राजस्थानी मुहावरे/लोकोक्तियाँ

राजस्थानी मुहावरे/लोकोक्तियाँ

  1. अंधा की माखी राम उड़ावै” मुहावरा किस अर्थ में प्रयोग होता है?
    a) मनुष्य स्वयं ईश्वर बन जाए
    b) बेसहारे व्यक्ति की रक्षा ईश्वर स्वयं करता है
    c) किसी को ओझल करना
    d) अज्ञानता का परिचय देना

    उत्तर: b) बेसहारे व्यक्ति की रक्षा ईश्वर स्वयं करता है
    व्याख्या: जो व्यक्ति लाचार है, जिस की कोई सहायता नहीं करता, उसका ऊपर वाला (ईश्वर) खुद सहायता करेगा — यही अर्थ इस मुहावरे का है।

  2. अक्कल उधारी कोनी मिलै” का हिंदी अर्थ क्या है?
    a) बुद्धि उधार में मिलती है
    b) विवेक नहीं मिलता
    c) बुद्धि उधार लेने जैसी चीज नहीं है
    d) अज्ञानता लाभदायक है

    उत्तर: c) बुद्धि उधार लेने जैसी चीज नहीं है
    व्याख्या: अच्छ‑बुद्धि (अक्कल) किसी से उधार नहीं ली जा सकती; उसे स्वयं अर्जित करना पड़ता है।

  3. अम्बेर कै थेगलीं कोनी लागै” मुहावरा किस स्थिति को दर्शाता है?
    a) असंभव कार्य
    b) सरल प्रयोजन
    c) जल्दी सफलता
    d) विरोध

    उत्तर: a) असंभव कार्य
    व्याख्या: आकाश (अम्बेर) पर पैबंद (थेगलीं) नहीं लगाया जा सकता — अर्थात् कुछ चीजें ऐसी हैं जो करना संभव नहीं है।

  4. अक्कल कोई कै बाप की कोनी” मुहावरा क्या बताता है?
    a) कोई बड़ा व्यक्ति बुद्धिमान होगा
    b) बुद्धि जन्मसिद्ध है
    c) बुद्धि किसी की निजी संपत्ति नहीं है
    d) बुद्धिमान व्यक्ति बलवान है

    उत्तर: c) बुद्धि किसी की निजी संपत्ति नहीं है
    व्याख्या: यह कहता है कि बुद्धि किसी की पैतृक संपत्ति नहीं होती; हर व्यक्ति अपनी बुद्धि विकसित कर सकता है।

  5. अक्कल बड़ी के भैंस” मुहावरा किस तात्पर्य को दर्शाता है?
    a) शक्ति बुद्धि से बड़ी होती है
    b) आकार से बुद्धि बड़ी होती है
    c) बुद्धि शक्ति से अधिक महत्वपूर्ण है
    d) पशु-बुद्धि समान होती है

    उत्तर: c) बुद्धि शक्ति से अधिक महत्वपूर्ण है
    व्याख्या: भैंस भले ही बड़ी हो, लेकिन बुद्धि ही उसे नियंत्रण में रख सकती है — अतः बुद्धि बड़ी होती है।

  6. आँख/आँखियां तरसणी” मुहावरा किस भाव को दर्शाता है?
    a) प्रेम भाव
    b) लालसा, तड़प
    c) क्रोध
    d) प्रसन्नता

    उत्तर: b) लालसा, तड़प
    व्याख्या: किसी वस्तु/लाभ के लिए तीव्र इच्छा या तड़प का भाव — आँखें उस वस्तु की प्रतीक्षा में तरसती हैं।

  7. आँख रौ काजळ” मुहावरा शब्दशः किस अर्थ में लिया जाता है?
    a) काजल की तरह प्यारा
    b) दृष्टि का सौंदर्य
    c) प्रियतम की आँख होना
    d) आँखों की शोभा

    उत्तर: c) प्रियतम की आँख होना
    व्याख्या: “आँख रौ काजळ” कहने का अर्थ है — किसी को अत्यंत प्रिय, आँखों जैसा प्यारा मानना।

  8. आँख/आँखियां फाणी” मुहावरा किस अवस्था को दर्शाता है?
    a) भय
    b) आश्चर्य या चौंक जाना
    c) रोना
    d) हँसी

    उत्तर: b) आश्चर्य या चौंक जाना
    व्याख्या: कोई घटना इतने आश्चर्यजनक हो कि आँखें फट जाएँ प्रतीक रूप से — चौंक जाना।

  9. आंधा रा तंदूरा रामदेवजी बजावै” मुहावरा किस अर्थ में प्रयोग होता है?
    a) न्याय मिलेगा
    b) ईश्वर पर भरोसा करना
    c) असहाय व्यक्ति को ईश्वर ही सहायता करे
    d) पुष्टि करना

    उत्तर: c) असहाय व्यक्ति को ईश्वर ही सहायता करे
    व्याख्या: जिस व्यक्ति की कोई शक्ति नहीं, वह ईश्वर की कृपा पर आश्रित रहता है, जैसा तंदूरा बजाना आदि।

  10. अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं” मुहावरा कौन-सी बात कहता है?
    a) विवेक से कार्य करने पर ही सफलता मिलेगी
    b) ऊंट को खड़ा करना सरल है
    c) बिना ज्ञान के भी काम चल जाता है
    d) मूर्खतापूर्ण कार्य करना

    उत्तर: a) विवेक से कार्य करने पर ही सफलता मिलेगी
    व्याख्या: बिना बुद्धि/समझ के ऊंट (मजीद) को खड़ा करना (उभाणो) आसान नहीं — अर्थात् समझ व योग्यता आवश्यक।


  1. घटाटोप को राज” मुहावरा बताता है:
    a) अज्ञान का राज
    b) अव्यवस्था
    c) समृद्धि
    d) व्यवस्था

उत्तर: b) अव्यवस्था
व्याख्या: यदि कर्ता ही अज्ञान है, तो राज्य और व्यवस्था अव्यवस्थित होगी।

  1. अंधाधुंध की साहबी” मुहावरा क्या कहता है?
    a) विवेकहीन मित्रता
    b) सही उपाय
    c) बुद्धिमान साथी
    d) मजबूत सम्बन्ध

उत्तर: a) विवेकहीन मित्रता
व्याख्या: बिना सोच-समझ के की गई साझेदारी, साथी होना — हानिकारक भी हो सकती है।

  1. आँख रौ काजळ” का उपयोग किस रूप में किया जाता है?
    a) ईर्ष्या
    b) अपनापन, प्रियत्व
    c) निष्कर्ष
    d) आलोचना

उत्तर: b) अपनापन, प्रियत्व
व्याख्या: किसी को आँखों जैसा प्यारा मानना।

  1. अक्कल बड़ी के भैंस” मुहावरा किस बात पर बल देता है?
    a) महानता
    b) शारीरिक शक्ति
    c) विवेक और बुद्धि
    d) धन

उत्तर: c) विवेक और बुद्धि
व्याख्या: भले ही बल अधिक हो, लेकिन बुद्धि से काम सफल होते हैं।

  1. आँखियां फाणी” मुहावरा किस भाव को दर्शाता है?
    a) दुख
    b) आश्चर्य
    c) क्रोध
    d) शांति

उत्तर: b) आश्चर्य
व्याख्या: अचानक घटना से स्तब्ध हो जाना।

  1. आँख/आँखियां तरसणी” किस भावना को दर्शाती है?
    a) भय
    b) लालसा
    c) तिरस्कार
    d) विनम्रता

उत्तर: b) लालसा
व्याख्या: किसी की प्राप्ति की तीव्र चाह।

  1. आँख रौ काजळ” किस संदर्भ में कहा जाएगा?
    a) आलोचना
    b) प्रिय व्यक्ति
    c) अपमान
    d) विद्रोह

उत्तर: b) प्रिय व्यक्ति
व्याख्या: किसी को अत्यंत प्रिय मानना।

  1. अक्कल कोई कै बाप की कोनी” किस प्रकार की अभिप्रेरणा देता है?
    a) ज्ञान का अधिकार
    b) जन्मसिद्ध बुद्धि
    c) अन्य पर निर्भरता
    d) तर्कहीनता

उत्तर: a) ज्ञान का अधिकार
व्याख्या: बुद्धि किसी की निजी संपत्ति नहीं; हर किसी को इसका अधिकार है।

  1. अक्कल उधारी कोनी मिलै” किस निष्कर्ष को दिखाता है?
    a) बुद्धि लेनी चाहिए
    b) बुद्धि आत्मसात करनी चाहिए
    c) बुद्धि महत्वहीन है
    d) दूसरों पर निर्भर रहना चाहिए

उत्तर: b) बुद्धि आत्मसात करनी चाहिए
व्याख्या: किसी से उधार नहीं ली जा सकती; स्वयं अर्जन करना पड़ेगा।

  1. अम्बेर कै थेगलीं कोनी लागै” किस प्रकार की परिस्थिति को दर्शाता है?
    a) सहज
    b) असंभव
    c) लाभदायक
    d) अनूठा

उत्तर: b) असंभव
व्याख्या: आकाश पर बंधन लगाने जैसा — असंभव कार्य।

  1. घटाटोप को राज” कहने का तात्पर्य है:
    a) ठोस शासन
    b) भयापन्न व्यवस्था
    c) निरंकुश शासक
    d) चतुर नेतृत्व

उत्तर: b) भयापन्न व्यवस्था
व्याख्या: जहां शासन ही अज्ञान हो, वहाँ अव्यवस्था शासन करेगी।

  1. अंधाधुंध की साहबी” मुहावरा किस स्थिति में लागू होगा?
    a) विवेकपूर्ण सहयोग
    b) अति विश्वास
    c) समझदारी
    d) सावधानी

उत्तर: b) अति विश्वास
व्याख्या: बिना परख के साथी बनाना।

  1. आँख रौ काजळ” कहने का भाव है:
    a) प्रतीक्षा
    b) मित्रता
    c) प्रेम
    d) दुश्मनी

उत्तर: c) प्रेम
व्याख्या: किसी को आँख की तरह प्रिय मानना।

  1. आँख/आँखियां फाणी” मुहावरा किस घटना पर फिट बैठता है?
    a) योजना
    b) पूर्व सूचना
    c) अचानक घटना
    d) परिचय

उत्तर: c) अचानक घटना
व्याख्या: घटना इतनी आश्चर्यचकित करने वाली कि आँखें फट जाएँ।

  1. आँख/आँखियां तरसणी” किस भाव को दर्शाती है?
    a) संतोष
    b) इच्छा
    c) क्रोध
    d) धैर्य

उत्तर: b) इच्छा
व्याख्या: किसी चीज़ की तीव्र चाह।

  1. अक्कल बड़ी के भैंस” कहने का उद्देश्य क्या है?
    a) बल की श्रेष्ठता
    b) धन का महत्व
    c) बुद्धि की महत्ता
    d) समाजिक स्थिति

सही उत्तर है c) बुद्धि की महत्ता

“अक्कल बड़ी के भैंस” (Akal badi ki bhains) यह कहावत पूछती है कि “क्या अक्ल (बुद्धि/ज्ञान) बड़ी है या भैंस (शारीरिक बल/शक्ति)?”

इस कहावत को कहने का मुख्य उद्देश्य यह स्थापित करना है कि शारीरिक बल (भैंस द्वारा प्रदर्शित) की तुलना में बुद्धि, विवेक और ज्ञान (अक्कल द्वारा प्रदर्शित) कहीं अधिक महत्वपूर्ण और श्रेष्ठ हैं। बल से जो काम नहीं हो सकता, वह बुद्धि और युक्ति से किया जा सकता है।


यह कहावत हमें सिखाती है कि:

  • बुद्धि की महत्ता: यह कहावत बुद्धि की श्रेष्ठता पर ज़ोर देती है।

  • विवेक का उपयोग: इसका मतलब है कि किसी भी समस्या को हल करने या लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बल की बजाय चतुरता और विवेक का उपयोग करना चाहिए।

  • शक्ति से अधिक महत्वपूर्ण ज्ञान: ज्ञान और रणनीति, केवल शारीरिक शक्ति से ज़्यादा शक्तिशाली होते हैं।

  1. अक्कल कोई कै बाप की कोनी” मुहावरा किस सिद्धांत को रेखांकित करता है?
    a) वंशवाद
    b) जन्मसिद्ध अधिकार
    c) समान अवसर
    d) अनुवांशिकता

यह मुहावरा c) समान अवसर (Equal Opportunity) के सिद्धांत को रेखांकित करता है।


मुहावरे का अर्थ और सिद्धांत :-

“अक्कल कोई कै बाप की कोनी” (Akal koi kai baap ki koni) एक राजस्थानी/हरियाणवी कहावत है, जिसका शाब्दिक अर्थ है: “बुद्धि/अक्ल किसी के बाप की संपत्ति नहीं है।”

इस मुहावरे का निहितार्थ और सिद्धांत यह है कि:

  1. बुद्धि जन्मसिद्ध अधिकार नहीं: बुद्धि या ज्ञान किसी एक परिवार, जाति, या वर्ग की निजी संपत्ति नहीं होती है और न ही यह किसी को जन्म से ही विरासत में मिलती है।

  2. समान अवसर: इसका अर्थ है कि अक्ल (योग्यता, समझदारी) किसी भी व्यक्ति में हो सकती है, चाहे उसकी सामाजिक या पारिवारिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो। मेहनत और प्रयास से कोई भी इसे प्राप्त कर सकता है। यह सिद्धांत समानता और क्षमता पर आधारित है, जहाँ हर किसी के पास समझदार और सफल बनने का अवसर है।

  1. अक्कल उधारी कोनी मिलै” मुहावरा किस प्रकार का शिक्षा-संदेश देता है?
    a) ज्ञान प्रयोग करें
    b) निर्भरता न करें
    c) उधार अच्छा है
    d) तर्कहीन बनें

सही उत्तर है b) निर्भरता न करें (Don’t be dependent)

“अक्कल उधारी कोनी मिलै” मुहावरे का सीधा अर्थ है: “बुद्धि (या समझ) उधार नहीं मिलती है।”


शिक्षा-संदेश (The Lesson)

यह मुहावरा एक शक्तिशाली आत्मनिर्भरता (Self-reliance) का संदेश देता है और यह रेखांकित करता है कि व्यक्तिगत विवेक और सोच-समझ को विकसित करना कितना ज़रूरी है।

इसका शिक्षा-संदेश है:

  1. स्वयं की समझ का विकास करें: आपको अपनी समस्याओं का समाधान करने और सही निर्णय लेने के लिए अपनी बुद्धि (अक्कल) पर निर्भर रहना चाहिए।

  2. दूसरों पर भरोसा न करें: आप हमेशा दूसरों की समझदारी या ज्ञान को ‘उधार’ लेकर अपना काम नहीं चला सकते। संकट के समय, आपको अपने ही ज्ञान और विवेक का उपयोग करना होगा।

  3. तैयारी और सतर्कता: यह एक चेतावनी है कि जीवन में आने वाली चुनौतियों के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें, क्योंकि मौके पर कोई आपको अपनी ‘अक्ल’ नहीं दे पाएगा।

संक्षेप में, यह कहता है कि समझदारी एक आंतरिक गुण है जिसे विकसित करना पड़ता है; यह बाहरी वस्तु नहीं है जिसे खरीदा या उधार लिया जा सके।

  1. अम्बेर कै थेगलीं कोनी लागै” मुहावरा उन कार्यों पर लागू होता है जो:
    a) साधारण हों
    b) कठिन हों
    c) असंभव हों
    d) लाभदायक हों

सही उत्तर है c) असंभव हों (Impossible)


मुहावरे का अर्थ और अनुप्रयोग

“अम्बेर कै थेगलीं कोनी लागै” (Ambar kai thegli koni laagai) एक राजस्थानी/मारवाड़ी मुहावरा है, जिसका शाब्दिक अर्थ है: “आकाश (अम्बर) पर पैबंद (थेगली) नहीं लगाया जा सकता।”

 

निहितार्थ

 

  • अम्बर (आकाश) यहाँ उन चीज़ों का प्रतीक है जो बहुत विशाल, व्यापक, या परिवर्तन से परे हैं।

  • थेगली (पैबंद/Patch) उन छोटे-मोटे प्रयासों या सुधारों का प्रतीक है जो किसी चीज़ को ठीक करने के लिए किए जाते हैं।

संदेश :

यह मुहावरा उन कार्यों पर लागू होता है जो प्रकृति से ही असंभव हों, जिन पर किसी मनुष्य का वश न चलता हो, या जिन चीज़ों में सुधार या परिवर्तन करने का कोई भी प्रयास निरर्थक साबित हो। यह बताता है कि कुछ चीज़ें इतनी बड़ी या मौलिक होती हैं कि उन्हें बदला या ठीक नहीं किया जा सकता।

यह उसी तरह है जैसे आप समुद्र को छान नहीं सकते या पहाड़ को एक झटके में हटा नहीं सकते—वे कार्य असंभव हैं।

  1. घटाटोप को राज” कहने के पीछे की चेतावनी क्या है?
    a) मजबूत राज्य
    b) अज्ञानपूर्ण शासन
    c) नियंत्रण
    d) नेतृत्व

सही उत्तर है b) अज्ञानपूर्ण शासन (Ignorant Rule)

“घटाटोप को राज” (Ghaṭāṭop ko rāj) मुहावरे का शाब्दिक अर्थ है “घने अंधेरे/बादलों का राज्य”। यह एक चेतावनी देता है कि जब शासन या व्यवस्था पर अज्ञान, भ्रम, या अंधकार का साया हो, तो क्या परिणाम हो सकते हैं।


मुहावरे का अर्थ और चेतावनी

  1. घटाटोप (Ghaṭāṭop): इसका अर्थ है घना अंधकार, घने बादल, या घना कोहरा। यह शब्द अस्पष्टता, अज्ञानता, या भ्रम का प्रतीक है।

  2. राज (Rāj): इसका अर्थ है शासन या शासन-व्यवस्था।

निहित चेतावनी :-

यह मुहावरा चेतावनी देता है कि एक ऐसा शासन जहाँ स्पष्टता और बुद्धि की कमी हो (अर्थात अज्ञानपूर्ण शासन हो):

  • निर्णय बिना सोचे-समझे लिए जाएँगे।

  • जनता को सही दिशा नहीं मिलेगी।

  • भ्रष्टाचार और अव्यवस्था फैलेगी।

यह लोगों को ऐसे नेतृत्व से सतर्क रहने और स्पष्ट, विवेकपूर्ण नेतृत्व की माँग करने की शिक्षा देता है। 

  1. अंधाधुंध की साहबी” कहने का भाव है:
    a) विवेकपूर्ण संगति
    b) हल्की दोस्ती
    c) अनियंत्रित साझेदारी
    d) संतुलन

सही उत्तर है c) अनियंत्रित साझेदारी (Uncontrolled Partnership)


मुहावरे का अर्थ और भाव

“अंधाधुंध की साहबी” (Andhādhundh ki sāhabī) का शाब्दिक अर्थ है: “अंधाधुंध तरीके से किया गया प्रभुत्व/साझेदारी”।

निहित भाव :-

यह मुहावरा एक ऐसे संबंध, साझेदारी या कार्यप्रणाली को दर्शाता है जहाँ:

  1. अंधाधुंध (Andhādhundh): विवेक, सोच-समझ, या नियमों का कोई ध्यान नहीं रखा जाता। काम अव्यवस्था या अज्ञानता में किया जाता है।

  2. साहबी (Sāhabī): यहाँ इसका अर्थ नियंत्रण, अधिकार, या साझेदारी से है।

जब ये दोनों मिलते हैं, तो भाव यह निकलता है कि यह एक ऐसी साझेदारी है जो बिना किसी योजना, नियम या नियंत्रण के शुरू की गई है। यह अविवेकपूर्ण, जोखिम भरी, और अंततः विनाशकारी हो सकती है। यह संबंध या साझेदारी क्षणिक और अस्थिर होती है क्योंकि इसमें संतुलन (d) या विवेक (a) का अभाव होता है।

  1. आँख रौ काजळ” किस भाव को व्यक्त करता है?
    a) ईर्ष्या
    b) मोह
    c) तिरस्कार
    d) क्रोध

सही उत्तर है b) मोह


मुहावरे का अर्थ और भाव :-

“आँख रौ काजळ” (Āñkh rau kājaḷ) का शाब्दिक अर्थ है “आँखों का काजल”।

निहित भाव

  • काजल आँखों की सुंदरता बढ़ाता है और प्रिय होता है।

  • यह मुहावरा किसी ऐसी वस्तु या व्यक्ति के लिए प्रयोग होता है जो किसी को बहुत प्यारा, निकट या अत्यंत प्रिय हो।

  • जिस तरह काजल आँख से एक पल के लिए भी दूर नहीं किया जाता, उसी तरह यह भाव किसी के प्रति गहरे लगाव या मोह को व्यक्त करता है।

यह प्रेम, ममता, और अत्यधिक स्नेह के भाव को दर्शाता है, जहाँ व्यक्ति उस वस्तु या व्यक्ति को हमेशा अपने पास रखना चाहता है।

  1. आँख/आँखियां फाणी” वाक्य किस घटना पर बनेगा?
    a) सामान्य
    b) अपेक्षित
    c) अप्रत्याशित
    d) निराशाजनक

सही उत्तर है c) अप्रत्याशित (Unexpected)


मुहावरे का अर्थ :-

“आँख/आँखियां फाणी” (Āñkh/Āñkhiyāṁ phāṇī) का अर्थ है आँखें फाड़ना या आश्चर्य से देखना

निहित भाव :-

यह मुहावरा किसी ऐसी घटना को देखकर उत्पन्न होने वाली प्रतिक्रिया को व्यक्त करता है जो:

  1. अप्रत्याशित हो (जिसकी उम्मीद न की गई हो)।

  2. अविश्वसनीय हो (जिस पर सहसा विश्वास न हो)।

  3. विस्मयकारी हो (जो बहुत आश्चर्यचकित करने वाली हो)।

जब कोई अप्रत्याशित या चकित कर देने वाली चीज़ देखता है, तो आश्चर्य के कारण उसकी आँखें स्वाभाविक रूप से बड़ी हो जाती हैं (फाणी जाती हैं)। इसलिए, यह क्रिया अप्रत्याशित घटना पर बनती है।

  1. आँख/आँखियां तरसणी” किस स्थिति का भाव बताती है?
    a) इच्छा अत्यधिक
    b) तिरस्कार
    c) शांतिपूर्ण
    d) विद्रोह

सही उत्तर है a) इच्छा अत्यधिक (Excessive Desire/Longing)


 

मुहावरे का अर्थ और स्थिति :-

“आँख/आँखियां तरसणी” (Āñkh/Āñkhiyāṁ tarasaṇī) का अर्थ है “आँखें तरसना“।

निहित भाव :-

यह मुहावरा उस स्थिति का भाव बताता है जब किसी प्रिय वस्तु, व्यक्ति या घटना को देखने की लालसा (इच्छा) बहुत अत्यधिक होती है, और वह वस्तु या व्यक्ति उपलब्ध नहीं होता।

  • तरसणा (Tarasnā) शब्द ही गहरी इच्छा, उत्कट लालसा, या विरह के भाव को दर्शाता है।

  • यह तब प्रयोग होता है जब कोई व्यक्ति किसी को लंबे समय से नहीं देख पाया हो और उसे देखने के लिए अधीर हो रहा हो।

संक्षेप में, यह मुहावरा अत्यधिक और तीव्र इच्छा के कारण उत्पन्न होने वाली बेचैनी और इंतजार की स्थिति को व्यक्त करता है।

  1. अक्कल बड़ी के भैंस” कहने का मुख्य उद्देश्य है:
    a) बल से जीत
    b) बुद्धि से जीत
    c) धन से जीत
    d) वंश से जीत

सही उत्तर है b) बुद्धि से जीत


मुहावरे का उद्देश्य :-

“अक्कल बड़ी के भैंस” (Akal badi ki bhains) का अर्थ है: “क्या बुद्धि (अक्कल) बड़ी है या शारीरिक बल (भैंस)?”

यह मुहावरा एक सार्वभौमिक सत्य स्थापित करता है: किसी भी समस्या या चुनौती को हल करने में शारीरिक बल की तुलना में बुद्धि, विवेक, और ज्ञान कहीं अधिक प्रभावी और शक्तिशाली होते हैं।

इसका मुख्य उद्देश्य यह दिखाना है कि रणनीति और ज्ञान से प्राप्त की गई जीत (बुद्धि से जीत) हमेशा बल से प्राप्त की गई जीत से श्रेष्ठ होती है।

  1. अक्कल कोई कै बाप की कोनी” कहने का मूल भाव है:
    a) अनुवांशिकता
    b) ज्ञान समान है
    c) कोई विशिष्ट नहीं
    d) विवेक सबका अधिकार

सही उत्तर है d) विवेक सबका अधिकार


मुहावरे का मूल भाव :-

“अक्कल कोई कै बाप की कोनी” (Akal koi kai baap ki koni) का अर्थ है: “बुद्धि/विवेक किसी के पिता की निजी संपत्ति नहीं है।”

इस मुहावरे का मूल भाव यह है कि:

  1. विवेक (बुद्धि) किसी एक व्यक्ति, परिवार या वर्ग तक सीमित नहीं है।

  2. यह कोई जन्मसिद्ध विरासत नहीं है।

  3. विवेक और समझदारी प्राप्त करने का अधिकार और क्षमता हर व्यक्ति में होती है, चाहे उसकी सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।

यह कथन समानता और क्षमता पर ज़ोर देता है, जिससे यह स्थापित होता है कि विवेक सबका अधिकार है और कोई भी व्यक्ति अपने प्रयासों से इसे विकसित कर सकता है।

  1. अक्कल उधारी कोनी मिलै” के संदर्भ में कौन सा शिक्षा मिलता है?
    a) अनुकरण करो
    b) सीखो
    c) मांगो
    d) प्रतिरूप बनो

सही उत्तर है b) सीखो (Learn)


मुहावरे का शिक्षा-संदेश

“अक्कल उधारी कोनी मिलै” मुहावरे का अर्थ है: बुद्धि (समझदारी) उधार नहीं मिलती है।

यह मुहावरा एक महत्त्वपूर्ण शिक्षा देता है:

  1. ज्ञान अर्जित करना आवश्यक है: यदि आपको समझदार बनना है और सही निर्णय लेने हैं, तो आपको खुद ही मेहनत करके ज्ञान अर्जित करना होगा। आप किसी और की बुद्धि को उधार लेकर या मांगकर (c) अपना काम नहीं चला सकते।

  2. सीखने पर ज़ोर: यह मुहावरा सीखने (b) और व्यक्तिगत रूप से विवेक विकसित करने के महत्व पर ज़ोर देता है। सफल होने के लिए, व्यक्ति को लगातार सीखना चाहिए, अनुभवों से ज्ञान प्राप्त करना चाहिए, और अपनी समझ को बढ़ाना चाहिए।

संक्षेप में, यह आत्मनिर्भरता (Self-reliance) का संदेश देता है, जिसमें सीखना ही वह प्रक्रिया है जिससे व्यक्ति अपनी ‘अक्कल’ को विकसित करता है।

  1. अम्बेर कै थेगलीं कोनी लागै” उस वाक्य पर लागू होगा जिसमें कहा जाए:
    a) आसान कार्य
    b) सामान्य कार्य
    c) कठिन कार्य
    d) विलक्षण कार्य

सही उत्तर है d) विलक्षण कार्य (Extraordinary/Impossible Task)


मुहावरे का अनुप्रयोग

“अम्बेर कै थेगलीं कोनी लागै” का शाब्दिक अर्थ है “आकाश पर पैबंद (थेगली) नहीं लगाया जा सकता।”

यह मुहावरा ऐसे कार्यों पर लागू होता है जो:

  1. विलक्षण (Extraordinary/Beyond Human Power): ये कार्य इतने विशाल, मौलिक, या प्रकृति से जुड़े होते हैं कि उन्हें ठीक करना, बदलना, या सुधारना मानव शक्ति से बाहर होता है।

  2. असंभव (Impossible): यह उस स्थिति को इंगित करता है जहाँ किसी चीज़ में बदलाव लाने का प्रयास निरर्थक है, जैसे पहाड़ को हिलाना या समुद्र को सूखा देना।

चूंकि विकल्प विलक्षण (जो सामान्य या साधारण न हो) उस मौलिक असंभवता के भाव को सबसे करीब से दर्शाता है जो “आकाश पर पैबंद” लगाने में निहित है, इसलिए यह सबसे उपयुक्त जवाब है।

 

  1. आँख रौ काजळ” मुहावरा किस भावना को दर्शाता है?
    a) क्रोध
    b) घृणा
    c) स्नेह
    d) ईर्ष्या

उत्तर: c) स्नेह
व्याख्या: किसी को बेहद प्रिय मानना।

  1. आँख/आँखियां फाणी” किस घटना पर लागू होगा?
    a) पूर्व नियोजित
    b) अनुमानित
    c) अचानक
    d) सामान्य

उत्तर: c) अचानक
व्याख्या: अचानक घटना से स्तब्ध हो जाना।

  1. आँख/आँखियां तरसणी” किस भावना का वर्णन है?
    a) क्रोध
    b) संतोष
    c) अभिलाषा
    d) नफरत

उत्तर: c) अभिलाषा
व्याख्या: किसी चीज़ की तीव्र चाह।

  1. अक्कल बड़ी के भैंस” मुहावरा यह कहता है कि:
    a) बल ही सबकुछ है
    b) बुद्धि ही मूल्यवान है
    c) भैंस श्रेष्ठ है
    d) धन ही सबकुछ है

उत्तर: b) बुद्धि ही मूल्यवान है
व्याख्या: शक्ति से अधिक बुद्धि की महत्ता।

  1. अक्कल कोई कै बाप की कोनी” कहने का मूल संदेश है:
    a) जन्मसिद्ध बुद्धि
    b) स्वाध्याय
    c) वंशवाद
    d) अवहेलना

उत्तर: b) स्वाध्याय
व्याख्या: ज्ञान स्वयं अर्जन करना।

  1. अक्कल उधारी कोनी मिलै” कहने का तात्पर्य है:
    a) ज्ञान मांगना
    b) ज्ञान अर्जन करना
    c) ज्ञान बांटना
    d) ज्ञान निरर्थक है

उत्तर: b) ज्ञान अर्जन करना
व्याख्या: किसी से ज्ञान उधार नहीं लिया जा सकता; स्वयं सीखना पड़ेगा।

  1. अम्बेर कै थेगलीं कोनी लागै” मुहावरा किस को न कहता?
    a) कठिन
    b) असंभव
    c) सरल
    d) मिसाल

उत्तर: c) सरल
व्याख्या: यह सरल कार्यों पर लागू नहीं होता।

  1. घटाटोप को राज” कहने का उद्देश्य है:
    a) उत्तम शासन
    b) सत्ता
    c) अज्ञानपूर्ण शासन
    d) न्याय

उत्तर: c) अज्ञानपूर्ण शासन
व्याख्या: यदि शासक ही अज्ञान है, शासन विपरीत परिणाम देगा।

  1. अंधाधुंध की साहबी” मुहावरा किसको इंगित करता है?
    a) समझदार साथी
    b) विवेकपूर्ण भागीदारी
    c) अति भरोसा
    d) संतुलन

उत्तर: c) अति भरोसा
व्याख्या: बिना जाँचे भागीदारी करना।

  1. आँख रौ काजळ” कहने का भाव किस को दर्शाता है?
    a) अत्यधिक प्रिय व्यक्ति
    b) आलोचना
    c) विरोध
    d) तिरस्कार

उत्तर: a) अत्यधिक प्रिय व्यक्ति
व्याख्या: किसी को आँखों जैसा प्यारा मानना।

आपकी मांग के अनुसार, राजस्थानी कहावतों पर आधारित 50 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) उनके उत्तर और व्याख्या सहित निम्नलिखित हैं।


राजस्थानी कहावतें

50 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

प्रश्न 1 से 10

1. ‘अणी चूकी धार मारी’ का सही अर्थ क्या है?

(A) अवसर चूक जाने पर पछताना

(B) सावधानी हटी, दुर्घटना घटी

(C) लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाना

(D) छोटी सी चूक से बड़ा लाभ होना

 

‘अणी चूकी धार मारी’ का सही अर्थ है: (B) सावधानी हटी, दुर्घटना घटी

व्याख्या:

इस राजस्थानी कहावत में ‘अणी’ का अर्थ है किनारा या नुकीला सिरा (जैसे तीर का), और ‘धार मारी’ का अर्थ है निशाना चूक जाना या नुकसान हो जाना। इसका भावार्थ है कि थोड़ी सी भी असावधानी होते ही नुकसान हो जाता है या सावधानी हटने पर दुर्घटना हो जाती है

2. ‘अणदोखी नै दोख, बीनै गति न मोख’ लोकोक्ति का भावार्थ क्या है?

(A) दोषी व्यक्ति को कभी मोक्ष नहीं मिलता

(B) निर्दोष पर दोष लगाने वाले को सद्गति नहीं मिलती

(C) अच्छे काम करने वाले को स्वर्ग मिलता है

(D) दोष लगाने से पहले सोचना चाहिए

 

‘अणदोखी नै दोख, बीनै गति न मोख’ लोकोक्ति का सही भावार्थ है: (B) निर्दोष पर दोष लगाने वाले को सद्गति नहीं मिलती

व्याख्या:

  • अणदोखी नै दोख का अर्थ है: जो निर्दोष (‘अणदोखी’) है, उस पर दोष लगाना।

  • बीनै गति न मोख का अर्थ है: उसे (ऐसा करने वाले को) न सद्गति (अच्छी गति/स्वर्ग) मिलती है और न ही मोक्ष

यह कहावत इस बात पर बल देती है कि किसी निर्दोष व्यक्ति पर झूठा दोष या इल्जाम लगाना एक गंभीर पाप है, जिसका परिणाम यह होता है कि व्यक्ति जीवन के बाद की यात्रा में कभी शांति या मुक्ति प्राप्त नहीं कर पाता।

3. ‘अठे गुड़ गीलो कोनी’ कहावत का क्या तात्पर्य है?

(A) यहाँ पर काम आसान नहीं है

(B) यहाँ दाल गलने वाली नहीं है

(C) हमें मूर्ख मत समझना

(D) यहाँ गुड़ गीला है, इसलिए खाना मुश्किल है

‘अठे गुड़ गीलो कोनी’ कहावत का सही तात्पर्य है:

(C) हमें मूर्ख मत समझना

व्याख्या:

इस कहावत में ‘गुड़ गीलो’ (गीला गुड़) होना सरलता या आसानी से मूर्ख बनाए जाने को दर्शाता है। जब कोई कहता है कि ‘अठे गुड़ गीलो कोनी‘ (यहाँ गुड़ गीला नहीं है), तो उसका मतलब होता है कि वे होशियार हैं, आसानी से धोखा खाने वाले नहीं हैं, और सामने वाले को चुनौती देते हुए कहते हैं कि “हमें मूर्ख मत समझना”। यह हिंदी की कहावत ‘यहाँ दाल नहीं गलने वाली’ से मिलता-जुलता है, लेकिन इसका सीधा अर्थ व्यक्ति की बुद्धिमानी और चालाकी पर जोर देता है।

4. ‘दोनूं हाथांऊँ ताळी बाजै’ लोकोक्ति का अर्थ है:

(A) बहुत जोर से ताली बजाना

(B) ताली बजाने में दोनों हाथ लगते हैं

(C) झगड़ा या समझौता दोनों पक्षों के प्रयास से होता है

(D) दो लोगों की राय एक होना

 

‘दोनूं हाथांऊँ ताळी बाजै’ लोकोक्ति का सही अर्थ है: (C) झगड़ा या समझौता दोनों पक्षों के प्रयास से होता है

व्याख्या:

यह लोकोक्ति हिंदी की प्रसिद्ध कहावत ‘ताली एक हाथ से नहीं बजती’ के समान है।

इसका सीधा मतलब है कि कोई भी झगड़ा, मनमुटाव, या यहाँ तक कि समझौता भी, कभी एकतरफा नहीं होता। दोनों पक्षों (दोनों हाथों) की भागीदारी (प्रयास) से ही स्थिति बनती या बिगड़ती है।

5. ‘दूध रो दूध, पांणी रो पांणी’ का सही अर्थ क्या है?

(A) दूध में पानी मिलाना

(B) सही-सही न्याय करना

(C) हर चीज को अलग-अलग रखना

(D) दूध और पानी का मिश्रण

 

‘दूध रो दूध, पांणी रो पांणी’ का सही अर्थ है: (B) सही-सही न्याय करना

व्याख्या:

यह लोकोक्ति हिंदी की कहावत ‘दूध का दूध, पानी का पानी’ के समान है।

इसका अर्थ है किसी भी मामले में पूर्ण निष्पक्षता के साथ सही और गलत का फैसला करना, यानी सच्चाई और झूठ को अलग-अलग करके सही न्याय करना।

6. ‘दूर रा ढोल सुहावणा लागै’ का क्या आशय है?

(A) दूर से ढोल की आवाज़ अच्छी लगती है

(B) ढोल हमेशा दूर ही बजाना चाहिए

(C) दूर की चीजें हमेशा आकर्षक लगती हैं

(D) परदेस में रहना अच्छा लगता है

 

‘दूर रा ढोल सुहावणा लागै’ का सही आशय है: (C) दूर की चीजें हमेशा आकर्षक लगती हैं

व्याख्या:

यह लोकोक्ति हिंदी की कहावत ‘दूर के ढोल सुहावने लगते हैं’ के समान है।

इसका अर्थ है कि जब हम किसी चीज या स्थिति को दूर से देखते हैं, तो वह हमें बहुत आकर्षक लगती है, क्योंकि उसकी कमियाँ, दोष या कठोर वास्तविकताएँ दिखाई नहीं देतीं। पास जाने पर ही उसकी असलियत का पता चलता है।

7. ‘गधा ने काठा गंगाजल’ का क्या अभिप्राय है?

(A) गधे को गंगाजल से नहलाना

(B) मूर्ख व्यक्ति अच्छी वस्तु की कद्र नहीं जानता

(C) गंगाजल की पवित्रता

(D) गधे को कष्ट देना

‘गधा ने काठा गंगाजल’ का सही अभिप्राय है: (B) मूर्ख व्यक्ति अच्छी वस्तु की कद्र नहीं जानता


व्याख्या:

यह लोकोक्ति हिंदी की कहावत “बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद” के समान है।

  • ‘गंगाजल’ एक पवित्र और कीमती वस्तु है।

  • ‘गधा’ यहाँ मूर्ख या अनभिज्ञ व्यक्ति का प्रतीक है।

अर्थात्, किसी मूर्ख या अनभिज्ञ व्यक्ति को कोई अच्छी, उपयोगी या कीमती वस्तु देने का कोई लाभ नहीं है, क्योंकि वह उसकी सही कीमत या उपयोगिता नहीं जानता

8. ‘चोरी रो गुड मिठो’ का क्या भाव है?

(A) चोरी का गुड़ खाना अच्छा लगता है

(B) चोरी करने में आनंद आता है

(C) आसानी से प्राप्त वस्तु से अप्राप्य वस्तु अधिक प्रिय लगती है

(D) गुड़ चोरी करके खाना

 

‘चोरी रो गुड मिठो’ का सही भाव है: (C) आसानी से प्राप्त वस्तु से अप्राप्य वस्तु अधिक प्रिय लगती है


व्याख्या:

यह लोकोक्ति मनुष्य के स्वभाव को दर्शाती है। इसका अर्थ है कि जो वस्तु सरलता से उपलब्ध हो जाती है (जैसे घर में रखा गुड़), उसकी अपेक्षा चोरी करके या मुश्किल से प्राप्त की गई वस्तु (अप्राप्य वस्तु) अधिक आनंददायक और मीठी लगती है। यह अक्सर उस चीज़ के प्रति आकर्षण को दिखाता है जो वर्जित होती है या जिसे पाने के लिए थोड़ा जोखिम उठाना पड़ता है।

9. ‘आँख में ईंख फाग में जीरो’ का क्या अर्थ है?

(A) अच्छी फसल होना

(B) बुरी परिस्थिति में कम गुण वाले व्यक्ति का भी आदर होना

(C) आँख में कुछ पड़ जाना

(D) होली के त्योहार पर शून्य काम होना

‘आँख में ईंख फाग में जीरो’ का सही अर्थ है: (B) बुरी परिस्थिति में कम गुण वाले व्यक्ति का भी आदर होना


व्याख्या:

यह कहावत विपरीत या बुरे समय की स्थिति को दर्शाती है।

  • आँख में ईंख (गन्ना): ईंख का महत्व कम होता है।

  • फाग में जीरो (शून्य/कोई नहीं): होली (फाग) के समय कुछ भी न होना।

इसका भाव यह है कि जब परिस्थितियाँ बहुत खराब हों, या मूर्खों का समाज हो, तो कम गुण वाला या साधारण व्यक्ति भी अपनी मामूली विशेषता के कारण आदर या महत्व पा लेता है, क्योंकि उससे बेहतर कोई उपलब्ध नहीं होता।

10. ‘आधी छोड़ पूरी नवे, आधी न आधी मिले न पूरी पावे’ का भाव है:

(A) लालच करना अच्छा होता है

(B) जो प्राप्त है, उससे संतोष न कर पूरी पाने के प्रयास में मिली हुई चीज भी खो देना

(C) हमेशा पूरी चीज पाने का प्रयास करना चाहिए

(D) आधी चीज से संतोष कर लेना

 

‘आधी छोड़ पूरी नवे, आधी न आधी मिले न पूरी पावे’ का सही भाव है: (B) जो प्राप्त है, उससे संतोष न कर पूरी पाने के प्रयास में मिली हुई चीज भी खो देना


व्याख्या:

यह लोकोक्ति लालच (Greed) और असंतोष के नकारात्मक परिणाम को दर्शाती है।

  • आधी छोड़ पूरी नवे का अर्थ है: जो चीज (जैसे आधी वस्तु या लाभ) हाथ में है, उसे छोड़कर पूरी वस्तु (या अधिक लाभ) पाने के लिए ललचाना।

  • आधी न आधी मिले न पूरी पावे का अर्थ है: ऐसा करने पर, न तो पूरी वस्तु मिलती है, और न ही पहले मिली हुई आधी वस्तु ही हाथ में रहती है।

संक्षेप में, यह कहावत “अति का भला न बोलना, अति की भली न चुप” या “लालच बुरी बला है” के समान है, जहाँ लालच के कारण व्यक्ति दोनों तरफ से नुकसान उठाता है।

 

11. ‘चालणी मैँ दूध दुवै, करमां नै दोस देवै’ का अर्थ है:

(A) छलनी में दूध दुहना

(B) खुद में अच्छे लक्षण न होने पर व्यर्थ ही भाग्य को कोसना

(C) कर्मों को दोष देना

(D) दूध का व्यर्थ बह जाना

 

‘चालणी मैँ दूध दुवै, करमां नै दोस देवै’ का सही अर्थ है: (B) खुद में अच्छे लक्षण न होने पर व्यर्थ ही भाग्य को कोसना


व्याख्या:

  • चालणी मैँ दूध दुवै का अर्थ है: छलनी (छेददार बर्तन) में दूध दुहना, जो कि एक निरर्थक और मूर्खतापूर्ण कार्य है, क्योंकि दूध रुकता नहीं और बह जाता है। यह व्यक्ति की अपनी गलती, अक्षमता या अविवेक को दर्शाता है।

  • करमां नै दोस देवै का अर्थ है: (अपनी गलती के बावजूद) भाग्य (कर्मों) को दोष देना।

यह लोकोक्ति उस व्यक्ति पर कटाक्ष करती है जो अपनी अयोग्यता या बुरे कार्यों के कारण असफल होता है, लेकिन इसका दोष अपनी जिम्मेदारी लेने के बजाय भाग्य या किस्मत पर डाल देता है।

12. ‘चिकना घड़ा माते पानी नहीं ठहरना’ का क्या आशय है?

(A) चिकने घड़े पर पानी नहीं रुकता

(B) बहुत बेशर्म व्यक्ति, जिस पर किसी बात का असर न हो

(C) पानी की बर्बादी

(D) घड़े को तेल लगाना

 

‘चिकना घड़ा माते पानी नहीं ठहरना’ का सही आशय है:

(B) बहुत बेशर्म व्यक्ति, जिस पर किसी बात का असर न हो


व्याख्या:

यह राजस्थानी लोकोक्ति हिंदी के मुहावरे ‘चिकना घड़ा’ के समान है।

  • चिकना घड़ा वह होता है जिस पर पानी डालने पर वह फिसल जाता है और रुकता नहीं है

  • प्रतीकात्मक रूप से, यह उस बेशर्म, ढीठ या निर्लज्ज व्यक्ति को दर्शाता है जिस पर डाँट, फटकार, या सलाह का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वह हर बात को अनसुना कर देता है।

13. ‘हर्णे लागी न फिटकड़ी, रंग लायो चोखो’ का सही अर्थ क्या है?

(A) बहुत मेहनत के बाद अच्छा परिणाम मिलना

(B) मुफ्त में काम होना या बिना खर्च के अच्छा परिणाम मिलना

(C) बिना रंग के कपड़ा रंगना

(D) रंगाई में फिटकरी का उपयोग न करना

‘हर्णे लागी न फिटकड़ी, रंग लायो चोखो’ का सही अर्थ है: (B) मुफ्त में काम होना या बिना खर्च के अच्छा परिणाम मिलना


व्याख्या:

यह लोकोक्ति हिंदी की कहावत “हल्दी न फिटकरी और रंग चोखा (अच्छा) आए” के समान है।

  • हर्णे लागी न फिटकड़ी का अर्थ है: रंगाई के लिए आवश्यक हल्दी (हर्णे) और फिटकरी का इस्तेमाल नहीं हुआ।

  • रंग लायो चोखो का अर्थ है: फिर भी रंग बहुत अच्छा आया।

इसका भाव यह है कि बिना किसी प्रयास, खर्च या साधन के ही मनचाहा या बहुत अच्छा परिणाम मिल जाना।

14. ‘देस जिस्यो भेस’ का भावार्थ क्या है?

(A) देश के अनुसार कपड़े पहनना

(B) देशप्रेम दिखाना

(C) स्थान व समयानुसार परिवर्तन कर लेना

(D) देश में वेशभूषा का महत्व

‘देस जिस्यो भेस’ का सही भावार्थ है: (C) स्थान व समयानुसार परिवर्तन कर लेना


व्याख्या:

यह राजस्थानी लोकोक्ति हिंदी की कहावत ‘जैसा देश, वैसा वेश’ के समान है।

  • देस जिस्यो का अर्थ है: जैसा देश (स्थान या परिस्थिति)।

  • भेस का अर्थ है: वेशभूषा या व्यवहार।

इसका मतलब है कि व्यक्ति को अपने आसपास की परिस्थितियों, स्थान या समय के अनुसार खुद को ढाल लेना चाहिए, ताकि वह वहाँ आसानी से समायोजित हो सके और सफल हो सके। यह अनुकूलनशीलता (adaptability) का सिद्धांत सिखाती है।

15. ‘खोयो ऊँट घड़ा म्है ढूँढै’ का अर्थ है:

(A) ऊँट को घड़े में ढूँढना

(B) असंभव कार्य करना

(C) बड़ी वस्तु को छोटी जगह पर ढूँढना

(D) अनावश्यक रूप से परेशान होना

‘खोयो ऊँट घड़ा म्है ढूँढै’ का सही अर्थ है: (C) बड़ी वस्तु को छोटी जगह पर ढूँढना


व्याख्या:

  • खोयो ऊँट एक बहुत बड़ी वस्तु है जो खो गई है।

  • घड़ा एक बहुत छोटी वस्तु है।

इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि अज्ञानता या विवेक की कमी के कारण कोई व्यक्ति किसी बड़ी समस्या या वस्तु का समाधान या उसे खोजने का प्रयास गलत या बहुत छोटे स्थान पर कर रहा है, जहाँ उसका मिलना असंभव है। यह मूर्खतापूर्ण और अनुपयुक्त प्रयास को दर्शाता है।

16. ‘गाभां में सै नागा’ लोकोक्ति का क्या तात्पर्य है?

(A) बिना कपड़ों के होना

(B) बाहरी पहनावे से सब अलग दिखते हैं, पर भीतर से सब एक हैं (कमजोरियों से युक्त)

(C) कपड़े पहनना

(D) संत-संन्यासी होना

‘गाभां में सै नागा’ लोकोक्ति का सही तात्पर्य है:

(B) बाहरी पहनावे से सब अलग दिखते हैं, पर भीतर से सब एक हैं (कमजोरियों से युक्त)


व्याख्या:

  • गाभां का अर्थ है कपड़े या बाहरी वेशभूषा।

  • सै नागा का अर्थ है: सभी नंगे (कमजोरियों से रहित नहीं)।

इस कहावत का भाव यह है कि व्यक्ति बाहर से चाहे जितने अच्छे या भिन्न कपड़े पहन ले—चाहे वह अमीर हो, गरीब हो, संत हो या आम आदमी—भीतर से हर कोई एक जैसा होता है, यानी कमजोरियों, अवगुणों और मानवीय दोषों से युक्त। बाहरी लिबास किसी की आंतरिक प्रकृति को छुपा नहीं सकता।

17. ‘अन्तर बाजै तौ जंतर बाजै’ का सही अर्थ क्या है?

(A) हृदय की वीणा मौन हो तो हाथ की वीणा भी मौन

(B) संगीत सुनना

(C) वीणा बजाना

(D) भीतर से आवाज आना

 

‘अन्तर बाजै तौ जंतर बाजै’ का सही अर्थ है:

(A) हृदय की वीणा मौन हो तो हाथ की वीणा भी मौन


व्याख्या:

  • अन्तर बाजै का अर्थ है: हृदय या अंतरात्मा में आवाज़ या प्रेरणा हो।

  • जंतर बाजै का अर्थ है: बाहरी साज (वीणा या कोई कला) बजती है या कार्य होता है।

इस लोकोक्ति का भाव यह है कि किसी भी कला, साहित्य या रचनात्मक कार्य का सच्चा स्रोत मनुष्य की अंतरात्मा है। यदि भीतर (अन्तर) में कोई प्रेरणा या भावना नहीं होगी, तो बाहर (जंतर) कोई कार्य या कलाकृति जन्म नहीं ले सकती। यानी, आंतरिक भाव ही बाहरी क्रिया को जन्म देता है।

18. ‘आग में घी फूको नाकनो’ का क्या अर्थ है?

(A) आग को घी से बुझाना

(B) जलती हुई आग में घी डालना

(C) लड़े-झगड़े को तीव्र करना

(D) शांति स्थापित करना

‘आग में घी फूको नाकनो’ का सही अर्थ है: (C) लड़े-झगड़े को तीव्र करना


व्याख्या:

यह राजस्थानी मुहावरा हिंदी के मुहावरे ‘आग में घी डालना’ के समान है।

  • आग यहाँ झगड़े, क्रोध या विवाद का प्रतीक है।

  • घी नाकनो (घी डालना/फूँकना) उस उत्तेजक कार्य या बात को दर्शाता है जो विवाद को शांत करने के बजाय और बढ़ा देती है।

इसलिए, इसका अर्थ है किसी विवाद, झगड़े या क्रोध को और अधिक भड़काना या तीव्र कर देना।

19. ‘देसी गधी पूरबी चाल’ का सही भाव क्या है?

(A) गधी को पूर्वी दिशा में चलाना

(B) आडंबर करना या दिखावा करना

(C) देसी चीजों का प्रयोग

(D) अपनी असली पहचान भूल जाना

 

‘देसी गधी पूरबी चाल’ का सही भाव है: (B) आडंबर करना या दिखावा करना


व्याख्या:

इस कहावत में:

  • ‘देसी गधी’ एक साधारण, सामान्य वस्तु या व्यक्ति का प्रतीक है।

  • ‘पूरबी चाल’ (पूर्वी चाल) का मतलब है दिखावटी, आधुनिक या कृत्रिम चाल-ढाल अपनाना।

यह लोकोक्ति उस व्यक्ति पर कटाक्ष करती है जो अपनी वास्तविक स्थिति या क्षमता के विपरीत जाकर दिखावा करता है या आडंबर अपनाता है। यह दर्शाती है कि व्यक्ति अपनी प्रकृति के विरुद्ध जाकर किसी फैशनेबल या कृत्रिम तरीके को अपनाने की कोशिश कर रहा है।

20. ‘दान री बाछी रा दांत कोनी गिणीजै’ का तात्पर्य है:

(A) दान की गाय के दाँत गिनना

(B) मुफ्त की वस्तु में गुण-दोष नहीं देखने चाहिए

(C) दान में मिली वस्तु अच्छी होती है

(D) गाय को दान करना

 

‘दान री बाछी रा दांत कोनी गिणीजै’ का सही तात्पर्य है: (B) मुफ्त की वस्तु में गुण-दोष नहीं देखने चाहिए


व्याख्या:

यह लोकोक्ति हिंदी की प्रसिद्ध कहावत ‘दान की बछिया (या गाय) के दाँत नहीं गिने जाते’ के समान है।

  • बाछी का अर्थ है बछिया (गाय का बछड़ा)।

  • दांत कोनी गिणीजै का अर्थ है: दाँत नहीं गिनने चाहिए।

इसका अर्थ है कि जब आपको कोई वस्तु मुफ्त में (दान में) मिलती है, तो आपको उसकी कमियाँ, दोष, या गुणवत्ता की जाँच नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसे सहर्ष स्वीकार कर लेना चाहिए।

 

21. ‘आड़ू चाले हाट न ताखड़ी न बाट’ का अर्थ क्या है?

(A) बाजार में बिना सामान के घूमना

(B) मूर्ख का कार्य जो बिना नियम के हो

(C) दुकान पर तराजू और बाट न होना

(D) हाट में केवल मूर्ख जाते हैं

 

‘आड़ू चाले हाट न ताखड़ी न बाट’ का सही अर्थ है: (B) मूर्ख का कार्य जो बिना नियम के हो


व्याख्या:

  • आड़ू का अर्थ होता है अज्ञानी, मूर्ख या अविवेकी व्यक्ति।

  • हाट का अर्थ है बाज़ार या दुकान।

  • ताखड़ी का अर्थ है तराजू

  • बाट का अर्थ है वजन (तौलने का मानक)।

बाजार में व्यापार करने के लिए तराजू और वजन (नियम) आवश्यक हैं। यदि कोई मूर्ख व्यक्ति (आड़ू) बिना इन नियमों और साधनों के व्यापार करने की कोशिश करे, तो उसका काम सफल नहीं हो सकता। अतः, इसका तात्पर्य है कि मूर्ख का कार्य या व्यवहार बिना किसी नियम, सिद्धांत या औचित्य के होता है।

22. ‘आम फले नीचो नवे’ लोकोक्ति का क्या अर्थ है?

(A) आम का फल नीचे झुक जाता है

(B) सज्जन व्यक्ति ज्ञान आने पर विनम्र हो जाता है

(C) फलदार पेड़ झुक जाता है

(D) अहंकार का त्याग करना

‘आम फले नीचो नवे’ लोकोक्ति का सही अर्थ है: (B) सज्जन व्यक्ति ज्ञान आने पर विनम्र हो जाता है


व्याख्या:

यह लोकोक्ति एक सुंदर उपमा का प्रयोग करती है:

  • जिस प्रकार आम का पेड़ जब फलों (ज्ञान, धन, या सफलता) से लद जाता है, तो वह नीचे (नीचो नवे) झुक जाता है।

  • उसी प्रकार, एक सज्जन या गुणी व्यक्ति जब ज्ञान, समृद्धि या योग्यता प्राप्त करता है, तो उसमें अहंकार नहीं आता, बल्कि वह और अधिक विनम्र हो जाता है।

यह कहावत नम्रता और सद्गुणों के महत्व को दर्शाती है।

23. ‘पंगा तलारी जिम जमीन खिसकनी’ मुहावरे का सही अर्थ क्या है?

(A) पैर फिसल जाना

(B) डर के मारे जमीन खिसक जाना

(C) बहुत अधिक भयभीत होना या होश उड़ जाना

(D) पैर के नीचे की जमीन का हट जाना

‘पंगा तलारी जिम जमीन खिसकनी’ मुहावरे का सही अर्थ है: (C) बहुत अधिक भयभीत होना या होश उड़ जाना


व्याख्या:

यह मुहावरा हिंदी के मुहावरे ‘पैर तले ज़मीन खिसक जाना’ के समान है।

  • पंगा तलारी जिम का अर्थ है: पैर के नीचे की।

  • जमीन खिसकनी का अर्थ है: ज़मीन का हट जाना।

इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि अचानक किसी भयानक या चौंकाने वाली खबर के कारण व्यक्ति इतना डर जाए या हैरान हो जाए कि उसे लगे जैसे वह अपने होश खो रहा है और उसके पैरों के नीचे की ज़मीन ही हट गई है।

24. ‘नकटो बूचो सबसु ऊंची’ का क्या भाव है?

(A) कटा हुआ नाक सबसे ऊपर होता है

(B) खोटे मगर प्रभावशाली व्यक्ति का भी सम्मान होना

(C) नकटो और बूचो सबसे ऊँचा होना

(D) छोटे लोगों का सम्मान न करना

 

‘नकटो बूचो सबसु ऊंची’ का सही भाव है: (B) खोटे मगर प्रभावशाली व्यक्ति का भी सम्मान होना


व्याख्या:

  • नकटो (नाक कटा) और बूचो (कान या कोई अंग कटा) ऐसे व्यक्ति को दर्शाते हैं जिसमें कोई दोष, कमी या बुराई हो।

  • सबसु ऊंची का अर्थ है: सबसे ऊँचा या सम्मानित होना।

यह लोकोक्ति सामाजिक वास्तविकता पर टिप्पणी करती है: यदि कोई व्यक्ति चरित्र या नैतिकता में दोषपूर्ण (‘नकटो बूचो’) है, लेकिन उसके पास धन, शक्ति, या प्रभाव है, तो समाज अक्सर उसकी बुराईयों को अनदेखा करके उसे सम्मान देता है।

25. ‘थूथिया शंख पराई फूँक सै बाजै’ का अर्थ है:

(A) फूटे हुए शंख को बजाना

(B) जिस व्यक्ति में स्वयं में कोई गुण नहीं होता, वह दूसरों की सलाह से ही कार्य करता है

(C) शंख की तेज आवाज़

(D) केवल दिखावा करना

 

‘थूथिया शंख पराई फूँक सै बाजै’ का सही अर्थ है: (B) जिस व्यक्ति में स्वयं में कोई गुण नहीं होता, वह दूसरों की सलाह से ही कार्य करता है


व्याख्या:

  • थूथिया शंख (थोथा या बेकार शंख) एक ऐसे व्यक्ति का प्रतीक है जिसमें स्वयं की कोई योग्यता या गुण नहीं है।

  • पराई फूँक सै बाजै का अर्थ है: वह दूसरों की फूँक (सलाह या सहायता) से ही बजता है, यानी कोई काम कर पाता है।

यह लोकोक्ति उस व्यक्ति पर कटाक्ष करती है जो अयोग्य है और अपनी क्षमता के बल पर कुछ भी नहीं कर सकता, बल्कि हर कार्य के लिए दूसरों की बुद्धिमानी या मदद पर निर्भर रहता है।

26. ‘दलाल कै दिवालो नहीँ, महजित कै तालो नहीँ’ का क्या अभिप्राय है?

(A) दलाल और मस्जिद को नुकसान नहीं होता

(B) दलाल को घाटा नहीं होता और मस्जिद में ताला लगाने की आवश्यकता नहीं

(C) दलाल कभी गरीब नहीं होता

(D) मस्जिद में ताला लगाना मना है

‘दलाल कै दिवालो नहीँ, महजित कै तालो नहीँ’ का सही अभिप्राय है: (B) दलाल को घाटा नहीं होता और मस्जिद में ताला लगाने की आवश्यकता नहीं


व्याख्या:

यह कहावत दो अलग-अलग स्थितियों का वर्णन करती है:

  1. दलाल कै दिवालो नहीँ (दलाल को दिवाला नहीं): दलाल (बिचौलिया) दोनों पक्षों से कमीशन कमाता है, इसलिए उसे घाटा (दिवाला) लगने की संभावना कम होती है।

  2. महजित कै तालो नहीँ (मस्जिद में ताला नहीं): मस्जिद में कोई कीमती सामान नहीं रखा जाता, इसलिए वहाँ ताला लगाने की ज़रूरत नहीं होती।

यह लोकोक्ति दो विपरीत स्थितियों में सुरक्षा और जोखिम की कमी को दर्शाती है: एक व्यक्ति (दलाल) जो अपनी चतुराई से सुरक्षित है, और एक स्थान (मस्जिद) जो मूल्यवान वस्तु न होने के कारण सुरक्षित है।

27. ‘करसौ रात कमावै, बणिया रा बेटा सारू’ लोकोक्ति क्या दर्शाती है?

(A) किसान दिन-रात काम करता है

(B) किसान की कमाई बनिये (व्यापारी) के लिए होती है

(C) बनिये का बेटा किसान से ज्यादा कमाता है

(D) मेहनत का फल हमेशा दूसरों को मिलता है

 

‘करसौ रात कमावै, बणिया रा बेटा सारू’ लोकोक्ति यह दर्शाती है कि:

(B) किसान की कमाई बनिये (व्यापारी) के लिए होती है


व्याख्या:

  • करसौ रात कमावै का अर्थ है: किसान (कृषक) दिन-रात मेहनत करता है।

  • बणिया रा बेटा सारू का अर्थ है: (लेकिन उसकी कमाई) बनिये (व्यापारी/साहूकार) के बेटों के लिए होती है।

यह लोकोक्ति राजस्थान के ग्रामीण जीवन की एक कड़वी सामाजिक-आर्थिक सच्चाई को दर्शाती है। किसान अपनी मेहनत से फसल उगाता है, लेकिन कर्ज, ब्याज, और उपज के कम दाम के कारण उसकी कमाई का अधिकांश हिस्सा व्यापारियों या साहूकारों (बनियों) के पास चला जाता है, और किसान स्वयं गरीब रह जाता है।

28. ‘चिड़ा-चिड़ी की के लड़ाई, चाल चिड़ा मैँ आई’ का भाव है:

(A) चिड़ा और चिड़ी की लड़ाई

(B) पति-पत्नी के बीच का मनमुटाव क्षणिक होता है

(C) छोटे-मोटे झगड़ों को अनदेखा करना

(D) चिड़ी का चिड़े के पास आना

 

‘चिड़ा-चिड़ी की के लड़ाई, चाल चिड़ा मैँ आई’ का सही भाव है:

(B) पति-पत्नी के बीच का मनमुटाव क्षणिक होता है


व्याख्या:

  • चिड़ा-चिड़ी की के लड़ाई का अर्थ है: चिड़ा (पति) और चिड़ी (पत्नी) की कैसी लड़ाई।

  • चाल चिड़ा मैँ आई का अर्थ है: (थोड़ी देर बाद) चिड़ी वापस चिड़े के पास आ गई।

यह लोकोक्ति यह दर्शाती है कि पति-पत्नी के बीच होने वाले छोटे-मोटे झगड़े या मनमुटाव कभी भी गंभीर या दीर्घकालिक नहीं होते। वे जल्दी ही समाप्त हो जाते हैं और वे फिर से सामान्य हो जाते हैं, क्योंकि उनका रिश्ता प्रेम और निर्भरता पर आधारित होता है।

29. ‘राजपूत रो घोड़े में, बांणिये रो रौड़े में, जाट रो लपौड़े में धन जावै’ किस बात को इंगित करती है?

(A) विभिन्न जातियों का स्वभाव

(B) धन खर्च करने के तरीके

(C) राजपूत, बनिया और जाट की विशेषताएं

(D) उपरोक्त सभी

‘राजपूत रो घोड़े में, बांणिये रो रौड़े में, जाट रो लपौड़े में धन जावै’ लोकोक्ति निम्नलिखित को इंगित करती है:

(D) उपरोक्त सभी


व्याख्या:

यह कहावत राजस्थान की इन तीन प्रमुख जातियों के विशेष स्वभाव और उस स्वभाव के कारण उनके धन खर्च करने के पारंपरिक तरीकों पर कटाक्ष करती है:

  1. राजपूत रो घोड़े में धन जावै: राजपूत का धन घोड़े (शौर्य, वीरता और साज-सज्जा) पर खर्च होता है, जो उनकी क्षत्राणिय प्रवृत्ति को दर्शाता है।

  2. बांणिये रो रौड़े में धन जावै: बनिया (व्यापारी) का धन झगड़े (मुकदमेबाजी, व्यापारिक विवाद) में खर्च होता है, जो उनकी व्यापारिक प्रवृत्ति को दर्शाता है।

  3. जाट रो लपौड़े में धन जावै: जाट का धन खाने-पीने/खर्च (अत्यधिक उपभोग या खर्च) में जाता है, जो उनकी कृषक/सादगीपूर्ण प्रवृत्ति को दर्शाता है।

अतः, यह एक ही लोकोक्ति में विभिन्न जातियों की विशेषताओं, उनके स्वभाव और धन खर्च करने के तरीकों का वर्णन करती है।

30. ‘घणा बिना धक् जावे पण थोड़ा बिना नीं धकै’ का क्या अर्थ है?

(A) अधिक धन की आवश्यकता नहीं होती

(B) अधिक के बिना तो चल सकता है, लेकिन न्यूनतम जरूरत के बिना नहीं

(C) थोड़ा धन बहुत होता है

(D) कम धन से काम नहीं चलता

‘घणा बिना धक् जावे पण थोड़ा बिना नीं धकै’ का सही अर्थ है:

(B) अधिक के बिना तो चल सकता है, लेकिन न्यूनतम जरूरत के बिना नहीं


व्याख्या:

  • घणा बिना धक् जावे का अर्थ है: अधिक (धन, ऐश्वर्य) के बिना तो काम चल जाता है

  • पण थोड़ा बिना नीं धकै का अर्थ है: लेकिन थोड़े (न्यूनतम आवश्यकता) के बिना काम नहीं चल सकता

यह लोकोक्ति न्यूनतम आवश्यकताओं (Basic necessities) के महत्व को दर्शाती है। एक व्यक्ति बहुत अमीर न होकर भी जीवन जी सकता है, लेकिन यदि उसके पास जीने के लिए सबसे मूलभूत चीजें भी न हों, तो जीवन बिताना अत्यंत कष्टदायक या असंभव हो जाता है।

 

31. ‘आँखें फाड़ी’ मुहावरे का अर्थ है:

(A) आँखें खोलकर देखना

(B) आश्चर्यचकित होना

(C) गुस्सा होना

(D) ध्यान से देखना

‘आँखें फाड़ी’ मुहावरे का सही अर्थ है:

(B) आश्चर्यचकित होना


व्याख्या:

यह मुहावरा हिंदी के मुहावरे ‘आँखें फाड़कर देखना’ के समान है। जब कोई व्यक्ति अचानक कोई अविश्वसनीय या चौंकाने वाली चीज़ देखता है, तो वह हैरान होकर अपनी आँखें पूरी खोल लेता है। इसी भाव को व्यक्त करने के लिए ‘आश्चर्यचकित होना’ या ‘हक्का-बक्का रह जाना’ अर्थ में इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है।

32. ‘झाड़ू फेर लो’ मुहावरे का सही अर्थ क्या है?

(A) झाड़ू लगाना

(B) बिल्कुल नष्ट कर देना

(C) सफाई करना

(D) घर से बाहर निकाल देना

 

‘झाड़ू फेर लो’ मुहावरे का सही अर्थ है:

(B) बिल्कुल नष्ट कर देना


व्याख्या:

इस मुहावरे में ‘झाड़ू फेरना’ प्रतीकात्मक रूप से पूरी तरह से सफाया कर देने या सब कुछ नष्ट कर देने के भाव को व्यक्त करता है। इसका प्रयोग अक्सर किसी कार्य, व्यवस्था, या संपत्ति को पूर्णतः समाप्त या ख़राब कर देने के संदर्भ में किया जाता है।

33. ‘टांग ऊपर राखनी’ मुहावरे का क्या तात्पर्य है?

(A) पैर ऊपर रखना

(B) घुमा-फिराकर बात करना

(C) आराम करना

(D) हमेशा तैयार रहना

‘टांग ऊपर राखनी’ मुहावरे का सही तात्पर्य है:

(B) घुमा-फिराकर बात करना


व्याख्या:

इस मुहावरे का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है जिसकी आदत सीधी बात न करके उसे घुमा-फिराकर करने की होती है। यह अक्सर बहस करने, अनावश्यक आपत्ति उठाने या अपनी बात को बिना किसी स्पष्टता के कहने के संदर्भ में उपयोग होता है।

34. ‘अकल भांग कानी’ मुहावरे का भावार्थ क्या है?

(A) अक्ल का घास चरने जाना

(B) मूर्खता का काम करना

(C) बहुत अक्लमंद होना

(D) दिमाग खराब हो जाना

 

‘अकल भांग कानी’ मुहावरे का सही भावार्थ है:

(B) मूर्खता का काम करना


व्याख्या:

यह राजस्थानी मुहावरा हिंदी के मुहावरे ‘अक्ल पर पत्थर पड़ना’ या ‘अक्ल घास चरने जाना’ के समान है।

  • ‘अकल भांग कानी’ का शाब्दिक अर्थ होता है अक्ल का भांग खा लेना, जिससे उसका विवेक भ्रष्ट हो जाए।

इसका भाव है कि कोई व्यक्ति विवेकहीनता या नासमझी के कारण मूर्खतापूर्ण कार्य कर रहा है।

35. ‘गट्टी पीसने जैसा परिश्रम करणो’ मुहावरे का अर्थ है:

(A) चक्की पीसना

(B) बहुत कठोर परिश्रम करना

(C) आसानी से काम करना

(D) कोई भी काम न करना

 

‘गट्टी पीसने जैसा परिश्रम करणो’ मुहावरे का सही अर्थ है:

(B) बहुत कठोर परिश्रम करना


व्याख्या:

  • ‘गट्टी पीसना’ का शाब्दिक अर्थ है चक्की से अनाज पीसना

  • पारंपरिक रूप से, हाथ की चक्की से अनाज पीसना बहुत मेहनत और कठिन श्रम का काम होता था।

इसलिए, यह मुहावरा किसी भी कार्य में अत्यधिक कठिन, अथक और निरंतर प्रयास करने को व्यक्त करता है।

36. ‘पानी पानी हो’ मुहावरे का सही अर्थ क्या है?

(A) पानी से खेलना

(B) अधिक लज्जित होना

(C) पानी पीना

(D) बहुत खुश होना

‘पानी पानी हो’ मुहावरे का सही अर्थ है:

(B) अधिक लज्जित होना


व्याख्या:

यह राजस्थानी मुहावरा हिंदी के मुहावरे ‘पानी-पानी हो जाना’ के समान है। इसका अर्थ है शर्मिंदा या बेइज्जत महसूस करना। जब कोई व्यक्ति अपनी गलती पकड़े जाने पर या किसी शर्मनाक स्थिति में पड़ने पर अत्यधिक लज्जित होता है, तो उसके लिए यह मुहावरा प्रयोग किया जाता है।

37. ‘तीन पाँच करणों’ मुहावरे का क्या तात्पर्य है?

(A) तीन और पाँच जोड़ना

(B) हर बात में आपत्ति करना

(C) बहस करना

(D) बातों को बढ़ा-चढ़ाकर कहना

‘तीन पाँच करणों’ मुहावरे का सही तात्पर्य है:

(B) हर बात में आपत्ति करना


व्याख्या:

यह मुहावरा टालमटोल करने, बहाने बनाने या हर छोटी बात में अनावश्यक रूप से तर्क-वितर्क (आपत्ति) करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका अर्थ उस व्यक्ति के व्यवहार से है जो किसी भी काम को आसानी से स्वीकार नहीं करता और उसमें अड़चन डालता है। (विकल्प C ‘बहस करना’ भी निकट है, लेकिन ‘आपत्ति करना’ इसके मूल अर्थ के अधिक करीब है।)

38. ‘बात बढ़ावों’ मुहावरे का भावार्थ क्या है?

(A) बहाना करना

(B) बात को लंबा खींचना

(C) बहुत बोलना

(D) बात खत्म करना

‘बात बढ़ावों’ मुहावरे का सही भावार्थ है:

(A) बहाना करना


व्याख्या:

राजस्थानी में ‘बात बढ़ावों’ का मतलब अक्सर टालमटोल करना या बहाने बनाना होता है। जब कोई व्यक्ति किसी काम से बचने के लिए अनावश्यक बातें करता है या मुद्दे को घुमाता है, तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है। 

39. ‘गड़गड़ो पूर करणो’ मुहावरे का अर्थ क्या है?

(A) गड्ढे को भरना

(B) पेट पूजा करना

(C) किसी काम को पूरा करना

(D) मूर्खतापूर्ण कार्य करना

‘गड़गड़ो पूर करणो’ मुहावरे का सही अर्थ है:

(B) पेट पूजा करना


व्याख्या:

  • ‘गड़गड़ो’ राजस्थानी में पेट को कहते हैं।

  • ‘पूर करणो’ का अर्थ है पूरा करना या भरना।

इसलिए, इस मुहावरे का सीधा अर्थ पेट को भरना, यानी भोजन करना या खाना खाना होता है, जिसे हिंदी में अक्सर ‘पेट पूजा करना’ कहा जाता है।

40. ‘ऊँट उगाणा पगाँ थोड़ी घूमतो’ लोकोक्ति का क्या भाव है?

(A) ऊँट नंगे पांव घूमता है

(B) ऊँट को घूमने के लिए जूते चाहिए

(C) हर कार्य के लिए उचित साधन आवश्यक होते हैं

(D) नंगे पांव नहीं चलना चाहिए

‘ऊँट उगाणा पगाँ थोड़ी घूमतो’ लोकोक्ति का सही भाव है:

(C) हर कार्य के लिए उचित साधन आवश्यक होते हैं


व्याख्या:

  • ऊँट उगाणा पगाँ थोड़ी घूमतो का शाब्दिक अर्थ है: ऊँट नंगे पैरों (बिना कुछ पहने) थोड़ा ही घूमता है।

इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि हर काम या गतिविधि को सही ढंग से करने के लिए उचित उपकरण, साधन या तैयारी की आवश्यकता होती है। यह उस व्यक्ति पर कटाक्ष है जो आवश्यक साधन के बिना ही किसी काम को करने की कोशिश करता है।

 

41. ‘राबड़ी कैवै मनै दांता से खा’ लोकोक्ति का क्या आशय है?

(A) राबड़ी को दांतों से खाना

(B) अत्यधिक ऊँची या न पूरी होने योग्य महत्त्वाकांक्षा पालना

(C) पेय पदार्थ को भी चबाकर खाना

(D) खाने में जल्दबाजी करना

‘राबड़ी कैवै मनै दांता से खा’ लोकोक्ति का सही आशय है:

(B) अत्यधिक ऊँची या न पूरी होने योग्य महत्त्वाकांक्षा पालना


व्याख्या:

  • राबड़ी एक पतला, पीने योग्य (पेय) पदार्थ है जिसे चबाने की आवश्यकता नहीं होती।

  • ‘कैवै मनै दांता से खा’ का अर्थ है: (वह कह रही है) मुझे दाँतों से खाओ।

यह कथन अस्वाभाविक और हास्यास्पद है। इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि जब कोई व्यक्ति असंभव या अत्यधिक ऊँची (over-ambitious) इच्छाएँ पालता है या ऐसे लक्ष्य रखता है जो उसकी क्षमता या परिस्थिति से बाहर होते हैं, तब इस लोकोक्ति का प्रयोग किया जाता है।

42. ‘घर तो नागर बेल पड़ी, पाड़ोसण को खोसै फूस’ का अर्थ क्या है?

(A) अपने घर की चिंता न कर दूसरे की सहायता करना

(B) पड़ोसियों की मदद करना

(C) अपने घर की बेल को हटाना

(D) अपने घर को अच्छा रखना

‘घर तो नागर बेल पड़ी, पाड़ोसण को खोसै फूस’ का सही अर्थ है:

(A) अपने घर की चिंता न कर दूसरे की सहायता करना


व्याख्या:

  • घर तो नागर बेल पड़ी का अर्थ है: अपने ही घर पर तो सूखी या बेकार बेल (नागर बेल) पड़ी हुई है (जो कि घर की मरम्मत या देखभाल की ओर इशारा करती है)।

  • पाड़ोसण को खोसै फूस का अर्थ है: और पड़ोसी के लिए फूस (छप्पर बनाने की घास) खींच रहा है/ढूंढ रहा है।

यह लोकोक्ति उस व्यक्ति पर कटाक्ष करती है जो अपने स्वयं के काम, समस्याओं, या जिम्मेदारियों को नज़रअंदाज़ करके, व्यर्थ में दूसरों के मामलों या कार्यों में उलझा रहता है। इसे हिंदी में “अपनी डफली अपनी राग” या “अपना काम छोड़कर दूसरे की भलाई करना” (जब खुद का नुकसान हो रहा हो) के समान समझा जा सकता है।

43. ‘मकड़ियां चह-चह करे, जब अठ जोर मेह’ का क्या मतलब है?

(A) मकड़ियों का बोलना

(B) मकड़ियों के बोलने पर तेज बारिश होती है

(C) वर्षा होने का संकेत

(D) मौसम का बदलना

‘मकड़ियां चह-चह करे, जब अठ जोर मेह’ का सही मतलब है:

(C) वर्षा होने का संकेत


व्याख्या:

यह लोकोक्ति मौसम संबंधी एक लोक विश्वास पर आधारित है।

  • मकड़ियां चह-चह करे का अर्थ है: मकड़ियाँ जब जोर से शोर करती हैं या एक विशेष तरह का व्यवहार करती हैं।

  • जब अठ जोर मेह का अर्थ है: तब वहाँ जोरदार वर्षा (‘मेह’) होती है।

यह कहावत इस बात को दर्शाती है कि प्रकृति में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों को देखकर ग्रामीण समुदाय आने वाले मौसम का अनुमान लगा लेते थे। इस विशिष्ट व्यवहार को तेज बारिश होने का संकेत माना जाता है।

44. ‘जल मैँ न्हावै चिड़कली, मेह विदातिण बार’ का क्या भाव है?

(A) चिड़िया के पानी में नहाने पर वर्षा काल की समाप्ति की सम्भावना होती है

(B) चिड़िया के धूल में नहाने पर वर्षा की सम्भावना होती है

(C) (A) और (B) दोनों

(D) चिड़िया का नहाना

‘जल मैँ न्हावै चिड़कली, मेह विदातिण बार’ का सही भाव है:

(A) चिड़िया के पानी में नहाने पर वर्षा काल की समाप्ति की सम्भावना होती है


व्याख्या:

यह कहावत भी मौसम संबंधी लोक विश्वास पर आधारित है।

  • जल मैँ न्हावै चिड़कली का अर्थ है: जब चिड़िया पानी में नहाती है।

  • मेह विदातिण बार का अर्थ है: यह वर्षा ऋतु के समाप्त होने (‘विदातिण’) का समय या संकेत होता है।

ध्यान दें: अक्सर इस कहावत का दूसरा भाग (जो यहाँ विकल्प B में है) इसके विपरीत अर्थ रखता है: ‘चिड़िया के धूल में नहाने पर वर्षा की सम्भावना होती है।’ हालाँकि, दिए गए वाक्यांश का सीधा संबंध वर्षा काल की समाप्ति से है।

45. ‘हवन करता हाथ बरना’ का अर्थ क्या है?

(A) हवन करते समय हाथ जल जाना

(B) भला करने पर भी बुराई या हानि मिलना

(C) अच्छा काम करना

(D) हाथ से हवन करना

‘हवन करता हाथ बरना’ का सही अर्थ है:

(B) भला करने पर भी बुराई या हानि मिलना


व्याख्या:

  • हवन करना एक शुभ, भला और धार्मिक कार्य है।

  • हाथ बरना का अर्थ है: हाथ जल जाना या नुकसान होना।

यह लोकोक्ति इस बात को दर्शाती है कि जब कोई व्यक्ति भलाई या अच्छा काम करता है, तो उसे उस अच्छाई के बदले में भी नुकसान, बुराई या हानि झेलनी पड़ती है। यह एक प्रकार की विडंबना है।

46. ‘लांठां री जीत, जीत नीं गिणीजै’ का तात्पर्य है:

(A) बड़ों की जीत को जीत नहीं माना जाता

(B) बड़ों को हमेशा जीतना चाहिए

(C) बड़ों से लड़ाई करना

(D) जीत का कोई महत्व नहीं

‘लांठां री जीत, जीत नीं गिणीजै’ का सही तात्पर्य है:

(A) बड़ों की जीत को जीत नहीं माना जाता


व्याख्या:

  • लांठां का अर्थ है: बड़े लोग, यानी साधन-संपन्न, शक्तिशाली या बलवान व्यक्ति।

  • जीत नीं गिणीजै का अर्थ है: जीत नहीं मानी जाती।

यह लोकोक्ति इस सामाजिक सत्य को दर्शाती है कि जब कोई शक्तिशाली या साधन-संपन्न व्यक्ति किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति से जीत जाता है, तो उस जीत को वास्तविक पराक्रम या गौरव की जीत नहीं माना जाता, क्योंकि दोनों पक्षों में शुरू से ही संसाधनों का भारी अंतर मौजूद था।

47. ‘लांबा हाथ बाड़ में घालण सारू नीं है’ लोकोक्ति का क्या भाव है?

(A) लंबे हाथ बाड़ (बाड़) में डालना

(B) लंबे हाथ काँटों की बजाय फल-फूलों की ओर बढ़ने चाहिए

(C) काँटों से बचना

(D) हाथ लंबा करना

‘लांबा हाथ बाड़ में घालण सारू नीं है’ लोकोक्ति का सही भाव है:

(B) लंबे हाथ काँटों की बजाय फल-फूलों की ओर बढ़ने चाहिए


व्याख्या:

  • लांबा हाथ का अर्थ है: लंबी पहुँच, शक्ति, क्षमता या प्रभाव।

  • बाड़ का अर्थ है: काँटों की बाड़ (मुश्किलें, नकारात्मक कार्य या नुकसान)।

  • घालण सारू नीं है का अर्थ है: डालने के लिए नहीं हैं।

इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि शक्ति और क्षमता (लांबा हाथ) का उपयोग नकारात्मक, हानिकारक या विवादित कार्यों (काँटों की बाड़) में नहीं करना चाहिए। बल्कि, उनका उपयोग सकारात्मक, रचनात्मक और लाभकारी कार्यों (फल-फूलों) के लिए किया जाना चाहिए।

48. ‘चूहेड़ी नै चोखो दाम’ का क्या अर्थ है?

(A) चूहे को अच्छा दाम देना

(B) चूहों को अच्छा भोजन देना

(C) मूर्खों में कम गुण व्यक्ति का भी आदर होना (अर्थात चूहेड़ी को भी अच्छा दाम)

(D) अच्छी वस्तु को अच्छा दाम मिलना

‘चूहेड़ी नै चोखो दाम’ का सही अर्थ है:

(C) मूर्खों में कम गुण व्यक्ति का भी आदर होना (अर्थात चूहेड़ी को भी अच्छा दाम)


व्याख्या:

  • चूहेड़ी एक बहुत छोटी या कम महत्व की वस्तु (या व्यक्ति) का प्रतीक है।

  • चोखो दाम का अर्थ है: अच्छा मूल्य या सम्मान।

यह लोकोक्ति ‘अंधों में काना राजा’ के भाव को दर्शाती है। इसका तात्पर्य है कि जब योग्य, गुणी या बुद्धिमान लोगों का अभाव होता है, तो कम गुण वाला, साधारण, या महत्वहीन व्यक्ति भी अपनी मामूली विशेषता के कारण सम्मान, आदर, या अच्छा महत्व पा लेता है।

49. ‘सांप चकचुंदर खाली हो रही है’ मुहावरे का सही अर्थ क्या है?

(A) सांप और छछूंदर की लड़ाई

(B) दुविधा या असमंजस की स्थिति होना

(C) डर के मारे काँपना

(D) शांत हो जाना

‘सांप चकचुंदर खाली हो रही है’ मुहावरे का सही अर्थ है:

(B) दुविधा या असमंजस की स्थिति होना


व्याख्या:

यह मुहावरा हिंदी के मुहावरे ‘साँप-छछूंदर की गति होना’ के समान है।

  • जब साँप छछूंदर को पकड़ लेता है, तो वह उसे निगल नहीं सकता (क्योंकि छछूंदर में ज़हरीला पदार्थ होता है), और उगल भी नहीं सकता (क्योंकि वह शर्म या बदनामी के डर से ऐसा नहीं करता)।

  • यह स्थिति गंभीर असमंजस, दुविधा या संकट को दर्शाती है, जहाँ व्यक्ति न तो आगे बढ़ सकता है और न ही पीछे हट सकता है

50. ‘लात रा देव बात सूं न मानै’ लोकोक्ति का क्या अर्थ है?

(A) लातों के देवता बातों से नहीं मानते

(B) दुष्ट व्यक्ति प्रेम की भाषा नहीं समझते, उन्हें दंड ही प्रभावी होता है

(C) बात से काम करना

(D) लात मारना

‘लात रा देव बात सूं न मानै’ लोकोक्ति का सही अर्थ है:

(B) दुष्ट व्यक्ति प्रेम की भाषा नहीं समझते, उन्हें दंड ही प्रभावी होता है


व्याख्या:

यह राजस्थानी लोकोक्ति हिंदी की प्रसिद्ध कहावत ‘लातों के भूत बातों से नहीं मानते’ के समान है।

  • लात रा देव (लातों के देवता): यहाँ प्रतीकात्मक रूप से उन दुष्ट, जिद्दी या अविवेकी व्यक्तियों को कहा गया है जो अच्छे व्यवहार या तर्क-वितर्क (बात) से नहीं सुधरते।

  • बात सूं न मानै (बातों से नहीं मानते): का अर्थ है: समझाने या प्रेमपूर्वक कहने से सहमत नहीं होते।

इसका भावार्थ यह है कि दुर्जनों या हठी लोगों को सही राह पर लाने के लिए सख्ती, शक्ति, या दंड (लात) का प्रयोग करना आवश्यक होता है, क्योंकि वे शांति और प्रेम की भाषा को नहीं समझते।

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