Hindi Mock Test – 02 संज्ञा शब्द
1. इनमें से कौनसा शब्द अविकारी है-
(A) क्योंकि
(B) आँख
(C) डाकू
(D) विद्रोह
उत्तर – (A)
दिए गए विकल्पों में (A) क्योंकि शब्द अविकारी है।
अविकारी शब्द का विश्लेषण
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अविकारी शब्द (Invariable Word): वे शब्द जिनका रूप लिंग, वचन, कारक या काल के आधार पर कभी नहीं बदलता। इन्हें अव्यय भी कहते हैं।
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क्योंकि एक समुच्चयबोधक अव्यय है। आप इसे किसी भी लिंग (स्त्री/पुरुष) या वचन (एकवचन/बहुवचन) के साथ प्रयोग करें, इसका रूप अपरिवर्तित रहता है।
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विकारी शब्दों का विश्लेषण
अन्य विकल्प विकारी शब्द हैं, क्योंकि इनका रूप बदल सकता है:
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(B) आँख: यह संज्ञा है। वचन बदलने पर रूप बदलेगा (आँख → आँखें)।
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(C) डाकू: यह संज्ञा है। वचन या कारक के साथ रूप बदलता है (एक डाकू → कई डाकुओं ने)।
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(D) विद्रोह: यह संज्ञा है। कारक के साथ रूप बदलता (विद्रोह → विद्रोहियों ने)।
2. देश में आज भी जयचंदों की कमी नहीं है। रेखांकित पद है-
(A) व्यक्तिवाचक संज्ञा
(B) जातिवाचक संज्ञा
(C) भाव वाचक संज्ञा
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर – (B)
इस वाक्य में रेखांकित पद जयचंदों (B) जातिवाचक संज्ञा है।
संज्ञा का विश्लेषण
मूल रूप से ‘जयचंद’ एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है (किसी विशिष्ट व्यक्ति का नाम)।
परंतु, इस वाक्य में इसका प्रयोग किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि विश्वासघाती या गद्दार व्यक्तियों के समूह या जाति का बोध कराने के लिए किया गया है।
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जब कोई व्यक्तिवाचक संज्ञा किसी विशेष गुण (जैसे: गद्दारी, हरिश्चंद्र जैसा सत्यवादी) का प्रतिनिधित्व करते हुए बहुवचन में प्रयोग होती है, तो वह जातिवाचक संज्ञा बन जाती है।
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उदाहरण: “देश में आज भी जयचंदों की कमी नहीं है।”
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यहां ‘जयचंदों’ का अर्थ है: ‘गद्दार लोग’ या ‘विश्वासघाती लोग’।
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अतः, यह जातिवाचक संज्ञा है।
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3. निम्न में से जातिवाचक संज्ञा नहीं है-
(A) पीतल
(B) चोरी
(C) सोना
(D) परिवार
उत्तर – (B)
दिए गए विकल्पों में (B) चोरी जातिवाचक संज्ञा नहीं है। यह एक भाववाचक संज्ञा है।
संज्ञा का विश्लेषण
शब्द | वर्गीकरण | स्पष्टीकरण |
(A) पीतल | द्रव्यवाचक संज्ञा | यह एक धातु का नाम है, जिसे मापा या तौला जाता है। |
(B) चोरी | भाववाचक संज्ञा | यह ‘चोर’ शब्द से बना है और एक भाव या क्रिया का व्यापार (दशा) को दर्शाता है, जिसे महसूस किया जा सकता है, देखा नहीं जा सकता। |
(C) सोना | द्रव्यवाचक संज्ञा | यह एक धातु का नाम है, जिसे मापा या तौला जाता है। |
(D) परिवार | समूहवाचक संज्ञा | यह व्यक्तियों के समूह (परिवार) का बोध कराता है। |
जातिवाचक संज्ञा (Common Noun) उन संज्ञाओं को कहते हैं जो किसी पूरी जाति, वर्ग, या समूह का बोध कराती हैं, जैसे: मनुष्य, नदी, पहाड़।
चूँकि ‘पीतल’, ‘सोना’ द्रव्य हैं और ‘परिवार’ समूह है, इन्हें जातिवाचक संज्ञा के उपभेद (Sub-types) माना जाता है। लेकिन ‘चोरी’ सीधे-सीधे भाववाचक संज्ञा है।
अगर प्रश्न का उद्देश्य मुख्य रूप से जातिवाचक संज्ञा (Common Noun) से इतर संज्ञा को पहचानना है, तो (B) चोरी (भाववाचक) सबसे सही उत्तर है।
4. निम्न में से भाववाचक संज्ञा नहीं है-
(A) राष्ट्रीयता
(B) मनुष्य
(C) संस्कार
(D) दासता
उत्तर – (B)
दिए गए विकल्पों में (B) मनुष्य भाववाचक संज्ञा नहीं है। यह एक जातिवाचक संज्ञा है।
संज्ञा का विश्लेषण
शब्द | वर्गीकरण | स्पष्टीकरण |
(A) राष्ट्रीयता | भाववाचक संज्ञा | यह विशेषण ‘राष्ट्रीय’ से बना है और एक भाव/दशा (राष्ट्र से संबंधित होने का भाव) को दर्शाती है। |
(B) मनुष्य | जातिवाचक संज्ञा | यह किसी एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि मनुष्यों की पूरी जाति (वर्ग) का बोध कराता है। |
(C) संस्कार | भाववाचक संज्ञा | यह एक अमूर्त भाव/गुण है जो किसी की आंतरिक शुद्धता या प्रशिक्षण को दर्शाता है। |
(D) दासता | भाववाचक संज्ञा | यह जातिवाचक संज्ञा ‘दास’ में ‘ता’ प्रत्यय लगाकर बना है और अवस्था/दशा (गुलामी का भाव) को दर्शाता है। |
5. निम्न में से व्यक्तिवाचक संज्ञा है-
(A) जवान
(B) ईश्वर
(C) इंसान
(D) चोर
दिए गए विकल्पों में से (B) ईश्वर व्यक्तिवाचक संज्ञा है।
संज्ञा का विश्लेषण
तकनीकी रूप से, व्यक्तिवाचक संज्ञा किसी एक विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु के नाम का बोध कराती है। यहाँ पर:
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(B) ईश्वर (God): हालांकि ईश्वर अमूर्त है, हिंदी व्याकरण में, ‘ईश्वर’ या ‘भगवान’ शब्द को एक व्यक्तिवाचक संज्ञा माना जाता है क्योंकि यह किसी एक विशेष सत्ता (परम सत्ता) का नाम है, जिसे पूरी तरह से एक व्यक्ति (सत्ता) के रूप में संबोधित किया जाता है, न कि किसी जाति या समूह के रूप में।
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(A) जवान, (C) इंसान, (D) चोर: ये तीनों शब्द किसी जाति या समूह का बोध कराते हैं (पूरी जवान जाति, पूरी इंसान जाति, चोरों की जाति), इसलिए ये जातिवाचक संज्ञाएँ हैं।
6. भाववाचक संज्ञा नहीं है-
दिए गए विकल्पों में (D) दानव भाववाचक संज्ञा नहीं है। यह एक जातिवाचक संज्ञा है।
संज्ञा विश्लेषण
शब्द | वर्गीकरण | स्पष्टीकरण | मूल शब्द |
(A) नारीत्व | भाववाचक संज्ञा | यह ‘नारी’ (जातिवाचक) में ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर बना है, जो ‘नारी होने का भाव’ (The quality of being a woman) दर्शाता है। | नारी |
(B) देवत्व | भाववाचक संज्ञा | यह ‘देव’ (जातिवाचक) में ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर बना है, जो ‘देव होने का भाव’ (Divinity) दर्शाता है। | देव |
(C) पुरुषत्व | भाववाचक संज्ञा | यह ‘पुरुष’ (जातिवाचक) में ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर बना है, जो ‘पुरुष होने का भाव’ (Manliness) दर्शाता है। | पुरुष |
(D) दानव | जातिवाचक संज्ञा | यह एक वर्ग या जाति (राक्षस या दैत्य) का बोध कराता है, जिसे हम देख सकते हैं और जिसका बहुवचन बनाया जा सकता है (दानव → दानवों)। | दनु (मूल) |
भाववाचक संज्ञा किसी अवस्था, भाव, गुण या दशा का बोध कराती है, जिसे केवल महसूस किया जा सकता है, जैसे: बचपन, मिठास, शत्रुता।
7. निम्नलिखित में से कौनसा शब्द उभयलिंगी है-
दिए गए विकल्पों में (A) डॉक्टर शब्द उभयलिंगी है।
उभयलिंगी शब्द का अर्थ
उभयलिंगी शब्द (Common Gender Noun) वे होते हैं जिनका प्रयोग स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से किया जाता है और इनका रूप लिंग के कारण नहीं बदलता। हिंदी में इन्हें नित्य पुल्लिंग शब्दों के रूप में भी देखा जाता है जब इनका प्रयोग दोनों के लिए होता है।
शब्द | लिंग | प्रयोग |
(A) डॉक्टर | उभयलिंगी | पुरुष डॉक्टर के लिए ‘डॉक्टर’ और महिला डॉक्टर के लिए भी ‘डॉक्टर’। |
(B) विद्वान | पुल्लिंग | इसका स्त्रीलिंग रूप ‘विदुषी’ होता है। |
(C) अभिनेत्री | स्त्रीलिंग | इसका पुल्लिंग रूप ‘अभिनेता’ होता है। |
(D) गायक | पुल्लिंग | इसका स्त्रीलिंग रूप ‘गायिका’ होता है। |
अतः, ‘डॉक्टर’ वह शब्द है जिसका प्रयोग बिना रूप बदले दोनों लिंगों के लिए किया जाता है।
8. निम्न में से कौनसी संज्ञा निरर्थक होती है-
इनमें से कोई भी संज्ञा निरर्थक नहीं होती है। संज्ञा के तीनों मुख्य भेद (A) व्यक्तिवाचक, (B) जातिवाचक, और (C) भाववाचक) भाषा में सार्थक (अर्थपूर्ण) भूमिका निभाते हैं।
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निरर्थक शब्द वे होते हैं जिनका भाषा में कोई निश्चित या मानक अर्थ नहीं होता (जैसे: पानी-वानी, चाय-वाय में ‘वानी’ और ‘वाय’)।
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संज्ञा (Noun) की परिभाषा ही यह है कि यह किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव, या अवस्था के नाम का बोध कराती है। नाम हमेशा सार्थक होते हैं।
9. द्रव्यवाचक संज्ञा तथा समूहवाचक संज्ञा हिन्दी में किस संज्ञा में शामिल की जाती है ?
द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun) तथा समूहवाचक संज्ञा (Collective Noun) हिन्दी व्याकरण में (B) जातिवाचक संज्ञा के उपभेदों (Sub-types) में शामिल की जाती है।
संज्ञा के मुख्य भेद
हिन्दी में संज्ञा के मुख्य रूप से तीन भेद माने जाते हैं, जिनमें अन्य दो भेद उपभेदों के रूप में समाहित होते हैं:
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व्यक्तिवाचक संज्ञा: (जैसे: राम, गंगा, दिल्ली)
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जातिवाचक संज्ञा: (जैसे: लड़का, नदी, शहर)
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भाववाचक संज्ञा: (जैसे: बचपन, मिठास, ईमानदारी)
जातिवाचक संज्ञा के उपभेद
आधुनिक वर्गीकरण में, जातिवाचक संज्ञा के तहत निम्नलिखित दो उपभेद रखे जाते हैं:
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द्रव्यवाचक संज्ञा: ऐसी वस्तुएँ जिन्हें मापा या तौला जाता है, लेकिन गिना नहीं जाता।
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उदाहरण: सोना, पानी, दूध, पीतल।
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समूहवाचक संज्ञा: ऐसी संज्ञाएँ जो किसी समूह या समुदाय का बोध कराती हैं।
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उदाहरण: परिवार, सेना, कक्षा, भीड़।
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चूँकि ये दोनों संज्ञाएँ एक जाति (द्रव्यों की जाति या समूहों की जाति) का बोध कराती हैं, इसलिए इन्हें जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत समाहित किया जाता है।
10. सच्ची दोस्ती वही है जो संकट के समय काम आये ? रेखांकित पद है-
‘दोस्ती’ शब्द (C) भाववाचक संज्ञा है।
पद विश्लेषण
यदि रेखांकित पद ‘दोस्ती’ है:
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दोस्ती: यह एक भाववाचक संज्ञा है। यह ‘दोस्त’ (जातिवाचक संज्ञा) में ‘ई’ प्रत्यय लगाकर बना है और एक अमूर्त भाव या संबंध की अवस्था को दर्शाता है, जिसे केवल महसूस किया जा सकता है।
11. ‘मिठास’ शब्द है-
‘मिठास’ शब्द (D) भाववाचक संज्ञा है।
संज्ञा का विश्लेषण
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मिठास: यह शब्द विशेषण ‘मीठा’ से ‘आस’ प्रत्यय लगाकर बना है। यह किसी पदार्थ का गुण या भाव (मीठा होने का गुण) दर्शाता है, जिसे हम केवल महसूस कर सकते हैं, छू या देख नहीं सकते।
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भाववाचक संज्ञा किसी गुण, अवस्था, दशा, भाव या क्रिया के व्यापार का बोध कराती है (जैसे: बचपन, ईमानदारी, क्रोध, मिठास)।
12. ‘माहात्म्य’ शब्द है-
‘माहात्म्य’ शब्द (D) भाववाचक संज्ञा है।
शब्द विश्लेषण
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मूल शब्द: महान् (विशेषण)
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संज्ञा रूप: महान् + त्व/य → महात्म्य या माहात्म्य
यह शब्द किसी की महानता या गौरव के भाव या गुण को दर्शाता है, जिसे केवल महसूस किया जा सकता है, देखा या छुआ नहीं जा सकता। इसलिए यह एक भाववाचक संज्ञा है।
13. निम्नलिखित में से किस विकल्प में सभी शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा है –
दिए गए विकल्पों में (B) राधेश्याम, पन्नालाल, हिमालय में सभी शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा हैं।
संज्ञा विश्लेषण
विकल्प | शब्द समूह | वर्गीकरण | स्पष्टीकरण |
(A) | ममता | भाववाचक | एक भाव का नाम। |
बैल | जातिवाचक | पशुओं की जाति का नाम। | |
राधेश्याम | व्यक्तिवाचक | एक विशेष व्यक्ति का नाम। | |
(B) | राधेश्याम | व्यक्तिवाचक | एक विशेष व्यक्ति का नाम। |
पन्नालाल | व्यक्तिवाचक | एक विशेष व्यक्ति का नाम। | |
हिमालय | व्यक्तिवाचक | एक विशेष पर्वत का नाम। | |
(C) | आम | जातिवाचक | फलों की जाति का नाम (हालांकि यदि ‘आम’ की किसी विशेष प्रजाति का नाम होता तो व्यक्तिवाचक होता)। |
साधना | व्यक्तिवाचक | एक विशेष व्यक्ति का नाम। | |
ऊँचाई | भाववाचक | एक गुण या भाव का नाम। | |
(D) | गाय | जातिवाचक | पशुओं की जाति का नाम। |
मूर्खता | भाववाचक | एक भाव या गुण का नाम। | |
चालाकी | भाववाचक | एक भाव या गुण का नाम। |
व्यक्तिवाचक संज्ञा वे होती हैं जो किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का बोध कराती हैं। विकल्प (B) में दिए गए सभी शब्द इसी श्रेणी के हैं।
14. निम्नलिखित में से किस विकल्प में सभी शब्द भाव-वाचक संज्ञायें हैं?
दिए गए विकल्पों में (A) धैर्य, चतुराई, प्रेम में सभी शब्द भाव-वाचक संज्ञायें हैं।
भाववाचक संज्ञा विश्लेषण
भाववाचक संज्ञाएँ वे होती हैं जो किसी अमूर्त भाव, गुण, अवस्था या दशा का बोध कराती हैं, जिन्हें केवल महसूस किया जा सकता है, छुआ या देखा नहीं जा सकता।
विकल्प | शब्द | वर्गीकरण |
(A) | धैर्य | भाववाचक (शांत रहने का भाव) |
चतुराई | भाववाचक (चतुर होने का गुण/भाव) | |
प्रेम | भाववाचक (स्नेह का भाव) | |
(B) | वृक्ष | जातिवाचक (पेड़ों की जाति) |
(C) | सूर्य | व्यक्तिवाचक (एक विशिष्ट पिंड का नाम) |
(D) | शेर | जातिवाचक (जानवरों की जाति) |
15. हमें ‘गरीबी‘ पर दया करनी चाहिए, इसमें रेखांकित शब्द है-
गरीबी’ एक (B) संज्ञा है।
‘गरीबी’ शब्द एक भाववाचक संज्ञा है।
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यह शब्द विशेषण ‘गरीब’ में ‘ई’ प्रत्यय लगाकर बना है।
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यह किसी व्यक्ति की अवस्था या दशा (गरीब होने का भाव) को दर्शाता है, जिसे केवल महसूस किया जा सकता है।
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संज्ञा होने के कारण, वाक्य में यह एक कर्म के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है (“दया करनी चाहिए”)।
16. निम्न में से किस शब्द में भाववाचक संज्ञा है?
दिए गए विकल्पों में (B) मानवता शब्द में भाववाचक संज्ञा है।
शब्दों का विश्लेषण
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(B) मानवता (Humanity): यह भाववाचक संज्ञा है। यह शब्द ‘मनुष्य’ (जातिवाचक संज्ञा) में ‘ता’ प्रत्यय लगाकर बना है और मनुष्य होने के भाव (गुण/धर्म) को दर्शाता है। यह एक अमूर्त भाव है जिसे महसूस किया जा सकता है।
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(A) मनुष्य (Human): यह जातिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह संपूर्ण मनुष्य जाति का बोध कराता है।
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(C) महाकवि (Great Poet): यह जातिवाचक संज्ञा है, क्योंकि यह कवियों के समूह या जाति का बोध कराता है।
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(D) क्रिया (Verb/Action): यह एक व्याकरणिक पद (Part of Speech) है, जो किसी कार्य के होने या करने को बताता है, न कि संज्ञा का भेद।
17. जो तनिक हवा से बाग हिली, लेकर सवार उड़ जाता था। यहाँ तनिक शब्द है-
- (A) भाववाचक संज्ञा: भाववाचक संज्ञा किसी भाव, दशा या गुण का बोध कराती है, जैसे- मिठास, बुढ़ापा। ‘तनिक’ कोई भाव नहीं है।
- (C) सर्वनाम: सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं, जैसे- मैं, तुम, वह। ‘तनिक’ किसी संज्ञा के स्थान पर नहीं है।
- (D) क्रिया विशेषण: यह विकल्प भी सही हो सकता है क्योंकि यह क्रिया की विशेषता बता रहा है, लेकिन अधिक सटीक विकल्प ‘परिमाणबोधक विशेषण’ है। परिमाणबोधक क्रिया विशेषण क्रिया विशेषण का ही एक भेद है, जो क्रिया के परिमाण (मात्रा) का बोध कराता है।
शब्द ‘ईश्वर’ (A) व्यक्तिवाचक संज्ञा है।
संज्ञा का वर्गीकरण
हिंदी व्याकरण में, ईश्वर (या भगवान) शब्द को सामान्यतः एक व्यक्तिवाचक संज्ञा माना जाता है।
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तर्क: ‘ईश्वर’ किसी एक विशिष्ट सत्ता (परम सत्ता) का नाम है। हालाँकि वह अमूर्त है, उसे एक विशिष्ट इकाई के रूप में संबोधित किया जाता है, न कि किसी संपूर्ण जाति या वर्ग के रूप में।
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अपवाद: यदि ‘ईश्वर’ शब्द का प्रयोग बहुवचन में या अनेक देवी-देवताओं के संदर्भ में होता है (जैसे: “अनेक ईश्वरों की पूजा”), तो यह जातिवाचक संज्ञा बन जाता है।
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सामान्य प्रयोग: चूँकि प्रश्न में केवल ‘ईश्वर’ पूछा गया है, जो परम सत्ता का बोध कराता है, इसलिए यह व्यक्तिवाचक संज्ञा है।
“तो” शब्द (D) निपात है।
‘तो’ शब्द का विश्लेषण :
निपात (Particle/Emphatic Word): ये वे अविकारी शब्द होते हैं जो किसी बात पर जोर देने (बल प्रदान करने) के लिए प्रयोग किए जाते हैं, और वाक्य के अर्थ को प्रभावित करते हैं, लेकिन वाक्य के अंग नहीं होते।
वाक्य में ‘तो’ का कार्य है:
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बल प्रदान करना: यह शर्त वाले उपवाक्य (“जब उसमें सज्जन…चरण स्पर्श हों”) के बाद परिणाम वाले उपवाक्य (“समझना चाहिये…”) पर जोर देने के लिए आया है।
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उदाहरण: “तुम तो कल आओगे।” (यहाँ ‘तो’ बात पर बल दे रहा है)।
अतः, यहाँ ‘तो’ एक निपात है जो संपूर्ण कथन को बल और निश्चितता प्रदान कर रहा है।
20. वहाँ बहुत भीड़ थी। रेखांकित पद है-
वाक्य में रेखांकित पद ‘भीड़’ (B) जातिवाचक संज्ञा है।
संज्ञा का विश्लेषण :
‘भीड़’ (Crowd) एक समूहवाचक संज्ञा (Collective Noun) है। हिंदी व्याकरण के वर्गीकरण में, समूहवाचक संज्ञा को जातिवाचक संज्ञा के एक उपभेद के रूप में शामिल किया जाता है।
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भीड़ किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि बहुत से लोगों के समूह का बोध कराती है।
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जातिवाचक संज्ञा वह होती है जो किसी संपूर्ण वर्ग, जाति, या (समूहवाचक/द्रव्यवाचक) उपभेद का बोध कराती है।
इसलिए, ‘भीड़’ एक जातिवाचक संज्ञा है।
‘गरीबी’ एक (A) संज्ञा है।
पद विश्लेषण :
गरीबी : यह एक भाववाचक संज्ञा है। यह विशेषण ‘गरीब’ में ‘ई’ प्रत्यय लगाकर बना है और एक अमूर्त अवस्था या दशा (गरीब होने का भाव) को दर्शाता है।
दिए गए विकल्पों में (A) बुढ़ापा भाववाचक संज्ञा है।
संज्ञा विश्लेषण
शब्द | वर्गीकरण | स्पष्टीकरण |
(A) बुढ़ापा | भाववाचक संज्ञा | यह विशेषण ‘बूढ़ा’ से ‘पा’ प्रत्यय लगाकर बना है, जो जीवन की एक अवस्था (वृद्धावस्था) के भाव को दर्शाता है। |
(B) देश | जातिवाचक संज्ञा | यह देशों की पूरी जाति/वर्ग का बोध कराता है। |
(C) नदी | जातिवाचक संज्ञा | यह नदियों की पूरी जाति/वर्ग का बोध कराता है। |
(D) विश्व | जातिवाचक संज्ञा | यह संसार की पूरी जाति/वर्ग का बोध कराता है। |
भाववाचक संज्ञा किसी अमूर्त भाव, गुण, अवस्था, दशा या क्रिया के व्यापार का बोध कराती है, जिसे केवल महसूस किया जा सकता है।
‘बूढ़ा’ शब्द का भाववाचक संज्ञा रूप (A) बुढ़ापा है।
शब्द विश्लेषण :
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विशेषण: बूढ़ा (वह व्यक्ति बूढ़ा है।)
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भाववाचक संज्ञा: बुढ़ापा (यह अवस्था या दशा को दर्शाता है – ‘बूढ़े होने का भाव’ या ‘वृद्धावस्था’।)
यह संज्ञा विशेषण ‘बूढ़ा’ में ‘आपा’ प्रत्यय लगाकर बनाई गई है।
(D) बुढ़ापन शब्द भी प्रचलन में है, लेकिन व्याकरणिक दृष्टि से ‘बुढ़ापा’ मानक और शुद्ध भाववाचक संज्ञा रूप माना जाता है।
‘रुकावट’ शब्द में (C) भाववाचक संज्ञा है।
शब्द विश्लेषण
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मूल शब्द: रुकना (क्रिया)
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भाववाचक संज्ञा: रुकना + आवट (प्रत्यय) = रुकावट
‘रुकावट’ एक अमूर्त भाव या दशा (रुकने की क्रिया या अवस्था) को दर्शाती है, जिसे केवल महसूस किया जा सकता है या जिसका बोध होता है, इसे छुआ या देखा नहीं जा सकता। इसलिए यह भाववाचक संज्ञा है।
दिए गए विकल्पों में (A) लड़का जातिवाचक संज्ञा है।
संज्ञा विश्लेषण
जातिवाचक संज्ञा (Common Noun) वह होती है जो किसी प्राणी, वस्तु या स्थान की पूरी जाति या वर्ग का बोध कराती है।
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(A) लड़का: यह लड़कों की पूरी जाति का बोध कराता है (कोई भी लड़का)। इसलिए यह जातिवाचक संज्ञा है।
व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) वह होती है जो किसी विशेष प्राणी, वस्तु या स्थान का बोध कराती है:
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(B) राधा: एक विशेष व्यक्ति का नाम।
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(C) हिमालय: एक विशेष पर्वत का नाम।
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(D) गंगा: एक विशेष नदी का नाम।
‘उदार’ शब्द से भाववाचक संज्ञा (A) उदारता बनेगी।
भाववाचक संज्ञा का निर्माण
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मूल शब्द: उदार (विशेषण – गुण बताने वाला)
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प्रत्यय: ता (भाववाचक संज्ञा बनाने वाला प्रत्यय)
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भाववाचक संज्ञा: उदार + ता = उदारता
(D) औदार्यता शब्द व्याकरण की दृष्टि से अशुद्ध माना जाता है। सही शब्द या तो उदारता है (जिसमें ‘ता’ प्रत्यय है) या औदार्य है (जिसमें ‘य’ प्रत्यय के कारण स्वर वृद्धि हुई है)। दोनों का अर्थ ‘उदार होने का भाव’ है। हालाँकि, दिए गए विकल्पों में उदारता मानक और सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर है।
दिए गए विकल्पों में से सही जातिवाचक संज्ञा शब्द (B) शिशु है।
शब्द विश्लेषण
शब्द | संज्ञा का प्रकार | स्पष्टीकरण |
(B) शिशु | जातिवाचक संज्ञा | यह किसी भी बच्चे की जाति (वर्ग) का बोध कराता है। |
(A) शैशव | भाववाचक संज्ञा | यह ‘शिशु’ की अवस्था (बचपन) को दर्शाता है। |
(C) शिशुता | भाववाचक संज्ञा | यह ‘शिशु’ की अवस्था/भाव को दर्शाता है (शिशु + ता)। |
(D) शिशुपन | भाववाचक संज्ञा | यह ‘शिशु’ की अवस्था/भाव को दर्शाता है (शिशु + पन)। |
जातिवाचक संज्ञा किसी भी प्राणी, वस्तु या स्थान की संपूर्ण जाति का बोध कराती है।
‘बुढ़ापा’ शब्द (D) भाववाचक संज्ञा है।
संज्ञा विश्लेषण
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बुढ़ापा: यह शब्द विशेषण ‘बूढ़ा’ से ‘आपा’ प्रत्यय लगाकर बना है।
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यह जीवन की एक अवस्था या दशा (बूढ़े होने का भाव) को दर्शाता है, जिसे केवल महसूस किया जा सकता है, देखा या छुआ नहीं जा सकता।
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भाववाचक संज्ञाएँ अमूर्त होती हैं, और ‘बुढ़ापा’ इसी श्रेणी में आता है।
‘रामनारायण ने जलेबी खाई’ में ‘जलेबी’ (A) जातिवाचक संज्ञा है।
संज्ञा विश्लेषण
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जलेबी शब्द मिठाई की पूरी जाति (एक प्रकार की मिठाई) का बोध कराता है, न कि किसी विशेष या एक ही जलेबी का। इसलिए यह जातिवाचक संज्ञा है।
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जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत यह एक वस्तु का नाम है।
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इसे द्रव्यवाचक संज्ञा क्यों नहीं माना जाता: द्रव्यवाचक संज्ञा (B) उन पदार्थों को कहते हैं जिन्हें मापा या तौला जाता है लेकिन गिना नहीं जाता (जैसे: पानी, सोना, आटा)। ‘जलेबी’ को प्रायः गिना जा सकता है (एक जलेबी, दो जलेबी) और यह एक बनी हुई खाद्य वस्तु है, न कि पदार्थ का द्रव्य रूप।
अतः, सर्वाधिक उपयुक्त और मानक उत्तर जातिवाचक संज्ञा है।
‘प्रिय’ विशेषण के साथ प्रयुक्त होने वाली संज्ञा (D) बैरी नहीं है।
विश्लेषण
‘प्रिय’ विशेषण का अर्थ है पसंदीदा, प्यारा, या चहेता।
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(A) विषय: प्रिय विषय (पसंदीदा विषय) → उपयुक्त
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(B) कवि: प्रिय कवि (पसंदीदा/चहेता कवि) → उपयुक्त
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(C) मित्र: प्रिय मित्र (प्यारा दोस्त) → उपयुक्त
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(D) बैरी: ‘बैरी’ का अर्थ शत्रु या दुश्मन होता है। कोई वस्तु या व्यक्ति ‘प्रिय’ (प्यारा) और ‘बैरी’ (दुश्मन) एक साथ नहीं हो सकता। अतः प्रिय बैरी अर्थ की दृष्टि से असंगत और अनुपयुक्त है।
‘मीठा’ की भाववाचक संज्ञा (B) मिठास होगी।
संज्ञा विश्लेषण
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मीठा: यह एक विशेषण है जो किसी वस्तु के गुण को बताता है (जैसे: मीठा फल)।
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मिठास: यह मीठा विशेषण में ‘आस’ प्रत्यय लगाकर बनी भाववाचक संज्ञा है। यह ‘मीठा होने के गुण‘ या भाव को दर्शाती है, जिसे केवल महसूस किया जा सकता है।
अन्य विकल्पों का स्पष्टीकरण
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(A) मिठाई: यह एक जातिवाचक संज्ञा है (किसी भी प्रकार की मिठाई)।
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(C) मीठी: यह मीठा का स्त्रीलिंग विशेषण रूप है (जैसे: मीठी बात)।
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(D) मधुर: यह मीठा का समानार्थी विशेषण है।
दिए गए विकल्पों में (C) स्वकीय शब्द संज्ञा से बना हुआ विशेषण नहीं है।
विश्लेषण
विशेषणों का निर्माण संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, या अव्यय में प्रत्यय जोड़कर किया जाता है।
विशेषण | मूल शब्द (जिससे बना) | मूल शब्द का प्रकार | स्पष्टीकरण |
(A) मानवीय | मानव | संज्ञा (जातिवाचक) | मानव + ईय = मानवीय |
(B) नाटकीय | नाटक | संज्ञा (जातिवाचक) | नाटक + ईय = नाटकीय |
(C) स्वकीय | स्व | सर्वनाम (निजवाचक) | स्व + ईय = स्वकीय (अर्थ: अपना) |
(D) वित्तीय | वित्त | संज्ञा (भाववाचक) | वित्त + ईय = वित्तीय |
चूँकि ‘स्वकीय’ का मूल शब्द ‘स्व’ (जो कि एक सर्वनाम है) है, यह संज्ञा से बना हुआ विशेषण नहीं है।
दिए गए विकल्पों में (A) सुखी शब्द संज्ञा से बना हुआ विशेषण है।
विश्लेषण
विशेषण | मूल शब्द (स्रोत) | मूल शब्द का प्रकार | स्पष्टीकरण |
(A) सुखी | सुख | संज्ञा (भाववाचक) | सुख + ई = सुखी (सुख से युक्त) |
(B) प्रसन्न | प्रसन्न | विशेषण | यह स्वयं मूल रूप से एक विशेषण है। |
(C) कटु | कटु | विशेषण | यह स्वयं मूल रूप से एक विशेषण है (अर्थ: कड़वा)। |
(D) सुन्दर | सुन्दर | विशेषण | यह स्वयं मूल रूप से एक विशेषण है। |
‘सुखी’ विशेषण का निर्माण ‘सुख’ नामक भाववाचक संज्ञा में ‘ई’ प्रत्यय जोड़ने से हुआ है।
दिए गए विकल्पों में (D) प्राथमिक शब्द संज्ञा से बना हुआ विशेषण नहीं है। यह अव्यय या क्रियाविशेषण से बना है।
विश्लेषण
विशेषणों का निर्माण संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, या अव्यय (जैसे समय या स्थान बताने वाले शब्द) में प्रत्यय जोड़कर किया जाता है।
विशेषण | मूल शब्द (स्रोत) | मूल शब्द का प्रकार | स्पष्टीकरण |
(A) फेनिल | फेन | संज्ञा (जातिवाचक) | फेन (झाग) + इल = फेनिल (झागदार) |
(B) धूमिल | धूम | संज्ञा (जातिवाचक) | धूम (धुआँ) + इल = धूमिल (धुएँ जैसा/धुंधला) |
(C) लौकिक | लोक | संज्ञा (जातिवाचक) | लोक (संसार) + इक = लौकिक (संसार से संबंधित) |
(D) प्राथमिक | प्रथम | अव्यय (क्रमवाचक विशेषण) | प्रथम (पहला) + इक = प्राथमिक (पहला/आरंभिक) |
चूँकि ‘प्राथमिक’ का मूल शब्द ‘प्रथम’ है, जो एक क्रमवाचक विशेषण या अव्यय के रूप में प्रयोग होता है, यह सीधे संज्ञा से बना हुआ विशेषण नहीं है।
उत्तर – (B)
दिए गए विकल्पों में (B) शुभंकर शब्द संज्ञा से बना हुआ विशेषण नहीं है। यह विशेषण संज्ञा (शुभ) और क्रिया (कर) के योग से बना है।
शब्द विश्लेषण
विशेषणों का निर्माण संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, या अव्यय में प्रत्यय जोड़कर किया जाता है।
विशेषण | मूल शब्द (स्रोत) | मूल शब्द का प्रकार | स्पष्टीकरण |
(A) भयंकर | भय | संज्ञा (भाववाचक) | भय + कर = भयंकर (भय उत्पन्न करने वाला) |
(B) शुभंकर | शुभ | संज्ञा/विशेषण (गुण) + कर (क्रिया/प्रत्यय) | शुभ (संज्ञा/विशेषण) + कर (करना) = शुभंकर (शुभ करने वाला) |
(C) रुचिकर | रुचि | संज्ञा (भाववाचक) | रुचि + कर = रुचिकर (रुचि उत्पन्न करने वाला) |
(D) लाभकर | लाभ | संज्ञा (भाववाचक) | लाभ + कर = लाभकर (लाभ करने वाला) |
‘शुभंकर’ का निर्माण ‘शुभ’ (जिसे संज्ञा या गुणवाचक विशेषण माना जा सकता है) और ‘कर’ (जो क्रिया ‘करना’ का अंश है) के मेल से हुआ है, जिससे यह अन्य तीन शब्दों (भय, रुचि, लाभ – जो स्पष्ट रूप से संज्ञा हैं) से भिन्न हो जाता है। हालाँकि, यदि ‘शुभ’ को यहाँ संज्ञा भी मानें, तो यह अन्य तीन की तरह केवल संज्ञा से नहीं बना है, बल्कि एक क्रियात्मक पद ‘कर’ से जुड़ा है।