Psychology Mock Test – 04
मनोविज्ञान महत्त्वपूर्ण प्रश्न
Psychology mock test – 04
प्रश्न – (1) उपलब्धि परीक्षण माप है।1. बुद्धि का
2. मानसिक योग्यता का
3. ज्ञान का
4. शारीरिक क्षमता का
उत्तर – 3
उपलब्धि परीक्षण ज्ञान का माप है। एक उपलब्धि परीक्षण (achievement test) का उद्देश्य यह मापना है कि किसी व्यक्ति ने किसी विशिष्ट विषय या क्षेत्र में कितना ज्ञान और कौशल अर्जित किया है। ये परीक्षण आमतौर पर किसी शिक्षण इकाई, जैसे कि एक सेमेस्टर या पाठ्यक्रम के अंत में दिए जाते हैं।
संक्षेप में, उपलब्धि परीक्षण यह बताता है कि आपने क्या सीखा है, न कि आप कितने बुद्धिमान हैं। |
प्रश्न – (2) विद्यार्थियों के लिए उपलब्धि परीक्षा का सबसे अच्छा तरीका है।1. वार्षिक परीक्षा
2. अर्द्धवार्षिक परीक्षा
3. आवधिक परीक्षा
4. मासिक परीक्षा
उत्तर – 3
विद्यार्थियों के लिए उपलब्धि परीक्षा का सबसे अच्छा तरीका है 3. आवधिक परीक्षा (Periodic Examination)। आवधिक परीक्षा का महत्वआवधिक परीक्षा वह प्रणाली है जिसमें पूरे वर्ष नियमित अंतराल पर परीक्षाएँ ली जाती हैं (जैसे मासिक या त्रैमासिक)। यह प्रणाली अन्य विकल्पों से बेहतर है क्योंकि:
अन्य विकल्प क्यों कम प्रभावी हैं:
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प्रश्न – (3) जब बच्चा फेल होता है, तो इसका तात्पर्य है। कि1. बच्चा पढाई के लिए योग्य नही है।
2. बच्चे ने उत्तरों को सही तरीके से याद नहीं किया है।
3. बच्चें को प्राइवेट ट्यूशन लेनी चाहिए थी।
4. व्यवस्था फेल हुई है।
उत्तर – 4
जब बच्चा फेल होता है, तो इसका तात्पर्य है कि व्यवस्था फेल हुई है। असफलता का आधुनिक परिप्रेक्ष्यआधुनिक शिक्षा मनोविज्ञान के अनुसार, किसी भी बच्चे का असफल होना मुख्य रूप से शिक्षण-अधिगम प्रणाली की असफलता को दर्शाता है। इसका अर्थ यह है कि:
यह दृष्टिकोण इस बात पर जोर देता है कि हर बच्चा सीखने में सक्षम होता है। यदि वह सफल नहीं होता है, तो हमें बच्चे को दोष देने के बजाय उन कारकों को समझना और ठीक करना चाहिए जो उसकी असफलता का कारण बने। |
प्रश्न – (4) परीक्षा में विद्यार्थियों से किस प्रकार के पश्न पूछने चाहिए।1. स्मृति एव समक्ष आधारित
2. वस्तुनिष्ठ एवं विषयगत
3. समक्ष एवं अनुप्रयोग आधारित
4. केवल वस्तुनिष्ठ
उत्तर – 3
परीक्षा में विद्यार्थियों से समझ और अनुप्रयोग-आधारित प्रश्न पूछने चाहिए। समझ और अनुप्रयोग-आधारित प्रश्न (Comprehension and Application-based Questions)ये प्रश्न केवल तथ्यों को याद रखने पर आधारित नहीं होते, बल्कि छात्रों की विषय की गहरी समझ को मापते हैं। ये प्रश्न छात्रों से जानकारी को नई और अपरिचित स्थितियों में लागू करने, समस्याओं को हल करने, और विभिन्न अवधारणाओं के बीच संबंध स्थापित करने के लिए कहते हैं।
अन्य विकल्प क्यों कम प्रभावी हैं:
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प्रश्न – (5) निम्न में कौन सा वस्तुनिष्ठ प्रश्न है।1. निबंधात्मक प्रश्न
2. लघुत्तरात्मक प्रश्न
3. मुक्त उत्तर वाला प्रश्न
4. सत्य या असत्य
उत्तर – 4
सही उत्तर है 4. सत्य या असत्य। वस्तुनिष्ठ प्रश्न क्या हैं?वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Questions) वे होते हैं जिनका केवल एक ही सही उत्तर होता है। इन प्रश्नों में व्यक्तिपरक व्याख्या या राय की कोई गुंजाइश नहीं होती। दिए गए विकल्पों में, सत्य या असत्य (True or False) प्रश्न सबसे स्पष्ट रूप से वस्तुनिष्ठ होते हैं क्योंकि उनका उत्तर या तो “सत्य” होता है या “असत्य”। कोई तीसरा विकल्प संभव नहीं है। अन्य विकल्प क्यों वस्तुनिष्ठ नहीं हैं:
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प्रश्न – (6) जब परीक्षार्थियों की संख्या अधिक हो, तो किस प्रकार के प्रश्नों द्वारा उनका मूल्यांकन किया जा सकता है।1. अति लघुत्तरात्मक प्रश्न
2. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
3. निबन्धात्मक प्रश्न
4. लघुत्तरात्मक प्रश्न
उत्तर – 2
जब परीक्षार्थियों की संख्या अधिक हो, तो वस्तुनिष्ठ प्रश्न सबसे उपयुक्त होते हैं। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का महत्व
जब परीक्षार्थियों की संख्या अधिक होती है, तो निबंधात्मक या लघु उत्तरात्मक प्रश्नों की जाँच में बहुत समय लगता है और यह प्रक्रिया थकाऊ भी हो सकती है। इसलिए, समय और संसाधनों को बचाने के लिए वस्तुनिष्ठ प्रश्न सबसे अच्छा विकल्प होते हैं। |
प्रश्न – (7) एक अच्छी परीक्षा के तीन महत्वपूर्ण गुण है।1. व्यापकता, मूल्यांकन और व्यावहारिकता
2. वैधता, व्यापकता और मूल्यांकन
3. वैधता, व्यावहारिकता और मूल्यांकन
4. इनमें से कोई नहीं
उत्तर – 3
एक अच्छी परीक्षा के तीन महत्वपूर्ण गुण हैं वैधता, व्यापकता और मूल्यांकन। एक अच्छी परीक्षा के गुणएक प्रभावी और विश्वसनीय परीक्षा में तीन मुख्य गुण होने चाहिए, जो यह सुनिश्चित करते हैं कि परीक्षा अपने उद्देश्य को पूरा करती है।
इसलिए, ये तीनों गुण एक अच्छी परीक्षा के लिए आवश्यक हैं। |
प्रश्न – (8) परीक्षण शिक्षण के लिए है, शिक्षण परीक्षण के लिए नहीं। यह मूल्यांकन का लक्ष्य है।1. संकुचित
2. व्यापक
3. सीमित
4. उपरोक्त सभी
उत्तर – 2
संकुचित दृष्टिकोण से देखें तो शिक्षण का उद्देश्य केवल परीक्षण पास करना है, जबकि एक व्यापक दृष्टिकोण यह मानता है कि परीक्षण शिक्षण को बेहतर बनाने का एक साधन मात्र है। मूल्यांकन का व्यापक लक्ष्यव्यापक दृष्टिकोण के अनुसार, मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि शिक्षण प्रक्रिया कितनी प्रभावी रही है और इसमें कहाँ सुधार की आवश्यकता है। यह छात्रों को उनके सीखने के मार्ग में मार्गदर्शन करने में मदद करता है। इस दृष्टि से, परीक्षाएँ केवल एक उपकरण हैं जो शिक्षक को यह जानने में मदद करती हैं कि छात्र ने क्या सीखा है और कहाँ उसे और सहायता की आवश्यकता है। संकुचित दृष्टिकोणइसके विपरीत, एक संकुचित दृष्टिकोण में, शिक्षण का उद्देश्य केवल अच्छे अंक प्राप्त करना या परीक्षा पास करना बन जाता है। यहाँ परीक्षा को ही अंतिम लक्ष्य मान लिया जाता है। इसलिए, जब यह कहा जाता है कि “परीक्षण शिक्षण के लिए है, शिक्षण परीक्षण के लिए नहीं”, तो यह मूल्यांकन के व्यापक लक्ष्य को दर्शाता है। |
प्रश्न – (9) बालक की रूचि का परीक्षण मूल्यांकन की कौन सी विधि है।1. सामूहिक परीक्षा
2. सामर्थ्य परीक्षा
3. वैयक्तिक परीक्षा
4. प्रक्षेपण विधि
उत्तर – 3
बालक की रुचि का परीक्षण वैयक्तिक परीक्षा की विधि है। वैयक्तिक परीक्षा (Individual Test) का महत्ववैयक्तिक परीक्षा वह मूल्यांकन विधि है जिसमें एक शिक्षक या परीक्षक एक समय में केवल एक ही बच्चे का मूल्यांकन करता है। यह विधि बालक की व्यक्तिगत विशेषताओं, जैसे उसकी रुचियों, योग्यताओं और व्यक्तित्व का गहराई से अध्ययन करने में सहायक होती है। रुचि का परीक्षण एक व्यक्तिपरक और गहन प्रक्रिया है। इसे एक बड़े समूह में सही ढंग से मापा नहीं जा सकता। एक-एक करके बात करने और विभिन्न गतिविधियों में बच्चे के व्यवहार को देखकर ही उसकी वास्तविक रुचि का पता लगाया जा सकता है। अन्य विकल्प क्यों सही नहीं हैं:
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प्रश्न – (10) ब्लू – प्रिन्ट है।1. प्रश्न – पत्र की आधारशिला
2. शिक्षण की आधारशिला
3. विद्यालय की आधारशिला
4. इनमें से कोई नही
उत्तर – 1
ब्लू-प्रिंट है 1. प्रश्न-पत्र की आधारशिला। ब्लू-प्रिंट क्या है?ब्लू-प्रिंट एक विस्तृत योजना या खाका होता है जिसका उपयोग प्रश्न-पत्र बनाने के लिए किया जाता है। यह प्रश्न-पत्र की संरचना, उद्देश्यों, और सामग्री का मार्गदर्शन करता है। इसमें यह स्पष्ट रूप से बताया जाता है कि प्रश्न-पत्र में कितने प्रश्न होंगे, वे किस प्रकार के होंगे (वस्तुनिष्ठ, लघु-उत्तरीय, दीर्घ-उत्तरीय), प्रत्येक प्रश्न के लिए कितने अंक होंगे, और कौन से अध्याय या विषय से कितने प्रश्न पूछे जाएंगे। ब्लू-प्रिंट यह सुनिश्चित करता है कि प्रश्न-पत्र वैध (valid) और विश्वसनीय (reliable) हो, क्योंकि यह सभी आवश्यक पहलुओं को समान रूप से कवर करता है। इस तरह, यह सिर्फ एक प्रश्न-पत्र नहीं, बल्कि एक सुनियोजित और वैज्ञानिक मूल्यांकन उपकरण बनाने में मदद करता है। |
प्रश्न – (11) कक्षा में प्रस्तावना प्रश्न पूछना शिक्षण के किस सूत्र पर आधारित है।1. दृश्य से अदृश्य की ओर
2. आसान से कठिन की ओर
3. ज्ञात से अज्ञात की ओर
4. मूर्त से अमूर्त की ओर
उत्तर – 3
कक्षा में प्रस्तावना प्रश्न पूछना ज्ञात से अज्ञात की ओर शिक्षण सूत्र पर आधारित है। ज्ञात से अज्ञात की ओरयह एक शिक्षण सूत्र है जिसमें शिक्षक पहले उन चीजों के बारे में प्रश्न पूछते हैं जो छात्रों को पहले से ही ज्ञात हैं। इन प्रश्नों के उत्तर के आधार पर, शिक्षक धीरे-धीरे उन्हें उस विषय वस्तु की ओर ले जाते हैं जो उनके लिए अज्ञात है। इस प्रक्रिया का लाभ यह है कि:
इस प्रकार, प्रस्तावना प्रश्न पूछने का उद्देश्य छात्रों के ज्ञान के आधार पर नए पाठ की शुरुआत करना होता है। |
प्रश्न – (12) निबन्धात्मक प्रश्न होते है।1. विश्वसनीय
2. वैध
3. वस्तुनिष्ठ
4. व्यक्तिनिष्ठ
उत्तर – 4
निबंधात्मक प्रश्न व्यक्तिनिष्ठ होते हैं। व्यक्तिनिष्ठता का अर्थव्यक्तिनिष्ठता (Subjectivity) का अर्थ है कि इन प्रश्नों के उत्तर व्यक्ति की अपनी राय, समझ और लिखने की शैली पर आधारित होते हैं।
अन्य विकल्प क्यों सही नहीं हैं:
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प्रश्न – (13) मौखिक मूल्यांकन द्वारा किस उद्देश्य की जॉच करना सम्भव नही है।1. ज्ञान
2. अवबोधन
3. ज्ञानोपयोग
4. कौशल
उत्तर – 4
मौखिक मूल्यांकन द्वारा कौशल की जाँच करना संभव नहीं है। मौखिक मूल्यांकन और कौशलमौखिक मूल्यांकन में, छात्र प्रश्नों का उत्तर बोलकर देते हैं। यह विधि मुख्य रूप से ज्ञान, अवबोधन, और ज्ञानोपयोग (जानकारी को लागू करने) की जाँच के लिए उपयोगी है। लेकिन कौशल (skills) की जाँच के लिए, विशेष रूप से शारीरिक या व्यावहारिक कौशल, मौखिक मूल्यांकन अपर्याप्त होता है। उदाहरण के लिए, एक डॉक्टर की सर्जरी करने की क्षमता या एक बढ़ई की लकड़ी का काम करने की क्षमता का मूल्यांकन केवल मौखिक रूप से नहीं किया जा सकता है। इसके लिए वास्तविक प्रदर्शन या व्यावहारिक परीक्षा की आवश्यकता होती है। |
प्रश्न – (14) निम्न में कौन सा निबन्धात्मक प्रकार का पश्न नही है।1. व्याख्यात्मक
2. विवेचनात्मक
3. आलोचनात्मक
4. सरल प्रत्यास्मरण
उत्तर – 4
सही उत्तर है 4. सरल प्रत्यास्मरण। निबंधात्मक प्रश्न :निबंधात्मक प्रश्न वे होते हैं जिनमें छात्र को किसी विषय पर अपने विचारों, विश्लेषण और समझ को विस्तार से व्यक्त करने की आवश्यकता होती है। इनमें व्याख्या, विवेचना और आलोचना शामिल होती है।
सरल प्रत्यास्मरण (Simple Recall)सरल प्रत्यास्मरण का अर्थ है किसी तथ्य को सीधे याद करके बताना। यह एक वस्तुनिष्ठ या अति लघु-उत्तरात्मक प्रश्न का हिस्सा होता है, जहाँ छात्र को केवल एक शब्द, तारीख या नाम का उत्तर देना होता है। इसमें किसी भी तरह की व्याख्या या विश्लेषण की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए यह निबंधात्मक प्रश्न का प्रकार नहीं है। |
प्रश्न – (15) प्रश्नों का वह स्वरूप, जिसमें स्वतंत्र अभिव्यक्ति को अवसर नहीं मिलता1. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
2. लघुत्तरात्मक प्रश्न
3. निबन्धात्मक प्रश्न
4. अति लघुत्तरात्मक प्रश्न
उत्तर – 1
प्रश्नों का वह स्वरूप जिसमें स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अवसर नहीं मिलता, वह वस्तुनिष्ठ प्रश्न है। वस्तुनिष्ठ प्रश्नवस्तुनिष्ठ प्रश्न वे होते हैं जिनका केवल एक ही सही उत्तर होता है और वे व्यक्ति की राय या भावना पर आधारित नहीं होते। इनमें स्वतंत्र अभिव्यक्ति का कोई अवसर नहीं होता क्योंकि उत्तर पहले से ही निर्धारित होता है। उदाहरण के लिए:
इन प्रश्नों का उद्देश्य केवल यह मापना होता है कि छात्र ने तथ्यों और अवधारणाओं को कितनी अच्छी तरह याद किया है, न कि उसकी विचार करने या लिखने की क्षमता का। |
प्रश्न – (16) किसने सबसे पहले बुद्धि परीक्षण का निर्णय लिया।1. डेविड वेश्लर
2. एल्फेड बिने
3. चार्ल्स एडवर्ड स्पीयरमैन
4. रॉबर्ट स्टर्नवर्ग
उत्तर – 2
सबसे पहले बुद्धि परीक्षण का निर्माण एल्फ्रेड बिने (Alfred Binet) ने किया था। बिने और साइमन का बुद्धि परीक्षणएल्फ्रेड बिने एक फ्रांसीसी मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने 20वीं सदी की शुरुआत में मानसिक आयु (Mental Age) की अवधारणा विकसित की। 1905 में, उन्होंने अपने सहयोगी थियोडोर साइमन (Théodore Simon) के साथ मिलकर पहला व्यावहारिक बुद्धि परीक्षण बनाया, जिसे बिने-साइमन स्केल के नाम से जाना जाता है। इस परीक्षण का उद्देश्य उन बच्चों की पहचान करना था जिन्हें स्कूली शिक्षा में विशेष सहायता की आवश्यकता थी। इस परीक्षण ने आधुनिक बुद्धि परीक्षणों की नींव रखी और यह बिने को बुद्धि परीक्षण के क्षेत्र का जनक बनाता है। |
प्रश्न – (17) निम्न में से कौन सा कारक अधिगम को सकारात्मक प्रकार से परिभाषित करता है।1. अनुत्तीर्ण हो जाने का भय
2. प्रतियोगिता
3. अर्थपूर्ण संबंध
4. माता पिता की ओर से दबाव
उत्तर – 3
इसका सही उत्तर है 3. अर्थपूर्ण संबंध (Meaningful Connection)। अर्थपूर्ण संबंध और सकारात्मक अधिगमजब कोई छात्र किसी विषय को अपने जीवन या अन्य विषयों से अर्थपूर्ण ढंग से जोड़ पाता है, तो उसका अधिगम सकारात्मक और स्थायी होता है। यह सीखने की प्रक्रिया को रोचक बनाता है और छात्र को विषय को गहराई से समझने के लिए प्रेरित करता है, बजाय केवल तथ्यों को रटने के। अन्य विकल्प क्यों नकारात्मक प्रभाव डालते हैं:
संक्षेप में, आंतरिक प्रेरणा और विषय से जुड़ाव ही सकारात्मक अधिगम का आधार हैं। |
प्रश्न – (18) सामाजिक अधिगम का सिद्धांत निम्न मे से किस घटक पर बल देता है।1. प्रकृति
2. पोषण
3. अनुकूलन
4. पाठ संशोधन
उत्तर – 2
सामाजिक अधिगम का सिद्धांत पोषण (Nurture) घटक पर बल देता है। सामाजिक अधिगम का सिद्धांत (Social Learning Theory)यह सिद्धांत अल्बर्ट बंडूरा (Albert Bandura) द्वारा दिया गया था। यह इस बात पर जोर देता है कि व्यक्ति दूसरों को देखकर और उनका अनुकरण करके सीखता है। बंडूरा के अनुसार, अधिगम मुख्य रूप से सामाजिक वातावरण में होता है और इसमें अवलोकन, नकल और मॉडलिंग की भूमिका होती है।
प्रकृति (Nature) के साथ संबंधइसके विपरीत, प्रकृति आनुवंशिक या जन्मजात कारकों को संदर्भित करती है। यद्यपि बंडूरा ने पूरी तरह से प्रकृति की उपेक्षा नहीं की, उनका सिद्धांत मुख्य रूप से इस बात पर केंद्रित है कि वातावरण (पोषण) किस तरह अधिगम को प्रभावित करता है। |
प्रश्न – (19) क्षमता के विकास का दूसरा नाम है।1. अनुभव
2. परिपक्वता
3. शारीरिक विकास
4. कौशल विकास
उत्तर – 4
क्षमता के विकास का दूसरा नाम कौशल विकास है। कौशल विकास (Skill Development)कौशल विकास का अर्थ है किसी कार्य को करने की योग्यता या दक्षता में सुधार करना। जब हम किसी क्षेत्र में अपनी क्षमता को बढ़ाते हैं, तो हम वास्तव में उस क्षेत्र से संबंधित कौशल को विकसित कर रहे होते हैं। यह विकास अभ्यास, प्रशिक्षण और अनुभव के माध्यम से होता है। अन्य विकल्प
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प्रश्न – (20) मनोविज्ञान ने शिक्षा को बना दिया है।1. पाठ्यचर्या केन्द्रित
2. शिक्षक केन्द्रित
3. बाल केन्द्रित
4. विषय केन्द्रित
उत्तर – 3
मनोविज्ञान ने शिक्षा को बाल केंद्रित बना दिया है। बाल केंद्रित शिक्षा क्या है?बाल-केंद्रित शिक्षा (Child-centered education) एक शिक्षण दृष्टिकोण है जहाँ शिक्षा का केंद्र-बिंदु छात्र होता है। इसका उद्देश्य प्रत्येक बच्चे की व्यक्तिगत आवश्यकताओं, रुचियों और क्षमताओं के अनुसार शिक्षा प्रदान करना है। मनोविज्ञान के विकास से पहले, शिक्षा प्रणाली मुख्य रूप से शिक्षक-केंद्रित या विषय-केंद्रित थी, जिसमें छात्र की आवश्यकताओं पर कम ध्यान दिया जाता था। मनोविज्ञान की भूमिकामनोविज्ञान ने यह साबित किया कि हर बच्चा अलग होता है और उसके सीखने की अपनी गति और शैली होती है। इसलिए, शिक्षा प्रणाली को छात्र के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाना चाहिए। इस तरह, मनोविज्ञान ने पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को बदल दिया और उसे बच्चे के अनुकूल बनाया। |
प्रश्न – (21) निम्न में से कौन सा किशोरावस्था का लक्षण नही है।1. शारीरिक परिवर्तन
2. व्यवहार में स्थिरता
3. अस्थिरता का समस्या
4. संवेगात्मक समस्याएं
उत्तर – 2
किशोरावस्था का लक्षण 2. व्यवहार में स्थिरता नहीं है। किशोरावस्था के प्रमुख लक्षणकिशोरावस्था (लगभग 12 से 18 वर्ष की आयु) को जीवन का एक चुनौतीपूर्ण और परिवर्तनशील काल माना जाता है। इस दौरान, व्यक्ति के व्यवहार में अस्थिरता और कई प्रकार के शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक बदलाव आते हैं।
इसलिए, व्यवहार में स्थिरता किशोरावस्था का लक्षण नहीं है, बल्कि इसके विपरीत, अस्थिरता इस अवस्था की एक प्रमुख विशेषता है। |
प्रश्न – (22) निम्न में से कौन सा शिक्षा मनोविज्ञान कें अध्ययन की वस्तुनिष्ठ विधि नहीं है।1. प्रयोगात्मक विधि
2. उपचारात्मक विधि
3. आत्मनिरीक्षण विधि
4. निरीक्षण विधि
उत्तर – 3
शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन की वस्तुनिष्ठ विधि आत्मनिरीक्षण विधि (Introspection Method) नहीं है। आत्मनिरीक्षण विधिआत्मनिरीक्षण एक व्यक्तिनिष्ठ (subjective) विधि है। इसमें व्यक्ति अपने स्वयं के मन की प्रक्रियाओं, भावनाओं और विचारों का अवलोकन करता है और उनका वर्णन करता है। यह विधि वस्तुनिष्ठ नहीं है क्योंकि इसमें बाहरी पर्यवेक्षण संभव नहीं है और यह व्यक्ति के आत्म-ज्ञान और ईमानदारी पर निर्भर करती है। वस्तुनिष्ठ विधियाँ
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प्रश्न – (23) संवेद जो सामान्यत: सुख देता है।1. करूणा
2. एकाकीपन
3. भूख
4. आत्माभिमान
उत्तर – 4
जब किसी संवेद (sensation) की बात आती है, जो सामान्यतः सुख देता है, तो सही उत्तर है 4. आत्माभिमान (Self-esteem)। आत्माभिमान और सुख का संबंध
अन्य विकल्प क्यों सही नहीं हैं:
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प्रश्न – (24) निम्न में से कौन सा अमूर्त स्थाई भाव है।1. आदर
2. निवास स्थान
3. पशु
4. क्रोध
उत्तर – 1
आदर (Respect) एक अमूर्त स्थायी भाव है। अमूर्त भाव और वस्तुएँअमूर्त (Abstract) का अर्थ है वह जिसे हम देख या छू नहीं सकते, जो केवल एक विचार, भावना या अवधारणा के रूप में मौजूद हो।
मूर्त वस्तुएँ
इस प्रकार, दिए गए विकल्पों में से, आदर ही सबसे उपयुक्त अमूर्त और स्थायी भाव है। |
प्रश्न – (25) किसी दुखी व्यक्ति को सहानुभूति के दो शब्द कहना किसका उदाहरण है।1. सक्रिय सहानुभूति
2. निष्क्रिय सहानुभूति
3. व्यक्तिगत सहानुभूति
4. उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर – 2
किसी दुखी व्यक्ति को सहानुभूति के दो शब्द कहना निष्क्रिय सहानुभूति का उदाहरण है। निष्क्रिय सहानुभूति (Passive Sympathy)निष्क्रिय सहानुभूति वह होती है जिसमें व्यक्ति केवल मौखिक रूप से या भावनात्मक रूप से अपनी सहानुभूति व्यक्त करता है, लेकिन पीड़ित व्यक्ति की मदद के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाता। इसमें “मुझे आपके लिए दुख है” या “मैं समझ सकता हूँ कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं” जैसे कथन शामिल होते हैं। सक्रिय सहानुभूति (Active Sympathy)इसके विपरीत, सक्रिय सहानुभूति वह होती है जिसमें सहानुभूति के साथ-साथ कार्रवाई भी शामिल होती है। इसमें व्यक्ति पीड़ित की मदद के लिए कोई काम करता है, जैसे भोजन देना, चिकित्सा सहायता प्रदान करना, या किसी भी तरह से उसकी समस्या को हल करने में मदद करना। |
प्रश्न – (26) निम्न में से कौनसी किशोरवस्था की विशेषता नहीं है।1. शारीरिक विकास
2. मानसिक विकास
3. समूह का महत्व
4. तीव्र समायोजन
उत्तर – 4
इसका सही उत्तर है 4. तीव्र समायोजन। किशोरावस्था की विशेषताएँकिशोरावस्था (लगभग 12 से 18 वर्ष की आयु) को जीवन का एक चुनौतीपूर्ण और परिवर्तनशील काल माना जाता है। इस दौरान, व्यक्ति के व्यवहार में अस्थिरता और कई प्रकार के शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक बदलाव आते हैं।
इसके विपरीत, तीव्र समायोजन (Rapid Adjustment) किशोरावस्था का लक्षण नहीं है, बल्कि इस अवस्था में अस्थिरता और समायोजन की समस्याएँ अधिक होती हैं। किशोरों को अपने बदलते शरीर, भावनाओं और सामाजिक अपेक्षाओं के साथ तालमेल बिठाने में अक्सर कठिनाई होती है, जिसके कारण तनाव और संघर्ष की स्थिति बनती है। |
प्रश्न – (27) सीखना विकास की प्रक्रिया है यह किसने कहा था।1. वुडवर्थ
2. थार्नडाइक
3. मॉर्गन
4. क्रॉनबैक
उत्तर – 1
सीखना विकास की प्रक्रिया है, यह कथन 1. वुडवर्थ (Woodworth) का है। वुडवर्थ का कथनमनोवैज्ञानिक रॉबर्ट एस. वुडवर्थ ने अधिगम (सीखने) को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जो व्यक्ति के विकास में योगदान करती है। उनके अनुसार, सीखना केवल जानकारी इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति के व्यवहार और व्यक्तित्व में प्रगतिशील परिवर्तन लाती है। यह परिवर्तन व्यक्ति को नई परिस्थितियों के अनुकूल ढलने और बेहतर ढंग से कार्य करने में मदद करता है, जो वास्तव में विकास का ही एक रूप है। |
प्रश्न – (28) निम्न में से कौन सा अधिगम का एक मुख्य थार्नडाइक नियम है।1. उपयोग का नियम
2. अभ्यास का नियम
3. आत्मीकरण का नियम
4. मनोवृति का नियम
उत्तर – 2
निम्न में से अधिगम का एक मुख्य थार्नडाइक नियम है 2. अभ्यास का नियम (Law of Exercise)। थार्नडाइक के सीखने के मुख्य नियमप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक एडवर्ड एल. थार्नडाइक (Edward L. Thorndike) ने सीखने के तीन मुख्य नियम दिए हैं, जो इस प्रकार हैं:
दिए गए विकल्पों में से, अभ्यास का नियम थार्नडाइक के सीखने के तीन मुख्य नियमों में से एक है। |
प्रश्न – (29) अनुदेशन का प्रणाली उपागम है।1. शिक्षक केन्द्रित
2. बाल केन्द्रित
3. कक्षाकक्ष केंन्द्रित
4. समस्या केन्द्रित
उत्तर – 4
अनुदेशन का प्रणाली उपागम समस्या-केंद्रित है। प्रणाली उपागम क्या है?प्रणाली उपागम (System Approach) एक वैज्ञानिक और व्यवस्थित विधि है जो शिक्षण प्रक्रिया की योजना बनाने और उसे लागू करने के लिए उपयोग की जाती है। यह उपागम किसी समस्या को हल करने पर केंद्रित होता है, जैसे कि छात्रों के सीखने में आने वाली कठिनाइयों को दूर करना। इसमें निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
यह उपागम न तो केवल शिक्षक पर, न छात्र पर, और न ही कक्षा पर केंद्रित होता है, बल्कि इसका मुख्य ध्यान समस्या को हल करने पर होता है। |
प्रश्न – (30) समूह विधियो द्वारा सीखने का उदाहरण है।1. वाद विवाद विधि
2. कार्यशाला विधि
3. विचार गोष्ठि
4. ये सभी
उत्तर – 4
समूह विधियों द्वारा सीखने का उदाहरण 4. ये सभी हैं। समूह विधियों का महत्वसमूह विधियाँ वे शिक्षण तकनीकें हैं जहाँ छात्र छोटे या बड़े समूहों में एक साथ काम करके सीखते हैं। इन विधियों का मुख्य उद्देश्य सहयोग, पारस्परिक विचार-विमर्श, और सामूहिक समस्या-समाधान को बढ़ावा देना है।
ये सभी विधियाँ सीखने में समूह कार्य के महत्व को दर्शाती हैं, और इसलिए ये सभी समूह विधियों द्वारा सीखने के उदाहरण हैं। |
प्रश्न – (31) अधिगम को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारको में से एक है।1. सामाजिक परिवेश
2. थकावट
3. मानसिक स्तर
4. इनमें से कोई नहीं
उत्तर – 1
अधिगम (सीखने) को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारकों में से एक सामाजिक परिवेश है। पर्यावरणीय कारकपर्यावरणीय कारक वे कारक हैं जो व्यक्ति के बाहर से आते हैं और उसके सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। इनमें सामाजिक, सांस्कृतिक, भौतिक और पारिवारिक वातावरण शामिल हैं।
आंतरिक कारकदिए गए अन्य विकल्प आंतरिक कारक हैं, जो व्यक्ति के भीतर से आते हैं।
इस प्रकार, सामाजिक परिवेश ही एकमात्र विकल्प है जो एक बाहरी या पर्यावरणीय कारक है। |
प्रश्न – (32) निम्न में से कौन सा मानसिक रूप से स्वास्थ व्यक्ति का लक्षण है।1. सहनशीलता
2. आत्मविश्वास
3. संवेगात्मक परिपक्वता
4. ये सभी
उत्तर – 4
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण ये सभी हैं। मानसिक स्वास्थ्य के लक्षणएक मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति वह होता है जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने, सकारात्मक संबंध बनाने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होता है। ये सभी गुण एक मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में पाए जाते हैं:
ये सभी लक्षण मिलकर एक संतुलित और परिपक्व व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य का प्रतीक है। |
प्रश्न – (33) कक्षा में परस्पर संवाद से क्या उभरकर आना चाहिए।1. विवाद
2. सूचना
3. विचार
4. तर्क वितर्क
उत्तर – 3
कक्षा में परस्पर संवाद से विचार उभरकर आना चाहिए। संवाद का उद्देश्यकक्षा में छात्रों और शिक्षक के बीच परस्पर संवाद (interaction) का मुख्य उद्देश्य विचारों का आदान-प्रदान करना होता है। यह संवाद छात्रों को अपनी सोच को स्पष्ट करने, नए दृष्टिकोण विकसित करने और एक-दूसरे के विचारों को समझने में मदद करता है। जब छात्र अपने विचार साझा करते हैं, तो यह न केवल उनके स्वयं के अधिगम (learning) को बढ़ाता है, बल्कि पूरी कक्षा के लिए एक समृद्ध शैक्षिक वातावरण भी बनाता है। अन्य विकल्प क्यों सही नहीं हैं:
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प्रश्न – (34) किसी कार्य को करने की विशिष्ट योग्यता को कहते है।1. अभिरूचि
2. प्रत्यक्षीकरण
3. अभियोग्यता
4. अभिवृति
उत्तर – 3
किसी कार्य को करने की विशिष्ट योग्यता को अभियोग्यता (Aptitude) कहते हैं। अभियोग्यता क्या है?अभियोग्यता एक व्यक्ति में मौजूद वह स्वाभाविक या जन्मजात क्षमता है जो उसे किसी विशिष्ट कार्य या क्षेत्र में सफल होने की संभावना दर्शाती है। यह ज्ञान या कौशल नहीं है जो सीखा गया है, बल्कि यह एक ऐसी संभावित क्षमता है जो सही प्रशिक्षण और अनुभव से विकसित की जा सकती है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति में संगीत की अभियोग्यता हो सकती है, जिसका अर्थ है कि वह संगीत को आसानी से सीख सकता है और उसमें कुशल हो सकता है। अन्य विकल्प क्यों सही नहीं हैं:
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प्रश्न – (35) कम्प्यूटर की विशिष्ट विशेषता है।1. गति
2. संभरण
3. परिशुद्धता
4. ये सभी
उत्तर – 4
कम्प्यूटर की विशिष्ट विशेषताएँ ये सभी हैं। कंप्यूटर की मुख्य विशेषताएँ
ये तीनों विशेषताएँ मिलकर कंप्यूटर को एक शक्तिशाली और बहुमुखी उपकरण बनाती हैं। |
प्रश्न – (36) प्रशिक्षण एवं अभ्यास संबंधित है।1. संज्ञानात्मक वाद से
2. व्यवहारवाद से
3. निर्मितवाद से
4. कोई नहीं
उत्तर – 2
प्रशिक्षण और अभ्यास का संबंध 2. व्यवहारवाद (Behaviorism) से है। व्यवहारवाद और अधिगमव्यवहारवाद मनोविज्ञान का एक ऐसा सिद्धांत है जो इस बात पर जोर देता है कि अधिगम (सीखना) बाहरी उद्दीपनों (stimuli) और प्रतिक्रियाओं (responses) के बीच संबंध स्थापित करने से होता है। व्यवहारवादी मानते हैं कि व्यक्ति का व्यवहार पर्यावरण के साथ उसकी अंतःक्रिया का परिणाम है।
इसलिए, प्रशिक्षण और अभ्यास जैसी अवधारणाएँ व्यवहारवाद के मूल सिद्धांतों का हिस्सा हैं, जहाँ सीखने को अवलोकन योग्य और मापने योग्य व्यवहार के रूप में देखा जाता है। |
प्रश्न – (37) मस्तिष्काधोमुखी सिद्धांत के अनुसार विकास होता है।1. दांयी से बांयी ओर
2. पैर से सिर की ओर
3. बांयी से दांयी ओर
4. सिर से पैर की ओर
उत्तर – 4
मस्तिष्काधोमुखी सिद्धांत (Cephalocaudal Principle) के अनुसार, विकास 4. सिर से पैर की ओर होता है। मस्तिष्काधोमुखी सिद्धांत क्या है?मस्तिष्काधोमुखी सिद्धांत मानव विकास का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो बताता है कि शारीरिक विकास सिर से शुरू होकर नीचे की ओर, यानी पैरों की दिशा में होता है।
यह सिद्धांत यह भी बताता है कि केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का विकास भी सिर से पैरों की दिशा में होता है, जो शरीर के अंगों को नियंत्रित करने की क्षमता को प्रभावित करता है। |
प्रश्न – (38) निम्न में से समस्या समाधान को क्या बाधित नहीं करता ।1. अन्तर्दृष्टि
2. मानसिक प्रारूपता
3. मोर्चाबंदी
4. निर्धारण
उत्तर – 3
समस्या समाधान को 1. अंतर्दृष्टि (Insight) बाधित नहीं करती। अंतर्दृष्टि और समस्या समाधानअंतर्दृष्टि का अर्थ है किसी समस्या का अचानक और सहज समाधान प्राप्त होना। यह अक्सर तब होता है जब व्यक्ति किसी समस्या के विभिन्न हिस्सों के बीच अचानक संबंध स्थापित करता है। यह सीखने की एक प्रक्रिया है जो समस्या-समाधान को सुगम बनाती है, उसे बाधित नहीं करती। अन्य कारक जो समस्या समाधान को बाधित करते हैं
इसलिए, अंतर्दृष्टि एकमात्र ऐसा कारक है जो समस्या समाधान में सहायक होता है। |
प्रश्न – (39) निम्न में से किस अवस्था में बालक अपने समकक्षी वर्ग के सक्रिय सदस्य बनते है।1. वयस्कावस्था
2. बाल्यावस्था
3. किशोरावस्था
4. पूर्व बाल्यावस्था
उत्तर – 2
जिस अवस्था में बालक अपने समकक्ष वर्ग के सक्रिय सदस्य बनते हैं, वह है 3. किशोरावस्था (Adolescence)। किशोरावस्था (Adolescence) और समकक्ष समूहकिशोरावस्था (लगभग 12 से 18 वर्ष की आयु) एक ऐसा समय होता है जब व्यक्ति की पहचान और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण बदलाव आते हैं। इस दौरान, किशोर अपने माता-पिता और परिवार से अलग होकर अपनी पहचान बनाने की कोशिश करते हैं। इसी कारण, उनके लिए उनके समकक्ष समूह (peer group) का महत्व बहुत बढ़ जाता है।
इस तरह, किशोर इस अवस्था में अपने समकक्ष समूह के सक्रिय सदस्य बन जाते हैं, जो उनके सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। |
प्रश्न – (40) निम्न में से कोहलबर्ग कें नैतिक विकास सिद्धांत की अवस्था नहीं है।1. प्राक् रूढिगत
2. रूढिगत
3. संवेदी प्रेरक
4. पश्चात रूढिगत
उत्तर – 3
कोहलबर्ग के नैतिक विकास सिद्धांत की अवस्था संवेदी प्रेरक (Sensorimotor) नहीं है। कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत (Kohlberg’s Theory of Moral Development)लॉरेंस कोहलबर्ग ने नैतिक तर्क और निर्णय के विकास के तीन मुख्य स्तरों का वर्णन किया है, जिनमें से प्रत्येक में दो अवस्थाएँ होती हैं:
संवेदी-प्रेरक अवस्थासंवेदी-प्रेरक अवस्था (Sensorimotor stage) जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत का हिस्सा है, न कि कोहलबर्ग के नैतिक विकास सिद्धांत का। यह अवस्था जन्म से लगभग दो वर्ष की आयु तक होती है और इसमें बच्चे अपनी इंद्रियों और गतिविधियों के माध्यम से दुनिया को समझते हैं। |
प्रश्न – (41) बालक का मानसिक स्वास्थ निर्भर करता है।1. विद्यालय पर
2. परिवार पर
3. समुदाय पर
4. सभी
उत्तर – 4
बालक का मानसिक स्वास्थ्य इन सभी पर निर्भर करता है। मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकबालक का मानसिक स्वास्थ्य एक जटिल अवधारणा है, जो कई कारकों से प्रभावित होती है। इन सभी कारकों का एक-दूसरे के साथ गहरा संबंध होता है।
इसलिए, ये सभी कारक मिलकर बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। |
प्रश्न – (42) निम्न में से कौन सा तत्व संप्रेशण का तत्व नहीं है।1. संप्रेषण का माध्यम
2. संप्रेषण की श्रृंखला
3. संप्रेषण का उद्देश्य
4. संप्रेषण का नियोजन
उत्तर – 4
संप्रेषण (संचार) का तत्व 4. संप्रेषण का नियोजन नहीं है। संप्रेषण के मूल तत्वसंप्रेषण एक प्रक्रिया है जिसमें संदेश भेजने वाला (प्रेषक), एक माध्यम, और संदेश प्राप्त करने वाला (प्राप्तकर्ता) शामिल होते हैं। इसके मुख्य तत्व निम्नलिखित हैं:
संप्रेषण का नियोजन (Planning of Communication) संप्रेषण से पहले की जाने वाली तैयारी है, न कि स्वयं संप्रेषण का एक मूल तत्व। यह एक क्रिया है जो सफल संप्रेषण के लिए आवश्यक है, लेकिन यह संप्रेषण प्रक्रिया का आंतरिक हिस्सा नहीं है। |
प्रश्न – (43) किस अवस्था में बालक में परामर्श शिक्षण अत्यंत सक्रिय होता है।1. बाल्यावस्था
2. किशोरावस्था
3. उत्तर बाल्यावस्था
4. पूर्व बाल्यावस्था
उत्तर – 2
किसी भी बालक के विकास में परामर्श शिक्षण का सबसे महत्वपूर्ण और सक्रिय समय 2. किशोरावस्था (Adolescence) होता है। किशोरावस्था और परामर्शकिशोरावस्था (लगभग 12 से 18 वर्ष की आयु) एक ऐसा संक्रमण काल है जब व्यक्ति अपने शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास में तेजी से बदलाव का अनुभव करता है। इस दौरान किशोरों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे:
इन चुनौतियों के कारण, परामर्श (counselling) इस अवस्था में अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। एक परामर्शदाता उन्हें इन समस्याओं को समझने, उनसे निपटने और सही निर्णय लेने में मदद कर सकता है। यही कारण है कि इस अवस्था में परामर्श शिक्षण सबसे अधिक सक्रिय होता है। |
प्रश्न – (44) अभिक्रमित अधिगम मॉडल के जनक है।1. आसुबेल
2. पियाजे
3. हल
4. स्किनर
उत्तर – 4
अभिक्रमित अधिगम मॉडल के जनक 4. स्किनर हैं। बी.एफ. स्किनर और अभिक्रमित अधिगमबी.एफ. स्किनर (B.F. Skinner) एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे जिन्हें व्यवहारवाद (Behaviorism) के क्षेत्र में उनके काम के लिए जाना जाता है। उन्होंने क्रिया प्रसूत अनुबंधन (Operant Conditioning) का सिद्धांत दिया, जिसके आधार पर अभिक्रमित अधिगम मॉडल (Programmed Learning Model) विकसित हुआ।
यह मॉडल सीखने की प्रक्रिया को व्यक्ति-केंद्रित और स्व-गतिशील बनाता है, और यह स्किनर के सीखने के सिद्धांतों पर आधारित है। |
प्रश्न – (45) निम्न में से कौन सी शिक्षण सिद्धांत की एक विशेषता नहीं है।1. सीखने की उत्सुकता
2. ज्ञान की संरचना
3. क्रमशीलता का अभाव
4. पुष्टिकरण
उत्तर – 3
जिस शिक्षण सिद्धांत की विशेषता नहीं है, वह है 3. क्रमशीलता का अभाव। शिक्षण सिद्धांत की विशेषताएँएक प्रभावी शिक्षण सिद्धांत में निम्नलिखित विशेषताएँ शामिल होती हैं:
इसके विपरीत, क्रमशीलता का अभाव किसी भी प्रभावी शिक्षण सिद्धांत की विशेषता नहीं हो सकती। सीखना हमेशा एक क्रमबद्ध और व्यवस्थित प्रक्रिया होती है, जिसमें एक अवधारणा को दूसरी अवधारणा से जोड़कर सीखा जाता है। क्रमशीलता के अभाव से शिक्षण प्रक्रिया बाधित होती है और सीखने में कठिनाई आती है। |
प्रश्न – (46) पियाजे के अनुसार किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास की कौन सी अवस्था प्रारम्भ होती है।1. पूर्व कार्यात्मक अवस्था
2. औपचारिक कार्यात्मक अवस्था
3. संवेदीगामक अवस्था
4. स्थूल कार्यात्मक अवस्था
उत्तर – 2
पियाजे के अनुसार किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास की औपचारिक कार्यात्मक अवस्था (Formal Operational Stage) प्रारंभ होती है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के चरणजीन पियाजे (Jean Piaget) के सिद्धांत के अनुसार, बच्चों का संज्ञानात्मक विकास चार मुख्य अवस्थाओं से होकर गुजरता है:
|
प्रश्न – (47) किशोरावस्था वह अवस्था है जिसमें बालक परिपक्वता की ओर अग्रसर होता है। यह कथन किसका है।1. स्टेनली
2. जेरसील्ड
3. हरलॉक
4. कोई नहीं
उत्तर – 2
यह कथन 2. जेरसील्ड (Jersild) का है। जेरसील्ड की परिभाषाअमेरिकी मनोवैज्ञानिक आर्थर टी. जेरसील्ड ने किशोरावस्था (adolescence) को एक ऐसी अवस्था के रूप में परिभाषित किया है जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे परिपक्वता (maturity) की ओर बढ़ता है। इस परिभाषा में, जेरसील्ड ने किशोरावस्था को केवल एक उम्र का काल न मानकर, एक विकासात्मक प्रक्रिया के रूप में देखा है जिसमें व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक रूप से परिपक्व होता है। |
प्रश्न – (48) संवेगात्मक बुद्धि को लोकप्रिय बनाने का श्रेय किसको जाता है।1. डेनियल गोलमैन
2. जॉन डी मेयर
3. पीटर
4. सेलावे
उत्तर – 1
संवेगात्मक बुद्धि (Emotional Intelligence) को लोकप्रिय बनाने का श्रेय 1. डेनियल गोलमैन को जाता है। डेनियल गोलमैन की भूमिकाडेनियल गोलमैन (Daniel Goleman) एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक और पत्रकार हैं, जिन्होंने 1995 में अपनी पुस्तक “Emotional Intelligence: Why It Can Matter More Than IQ” लिखी। इस पुस्तक ने संवेगात्मक बुद्धि की अवधारणा को आम जनता के बीच व्यापक रूप से फैलाया। गोलमैन ने तर्क दिया कि सफलता के लिए केवल उच्च IQ (बुद्धिलब्धि) पर्याप्त नहीं है, बल्कि EQ (संवेगात्मक बुद्धिलब्धि) का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने संवेगात्मक बुद्धि को पाँच मुख्य घटकों में विभाजित किया:
जबकि जॉन डी. मेयर (John D. Mayer) और पीटर सेलोवे (Peter Salovey) ने संवेगात्मक बुद्धि की अवधारणा को वैज्ञानिक रूप से विकसित किया, यह गोलमैन की पुस्तक थी जिसने इसे विश्वभर में लोकप्रिय बनाया। |
प्रश्न – (49) किशोरावस्था के आकस्मिक विकास का सिद्धांत कब किसने किया।1. 1904 में हालिंग वर्थ ने
2. 1902 में हॉल ने
3. 1904 में स्टेनले हॉल ने
4. 1904 में थार्नडाइक ने
उत्तर – 3
किशोरावस्था के आकस्मिक विकास का सिद्धांत 1904 में स्टेनली हॉल ने दिया था। आकस्मिक विकास का सिद्धांत (Theory of Sudden Development)जी. स्टेनली हॉल (G. Stanley Hall) ने अपनी पुस्तक “Adolescence” (1904) में यह सिद्धांत प्रस्तुत किया था।
यह सिद्धांत बताता है कि किशोरावस्था एक सहज और अचानक होने वाली प्रक्रिया है, जिसमें एक बच्चे से वयस्क बनने के दौरान कई बड़े बदलाव आते हैं। |
प्रश्न – (50) सामाजिक एवं संवेगात्मक विकास साथ साथ चलते है कथन है।1. हॉल का
2. स्किनर का
3. क्रो व क्रो का
4. स्ट्रैंग का
उत्तर – 3
सामाजिक एवं संवेगात्मक विकास साथ-साथ चलते हैं, यह कथन क्रो और क्रो (Crow & Crow) का है। क्रो और क्रो की परिभाषामनोवैज्ञानिक लॉरेन्स डी. क्रो और एलिजाबेथ एफ. क्रो ने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति का सामाजिक विकास उसके संवेगात्मक विकास से गहराई से जुड़ा हुआ है। उनके अनुसार, जैसे-जैसे व्यक्ति सामाजिक रूप से परिपक्व होता है, वह अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझना और नियंत्रित करना भी सीखता है। ये दोनों प्रक्रियाएँ एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं और एक साथ चलती हैं। |