित नाग पहाड़ी से निकलती है।
इसके उद्गम स्थल पर इसको सागरमती/सरगावती कहते हैं। गोविन्दगढ़ (अजमेर) में ‘सरस्वती’ नामक धारा से मिलने के बाद इसको लूनी के नाम से जाना जाता है। पुष्कर के निकट साक्री, मांचौर में रेल/नाड़ा भी कहते हैं।
इसका जल बालोतरा तक मीठा व बाद में खारा है। इसे मीठी-खारी नदी, मरुस्थल की गंगा आदि नामों से जाना जाता है। लूनी नदी का उत्तरी क्षेत्र बालू रेत की अधिकता एवं फैलाव के कारण थली (रेत ही रेत) कहलाता है।
कालीदास ने इस नदी को ‘अन्तः सलिला’ कहा है। इसका प्रवाह क्षेत्र गोड़वाड़ प्रदेश कहलाता है। लूनी नदी की सहायक नदियाँ क्रमशः लीलड़ी (सबसे पहले मिलने वाली), जोजड़ी, गुहिया, बाण्डी, सूकड़ी, मीठड़ी, जवाई, खारी एवं सागी (सबसे अंत में मिलने वाली)।
अजमेर, ब्यावर, डेगाना (नागौर), बिलाड़ा (जोधपुर ग्रामीण), बालोतरा, बाड़मेर तथा सांचौर (7 जिलों) में बहती हुई यह नदी कच्छ के रन में गिर जाती है।