Psychology Free Test Paper – 01

Psychology Free Mock Test

Test – 01

 01. ‘‘एक व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक एवं भौतिक परिवेश समान होते हैं।’’ यह विचार निम्न में से किसका है?

(अ) गेस्टाल्ट फिल्ड

(ब) एस-आर सहचर्यवादी

(स) संरचनावादी

(द) कृत्यवादी

Ans – (अ)

एक व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक (psychological) और भौतिक (physical) परिवेश समान होते हैं, यह विचार गेस्टाल्ट फील्ड का है। गेस्टाल्ट मनोविज्ञान में, फील्ड थ्योरी (Field Theory) यह मानती है कि व्यक्ति का व्यवहार उसके आंतरिक (मनोवैज्ञानिक) और बाहरी (भौतिक) वातावरण के परस्पर क्रिया का परिणाम होता है। इस सिद्धांत के अनुसार, एक व्यक्ति अपनी स्थिति को समग्र रूप से देखता है, न कि केवल अलग-अलग हिस्सों में।


गेस्टाल्ट फील्ड सिद्धांत

गेस्टाल्ट फील्ड सिद्धांत (Gestalt Field Theory) कर्ट लेविन (Kurt Lewin) द्वारा विकसित किया गया था। यह सिद्धांत बताता है कि व्यक्ति का व्यवहार उसके जीवन-स्थान (life space) का एक कार्य है, जो उसके मनोवैज्ञानिक और भौतिक दोनों तरह के वातावरण से मिलकर बनता है। लेविन के अनुसार, जीवन-स्थान में वे सभी कारक शामिल होते हैं जो किसी विशेष समय में व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करते हैं, जैसे कि उसकी इच्छाएं, लक्ष्य, भय, और बाहरी पर्यावरण की वस्तुएं और लोग।

  • यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि किसी व्यक्ति के व्यवहार को समझने के लिए, हमें उसके समग्र संदर्भ को देखना चाहिए, न कि केवल उसके अलग-अलग भागों को।

  • उदाहरण के लिए, एक विद्यार्थी का परीक्षा में प्रदर्शन केवल उसकी बुद्धि पर निर्भर नहीं करता, बल्कि उसकी चिंता (मनोवैज्ञानिक कारक) और परीक्षा कक्ष का माहौल (भौतिक कारक) भी इसे प्रभावित करते हैं।

  • यह सिद्धांत मनोविज्ञान में समग्र दृष्टिकोण (holistic approach) को बढ़ावा देता है।


अन्य विकल्प

  • एस-आर सहचर्यवादी (S-R Associationists): यह सिद्धांत उद्दीपक-अनुक्रिया (Stimulus-Response) संबंधों पर आधारित है। यह मानता है कि व्यवहार बाहरी उद्दीपकों के प्रति एक यांत्रिक प्रतिक्रिया है। यह आंतरिक और बाह्य परिवेश के समान होने के विचार का समर्थन नहीं करता है।

  • संरचनावादी (Structuralists): विलियम वुंट (Wilhelm Wundt) द्वारा स्थापित यह स्कूल, चेतना को उसके मूल तत्वों, जैसे संवेदनाओं और भावनाओं, में तोड़ने का प्रयास करता है। इसका फोकस व्यक्ति के आंतरिक अनुभव पर होता है, न कि बाहरी और आंतरिक परिवेश की समानता पर।

  • कृत्यवादी (Functionalists): यह सिद्धांत चेतना के उद्देश्य और कार्य पर केंद्रित है। यह मानता है कि मानसिक प्रक्रियाएं व्यक्ति को उसके पर्यावरण के अनुकूलन में मदद करती हैं। यह भी मनोवैज्ञानिक और भौतिक परिवेश की समानता के विचार को सीधे तौर पर नहीं मानता है, बल्कि उनके बीच के संबंध को कार्य के संदर्भ में देखता है।

02. शिक्षा मनोविज्ञान संबंधित है –

(अ) अधिगम परिस्थिति से

(ब) अधिगम प्रक्रिया से

(स) अधिगमकर्ता से

(द) ये सभी

Ans –  (द)

शिक्षा मनोविज्ञान का संबंध ये सभी से है। यह मनोविज्ञान की एक अनुप्रयुक्त शाखा है जो शिक्षा से जुड़ी सभी चीज़ों का अध्ययन करती है, ताकि शिक्षण और अधिगम की प्रक्रिया को बेहतर बनाया जा सके।


शिक्षा मनोविज्ञान का दायरा

शिक्षा मनोविज्ञान एक विस्तृत क्षेत्र है जो केवल एक पहलू तक सीमित नहीं है। यह मुख्य रूप से तीन प्रमुख घटकों पर ध्यान केंद्रित करता है:

  • अधिगमकर्ता (The Learner): इसमें विद्यार्थी की प्रकृति, उसकी क्षमताओं, रुचियों, प्रेरणाओं और व्यक्तिगत भिन्नताओं को समझना शामिल है। शिक्षा मनोविज्ञान यह जानने में मदद करता है कि एक बच्चा कैसे सीखता है, उसका संज्ञानात्मक विकास कैसे होता है और उसकी मानसिक और भावनात्मक ज़रूरतें क्या हैं।

  • अधिगम प्रक्रिया (The Learning Process): इसमें सीखने के सिद्धांत, विधियां, और तकनीकों का अध्ययन होता है। यह इस बात पर ध्यान देता है कि सीखने की प्रक्रिया को कैसे प्रभावी बनाया जा सकता है, जिसमें स्मृति, समस्या-समाधान, और सीखने की रणनीतियाँ शामिल हैं।

  • अधिगम परिस्थिति (The Learning Situation): इसमें वह वातावरण शामिल है जिसमें अधिगम होता है, जैसे कक्षा का माहौल, पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियाँ और शिक्षक-विद्यार्थी संबंध। यह अध्ययन करता है कि ये कारक सीखने को कैसे प्रभावित करते हैं।

इस प्रकार, शिक्षा मनोविज्ञान का संबंध केवल एक पहलू से नहीं, बल्कि सीखने की संपूर्ण प्रक्रिया से है, जिसमें सीखने वाला व्यक्ति, सीखने की प्रक्रिया और वह परिवेश जिसमें वह सीखता है, तीनों शामिल हैं।

Psychology Free Mock Test

03. निम्नलिखित में से कौनसा कथन शिक्षण में, शिक्षण-अधिगम सामग्री की उपादेयता से संबंधित नहीं है?

(अ) शिक्षण के मूल्यांकन की प्रक्रिया में सहायक

(ब) विषय-वस्तु की स्पष्टता

(स) कक्षा-कक्ष वातावरण को जीवान्त एवं सक्रिय बनाना

(द) प्रत्यक्ष अनुभव का अच्छा विकल्प

Ans –  (द)

इस प्रश्न का सही उत्तर है (द) प्रत्यक्ष अनुभव का अच्छा विकल्प


 

शिक्षण-अधिगम सामग्री की उपादेयता

 

शिक्षण-अधिगम सामग्री (TLMs) शिक्षण प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और रोचक बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली सहायक वस्तुएं हैं। हालांकि, ये प्रत्यक्ष अनुभव का विकल्प नहीं हैं, बल्कि वे इसे पूरक (complement) करती हैं या उसका आधार बनती हैं।

  • शिक्षण के मूल्यांकन की प्रक्रिया में सहायक: शिक्षण सामग्री का उपयोग यह निर्धारित करने में मदद करता है कि छात्रों ने विषय-वस्तु को कितनी अच्छी तरह से समझा है।

  • विषय-वस्तु की स्पष्टता: TLMs जटिल अवधारणाओं को सरल और समझने योग्य बनाने में मदद करती हैं, जिससे छात्रों को विषय-वस्तु बेहतर ढंग से समझ आती है।

  • कक्षा-कक्ष वातावरण को जीवंत एवं सक्रिय बनाना: शिक्षण सामग्री का उपयोग कक्षा में छात्रों की रुचि बनाए रखने और उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करने में मदद करता है। यह नीरस और उबाऊ वातावरण को जीवंत बनाता है।

संक्षेप में, शिक्षण-अधिगम सामग्री का उद्देश्य छात्रों को सीखने का बेहतर अनुभव प्रदान करना है, न कि प्रत्यक्ष अनुभव को पूरी तरह से प्रतिस्थापित करना।

Psychology Free Mock Test

04. ‘‘मुझे एक बालक दो मैं उसे जैसा आप चाहे वैसा बना सकता हूँ।’’ यह कथन निम्न में से किसने दिया है?

(अ) स्किनर

(ब) पावलोव

(स) गुथरी

(द) वाटसन

Ans –  (द)

यह कथन वाटसन (Watson) ने दिया है।


जे.बी. वाटसन का व्यवहारवाद

यह प्रसिद्ध कथन अमेरिकी मनोवैज्ञानिक जे.बी. वाटसन (John Broadus Watson) के व्यवहारवाद (Behaviorism) सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वाटसन, जिन्हें व्यवहारवाद का जनक माना जाता है, मानते थे कि मनुष्य का व्यवहार जन्मजात कारकों की बजाय पर्यावरण और अनुभव द्वारा निर्धारित होता है।

उनका यह कथन इस विचार को दर्शाता है कि यदि उन्हें किसी बच्चे को नियंत्रित वातावरण में रखने का अवसर दिया जाए, तो वे उसे कुछ भी बना सकते हैं – डॉक्टर, वकील, या यहाँ तक कि एक चोर भी – क्योंकि वे मानते थे कि व्यवहार को सीखने और अनुकूलन के माध्यम से पूरी तरह से ढाला जा सकता है।

वाटसन ने अल्बर्ट और सफेद चूहे (Little Albert and the white rat) पर अपना प्रसिद्ध प्रयोग किया, जहाँ उन्होंने एक छोटे बच्चे को एक सफेद चूहे से डरना सिखाया। यह प्रयोग यह साबित करने के लिए किया गया था कि शास्त्रीय अनुबंधन (classical conditioning) के सिद्धांतों का उपयोग करके भावनाओं और व्यवहारों को विकसित किया जा सकता है।

संक्षेप में, यह कथन मानव व्यवहार में अनुवंशिकता की तुलना में पर्यावरण के प्रभाव पर वाटसन के अत्यधिक बल को दर्शाता है।

Psychology Free Mock Test

05. एकांत प्रिय व शर्मीले छात्रों के समायोजन हेतु अध्यापक के रूप में आप करेंगे –

(अ) कक्षा के समक्ष दण्ड देना

(ब) विद्यालय प्राचार्य को शिकायत करना

(स) विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने हेतु प्रेरित करना

(द) ये सभी

Ans –  (स)

एकांत प्रिय व शर्मीले छात्रों के समायोजन हेतु आप अध्यापक के रूप में विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने हेतु प्रेरित करेंगे।


 

कारण

 

  • सकारात्मक दृष्टिकोण: विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रेरित करना एक सकारात्मक और रचनात्मक तरीका है। यह छात्र को अपने शर्मीलेपन को दूर करने और समाज के साथ घुलने-मिलने का अवसर देता है।

  • आत्म-विश्वास में वृद्धि: जब छात्र ऐसी गतिविधियों में भाग लेता है और सफल होता है, तो उसका आत्म-विश्वास बढ़ता है, जो उसके सामाजिक समायोजन के लिए बहुत ज़रूरी है।

  • सामाजिक कौशल विकास: प्रतियोगिताओं में भाग लेने से छात्र दूसरों के साथ बातचीत करने, टीम में काम करने और अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। ये सभी कौशल उनके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।


अन्य विकल्पों का मूल्यांकन

  • कक्षा के समक्ष दंड देना: यह तरीका पूरी तरह से गलत है। ऐसा करने से छात्र का आत्मविश्वास कम होगा, वह और भी ज़्यादा शर्मीला हो जाएगा, और उसका समायोजन होने की बजाय और भी मुश्किल हो जाएगा।

  • विद्यालय प्राचार्य को शिकायत करना: यह एक निष्क्रिय तरीका है। यह छात्र की मदद करने के बजाय, समस्या को दूसरों पर थोप देता है। एक अध्यापक को स्वयं इस समस्या का समाधान करने का प्रयास करना चाहिए।

  • ये सभी: जैसा कि ऊपर बताया गया है, कक्षा के समक्ष दंड देना एक अनुचित तरीका है। इसलिए, यह विकल्प भी सही नहीं है।

06. किशोरावस्था की विशेषताओं को सर्वोत्तम रूप में व्यक्त करने वाला एक शब्द है –

(अ) स्थिरता

(ब) परिवर्तन

(स) विकास

(द) समायोजन

Ans –  (ब)

किशोरावस्था की विशेषताओं को सर्वोत्तम रूप में व्यक्त करने वाला एक शब्द है (ब) परिवर्तन


परिवर्तन क्यों सबसे उपयुक्त शब्द है?

किशोरावस्था (Adolescence) एक संक्रमणकालीन अवस्था है जो बाल्यावस्था और प्रौढ़ावस्था के बीच आती है। यह जीवन का वह चरण है जिसमें व्यक्ति कई महत्वपूर्ण और तीव्र परिवर्तनों से गुज़रता है। ये परिवर्तन न केवल शारीरिक होते हैं, बल्कि मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक भी होते हैं।

  • शारीरिक परिवर्तन: इस दौरान, शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे यौन परिपक्वता आती है। इसमें कद, वज़न और शरीर के अनुपात में तेज़ी से वृद्धि होती है।

  • मानसिक/संज्ञानात्मक परिवर्तन: किशोरों की सोच अधिक अमूर्त और तार्किक हो जाती है। वे भविष्य के बारे में सोचने और योजना बनाने में सक्षम होते हैं।

  • सामाजिक परिवर्तन: इस अवस्था में किशोर अपने परिवार से अधिक स्वायत्तता (autonomy) चाहते हैं और अपने दोस्तों के समूह (peer group) को अधिक महत्व देते हैं। वे अपनी पहचान (identity) स्थापित करने का प्रयास करते हैं।

  • भावनात्मक परिवर्तन: इस अवस्था में भावनाएं तीव्र और अक्सर अस्थिर होती हैं, जिसे अक्सर ‘तूफ़ान और तनाव’ (storm and stress) की अवस्था कहा जाता है।

यह सभी प्रकार के परिवर्तन एक साथ होते हैं, जिसके कारण यह अवस्था बेहद गतिशील और जटिल बन जाती है। इसलिए, परिवर्तन शब्द किशोरावस्था की विशेषताओं को सबसे सटीक रूप से दर्शाता है।


अन्य विकल्पों का मूल्यांकन

  • स्थिरता (Stability): किशोरावस्था में स्थिरता नहीं, बल्कि अस्थिरता (instability) अधिक होती है, क्योंकि व्यक्ति कई नए अनुभवों और चुनौतियों का सामना करता है।

  • विकास (Development): विकास एक व्यापक और निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती है। यह सिर्फ़ किशोरावस्था तक ही सीमित नहीं है।

  • समायोजन (Adjustment): समायोजन भी किशोरावस्था की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, क्योंकि किशोर को इन सभी परिवर्तनों के साथ सामंजस्य बिठाना पड़ता है। हालाँकि, यह परिवर्तन का परिणाम है, न कि उसकी मुख्य विशेषता।

Psychology Free Mock Test

07. निम्न में से कौनसा विकास का सिद्धांत नहीं है?

(अ) विशिष्ट से सामान्य अनुक्रियाओं की ओर बढ़ने का सिद्धांत

(ब) निरंतरता का सिद्धांत

(स) निश्चित प्रतिमान का सिद्धांत

(द) समन्वय का सिद्धांत

Ans –  (अ)

विकास का सिद्धांत विशिष्ट से सामान्य अनुक्रियाओं की ओर बढ़ने का सिद्धांत नहीं है।


विकास के सिद्धांतों का स्पष्टीकरण :

विकास के सिद्धांत हमें यह समझने में मदद करते हैं कि मनुष्य में विकास कैसे होता है।

  • विशिष्ट से सामान्य अनुक्रियाओं की ओर बढ़ने का सिद्धांत: यह कथन गलत है। विकास का सही सिद्धांत सामान्य से विशिष्ट की ओर बढ़ने का सिद्धांत है। उदाहरण के लिए, एक बच्चा पहले किसी वस्तु को पकड़ने के लिए अपनी पूरी हथेली का उपयोग करता है (सामान्य क्रिया), और बाद में केवल अपनी उंगलियों का उपयोग करके उसे पकड़ना सीखता है (विशिष्ट क्रिया)।

  • निरंतरता का सिद्धांत (Principle of Continuity): विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जो जीवन भर चलती रहती है, यह कभी रुकती नहीं है। भले ही इसकी गति अलग-अलग चरणों में भिन्न हो।

  • निश्चित प्रतिमान का सिद्धांत (Principle of a Definite Pattern): विकास एक निश्चित क्रम का पालन करता है। जैसे, बच्चे पहले बैठना, फिर घुटनों के बल चलना और अंत में खड़ा होना और चलना सीखते हैं। यह क्रम सार्वभौमिक है, भले ही विकास की गति अलग-अलग बच्चों में भिन्न हो सकती है।

  • समन्वय का सिद्धांत (Principle of Integration): विकास के विभिन्न आयाम (जैसे शारीरिक, मानसिक और सामाजिक) एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और एक साथ काम करते हैं। उदाहरण के लिए, जब एक बच्चा चलना सीखता है (शारीरिक विकास), तो वह अपने आसपास के माहौल को और अधिक जानने लगता है (मानसिक विकास) और अपने साथियों के साथ खेलने लगता है (सामाजिक विकास)। यह सभी विकास एक दूसरे के साथ समन्वय स्थापित करते हैं।

Psychology Free Mock Test

08. विकास की किशोरावस्था का स्तर है –

(अ) 12-16 वर्ष

(ब) 11-15 वर्ष

(स) 12-15 वर्ष

(द) 12-19 वर्ष

Ans –  (द)

विकास की किशोरावस्था का स्तर सामान्यतः 12-19 वर्ष माना जाता है।


किशोरावस्था की आयु सीमा

किशोरावस्था (Adolescence) एक संक्रमणकालीन अवस्था है जो शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास को दर्शाती है। हालांकि, इसकी सटीक आयु सीमा पर विभिन्न मनोवैज्ञानिकों और संगठनों के बीच थोड़ा मतभेद है, लेकिन सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत सीमा 12 से 19 वर्ष है।

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी किशोरावस्था को 10 से 19 वर्ष की आयु के बीच परिभाषित करता है।

  • यह अवधि यौवनारंभ (puberty) से शुरू होकर, जिसमें व्यक्ति यौन रूप से परिपक्व होता है, और वयस्कता में प्रवेश तक चलती है।

अन्य विकल्प (11-15 वर्ष, 12-15 वर्ष, 12-16 वर्ष) किशोरावस्था के महत्वपूर्ण हिस्से को दर्शाते हैं, लेकिन वे पूरी किशोरावस्था की अवधि को कवर नहीं करते हैं। इसलिए, 12-19 वर्ष सबसे सटीक और व्यापक विकल्प है।

09. प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण किसके द्वारा दिया गया?

(अ) माॅर्गन एवं मूर्रे

(ब) होल्ट्जमैन

(स) लियोपाॅर्ड बैलक

(द) हरमन रोशा

Ans –  (अ)

प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण (Thematic Apperception Test) मॉर्गन एवं मूर्रे द्वारा दिया गया।


प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण (TAT) :

प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण (TAT) व्यक्तित्व का मूल्यांकन करने के लिए एक प्रक्षेपी परीक्षण है। इसका विकास 1930 के दशक में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में क्रिस्टीना डी. मॉर्गन और हेनरी ए. मूर्रे द्वारा किया गया था। इस परीक्षण में, व्यक्ति को अस्पष्ट चित्र दिखाए जाते हैं और उनसे उन चित्रों के बारे में एक कहानी बनाने के लिए कहा जाता है, जिसमें वे पात्रों के विचार, भावनाएं और क्या हो रहा है, इसका वर्णन करते हैं।

  • इस परीक्षण का उद्देश्य व्यक्ति के अचेतन मन में दबी हुई भावनाओं, प्रेरणाओं और संघर्षों को उजागर करना है।

  • यह माना जाता है कि व्यक्ति जो कहानियां सुनाता है, वे उसके अपने आंतरिक व्यक्तित्व का प्रक्षेपण (projection) होती हैं।

  • यह एक बहुत ही लोकप्रिय और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला व्यक्तित्व मूल्यांकन उपकरण है।


 

अन्य विकल्प

 

  • हर्म्मन रोर्शा (Hermann Rorschach): इन्होंने स्याही धब्बा परीक्षण (Rorschach Inkblot Test) का विकास किया था।

  • लियोपोल्ड बैलक (Leopold Bellak): इन्होंने बाल अंतर्बोध परीक्षण (Children’s Apperception Test – CAT) का विकास किया, जो TAT का बच्चों के लिए एक अनुकूलित संस्करण है।

  • होल्ट्जमैन (Holtzman): इन्होंने होल्ट्जमैन स्याही धब्बा परीक्षण (Holtzman Inkblot Test) का विकास किया।

Psychology Free Mock Test

10. किसी कार्य को करने की विशिष्ट क्षमताओं को कहते हैं?

(अ) अभियोग्यता

(ब) प्रत्यक्षीकरण

(स) अभिरुचि

(द) अभिवृत्ति

Ans –  (अ)

किसी कार्य को करने की विशिष्ट क्षमताओं को अभियोग्यता (Aptitude) कहते हैं।


अवधारणा का स्पष्टीकरण

  • अभियोग्यता (Aptitude): यह एक व्यक्ति की किसी विशेष प्रकार के कार्य या कौशल को सीखने और उसमें सफल होने की जन्मजात या निहित क्षमता है। यह इस बात का संकेत है कि कोई व्यक्ति किसी विशिष्ट क्षेत्र, जैसे संगीत, यांत्रिकी, या भाषा में कितना अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति में गणित या विज्ञान सीखने की उच्च अभियोग्यता हो सकती है, जिसका मतलब है कि वह इन विषयों में तेज़ी से और बेहतर ढंग से सीख सकता है।

  • अभिरुचि (Interest): यह किसी विशेष कार्य या विषय के प्रति व्यक्ति की पसंद या झुकाव है। यह बताता है कि व्यक्ति किस चीज़ को करना पसंद करता है, न कि वह उसे कितनी अच्छी तरह से कर सकता है। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति को संगीत में अभिरुचि हो सकती है, लेकिन ज़रूरी नहीं कि उसमें संगीत सीखने की अभियोग्यता भी हो।

  • अभिवृत्ति (Attitude): यह किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थिति के प्रति व्यक्ति का मानसिक और भावनात्मक दृष्टिकोण है। यह व्यक्ति के विचारों, भावनाओं और व्यवहार को प्रभावित करता है। अभिवृत्ति, अभियोग्यता या अभिरुचि से भिन्न होती है क्योंकि यह किसी कार्य को करने की क्षमता या पसंद के बजाय उसके प्रति व्यक्ति के नजरिए से संबंधित है।

  • प्रत्यक्षीकरण (Perception): यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी इंद्रियों से प्राप्त जानकारी को व्यवस्थित और व्याख्या करता है। यह यह समझने की प्रक्रिया है कि हमारे आसपास क्या हो रहा है, न कि किसी विशिष्ट कार्य को करने की क्षमता।

संक्षेप में, अभियोग्यता सीधे तौर पर किसी कार्य को करने की विशिष्ट क्षमता से संबंधित है, जबकि अन्य विकल्प अलग-अलग मानसिक प्रक्रियाओं या पसंद को दर्शाते हैं।

11. अभिप्रेरणा प्रभावित करती है?

(अ) चरित्र निर्माण को

(ब) अधिगम की गति को

(स) व्यवहार में परिवर्तन को

(द) ये सभी

Ans –  (द)

अभिप्रेरणा (Motivation) इन सभी को प्रभावित करती है: (द) ये सभी


अभिप्रेरणा और उसके प्रभाव

अभिप्रेरणा एक आंतरिक या बाहरी बल है जो व्यक्ति को किसी लक्ष्य की ओर कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। यह व्यवहार और विकास के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालती है:

  • अधिगम की गति को: अभिप्रेरित छात्र सीखने में अधिक रुचि लेते हैं, अधिक प्रयास करते हैं, और नई जानकारी को बेहतर तरीके से आत्मसात करते हैं। इससे उनकी सीखने की गति और दक्षता दोनों बढ़ती है।

  • व्यवहार में परिवर्तन को: अभिप्रेरणा व्यक्तियों को अपने व्यवहार को बदलने या नए व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित करती है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति वजन कम करने के लिए प्रेरित होकर अपनी खान-पान की आदतों और जीवनशैली में बदलाव कर सकता है।

  • चरित्र निर्माण को: अभिप्रेरणा व्यक्तियों को कुछ मूल्यों, सिद्धांतों और लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रेरित कर सकती है। यह उन्हें दृढ़ता, आत्म-नियंत्रण और जिम्मेदारी जैसे गुणों को विकसित करने में मदद करती है, जो उनके चरित्र का निर्माण करते हैं।

संक्षेप में, अभिप्रेरणा सिर्फ़ हमें काम करने के लिए ही नहीं, बल्कि हमें यह भी सिखाती है कि कैसे बेहतर तरीके से काम किया जाए, कैसे अपने आप में सुधार किया जाए और कैसे एक बेहतर इंसान बना जाए।

12. ‘‘अनुभव तथा शिक्षण के द्वारा व्यवहार का उन्नयन अधिगम है।’’ यह किसने कहा है?

(अ) गेट्स एवं अन्य

(ब) स्किनर

(स) किम्बले

(द) क्रोनबैक

Ans –  (अ)

यह कथन गेट्स एवं अन्य (Gates and others) द्वारा दिया गया है।


गेट्स एवं अन्य की परिभाषा

गेट्स एवं अन्य के अनुसार, अधिगम (Learning) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति अनुभव (experience) और प्रशिक्षण (training) के कारण अपने व्यवहार में सुधार करता है। इस परिभाषा में, ‘अनुभव’ में वह सब कुछ शामिल है जो व्यक्ति अपने जीवन में देखता, सुनता, महसूस करता और करता है, और ‘प्रशिक्षण’ में औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरह की शिक्षा शामिल है।

अन्य मनोवैज्ञानिकों द्वारा दी गई परिभाषाएँ

  • स्किनर (Skinner): स्किनर ने अधिगम को “व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया” (a process of progressive behavior shaping) के रूप में परिभाषित किया है।

  • किम्बले (Kimble): किम्बले ने अधिगम को “पुनर्बलन के परिणामस्वरूप व्यवहार में अपेक्षाकृत स्थायी परिवर्तन” के रूप में परिभाषित किया है।

  • क्रोनबैक (Cronbach): क्रोनबैक ने अधिगम को “ज्ञान और कौशल के अधिग्रहण में आने वाले सभी परिवर्तनों” के रूप में वर्णित किया है।

इन सभी परिभाषाओं में, गेट्स एवं अन्य की परिभाषा सीधे तौर पर अनुभव और प्रशिक्षण के माध्यम से व्यवहार में सुधार पर जोर देती है, जो प्रश्न में दिए गए कथन के सबसे करीब है।

13. बाल-अपराध का निम्न में से कौनसा कारण नहीं है?

(अ) गरीबी

(ब) उचित घरेलू वातावरण

(स) शारीरिक दोष

(द) असफलता

Ans –  (ब)

बाल-अपराध का कारण उचित घरेलू वातावरण नहीं है।


बाल-अपराध के कारण

बाल-अपराध (Juvenile delinquency) के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से अधिकांश नकारात्मक परिस्थितियों और प्रभावों से संबंधित होते हैं।

  • गरीबी: गरीबी बच्चों को बुनियादी ज़रूरतों से वंचित कर सकती है, जिससे वे चोरी, भीख मांगने, या अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं ताकि वे अपनी ज़रूरतों को पूरा कर सकें।

  • शारीरिक दोष: शारीरिक दोष या विकलांगता वाले बच्चे अक्सर समाज से अलग-थलग महसूस करते हैं और उनमें हीन भावना (inferiority complex) विकसित हो सकती है। इससे वे ध्यान आकर्षित करने या अपनी निराशा को दूर करने के लिए आपराधिक व्यवहार अपना सकते हैं।

  • असफलता: शैक्षिक या सामाजिक जीवन में बार-बार की असफलता बच्चों में निराशा, क्रोध, और आत्म-सम्मान की कमी को जन्म दे सकती है। यह भावनाएं उन्हें नियमों का उल्लंघन करने या जोखिम भरे व्यवहार में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।

उचित घरेलू वातावरण

इसके विपरीत, एक उचित घरेलू वातावरण वह होता है जहाँ बच्चों को प्यार, सुरक्षा, और स्थिरता मिलती है। ऐसा वातावरण बच्चों में नैतिक मूल्यों, ज़िम्मेदारी, और सामाजिक कौशल को बढ़ावा देता है, जो उन्हें आपराधिक व्यवहार से दूर रखने में मदद करता है। इसलिए, यह बाल-अपराध का कारण नहीं, बल्कि उसे रोकने का एक महत्वपूर्ण कारक है।

14. जिस प्रक्रिया में व्यक्ति दूसरों के व्यवहार को देखकर सीखता है न कि प्रत्यक्ष अनुभव से, इसे कहा जाता है –

(अ) अनुकूलन अधिगम

(ब) प्रायोगिक अधिगम

(स) सामाजिक अधिगम

(द) आकस्मिक अधिगम

Ans –  (स)

जिस प्रक्रिया में व्यक्ति दूसरों के व्यवहार को देखकर सीखता है, उसे सामाजिक अधिगम (Social Learning) कहते हैं।


सामाजिक अधिगम का सिद्धांत

सामाजिक अधिगम का सिद्धांत अल्बर्ट बंडूरा (Albert Bandura) द्वारा दिया गया था। इस सिद्धांत के अनुसार, अधिगम (सीखना) केवल प्रत्यक्ष अनुभव या परिणामों (जैसे कि पुरस्कार और दंड) पर निर्भर नहीं करता, बल्कि यह दूसरों को देखकर और उनका अनुकरण करके भी होता है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • प्रेक्षण अधिगम (Observational Learning): यह इस सिद्धांत का मूल है। बच्चे और वयस्क दूसरों के व्यवहार को देखते हैं, जैसे कि माता-पिता, शिक्षक, या टीवी पर दिखाए गए पात्र।

  • मॉडलिंग (Modeling): व्यक्ति जिस व्यक्ति का व्यवहार देखता है, उसे मॉडल कहते हैं। मॉडल का व्यवहार जितना आकर्षक, शक्तिशाली या पुरस्कृत होता है, उसका अनुकरण करने की संभावना उतनी ही अधिक होती है।

  • आत्म-प्रभावकारिता (Self-Efficacy): बंडूरा के अनुसार, व्यक्ति को किसी व्यवहार को दोहराने के लिए यह विश्वास होना चाहिए कि वह उसे सफलतापूर्वक कर सकता है।

उदाहरण के लिए, एक बच्चा अपने बड़े भाई को खिलौने साझा करते हुए देखता है और सीखता है कि ऐसा करने से प्रशंसा मिलती है, तो वह भी ऐसा ही व्यवहार अपना सकता है।


 

अन्य विकल्प

 

  • अनुकूलन अधिगम (Adaptation Learning): यह मुख्य रूप से पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाने की प्रक्रिया है।

  • प्रायोगिक अधिगम (Experimental Learning): यह प्रत्यक्ष अनुभव के माध्यम से सीखने की प्रक्रिया है, जहाँ व्यक्ति स्वयं कोई क्रिया करके सीखता है।

  • आकस्मिक अधिगम (Incidental Learning): यह वह अधिगम है जो बिना किसी योजना या इरादे के होता है। उदाहरण के लिए, जब आप किसी दोस्त के घर जाते हैं और आकस्मिक रूप से सीखते हैं कि उनकी गली का पता क्या है।

15. बी.एफ. स्किनर के अनुसार बच्चों में भाषा का विकास निम्नलिखित का परिणाम है?

(अ) अनुकरण तथा पुनर्बलन

(ब) व्याकरण में प्रशिक्षण

(स) परिपक्वन

(द) अंतर्जात योग्यताएं

Ans –  (अ)

बी.एफ. स्किनर के अनुसार, बच्चों में भाषा का विकास अनुकरण तथा पुनर्बलन का परिणाम है।


स्किनर का भाषा विकास का सिद्धांत

अमेरिकी मनोवैज्ञानिक बी.एफ. स्किनर ने भाषा विकास के व्यवहारवादी सिद्धांत (Behaviorist Theory of Language Development) का प्रतिपादन किया। उनका मानना था कि भाषा एक सीखा हुआ व्यवहार है, और यह उसी तरह से सीखी जाती है जैसे अन्य व्यवहार सीखे जाते हैं।

इस सिद्धांत के अनुसार, बच्चा भाषा निम्नलिखित दो प्रक्रियाओं के माध्यम से सीखता है:

  1. अनुकरण (Imitation): बच्चा अपने आसपास के लोगों को बोलते हुए सुनता है और उनका अनुकरण करता है। वह माता-पिता, भाई-बहनों और अन्य लोगों के शब्दों और वाक्यों को दोहराता है।

  2. पुनर्बलन (Reinforcement): जब बच्चा किसी शब्द का सही उच्चारण करता है या सही वाक्य बोलता है, तो उसे सकारात्मक पुनर्बलन (positive reinforcement) मिलता है, जैसे कि प्रशंसा, मुस्कान या ध्यान। यह सकारात्मक प्रतिक्रिया बच्चे को उस शब्द या वाक्य को बार-बार दोहराने के लिए प्रेरित करती है।

उदाहरण के लिए, जब बच्चा पहली बार “पानी” शब्द बोलता है और उसकी माँ उसे पानी देती है, तो यह क्रिया बच्चे के लिए एक सकारात्मक पुनर्बलन का काम करती है। इससे बच्चा अगली बार भी पानी माँगने के लिए “पानी” शब्द का उपयोग करेगा।


 

अन्य विकल्पों का मूल्यांकन

 

  • व्याकरण में प्रशिक्षण (Training in grammar): स्किनर के अनुसार, बच्चा व्याकरण के नियमों को सीधे प्रशिक्षण से नहीं, बल्कि अनुकरण और पुनर्बलन के माध्यम से सीखता है।

  • परिपक्वन (Maturation): हालांकि परिपक्वन एक आवश्यक कारक है, स्किनर ने भाषा विकास में मुख्य भूमिका अनुभव और सीखने को दी।

  • अंतर्जात योग्यताएं (Innate abilities): यह नोम चोमस्की (Noam Chomsky) के भाषा विकास के सिद्धांत का मुख्य विचार है, जिसके अनुसार मनुष्य भाषा सीखने की जन्मजात क्षमता के साथ पैदा होते हैं। यह स्किनर के सिद्धांत के विपरीत है।

16. किशोरों की मानसिक अस्वस्थता से शैक्षिक संस्थानों में क्या निदान कर सकते हैं?

(अ) आवश्यकता आधारित पाठ्यक्रम प्रदान करके

(ब) प्रभावशाली शिक्षण वातावरण प्रदान करके

(स) स्वस्थप्रद वातावरण प्रदान करके

(द) ये सभी

Ans –  (द)

किशोरों की मानसिक अस्वस्थता से शैक्षिक संस्थानों में निदान करने के लिए ये सभी (ये सभी) उपाय किए जा सकते हैं।


किशोरों की मानसिक अस्वस्थता का निदान

मानसिक अस्वस्थता (mental unwellness) का निदान और प्रबंधन करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। शैक्षिक संस्थान इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

  • आवश्यकता आधारित पाठ्यक्रम प्रदान करके: छात्रों को उनकी रुचियों और क्षमताओं के अनुसार विषय चुनने का अवसर देना उनके तनाव को कम कर सकता है। लचीला और छात्र-केंद्रित पाठ्यक्रम उन्हें सीखने की प्रक्रिया में अधिक शामिल महसूस कराता है, जिससे शैक्षणिक दबाव कम होता है।

  • प्रभावशाली शिक्षण वातावरण प्रदान करके: एक प्रभावशाली शिक्षण वातावरण वह है जहाँ शिक्षक छात्रों को समझते हैं, उन्हें प्रेरित करते हैं, और उनके साथ सकारात्मक संबंध स्थापित करते हैं। जब छात्र सुरक्षित और सम्मानित महसूस करते हैं, तो उनकी मानसिक अस्वस्थता की संभावना कम हो जाती है।

  • स्वस्थप्रद वातावरण प्रदान करके: इसमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के स्वास्थ्य को बढ़ावा देना शामिल है। खेल-कूद, योग, ध्यान और कला जैसी गतिविधियाँ मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होती हैं। इसके अलावा, छात्रों के लिए परामर्श सेवाएं (counseling services) उपलब्ध कराना भी महत्वपूर्ण है, ताकि वे अपनी समस्याओं को साझा कर सकें।

ये सभी कारक मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाते हैं जो किशोरों के समग्र कल्याण को बढ़ावा देता है और उन्हें मानसिक अस्वस्थता से बचाता है।

Psychology test

17. व्यावसायिक निर्देशन में बल देना चाहिए-

(अ) सेवार्थी को उचित वृत्ति चयन में सहायता करने पर

(ब) नौकरी दिलाने पर

(स) सेवार्थी को उचित नौकरी ढूंढने में सहायता देने पर

(द) शिक्षा व्यवस्था को वृत्ति उन्मुख बनाने पर

Ans –  (अ)

व्यावसायिक निर्देशन में बल सेवार्थी को उचित वृत्ति चयन में सहायता करने पर देना चाहिए।


व्यावसायिक निर्देशन का उद्देश्य

व्यावसायिक निर्देशन (Vocational Guidance) का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को उसकी क्षमताओं, रुचियों और व्यक्तित्व के अनुसार एक सही करियर चुनने में मदद करना है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति को स्वयं को समझने और विभिन्न व्यावसायिक अवसरों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सहायता करती है, ताकि वह एक सूचित और सोच-समझकर निर्णय ले सके।

  • उचित वृत्ति चयन में सहायता: यह व्यावसायिक निर्देशन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। इसका लक्ष्य व्यक्ति को यह समझने में मदद करना है कि वह क्या कर सकता है, क्या करना चाहता है, और बाज़ार में कौन-कौन से अवसर उपलब्ध हैं। यह प्रक्रिया व्यक्ति को एक स्थायी और संतोषजनक करियर पथ पर आगे बढ़ने के लिए तैयार करती है।

  • नौकरी दिलाने पर: नौकरी दिलाना व्यावसायिक निर्देशन का अंतिम लक्ष्य नहीं है। यह एक सीमित दृष्टिकोण है क्योंकि यह व्यक्ति को भविष्य में स्वयं नौकरी ढूंढने के लिए तैयार नहीं करता है।

  • उचित नौकरी ढूँढने में सहायता देने पर: यह भी व्यावसायिक निर्देशन का एक हिस्सा है, लेकिन यह केवल एक चरण है। व्यावसायिक निर्देशन का दायरा इससे कहीं ज़्यादा व्यापक है। इसका मुख्य ध्यान व्यक्ति की आत्म-खोज और सही करियर पथ का चुनाव करने पर होता है, न कि केवल एक नौकरी ढूंढने पर।

  • शिक्षा व्यवस्था को वृत्ति उन्मुख बनाने पर: यह शिक्षा प्रणाली से संबंधित एक नीतिगत मुद्दा है, न कि व्यक्तिगत व्यावसायिक निर्देशन का प्राथमिक उद्देश्य। हालाँकि, एक वृत्ति उन्मुख शिक्षा व्यवस्था व्यावसायिक निर्देशन को सुगम बनाती है।

18. सामूहिक शैक्षिक मार्ग निर्देशन का कौनसा भाग नहीं है?

(अ) मनोवैज्ञानिक जांच (समूह में)

(ब) व्यक्तिगत वैयक्तिक अध्ययन

(स) समूह में प्रोफाइल बनाना

(द) समूह में अनुस्थापन

Ans –  (ब)

सामूहिक शैक्षिक मार्ग निर्देशन का भाग व्यक्तिगत वैयक्तिक अध्ययन नहीं है।


सामूहिक शैक्षिक मार्ग निर्देशन

सामूहिक शैक्षिक मार्ग निर्देशन (Group Educational Guidance) का उद्देश्य एक साथ कई विद्यार्थियों को उनकी शैक्षणिक समस्याओं, जैसे पाठ्यक्रम चयन, सीखने की विधियों, और शैक्षणिक अवसरों के बारे में जानकारी प्रदान करना है। इसमें उन गतिविधियों को शामिल किया जाता है जो पूरे समूह के लिए प्रासंगिक हों, जैसे:

  • मनोवैज्ञानिक जांच (समूह में): इसमें समूह में मनोवैज्ञानिक परीक्षण (जैसे कि बुद्धिमत्ता या अभियोग्यता परीक्षण) करके छात्रों के बारे में सामान्य जानकारी एकत्र की जाती है, ताकि उनकी शैक्षणिक ज़रूरतों को बेहतर ढंग से समझा जा सके।

  • समूह में प्रोफाइल बनाना: छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन, रुचियों और अन्य प्रासंगिक जानकारी का एक सामान्य प्रोफाइल तैयार किया जाता है, जिसका उपयोग समूह-स्तर पर मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए किया जा सके।

  • समूह में अनुस्थापन: छात्रों को शिक्षा प्रणाली, उपलब्ध विषयों और भविष्य के शैक्षिक विकल्पों के बारे में जानकारी दी जाती है, ताकि वे सही निर्णय ले सकें।

व्यक्तिगत वैयक्तिक अध्ययन

व्यक्तिगत वैयक्तिक अध्ययन (Individualized Personal Study) सामूहिक मार्गदर्शन का हिस्सा नहीं है। यह एक छात्र की व्यक्तिगत समस्याओं और ज़रूरतों को समझने के लिए एक-एक करके (one-on-one) किया गया एक गहन अध्ययन है। इसमें छात्र की पारिवारिक पृष्ठभूमि, स्वास्थ्य, व्यक्तिगत रुचियों और अन्य व्यक्तिगत कारकों का विश्लेषण किया जाता है। यह व्यक्तिगत मार्गदर्शन (Individual Guidance) का एक हिस्सा है, न कि सामूहिक मार्गदर्शन का।

19. स्वप्रत्यय विकसित होता है –

(अ) बुद्धि से

(ब) स्वधारणा तथा लोगों की धारणा से

(स) लोगों की धारणा से

(द) स्वधारणा से

Ans –  (ब)

स्वप्रत्यय (Self-concept) स्वधारणा तथा लोगों की धारणा से विकसित होता है।


स्वप्रत्यय का विकास

स्वप्रत्यय (Self-concept) से तात्पर्य किसी व्यक्ति के स्वयं के बारे में विचारों, विश्वासों और मूल्यांकन से है। यह एक व्यक्ति की स्वयं की पहचान और क्षमताओं के बारे में समग्र धारणा है। इसका विकास दो मुख्य घटकों से मिलकर होता है:

  1. स्वधारणा (Self-perception): इसमें व्यक्ति का अपने बारे में अपना निजी अनुभव, विचार और मूल्यांकन शामिल होता है। यह व्यक्ति के स्वयं के गुणों, क्षमताओं, रुचियों और कमजोरियों के बारे में उसके अपने अवलोकन से बनता है।

  2. लोगों की धारणा (Perceptions of others): इसमें यह शामिल है कि दूसरे लोग (जैसे माता-पिता, दोस्त, शिक्षक और समाज) व्यक्ति को कैसे देखते हैं और उसके बारे में क्या सोचते हैं। दूसरों की प्रतिक्रियाएँ और मूल्यांकन (चाहे वे सकारात्मक हों या नकारात्मक) व्यक्ति के स्वयं के विचारों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उदाहरण के लिए, एक बच्चा जो अपनी कलाकृति के लिए शिक्षकों और माता-पिता से प्रशंसा प्राप्त करता है, उसमें एक कलाकार के रूप में अपनी स्वधारणा विकसित होने की अधिक संभावना है। वहीं, अगर उसे बार-बार आलोचना का सामना करना पड़ता है, तो उसकी स्वधारणा नकारात्मक हो सकती है। इस प्रकार, स्वप्रत्यय एक गतिशील प्रक्रिया है जो हमारे अपने विचारों और दूसरों की प्रतिक्रियाओं के बीच परस्पर क्रिया से बनती है।

20. विद्यालय से पलायन करने वाले बालक के अध्ययन की सबसे उपयुक्त विधि है –

(अ) शमन

(ब) दमन

(स) प्रतिगमन

(द) व्यक्ति अध्ययन विधि

Ans –  (द)

विद्यालय से पलायन करने वाले बालक के अध्ययन की सबसे उपयुक्त विधि है (द) व्यक्ति अध्ययन विधि (Case Study Method)


व्यक्ति अध्ययन विधि क्यों सबसे उपयुक्त है?

व्यक्ति अध्ययन विधि एक गहन और व्यापक विधि है जिसका उपयोग किसी एक व्यक्ति, समूह या स्थिति का गहराई से अध्ययन करने के लिए किया जाता है। यह विधि विद्यालय से पलायन करने वाले बालक के व्यवहार को समझने के लिए सबसे उपयुक्त है क्योंकि:

  • समस्या की जड़ को समझना: यह विधि बच्चे के पलायन के पीछे के कारणों को समझने में मदद करती है। इसमें बच्चे की पारिवारिक पृष्ठभूमि, सामाजिक परिवेश, शैक्षिक प्रदर्शन, व्यक्तिगत इतिहास और मानसिक स्थिति का विस्तृत अध्ययन किया जाता है।

  • बहुआयामी दृष्टिकोण: इस विधि में विभिन्न स्रोतों से जानकारी एकत्र की जाती है, जैसे बच्चे के माता-पिता, शिक्षक, दोस्त और स्वयं बच्चे से साक्षात्कार। इससे समस्या के सभी पहलुओं को समझने में मदद मिलती है।

  • उपचारात्मक उपाय: व्यक्ति अध्ययन विधि से प्राप्त जानकारी के आधार पर, बच्चे के लिए एक व्यक्तिगत और प्रभावी उपचारात्मक योजना बनाई जा सकती है, ताकि उसकी समस्या का समाधान किया जा सके।

अन्य विकल्प

  • शमन (Suppression): यह एक चेतन प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति जानबूझकर अपने विचारों और भावनाओं को दबाता है। यह कोई अध्ययन विधि नहीं है।

  • दमन (Repression): यह एक अचेतन प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं और यादों को अचेतन मन में धकेलता है। यह भी कोई अध्ययन विधि नहीं है।

  • प्रतिगमन (Regression): यह एक रक्षा युक्ति है जिसमें व्यक्ति तनाव या चिंता की स्थिति में बचपन के व्यवहार को दोहराता है। यह भी एक अध्ययन विधि नहीं है।

21. सहयोगात्मक अधिगम आयोजित किया जाता है –

(अ) कक्षा-कक्षा के बाहर की परिस्थितियों में

(ब) कक्षा-कक्ष  परिस्थितियों में

(स) अ व ब दोनों

(द) कोई नहीं

Ans –  (स)

सहयोगात्मक अधिगम (Collaborative Learning) कक्षा-कक्ष परिस्थितियों में और कक्षा-कक्ष के बाहर की परिस्थितियों में दोनों जगह आयोजित किया जाता है, इसलिए सही उत्तर है (स) अ व ब दोनों


सहयोगात्मक अधिगम का आयोजन

सहयोगात्मक अधिगम का सार विद्यार्थियों को एक समूह में काम करने के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि वे एक-दूसरे के ज्ञान और कौशल का लाभ उठा सकें।

  • कक्षा-कक्ष परिस्थितियों में (Within the Classroom): शिक्षक अक्सर कक्षा के अंदर छोटे समूह बनाते हैं ताकि छात्र एक साथ किसी परियोजना पर काम कर सकें, समस्या का समाधान कर सकें, या किसी विषय पर चर्चा कर सकें। यह छात्रों को एक-दूसरे से सीखने, विचारों का आदान-प्रदान करने और समूह में काम करने के कौशल विकसित करने में मदद करता है।

  • कक्षा-कक्ष के बाहर की परिस्थितियों में (Outside the Classroom): सहयोगात्मक अधिगम कक्षा के बाहर भी हो सकता है, जैसे कि छात्रों को किसी फील्ड ट्रिप, सामुदायिक परियोजना, या ऑनलाइन चर्चा मंच में एक साथ काम करने के लिए कहा जाता है। उदाहरण के लिए, छात्र किसी विज्ञान परियोजना पर घर पर एक साथ काम कर सकते हैं या किसी ऑनलाइन फोरम पर एक साथ किसी विषय पर शोध कर सकते हैं।

इसलिए, सहयोगात्मक अधिगम किसी विशेष स्थान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक शिक्षण विधि है जिसे विभिन्न शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक सेटिंग्स में लागू किया जा सकता है।

22. आधुनिक अभिक्रमित अनुदेशन की उत्पत्ति का कारक है –

(अ) अधिगम का मनोविज्ञान व तकनीकी

(ब) अधिगम का मनोविज्ञान

(स) अधिगम की तकनीकी

(द) अधिगम का विज्ञान व कला

Ans –  (अ)

आधुनिक अभिक्रमित अनुदेशन (Modern Programmed Instruction) की उत्पत्ति का कारक अधिगम का मनोविज्ञान व तकनीकी है।


अभिक्रमित अनुदेशन की उत्पत्ति

अभिक्रमित अनुदेशन एक शैक्षिक विधि है जिसमें सीखने की सामग्री को छोटे-छोटे, तार्किक रूप से व्यवस्थित चरणों में प्रस्तुत किया जाता है। यह विधि सीखने की प्रक्रिया को अधिक व्यक्तिगत और नियंत्रित बनाने का प्रयास करती है। इसकी उत्पत्ति मुख्य रूप से दो प्रमुख कारकों के संयोजन से हुई:

  1. अधिगम का मनोविज्ञान (Psychology of Learning): विशेष रूप से बी.एफ. स्किनर (B.F. Skinner) के क्रियाप्रसूत अनुबंधन (Operant Conditioning) के सिद्धांतों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्किनर का मानना था कि व्यवहार को छोटे चरणों में विभाजित करके और प्रत्येक सही प्रतिक्रिया पर तत्काल पुनर्बलन (reinforcement) देकर सिखाया जा सकता है। अभिक्रमित अनुदेशन इसी सिद्धांत पर आधारित है, जहाँ विद्यार्थी को सही उत्तर देने पर तत्काल प्रतिक्रिया या पुनर्बलन मिलता है।

  2. तकनीकी (Technology): अभिक्रमित अनुदेशन को व्यावहारिक रूप देने में उस समय की तकनीकी प्रगति का भी योगदान रहा। शिक्षण मशीनें (Teaching Machines), जो सामग्री को चरण-दर-चरण प्रस्तुत करती थीं, इसका एक प्रारंभिक उदाहरण थीं। आधुनिक युग में, कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर ने इस विधि को और भी अधिक प्रभावी और व्यापक बना दिया है।

इस प्रकार, यह विधि केवल मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित नहीं है, बल्कि इन सिद्धांतों को लागू करने के लिए तकनीकी उपकरणों का भी उपयोग करती है। इसलिए, इसका सही आधार अधिगम का मनोविज्ञान और तकनीकी दोनों हैं।

23. वह प्रक्रिया जिसमें क्रियाओं की संरचना एवं निष्पादन विद्यार्थी के व्यवहार में परिवर्तन के लिए किया जाता है, कहलाती है –

(अ) प्रतिपादन

(ब) प्रशिक्षण

(स) शिक्षण

(द) अनुदेशन

Ans – (स)

वह प्रक्रिया जिसमें क्रियाओं की संरचना एवं निष्पादन विद्यार्थी के व्यवहार में परिवर्तन के लिए किया जाता है, शिक्षण (Teaching) कहलाती है।


शिक्षण की अवधारणा

शिक्षण एक जटिल और गतिशील प्रक्रिया है जिसका मुख्य उद्देश्य छात्रों के व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाना है। यह केवल जानकारी देने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें क्रियाओं को इस तरह से संरचित और निष्पादित करना शामिल है ताकि छात्र सीख सकें, समझ सकें, और उस समझ को अपने व्यवहार में लागू कर सकें। शिक्षण में निम्नलिखित पहलू शामिल होते हैं:

  • उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया: शिक्षण एक उद्देश्य-पूर्ण प्रक्रिया है, जिसका लक्ष्य छात्रों को विशिष्ट ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करना है।

  • व्यवहार परिवर्तन: शिक्षण का अंतिम लक्ष्य छात्रों के व्यवहार में सकारात्मक और स्थायी बदलाव लाना है। यह बदलाव उनके सोचने, महसूस करने और कार्य करने के तरीके में हो सकता है।

  • दो-तरफा प्रक्रिया: शिक्षण एक दो-तरफा प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक और छात्र दोनों सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। शिक्षक एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है, जबकि छात्र सीखने के लिए तैयार होते हैं।


अन्य विकल्पों का मूल्यांकन

  • प्रतिपादन (Discourse): इसका अर्थ है विचारों का तार्किक और व्यवस्थित प्रस्तुतीकरण, जो शिक्षण का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह पूरी प्रक्रिया नहीं है।

  • प्रशिक्षण (Training): प्रशिक्षण अक्सर विशिष्ट कौशल या व्यवहार को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जैसे कि किसी मशीन को चलाना। यह शिक्षण से अधिक संकीर्ण है, जो ज्ञान और समझ के व्यापक विकास पर केंद्रित है।

  • अनुदेशन (Instruction): अनुदेशन जानकारी देने या निर्देश देने की प्रक्रिया है। यह शिक्षण का एक घटक हो सकता है, लेकिन यह शिक्षण की तरह व्यवहार में परिवर्तन लाने की पूरी प्रक्रिया को शामिल नहीं करता है। शिक्षण अनुदेशन से कहीं अधिक व्यापक है क्योंकि इसमें अधिगम की पूरी प्रक्रिया शामिल होती है, जिसमें मूल्यांकन, प्रतिक्रिया और छात्र के साथ अंतःक्रिया शामिल है।

Psychology test

24. निम्न में से कौनसी वस्तु साॅफ्टवेयर तकनीकी में सम्मिलित नहीं है?

(अ) कार्टून

(ब) पोस्टर

(स) फ्लेश कार्ड

(द) ओपेक प्रोजेक्टर

Ans –  (द)

इसका सही उत्तर है (द) ओपेक प्रोजेक्टर (Opaque Projector)


सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर

सॉफ्टवेयर (Software) शैक्षिक सामग्री के अमूर्त (intangible) पहलू को संदर्भित करता है, जैसे कि वीडियो, चित्र, चार्ट और डिजिटल सामग्री, जिन्हें किसी उपकरण पर चलाया या प्रदर्शित किया जा सकता है।

हार्डवेयर (Hardware) भौतिक (tangible) उपकरण होते हैं जिनका उपयोग सॉफ्टवेयर को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है।

विकल्पों का विश्लेषण

  • कार्टून (Cartoon): यह एक प्रकार की सामग्री है जो शैक्षिक उद्देश्यों के लिए बनाई जा सकती है, जैसे कि एक एनीमेशन या चित्र। यह सॉफ्टवेयर का एक उदाहरण है।

  • पोस्टर (Poster): यह एक स्थिर दृश्य सामग्री है जो जानकारी को ग्राफिक रूप में प्रस्तुत करती है। इसे भी सॉफ्टवेयर माना जा सकता है क्योंकि यह एक प्रकार की शैक्षिक सामग्री है।

  • फ्लैश कार्ड (Flash Card): ये छोटे कार्ड होते हैं जिन पर जानकारी लिखी होती है, जिनका उपयोग स्मृति या ज्ञान को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह भी शैक्षिक सामग्री का एक रूप है, इसलिए इसे सॉफ्टवेयर माना जा सकता है।

  • ओपेक प्रोजेक्टर (Opaque Projector): यह एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग अपारदर्शी (opaque) वस्तुओं, जैसे कि मुद्रित सामग्री, चित्र या पोस्टर, को बड़ी स्क्रीन पर प्रोजेक्ट करने के लिए किया जाता है। यह एक हार्डवेयर है, न कि सॉफ्टवेयर।

Psychology Free Mock Test

25. निम्न में से कौनसी वस्तु हार्डवेयर तकनीकी का हिस्सा है?

(1) वी. सी. आर

(2) मैजिक लालटने

(3) अधिगम पैकेज

(4) ओवर हैड प्रोजेक्टर

कूट:

(अ) केवल 3

(ब) 1, 2 व 4

(स) 2 व 3

(द) 1 व 4

Ans –  (ब)

वी. सी. आर. (VCR), मैजिक लालटेन (Magic Lantern), और ओवर हैड प्रोजेक्टर (Overhead Projector) हार्डवेयर तकनीकी का हिस्सा हैं, इसलिए सही उत्तर है: (ब) 1, 2 व 4


हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में अंतर

तकनीकी के संदर्भ में, हार्डवेयर उन भौतिक उपकरणों को संदर्भित करता है जिन्हें आप छू सकते हैं। इनका उपयोग शैक्षिक सामग्री (सॉफ्टवेयर) को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। दूसरी ओर, सॉफ्टवेयर वह सामग्री है जो सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को सुगम बनाती है, लेकिन ये अमूर्त (non-physical) होती हैं।

  • वी. सी. आर. (VCR): यह एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसका उपयोग वीडियो कैसेट टेप चलाने और रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता था। यह एक भौतिक उपकरण होने के कारण हार्डवेयर है।

  • मैजिक लालटेन (Magic Lantern): यह एक पुराने जमाने का स्लाइड प्रोजेक्टर है जिसका उपयोग छवियों को बड़ी सतह पर प्रोजेक्ट करने के लिए किया जाता था। यह एक भौतिक उपकरण है, इसलिए यह हार्डवेयर है।

  • अधिगम पैकेज (Learning Package): यह शिक्षण सामग्री का एक संग्रह है, जिसमें पाठ्यपुस्तकें, अभ्यास पुस्तिकाएं, और निर्देश शामिल हो सकते हैं। यह भौतिक सामग्री हो सकती है, लेकिन इसे एक शिक्षण विधि के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, न कि एक हार्डवेयर उपकरण के रूप में।

  • ओवर हैड प्रोजेक्टर (Overhead Projector): यह एक भौतिक उपकरण है जिसका उपयोग पारदर्शी (transparent) शीटों पर लिखी या छपी सामग्री को बड़ी स्क्रीन पर प्रोजेक्ट करने के लिए किया जाता है। यह एक हार्डवेयर है।

Psychology Free Mock Test

26. सूचना सम्प्रेषण तकनीकी के मुख्य कार्य कौनसे हैं?

(अ) सूचनाओं का पुनरुत्पादन

(ब) सूचनाओं का संग्रह करना

(स) सूचनाओं का सम्प्रेषण या हस्तान्तरण

(द) ये सभी

Ans – (द)

इसका सही उत्तर है (द) ये सभी


सूचना सम्प्रेषण तकनीकी के मुख्य कार्य

सूचना सम्प्रेषण तकनीकी (Information and Communication TechnologyICT) एक विस्तृत क्षेत्र है जिसमें वह सभी उपकरण और संसाधन शामिल हैं जिनका उपयोग सूचनाओं के निर्माण, संग्रह, प्रबंधन और प्रसार के लिए किया जाता है। इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

  • सूचनाओं का पुनरुत्पादन (Reproduction of Information): ICT का उपयोग सूचनाओं की प्रतिलिपि बनाने के लिए किया जाता है, जैसे कि किसी दस्तावेज़ को स्कैन करके उसकी डिजिटल प्रति बनाना, या किसी ऑडियो फाइल की कॉपी बनाना।

  • सूचनाओं का संग्रह करना (Storage of Information): तकनीकी उपकरण जैसे कि हार्ड ड्राइव, क्लाउड स्टोरेज और मेमोरी कार्ड का उपयोग करके बड़ी मात्रा में सूचनाओं को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

  • सूचनाओं का सम्प्रेषण या हस्तान्तरण (Communication or Transfer of Information): ICT का सबसे महत्वपूर्ण कार्य एक स्थान से दूसरे स्थान तक सूचनाओं को तेज़ी से भेजना है। इसमें इंटरनेट, ईमेल, सोशल मीडिया और फोन जैसे माध्यम शामिल हैं।

यह सभी कार्य ICT के अभिन्न अंग हैं और मिलकर एक पूर्ण प्रणाली का निर्माण करते हैं जो आधुनिक युग में सूचना के प्रवाह को सुगम बनाती है।

27. किसी कम्प्यूटर का मस्तिष्क होता है –

(अ) सी.पी.यू.

(ब) ए.एल.यू.

(स) कण्ट्रोल यूनिट

(द) मदर बोर्ड

Ans –  (अ)

किसी कम्प्यूटर का मस्तिष्क सी.पी.यू. (CPU) होता है।


सी.पी.यू. क्या है?

सी.पी.यू. (Central Processing Unit) को कंप्यूटर का मस्तिष्क या दिमाग कहा जाता है क्योंकि यह कंप्यूटर में होने वाले सभी कार्यों, निर्देशों और गणनाओं को नियंत्रित और संसाधित करता है। यह कंप्यूटर के सभी मुख्य भागों से जुड़ा होता है और उनके बीच समन्वय स्थापित करता है।

सी.पी.यू. के दो मुख्य भाग होते हैं:

  1. कण्ट्रोल यूनिट (Control Unit): यह कंप्यूटर के सभी कार्यों को नियंत्रित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि डेटा और निर्देश सही जगह पर और सही समय पर पहुँचें।

  2. ए.एल.यू. (Arithmetic and Logic Unit): यह सभी गणितीय (जोड़, घटाव, गुणा, भाग) और तार्किक (तुलना) कार्यों को करता है।

इन दोनों इकाइयों के सहयोग से ही कंप्यूटर किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा कर पाता है।

28. इंटरनेट सेवा में प्रयुक्त शब्दों ‘‘डब्ल्यू. डब्ल्यू. डब्ल्यू.’’ का अर्थ है –

(अ) वर्ल्ड वाइड वाइल्ड

(ब) वर्ल्ड वाइड वर्किंग

(स) वर्ल्ड वाइड वेब

(द) वर्ल्ड वाइड रेसलिंग

Ans –  (स)

इंटरनेट सेवा में प्रयुक्त शब्दों “डब्ल्यू. डब्ल्यू. डब्ल्यू.” (WWW) का अर्थ वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web) है।


वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) क्या है?

वर्ल्ड वाइड वेब एक ऐसी सूचना प्रणाली है जो इंटरनेट पर हाइपरटेक्स्ट दस्तावेज़ों और अन्य संसाधनों को एक साथ जोड़ती है। ये संसाधन एक यू.आर.एल. (URL) द्वारा पहचाने जाते हैं और हाइपरलिंक्स द्वारा आपस में जुड़े होते हैं।

  • डब्ल्यू. डब्ल्यू. डब्ल्यू. को अक्सर इंटरनेट का पर्याय मान लिया जाता है, लेकिन वे दोनों अलग हैं।

  • इंटरनेट एक वैश्विक नेटवर्क है जो कंप्यूटरों को एक दूसरे से जोड़ता है।

  • वेब इंटरनेट पर चलने वाली एक सेवा है, जो हमें वेबसाइटों और वेब पेजों तक पहुँचने की अनुमति देती है।

डब्ल्यू. डब्ल्यू. डब्ल्यू. का आविष्कार 1989 में टिम बर्नर्स-ली द्वारा किया गया था।

29. निम्नलिखित में से कौनसी भाषा कम्प्यूटर की नहीं है?

(अ) कोसमो

(ब) जावा

(स) कोबोल

(द) लोगो

Ans –  (अ)

दिए गए विकल्पों में से, कोसमो (Cosmo) कंप्यूटर की भाषा नहीं है।


 

कंप्यूटर की भाषाएँ

 

  • जावा (Java): यह एक उच्च-स्तरीय, ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग भाषा है जिसका उपयोग मुख्य रूप से वेब और मोबाइल एप्लिकेशन विकसित करने के लिए किया जाता है।

  • कोबोल (COBOL): इसका पूरा नाम “कॉमन बिज़नेस-ओरिएंटेड लैंग्वेज” है। यह एक उच्च-स्तरीय भाषा है जिसे मुख्य रूप से व्यावसायिक, वित्तीय और प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए डिज़ाइन किया गया था।

  • लोगो (Logo): यह एक शैक्षिक प्रोग्रामिंग भाषा है जिसे मुख्य रूप से बच्चों के लिए विकसित किया गया था। इसका उपयोग अक्सर कछुए जैसे ग्राफिक्स के माध्यम से प्रोग्रामिंग की बुनियादी बातें सिखाने के लिए किया जाता है।

कोसमो (Cosmo)

कोसमो कंप्यूटर की कोई प्रोग्रामिंग भाषा नहीं है। यह शब्द का उपयोग विभिन्न संदर्भों में किया जा सकता है, लेकिन यह एक स्थापित प्रोग्रामिंग भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है।

 

Psychology Free Mock Test

30. प्रभावशाली संप्रेषण की आवश्यकता क्यों है ?

(अ) एक-दूसरे को समझ सके

(ब) प्रभावशाली शिक्षण हेतु

(स) विद्यार्थियों द्वारा विषय-सामग्री स्पष्ट हो सके

(द) ये सभी

Ans –  (द)

प्रभावशाली संप्रेषण की आवश्यकता ये सभी (ये सभी) कारणों से है।


 

प्रभावशाली संप्रेषण का महत्व

 

प्रभावशाली संप्रेषण (Effective Communication) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सूचना, विचार और भावनाओं को स्पष्ट, सटीक और प्रभावशाली तरीके से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाया जाता है। यह शिक्षा और जीवन के अन्य क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि:

  • एक-दूसरे को समझ सके: प्रभावी संचार लोगों के बीच समझ और तालमेल बनाता है। जब शिक्षक और छात्र एक-दूसरे के विचारों, भावनाओं और ज़रूरतों को समझते हैं, तो सीखने का माहौल अधिक सकारात्मक और उत्पादक हो जाता है।

  • प्रभावशाली शिक्षण हेतु: शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में प्रभावी संचार आवश्यक है। एक शिक्षक को अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना आना चाहिए ताकि छात्र उन्हें समझ सकें, और एक छात्र को भी अपनी शंकाओं को पूछने में सक्षम होना चाहिए।

  • विद्यार्थियों द्वारा विषय-सामग्री स्पष्ट हो सके: यदि शिक्षक जटिल अवधारणाओं को सरल और समझने योग्य तरीके से संवादित नहीं कर पाते हैं, तो छात्रों को विषय-सामग्री को समझना मुश्किल होगा। प्रभावी संचार यह सुनिश्चित करता है कि संदेश सही ढंग से प्राप्त हो और कोई भ्रम न हो।

Psychology Free Mock Test

error: Content is protected !!