Psychology Mock Test – 05
प्रश्न – (1) वैयक्तिक विभिन्नता की अवधारणा की खोज किसने की।1. थार्नडाइक ने
2. टेलर ने
3. गाल्टन ने
4. टर्मन ने
उत्तर – 3
वैयक्तिक विभिन्नता (Individual Differences) की अवधारणा की खोज फ्रांसिस गाल्टन ने की थी। फ्रांसिस गाल्टन और वैयक्तिक विभिन्नतासर फ्रांसिस गाल्टन (Sir Francis Galton), एक ब्रिटिश पॉलीमैथ, ने 19वीं शताब्दी के अंत में वैयक्तिक विभिन्नताओं के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
गाल्टन के काम ने मनोविज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में नए दरवाज़े खोले, जिससे यह समझा जा सका कि प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय होता है और सीखने की उसकी अपनी गति और शैली होती है। |
Psychology Mock Test – 05
प्रश्न – (2) एक कक्षा में वैयक्तिक विभिन्नताओं के क्षेत्र हो सकतें है।1. रूचियों के
2. सीखने के
3. चरित्र के
4. उपरोक्त सभी
उत्तर – 4
एक कक्षा में वैयक्तिक विभिन्नताओं के क्षेत्र उपरोक्त सभी हो सकते हैं। वैयक्तिक विभिन्नताओं के क्षेत्रवैयक्तिक विभिन्नता (Individual differences) का अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह कितना भी समान क्यों न हो, एक-दूसरे से भिन्न होता है। यह भिन्नता केवल शारीरिक गुणों तक सीमित नहीं है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्तर पर भी मौजूद होती है। एक कक्षा में यह कई रूपों में देखी जा सकती है:
इसलिए, एक शिक्षक के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक छात्र अद्वितीय है और उसे उसी के अनुसार पढ़ाने की आवश्यकता है। |
प्रश्न – (3) अध्यापन के समय अध्यापक को निम्न में से किसका सर्वाधिक ध्यान रखना चाहिए।1. विषय वस्तु
2. विद्यार्थियों की आयु
3. वैयक्तिक भिन्नता
4. विद्यार्थियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि
उत्तर – 3
अध्यापन के समय अध्यापक को सबसे ज्यादा ध्यान वैयक्तिक भिन्नता (Individual Differences) का रखना चाहिए। वैयक्तिक भिन्नता का महत्वप्रत्येक विद्यार्थी अद्वितीय होता है। उनकी रुचियाँ, सीखने की गति, क्षमताएँ, और अनुभव एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। एक प्रभावी शिक्षक को इन भिन्नताओं को समझना और अपने शिक्षण को उनके अनुसार ढालना चाहिए। ऐसा करने से:
अन्य विकल्प (विषय वस्तु, आयु, और पारिवारिक पृष्ठभूमि) भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन ये सभी वैयक्तिक भिन्नता के व्यापक दायरे में आते हैं। उदाहरण के लिए, आयु एक कारक है जो वैयक्तिक भिन्नता को प्रभावित करती है, लेकिन केवल आयु पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं है क्योंकि एक ही आयु वर्ग के छात्रों में भी बहुत भिन्नता होती है। |
Psychology Mock Test – 05
प्रश्न – (4) वैयक्तिक भिन्नता का प्रमुख कारण है।1. आर्थिक स्थिति
2. वंशक्रम
3. बौद्धिकता
4. सामाजिक स्तर
उत्तर – 2
वैयक्तिक भिन्नता का प्रमुख कारण वंशक्रम (Heredity) है। वैयक्तिक भिन्नता के कारणहालाँकि वैयक्तिक भिन्नता के कई कारण होते हैं, जैसे आर्थिक स्थिति, बौद्धिकता और सामाजिक स्तर, लेकिन इनमें से सबसे महत्वपूर्ण और मौलिक कारण वंशक्रम है। वंशक्रम का अर्थ है कि व्यक्ति को उसके माता-पिता से आनुवंशिक गुण प्राप्त होते हैं। ये आनुवंशिक गुण व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक विशेषताओं को निर्धारित करते हैं। जबकि वातावरण (environment) इन गुणों के विकास को प्रभावित कर सकता है, वंशक्रम ही वह नींव है जिस पर वैयक्तिक भिन्नता का निर्माण होता है। |
प्रश्न – (5) बालक की भिन्नताऍ उद्दीपनों का परिणाम है। यह किसने कहा।1. थॉर्नडाइक
2. गिलफोर्ड
3. जरशील्ड
4. गैरीसन
उत्तर – 4
‘बालक की भिन्नताएँ उद्दीपनों का परिणाम है।’ यह कथन गैरीसन (Garrison) का है।
यह कथन व्यक्तिगत भिन्नताओं के संदर्भ में दिया गया है। गैरीसन और अन्य मनोवैज्ञानिकों का मानना था कि बच्चों में पाए जाने वाले अंतर मुख्य रूप से अभिप्रेरणा, बुद्धि, परिपक्वता और पर्यावरणीय उद्दीपनों में भिन्नता के कारण होते हैं।
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प्रश्न – (6) व्यक्तिगत भिन्नता के कारक सदैव ही हाते है।1. वंशागत
2. सामाजिक एवं आर्थिक
3. संवेगात्मक एवं व्यक्तिगत
4. पर्यावरणीय एवं वंशागत
उत्तर – 3
वैयक्तिक भिन्नता के कारक सदैव ही 4. पर्यावरणीय एवं वंशागत होते हैं। वैयक्तिक भिन्नता के कारकवैयक्तिक भिन्नताएँ (Individual differences) दो प्रमुख कारकों के कारण होती हैं:
इन दोनों कारकों को अक्सर प्रकृति (Nature) और पोषण (Nurture) के रूप में संदर्भित किया जाता है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि व्यक्ति का विकास इन दोनों कारकों की जटिल अंतःक्रिया का परिणाम है। |
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प्रश्न – (7) शिक्षार्थी वैयक्तिक भिन्नता प्रदर्शित करते है। अत: एक शिक्षक को1. अधिगम की एक समान गति पर बल देना चाहिए।
2. सीखने के विविध अनुभवो को उपलब्ध कराना चाहिए।
3. कठोर अनुशासन सुनिश्चित करना चाहिए।
4. परीक्षाओं की संख्या बढा देनी चाहिए।
उत्तर – 2
शिक्षार्थी वैयक्तिक भिन्नता प्रदर्शित करते हैं, इसलिए एक शिक्षक को 2. सीखने के विविध अनुभवों को उपलब्ध कराना चाहिए। वैयक्तिक भिन्नता और शिक्षणजब एक शिक्षक यह समझता है कि प्रत्येक छात्र अद्वितीय है और उसकी सीखने की गति, क्षमता, और रुचि अलग है, तो उसे अपनी शिक्षण विधि में भी विविधता लानी चाहिए।
अन्य विकल्प क्यों अनुपयुक्त हैं
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प्रश्न – (8) व्यक्तिगत शिक्षार्थी एक – दूसरे से …….. मे भिन्न होते है।1. विकास की दर
2. विकास – क्रम
3. विकास की सामान्य क्षमता
4. वृद्धि एवं विकास के सिद्धान्तों
उत्तर – 1
व्यक्तिगत शिक्षार्थी एक-दूसरे से 1. विकास की दर (Rate of Development) में भिन्न होते हैं। विकास की दर में भिन्नताहर व्यक्ति का विकास एक ही क्रम में होता है, लेकिन उसकी गति या दर अलग-अलग हो सकती है। यह विकासात्मक मनोविज्ञान का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जिसे वैयक्तिक भिन्नता (Individual Differences) कहते हैं।
इसलिए, यद्यपि सभी शिक्षार्थियों का विकास समान क्रम में होता है, वे एक-दूसरे से उस विकास की गति में भिन्न होते हैं। |
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प्रश्न – (9) जब एक व्यक्ति दूसरे से रूप, रंग, रूचि, अभिरूचि आदि मे भिन्न हो तो यह कहा जाता है।1. अधिगम अक्षमता
2. वैयक्तिक विभिन्नता
3. विकृत व्यक्तित्व
4. इनमे से कोई नहीं
उत्तर – 2
जब एक व्यक्ति दूसरे से रूप, रंग, रुचि, अभिरुचि आदि में भिन्न हो तो इसे वैयक्तिक विभिन्नता (Individual Differences) कहा जाता है। वैयक्तिक विभिन्नता का अर्थवैयक्तिक विभिन्नता मनोविज्ञान का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो बताता है कि कोई भी दो व्यक्ति, चाहे वे जुड़वाँ ही क्यों न हों, पूरी तरह से समान नहीं होते। यह भिन्नता न केवल बाहरी गुणों जैसे रूप और रंग में होती है, बल्कि आंतरिक गुणों जैसे रुचि, अभिरुचि (aptitude), बुद्धि, व्यक्तित्व, और सीखने की क्षमता में भी होती है। यह अवधारणा शिक्षा और मनोविज्ञान दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शिक्षकों को यह समझने में मदद करती है कि प्रत्येक छात्र अद्वितीय है और उसे अलग तरीके से सीखने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। |
प्रश्न – (10) वैयक्तिक विभिन्नता को जानने के लिए कौन सी विधि नही है।1. बुद्धि परीक्षण
2. व्यक्ति इतिहास विधि
3. व्यक्तिगत परीक्षण
4. अन्तर्दर्शन विधि
उत्तर – 4
वैयक्तिक भिन्नता को जानने के लिए अंतर्दर्शन विधि (Introspection method) उपयुक्त नहीं है। वैयक्तिक भिन्नता और मूल्यांकन की विधियाँवैयक्तिक भिन्नता (Individual differences) का अर्थ है कि हर व्यक्ति दूसरे से अलग होता है, चाहे वह शारीरिक, मानसिक, या भावनात्मक स्तर पर हो। इस भिन्नता को समझने के लिए कई वस्तुनिष्ठ विधियों का उपयोग किया जाता है।
अंतर्दर्शन विधिअंतर्दर्शन विधि (Introspection method) एक व्यक्तिनिष्ठ (subjective) विधि है, जिसमें व्यक्ति स्वयं अपने मन की प्रक्रियाओं, भावनाओं और अनुभवों का अवलोकन करता है। यह विधि वस्तुनिष्ठ नहीं है, क्योंकि यह केवल व्यक्ति के स्वयं के अवलोकन पर निर्भर करती है और इसमें बाहरी सत्यापन (external verification) संभव नहीं है। इसलिए, इसका उपयोग किसी व्यक्ति की दूसरों से भिन्नता को वस्तुनिष्ठ रूप से जानने के लिए नहीं किया जा सकता। |
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प्रश्न – (11) वैयक्तिक विभिन्नता पर आधारित शिक्षण विधि है।1. डाल्टन प्रणाली
2. प्रोजेक्ट प्रणाली
3. मॉण्टेसरी प्रणाली
4. उपरोक्त सभी
उत्तर – 4
वैयक्तिक विभिन्नता पर आधारित शिक्षण विधि 4. उपरोक्त सभी हैं। वैयक्तिक विभिन्नता पर आधारित शिक्षण विधियाँये सभी शिक्षण प्रणालियाँ छात्रों की व्यक्तिगत क्षमताओं, रुचियों और सीखने की गति को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं, जो पारंपरिक कक्षा-आधारित शिक्षण के विपरीत हैं।
ये सभी विधियाँ इस सिद्धांत पर आधारित हैं कि प्रत्येक छात्र अद्वितीय है और उसे सीखने के लिए एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। |
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प्रश्न – (12) किण्डरगार्टन प्रणाली के जन्मदाता है।1. रूसो
2. फ्रोबेल
3. पेस्टालॉजी
4. इनमें से कोई नही
उत्तर – 2
किंडरगार्टन प्रणाली के जन्मदाता 2. फ्रोबेल हैं। फ्रोबेल और किंडरगार्टनफ्रेडरिक फ्रोबेल (Friedrich Fröbel) एक जर्मन शिक्षाशास्त्री थे, जिन्होंने 1837 में पहला किंडरगार्टन (Kindergarten) स्थापित किया। ‘किंडरगार्टन’ का अर्थ जर्मन में ‘बच्चों का बगीचा’ होता है। फ्रोबेल का मानना था कि बच्चे पौधों की तरह होते हैं, और शिक्षक माली की तरह। उनका यह विचार था कि बच्चों को खेलने, गाने और सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से स्वाभाविक और रचनात्मक रूप से सीखने का अवसर मिलना चाहिए। यह प्रणाली पारंपरिक शिक्षा से बहुत अलग थी, और इसका उद्देश्य बच्चों के शारीरिक, सामाजिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक विकास को प्रोत्साहित करना था। |
प्रश्न – (13) विनेटिका प्रणाली के जन्मदाता है।1. कार्लटन वाशवर्न
2. ओविड डेक्रोली
3. डब्ल्यू. ए. बर्ट
4. इनमें से कोई नहीं
उत्तर – 1
विनेटिका प्रणाली (Winnetka Plan) के जन्मदाता 1. कार्लटन वॉशबर्न (Carleton Washburne) हैं। विनेटिका प्रणाली क्या है?विनेटिका प्रणाली एक शैक्षिक विधि है जिसे 1920 के दशक में कार्लटन वॉशबर्न ने विकसित किया था, जब वह अमेरिका के इलिनोइस राज्य में विनेटका शहर के स्कूलों के अधीक्षक थे। यह प्रणाली व्यक्तिगत शिक्षण (individualized instruction) पर आधारित है और इसके दो मुख्य सिद्धांत हैं:
इस प्रणाली का उद्देश्य छात्रों को उनके व्यक्तिगत स्तर और गति से सीखने की अनुमति देना था, जबकि उन्हें सामाजिक कौशल विकसित करने का भी अवसर मिलता था। |
प्रश्न – (14) निम्न में से किस मनोवैज्ञानिक ने वैयक्तिक भिन्नताओं की उत्पत्ति मे आनुवांशिकता की भूमिका को सर्वाधिक महत्व दिया।1. वाटसन ने
2. गाल्टन ने
3. बिने ने
4. वुण्ट ने
उत्तर – 2
किस मनोवैज्ञानिक ने वैयक्तिक भिन्नताओं की उत्पत्ति में आनुवंशिकता की भूमिका को सर्वाधिक महत्व दिया? इसका सही उत्तर है गाल्टन (Galton)। गाल्टन का योगदानसर फ्रांसिस गाल्टन ने वैयक्तिक भिन्नता (Individual differences) के अध्ययन की शुरुआत की और यह दर्शाया कि व्यक्ति की विशेषताओं में भिन्नता होती है। उन्होंने अपनी पुस्तक “हेरिटरी जीनियस” (Hereditary Genius) में इस बात पर जोर दिया कि बौद्धिक और अन्य क्षमताएं आनुवंशिकता (heredity) के माध्यम से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होती हैं। गाल्टन का यह मानना था कि बुद्धि और प्रतिभा जैसी विशेषताएं वंशानुगत होती हैं, और उन्होंने इन गुणों को मापने के लिए सांख्यिकीय विधियों का भी विकास किया। हालांकि, बाद के अध्ययनों ने यह दिखाया कि आनुवंशिकता और पर्यावरण दोनों वैयक्तिक भिन्नताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन गाल्टन ने ही सबसे पहले आनुवंशिकता को सर्वाधिक महत्व दिया था। |
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प्रश्न – (15) मनोविज्ञान ने छात्रों की क्षमताओं एवं भिन्नताओं का विश्लेषण करके शिक्षा के विकास में योगदान दिया है। यह किसका मत है।1. डेविस का
2. वाटसन का
3. स्टाउर का
4. स्किनर का
उत्तर – 1
मनोविज्ञान ने छात्रों की क्षमताओं एवं विभिन्नताओं का विश्लेषण करके शिक्षा के विकास में योगदान दिया है, यह कथन स्टाउट का है। स्टाउट और मनोविज्ञान का योगदानप्रसिद्ध ब्रिटिश दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक जॉर्ज फ्रेडरिक स्टाउट (George Frederick Stout) का मानना था कि मनोविज्ञान शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान करता है। उनके अनुसार, एक शिक्षक को छात्रों को प्रभावी ढंग से पढ़ाने के लिए उनकी व्यक्तिगत क्षमताओं, रुचियों और सीखने की शैलियों को समझना आवश्यक है। मनोविज्ञान ही वह विज्ञान है जो इन वैयक्तिक भिन्नताओं (individual differences) को समझने और उनका विश्लेषण करने में मदद करता है। इस समझ के बिना, शिक्षण प्रक्रिया प्रभावी नहीं हो सकती। |
प्रश्न – (16) निम्न में से कौन सा एक वैयक्ति विभिन्नता का कारण नही है।1. जाति
2. वातावरण
3. जनसंख्या
4. लैंगिक भेद
उत्तर – 3
वैयक्तिक विभिन्नता का कारण 3. जनसंख्या (Population) नहीं है। वैयक्तिक विभिन्नता के कारकवैयक्तिक विभिन्नता (Individual Differences) के कई कारक होते हैं, जो किसी व्यक्ति को दूसरे से अलग बनाते हैं। ये कारक निम्नलिखित हैं:
इसके विपरीत, जनसंख्या स्वयं में कोई कारक नहीं है जो वैयक्तिक भिन्नता का कारण बने। जनसंख्या केवल व्यक्तियों की संख्या को दर्शाती है, न कि उन गुणों को जो उन्हें एक दूसरे से भिन्न बनाते हैं। |
प्रश्न – (17) मानसिक विभेद के अन्तर्गत नही आता है।1. स्वभावगत भेद
2. रूचि सम्बन्धी भेंद
3. आन्तरिक भेद
4. शारीरिक संरचना सम्वन्धी भेद
उत्तर – 4
मानसिक विभेद के अंतर्गत 4. शारीरिक संरचना संबंधी भेद नहीं आता है। मानसिक विभेद क्या है?मानसिक विभेद (Mental Differences) का अर्थ है कि व्यक्तियों के बीच उनकी मानसिक प्रक्रियाओं, क्षमताओं और मनोवैज्ञानिक गुणों में भिन्नता होती है। यह भिन्नता बाहरी दिखावे से संबंधित नहीं होती, बल्कि व्यक्ति के आंतरिक मन से संबंधित होती है।
इसके विपरीत, शारीरिक संरचना संबंधी भेद शारीरिक विभेद (Physical Differences) का एक हिस्सा है, जैसे किसी की लंबाई, वजन या शरीर का रंग। यह मानसिक विभेद के अंतर्गत नहीं आता। |
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प्रश्न – (18) मनो शारीरिक असमानताओं को कहा जाता है।1. व्यक्ति
2. समायोजन
3. भग्नाशा
4. व्यक्तिगत विभिन्नतां
उत्तर – 4
मनो-शारीरिक असमानताओं को वैयक्तिक विभिन्नता (Individual Differences) कहा जाता है। मनो-शारीरिक असमानताएँ और वैयक्तिक विभिन्नतामनो-शारीरिक असमानताएँ व्यक्तियों के बीच मौजूद शारीरिक और मानसिक गुणों में भिन्नताओं को दर्शाती हैं।
इन सभी भिन्नताओं को समग्र रूप से वैयक्तिक विभिन्नता की अवधारणा के अंतर्गत समझा जाता है। यह सिद्धांत बताता है कि कोई भी दो व्यक्ति, भले ही वे जुड़वाँ क्यों न हों, पूरी तरह से समान नहीं होते हैं। शिक्षा और मनोविज्ञान के क्षेत्र में इस अवधारणा को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। |
प्रश्न – (19) बालक गणित और विज्ञान में आगे होते है, जबकि बालिकाऍ भाषा और सुन्दर हस्तलेख में। क्यों1. व्यक्तिगत विभिन्नता के कारण
2. रूचि के कारण
3. संवेग के कारण
4. चिन्तन के कारण
उत्तर – 1
बालक और बालिकाओं की गणित, विज्ञान, भाषा और हस्तलेखन में भिन्नता 1. व्यक्तिगत विभिन्नता के कारण होती है। व्यक्तिगत विभिन्नता का महत्वव्यक्तिगत विभिन्नता (Individual differences) का सिद्धांत बताता है कि कोई भी दो व्यक्ति, चाहे वे किसी भी लिंग के हों, पूरी तरह से समान नहीं होते। यह भिन्नता केवल बाहरी गुणों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आंतरिक गुणों जैसे रुचि, क्षमता, और सीखने की शैली में भी होती है।
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प्रश्न – (20) विशिष्ट बालकों के अनुरूप शिक्षा की व्यवस्था करना वैयक्तिक विभिन्नताओं का कौन सा कारण है।1. जैविक कारण
2. वैज्ञानिक कारण
3. शैक्षिक कारण
4. सामाजिक महत्व
उत्तर – 3
विशिष्ट बालकों के अनुरूप शिक्षा की व्यवस्था करना, वैयक्तिक विभिन्नताओं का एक 3. शैक्षिक कारण है। वैयक्तिक विभिन्नता और शिक्षा का संबंधवैयक्तिक विभिन्नता (Individual differences) का सिद्धांत बताता है कि कोई भी दो छात्र एक जैसे नहीं होते। उनकी सीखने की गति, क्षमताएँ, रुचियाँ और ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं। इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, शिक्षा प्रणाली को हर छात्र की विशेष आवश्यकताओं के अनुसार ढालना एक शैक्षिक आवश्यकता बन जाती है।
यह जैविक या वैज्ञानिक कारणों से अलग है, क्योंकि यह सीधे तौर पर शिक्षण और अधिगम की प्रक्रिया से जुड़ा है। |
प्रश्न – (21) लैटिन भाषा के शव्द पर्सोना का अर्थ है।1. व्यक्ति
2. व्यक्तिगत
3. मुखौटा
4. अपूर्व
उत्तर – 3
लैटिन भाषा के शब्द ‘पर्सोना’ का अर्थ है 3. मुखौटा (Mask)। ‘पर्सोना’ का अर्थमनोविज्ञान में ‘व्यक्तित्व’ (Personality) शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द ‘पर्सोना’ से हुई है। प्राचीन रोमन थिएटर में, अभिनेता अपने चरित्र को दर्शाने के लिए एक मुखौटा पहनते थे। यह मुखौटा उनके चरित्र के बाहरी गुणों और सार्वजनिक भूमिका को दर्शाता था। इसी तरह, मनोविज्ञान में व्यक्तित्व को व्यक्ति के उन बाहरी गुणों के रूप में देखा जाता है जो वह समाज के सामने प्रस्तुत करता है, या उसकी सामाजिक भूमिका के रूप में। |
प्रश्न – (22) आनुवांशिकता का वाहक होता है ।1. आर एन ए
2. केन्द्रक
3. जीन्स
4. शिरा
उत्तर – 3
आनुवंशिकता का वाहक 3. जींस (Genes) होता है। जींस क्या हैं?जींस गुणसूत्रों (chromosomes) पर पाए जाने वाले छोटे खंड होते हैं, जो डीएनए (DNA) से बने होते हैं। ये माता-पिता से उनकी संतानों में आनुवंशिक गुणों को स्थानांतरित करते हैं।
इस प्रकार, जींस ही वह वाहक हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आनुवंशिकता को ले जाते हैं। |
प्रश्न – (23) निम्नलिखित में से कौन सा परीक्षण व्यक्तित्व का मापन करता है ।1. भाटिया बैटरी परीक्षण
2. टी एन ए
3. स्टेनफोर्ड बिने परीक्षण
4. कूडर प्राथमिकता प्रपत्र
उत्तर – 2
निम्नलिखित में से कूडर प्राथमिकता प्रपत्र (Kuder Preference Record) व्यक्तित्व का मापन करता है। कूडर प्राथमिकता प्रपत्रकूडर प्राथमिकता प्रपत्र एक प्रकार का अभिरुचि परीक्षण (interest test) है जो किसी व्यक्ति की रुचियों और प्राथमिकताओं को मापता है। ये रुचियां व्यक्ति के व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं, खासकर जब बात करियर या व्यावसायिक विकल्पों की हो। इसलिए, इसका उपयोग अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्तित्व के कुछ पहलुओं को समझने के लिए किया जाता है।
अन्य विकल्पों का स्पष्टीकरण
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प्रश्न – (24) वह मानवीय योग्यता जिसके द्वारा व्यक्ति किसी नवीन रचना या विचार को प्रस्तुत करता है कहलाता है ।1. सृजनात्मकता
2. प्रत्यक्षीकरण
3. प्रक्षेपण
4. उदात्तीकरण
उत्तर – 1
वह मानवीय योग्यता जिसके द्वारा व्यक्ति किसी नवीन रचना या विचार को प्रस्तुत करता है, सृजनात्मकता (Creativity) कहलाती है। सृजनात्मकता का अर्थसृजनात्मकता एक ऐसी मानसिक क्षमता है जिसके द्वारा व्यक्ति कुछ नया, मौलिक और उपयोगी उत्पन्न करता है। यह सिर्फ कला या संगीत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें समस्याओं को हल करने के नए तरीके खोजना, नए विचारों का आविष्कार करना और मौलिक अवधारणाओं को विकसित करना भी शामिल है। यह हर व्यक्ति में अलग-अलग स्तर पर मौजूद होती है। अन्य विकल्प
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प्रश्न – (25) कोहलर ने अपने सीखने के सिद्धांत का प्रतिपादन किसके उपर प्रयोग करते हुए किया था ?1. बिल्ली
2. कुत्ता
3. वनमानुष
4. मनुष्य
उत्तर – 3
कोहलर ने अपने सीखने के सिद्धांत का प्रतिपादन वनमानुष (Chimpanzee) पर प्रयोग करते हुए किया था। कोहलर का अंतर्दृष्टि सिद्धांतप्रसिद्ध गेस्टाल्ट मनोवैज्ञानिक वोल्फगैंग कोहलर (Wolfgang Köhler) ने अंतर्दृष्टि (Insight) द्वारा सीखने का सिद्धांत दिया था।
कोहलर ने इस प्रयोग से यह निष्कर्ष निकाला कि सीखना केवल प्रयास और त्रुटि का परिणाम नहीं है, बल्कि यह समस्या के तत्वों को अचानक समझने से भी हो सकता है, जिसे उन्होंने अंतर्दृष्टि कहा। |
प्रश्न – (26) अभ्यास और अनुभव के द्वारा व्यवहार में होने वाला परिवर्तन कहलाता है ।1. अवधान
2. अधिगम
3. प्रतिकार
4. प्रेरणा
उत्तर – 2
अभ्यास और अनुभव के द्वारा व्यवहार में होने वाला परिवर्तन अधिगम (Learning) कहलाता है। अधिगम की परिभाषाअधिगम एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आता है। यह बदलाव अभ्यास, प्रशिक्षण या अनुभव के माध्यम से होता है।
यह परिवर्तन अपेक्षाकृत स्थायी होता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि यह कभी नहीं बदलेगा। |
प्रश्न – (27) विभिन्न तथ्यों के बीच किसी एक ही तथ्य पर मन को एकाग्र किए रहना कहलाता है ।1. अभ्यसन
2. ध्यान लगाना
3. प्रत्यभिज्ञा
4. प्रस्मरण
उत्तर – 2
विभिन्न तथ्यों के बीच किसी एक ही तथ्य पर मन को एकाग्र किए रहना 2. ध्यान लगाना (Concentration) कहलाता है। ध्यान लगाना क्या है?ध्यान लगाना एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने मन को किसी एक वस्तु, विचार, या क्रिया पर केंद्रित करता है। यह एक चयनात्मक प्रक्रिया है, जहाँ मस्तिष्क अनावश्यक जानकारियों को अनदेखा करता है और केवल महत्वपूर्ण जानकारी पर ध्यान केंद्रित करता है।
अन्य विकल्प
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प्रश्न – (28) किस विद्धवान ने सिखने के पांच चरण बताए है ।1. फ्रोबेल
2. हर्बरट
3. प्लेटो
4. कमीनियम
उत्तर – 2
इस प्रश्न में एक विरोधाभास है। दिए गए विकल्पों में से किसी भी विद्वान ने सीखने (learning) के पाँच चरण नहीं बताए हैं। हालाँकि, जोहान फ्रेडरिक हर्बर्ट ने शिक्षण (teaching) के पाँच चरणों का सिद्धांत दिया था, जिसे हर्बर्टीय विधि (Herbartian Method) के नाम से जाना जाता है। हर्बर्टीय विधि के पाँच चरणहर्बर्ट का सिद्धांत यह बताता है कि एक शिक्षक को अपने पाठ को कैसे व्यवस्थित करना चाहिए ताकि वह छात्रों के लिए प्रभावी हो। इन पाँच चरणों को बाद में उनके शिष्यों द्वारा और अधिक परिष्कृत किया गया।
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प्रश्न – (29) किस विद्धवान ने यह कहा था कि शिशु का मस्तक कोरी स्लेट होता है ।1. रूसो
2. प्लेटो
3. एडलर
4. बटलर
उत्तर – 2
यह कथन 2. प्लेटो का है। प्लेटो और “कोरी स्लेट” की अवधारणाहालाँकि यह विचार अक्सर ब्रिटिश दार्शनिक जॉन लॉक से जोड़ा जाता है, लेकिन इसकी उत्पत्ति प्राचीन ग्रीक दार्शनिक प्लेटो (Plato) के विचारों में मिलती है। प्लेटो ने कहा था कि जब एक शिशु का जन्म होता है, तो उसका मन एक “कोरी स्लेट” (Tabula Rasa) की तरह होता है। इसका अर्थ यह है कि बच्चा बिना किसी जन्मजात ज्ञान या विचार के पैदा होता है। बाद में, उसके अनुभव और इंद्रियों के माध्यम से प्राप्त जानकारी से उसका ज्ञान विकसित होता है। इस विचार ने मनोविज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि इसने यह सुझाव दिया कि शिक्षा और अनुभव से व्यक्ति के चरित्र और ज्ञान को आकार दिया जा सकता है। |
प्रश्न – (30) छात्रो के अनुशासन बनाये रखने के लिए एक शिक्षक की कौन सी भूमिका सराहनीयहै ।1. शिक्षक की अपनी योग्यता
2. शिक्षक का विचार
3. शिक्षक का व्यक्तित्व
4. शिक्षक की कक्षा प्रबन्ध की क्षमता
उत्तर – 4
छात्रों में अनुशासन बनाए रखने के लिए एक शिक्षक की सबसे सराहनीय भूमिका उसकी कक्षा प्रबंधन की क्षमता है। कक्षा प्रबंधन और अनुशासनकक्षा प्रबंधन (Classroom Management) एक शिक्षक की वह क्षमता है जिसके द्वारा वह कक्षा के वातावरण को व्यवस्थित, उत्पादक और सकारात्मक बनाए रखता है। एक शिक्षक जिसकी कक्षा प्रबंधन की क्षमता अच्छी होती है, वह प्रभावी रूप से अनुशासन बनाए रख सकता है क्योंकि वह:
अन्य विकल्प
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प्रश्न – (31) शिक्षको के बीच संघर्ष का सबसे दूषित परिणाम होता है ।1. शिक्षक समय में कमी
2. छात्रो का व्यवहार बिगड जाना
3. पाठ्य सहगामी क्रियायें प्रभावित होना
4. प्रधानाध्यापक तथा अध्यापको के संबंध खराब हो जाना
उत्तर – 2
शिक्षकों के बीच संघर्ष का सबसे दूषित परिणाम छात्रों का व्यवहार बिगड़ जाना होता है। शिक्षकों के संघर्ष का प्रभावजब शिक्षक आपस में संघर्ष करते हैं या उनके संबंध खराब होते हैं, तो इसका सीधा और सबसे नकारात्मक प्रभाव छात्रों पर पड़ता है।
जबकि अन्य विकल्प (जैसे शिक्षण समय में कमी या प्रधानाध्यापक के साथ संबंध खराब होना) भी नकारात्मक परिणाम हैं, लेकिन छात्रों का व्यवहार बिगड़ना सबसे हानिकारक है क्योंकि यह सीधे तौर पर उनकी शिक्षा, सामाजिक विकास और भविष्य पर बुरा असर डालता है। |
प्रश्न – (32) यदि कोई अभिभावक आपसे मिलने कभी नही आता है तो आप क्या करोगे ।1. बालक दण्ड देना प्रारंभ कर देगे
2. बालक पर ध्यान नही देगे
3. उनसे स्वयं मिलने जाएगे
4. अभिभावक को लिखेगे
उत्तर – 3
यदि कोई अभिभावक आपसे मिलने कभी नहीं आता है, तो आप उनसे स्वयं मिलने जाएंगे। शिक्षक की भूमिकाएक शिक्षक के रूप में, आपकी जिम्मेदारी सिर्फ कक्षा तक सीमित नहीं है। छात्र के सर्वांगीण विकास के लिए यह जानना जरूरी है कि उसका पारिवारिक और सामाजिक परिवेश कैसा है।
अन्य विकल्प क्यों अनुपयुक्त हैं:
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प्रश्न – (33) प्रौण शिक्षा किन व्यक्तियो के अधिकार मे होनी चाहिए1. सरकार के हाथ में
2. शिक्षित व्यक्तियो के हाथ में
3. गैर सरकारी समितियों के हाथ में
4. उपरोक्त सभी के हाथ में
उत्तर – 4
प्रौढ़ शिक्षा उपरोक्त सभी के हाथ में होनी चाहिए। प्रौढ़ शिक्षा का महत्वप्रौढ़ शिक्षा को केवल एक संस्था के बजाय एक सामूहिक प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए। यह एक जटिल और बहुआयामी कार्य है, जिसे विभिन्न समूहों के सहयोग से ही प्रभावी ढंग से चलाया जा सकता है।
इस प्रकार, इन सभी की साझेदारी प्रौढ़ शिक्षा को सफल बनाने के लिए आवश्यक है। |
प्रश्न – (34) आपको मालूम हुआ है कि आपके प्रधानाचार्य संस्था में कुछ गलत कार्य कर रहे है तो आप ।1. उच्चाधिकारियों से शिकायत करेगें
2. उन्हे समझाने का प्रयास करेगे
3. उस तरफ से अनदेखी करेगें
4. साथियो से परामर्श करके ही कोई निर्णय लेगे
उत्तर – 2
यदि आपको मालूम होता है कि आपके प्रधानाचार्य संस्था में कुछ गलत कार्य कर रहे हैं, तो सबसे उपयुक्त कदम उन्हें समझाने का प्रयास करेंगे। इस विकल्प का चुनाव क्यों?एक शिक्षक और प्रधानाचार्य के बीच का संबंध पेशेवर और सम्मानजनक होता है। सीधे उच्च अधिकारियों से शिकायत करना या अनदेखी करना स्थिति को और खराब कर सकता है।
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प्रश्न – (35) आपके अध्यापन करते समय यदि कोई छात्र आपकी त्रुटियो की ओर संकेत करती है ।1. छात्रा को कक्षा के बाद मिलने के लिए कहेगी
2. छात्रा को चुप रहने के लिए कहेगी
3. स्वीकार कर लेगी
4. दूसरे दिन अच्छी तैयारी करके जायेगी।
उत्तर – 3
यदि कोई छात्र अध्यापन के दौरान आपकी त्रुटियों की ओर संकेत करती है, तो आपको स्वीकार कर लेना चाहिए। शिक्षक की जिम्मेदारीएक शिक्षक को अपने छात्रों से सीखने के लिए हमेशा खुला रहना चाहिए। यदि कोई छात्र आपकी गलती की ओर इशारा करता है, तो यह आपकी कक्षा में एक सकारात्मक और सुरक्षित सीखने के माहौल का संकेत है।
दूसरे दिन अच्छी तैयारी करके जाना एक अच्छी बात है, लेकिन तात्कालिक प्रतिक्रिया के रूप में अपनी गलती को स्वीकार करना सबसे महत्वपूर्ण है। |
प्रश्न – (36) शिक्षा के माध्यम से कल्याण होता है।1. समाज के सभी वर्गो का
2. आदर्श परिवार का
3. मनुष्य के व्यक्तित्व का
4. छात्र व छात्राओं का
उत्तर – 1
शिक्षा के माध्यम से समाज के सभी वर्गों का कल्याण होता है। शिक्षा का सामाजिक महत्वशिक्षा को अक्सर समाज के विकास और प्रगति का सबसे शक्तिशाली साधन माना जाता है। यह सिर्फ व्यक्तिगत ज्ञान और कौशल तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव पूरे समाज पर पड़ता है।
इस प्रकार, शिक्षा का उद्देश्य केवल कुछ व्यक्तियों या समूहों का कल्याण नहीं, बल्कि पूरे समाज का सर्वांगीण कल्याण करना है। |
प्रश्न – (37) एक अध्यापक के रूप में आप प्राथमिकता देगें।1. विज्ञान विषयों को
2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं विचार
3. उच्च विचारों को
4. आस्था को
उत्तर – 2
एक अध्यापक के रूप में, आप वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं विचार को प्राथमिकता देंगे। वैज्ञानिक दृष्टिकोण का महत्वशिक्षा का मुख्य उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं है, बल्कि छात्रों में सोचने-समझने की क्षमता और तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित करना है।
यह दृष्टिकोण विज्ञान विषयों से भी अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल विज्ञान में, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए आवश्यक है। |
प्रश्न – (38) नैतिक शिक्षा का उत्तरदायित्व होना चाहिए।1. स्कूल के ऊपर
2. समाज के ऊपर
3. अभिभावक के ऊपर
4. उपरोक्त सभी पर
उत्तर – 1
नैतिक शिक्षा का उत्तरदायित्व उपरोक्त सभी पर होना चाहिए। नैतिक शिक्षा का संयुक्त उत्तरदायित्वनैतिक शिक्षा किसी एक संस्था या व्यक्ति का काम नहीं है। यह एक सामूहिक प्रयास है जिसमें कई पक्ष शामिल होते हैं।
इसलिए, नैतिक शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए इन सभी का सहयोग और समन्वय आवश्यक है। |
प्रश्न – (39) जब आपके छात्र उन्नति करते है। तो आप महसूस करते है।1. आत्मसंतोष की भावना
2. प्रसन्नता की भावना
3. ईर्ष्या की भावना
4. आत्मग्लानि की भावना
उत्तर – 1
जब आपके छात्र उन्नति करते हैं, तो आप आत्मसंतोष की भावना महसूस करते हैं। आत्मसंतोष क्यों?एक शिक्षक के लिए छात्रों की उन्नति ही उसकी सफलता का सबसे बड़ा माप है।
हालांकि प्रसन्नता की भावना भी होती है, लेकिन आत्मसंतोष अधिक गहरा और स्थायी अनुभव है जो यह बताता है कि आपका काम सार्थक रहा। |
प्रश्न – (40) एक प्रभावी अध्यापक के लिए आवश्यक नहीं मानते है।1. केवल दण्ड देने वाला हो
2. वह विषय को रोचक बनाता हो
3. सृजनशील हो
4. वह उत्तम वक्त हो
उत्तर – 1
एक प्रभावी अध्यापक के लिए केवल दंड देने वाला हो आवश्यक नहीं माना जाता है। प्रभावी अध्यापक के गुणएक प्रभावी अध्यापक वह होता है जो छात्रों को प्रेरित करता है और उनके सीखने के अनुभव को बेहतर बनाता है। यह दंड देने से नहीं, बल्कि अन्य गुणों से हासिल होता है।
इसके विपरीत, केवल दंड देने वाला होना एक नकारात्मक गुण है। दंड छात्रों में डर पैदा करता है, उनकी प्रेरणा को कम करता है, और सीखने के सकारात्मक माहौल को बाधित करता है। |
प्रश्न – (41) शिशुओं के लिए शिशुशाला में आवश्यक है।1. खेल के अवसर प्रदान करना
2. सामान्य ज्ञान देना
3. भाषा पढाना
4. कहानियां सुनाना
उत्तर – 1
शिशुओं के लिए शिशुशाला में सबसे आवश्यक खेल के अवसर प्रदान करना है। खेल का महत्वशिशुशाला या किंडरगार्टन में शिक्षा का उद्देश्य केवल किताबी ज्ञान देना नहीं है, बल्कि बच्चों के समग्र विकास को बढ़ावा देना है।
अन्य विकल्प, जैसे सामान्य ज्ञान देना या भाषा पढ़ाना, भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन शिशुओं के लिए सबसे प्राकृतिक और प्रभावी सीखने का तरीका खेल ही है। |
प्रश्न – (42) वर्तमान समय में प्राइमरी शिक्षा की दुर्दशा का मुख्य कारण है।1. एकाकी परिवार
2. छात्रों का दूरदर्शन में अधिक समय बर्वाद करना
3. गाइड पुस्तकों पर भरोसा
4. शिक्षक – छात्र का विषम अनुपात
उत्तर – 4
वर्तमान समय में प्राइमरी शिक्षा की दुर्दशा का मुख्य कारण शिक्षक-छात्र का विषम अनुपात (Disproportionate teacher-student ratio) है। शिक्षक-छात्र अनुपात का महत्वएक कक्षा में छात्रों की संख्या के अनुसार शिक्षकों की संख्या का न होना शिक्षा की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित करता है।
अन्य विकल्प, जैसे कि एकाकी परिवार या दूरदर्शन, भी कुछ हद तक प्रासंगिक हो सकते हैं, लेकिन शिक्षक-छात्र का विषम अनुपात सीधे तौर पर शिक्षा प्रणाली की नींव को प्रभावित करता है। |
प्रश्न – (43) आज के वैज्ञानिक युग में छात्रों को आध्यात्मिकता ज्ञान देना –1. पिछडापन है
2. आवश्यक है।
3. अनावश्यक है।
4. असम्भव है।
उत्तर – 2
आज के वैज्ञानिक युग में छात्रों को आध्यात्मिकता का ज्ञान देना आवश्यक है। आध्यात्मिकता और आधुनिक युगआध्यात्मिकता को अक्सर धर्म से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन इसका एक व्यापक अर्थ भी है। इसका संबंध आत्म-जागरूकता, जीवन के उद्देश्य, और आंतरिक शांति की खोज से है।
इस प्रकार, वैज्ञानिक ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान का संयोजन छात्रों को न केवल एक सफल, बल्कि एक पूर्ण और सार्थक जीवन जीने में भी मदद करता है। |
प्रश्न – (44) विद्यालय कें सभी कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए क्योंकि इससें1. सीखने का अवसर मिलता है
2. व्यक्तित्व का विकास होता है
3. आत्मविश्वास बढता है
4. सभी
उत्तर – 4
विद्यालय के सभी कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए, क्योंकि इससे उपरोक्त सभी लाभ होते हैं। विद्यालय के कार्यक्रमों में भाग लेने के लाभविद्यालय के कार्यक्रम सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं होते, बल्कि छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
इस प्रकार, विद्यालय के कार्यक्रम छात्रों को शैक्षणिक और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर लाभ पहुंचाते हैं। |
प्रश्न – (45) किसी भी विषय वस्तु कों छात्रों को सरलता से सिखाने के लिए अध्यापक का सर्वप्रथम गुण होना चाहिए।1. आत्मविश्वास
2. विषय वस्तु का ज्ञान
3. प्रभावी अभिव्यक्ति
4. ये सभी
उत्तर – 4
किसी भी विषय-वस्तु को छात्रों को सरलता से सिखाने के लिए अध्यापक का सर्वप्रथम गुण ये सभी (आत्मविश्वास, विषय-वस्तु का ज्ञान और प्रभावी अभिव्यक्ति) होने चाहिए. ये सभी गुण एक-दूसरे के पूरक हैं और प्रभावी शिक्षण के लिए अत्यंत आवश्यक हैं.
इन गुणों का महत्व
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प्रश्न – (46) वह अवस्था जब बच्चा तार्किक रूप से वस्तुओं व घटनाओं के विषय में चिंतन प्रारंभ करता है वह अवस्था है।1. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था
2. पूर्व संक्रियात्मक अवस्था
3. संवेदी प्रेरक अवस्था
4. मूर्त संक्रियात्मक अवस्था
उत्तर – 4
वह अवस्था जब बच्चा तार्किक रूप से वस्तुओं और घटनाओं के विषय में चिंतन प्रारंभ करता है, वह मूर्त संक्रियात्मक अवस्था है। मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Concrete Operational Stage)यह जीन पियाजे (Jean Piaget) के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत की तीसरी अवस्था है, जो लगभग 7 से 11 वर्ष की आयु तक चलती है। इस अवस्था में, बच्चा ठोस (concrete) वस्तुओं और घटनाओं के बारे में तार्किक रूप से सोचना शुरू कर देता है।
इस अवस्था में बच्चे का चिंतन मूर्त (जो चीजें मौजूद हैं) होता है, जबकि अमूर्त (जो चीजें मौजूद नहीं हैं) चिंतन का विकास अगली अवस्था में होता है। |
प्रश्न – (47) वह कौन सा कथन है जहां बच्चें कें संज्ञानात्मक विकास को सबसे बेहतर तरीके से परिभाषित किया जा सकता है।1. विद्यालय एवं कक्षा पर्यावरण
2. खेल का मैदान
3. सभागार
4. घर
उत्तर – 1
बच्चों के संज्ञानात्मक विकास को सबसे बेहतर तरीके से विद्यालय एवं कक्षा पर्यावरण में परिभाषित किया जा सकता है। विद्यालय और संज्ञानात्मक विकास का संबंधसंज्ञानात्मक विकास (Cognitive Development) का अर्थ है बच्चे के सोचने, समझने, तर्क करने, याद रखने और समस्याओं को हल करने की क्षमता का विकास।
जबकि अन्य स्थान (जैसे खेल का मैदान या घर) भी विकास में योगदान देते हैं, लेकिन विद्यालय ही वह जगह है जहाँ संज्ञानात्मक विकास को सबसे व्यवस्थित और परिभाषित तरीके से बढ़ावा दिया जाता है। |
प्रश्न – (48) बच्चे दुनिया के बारे में अपनी समझ का सृजन करते है इसका श्रेय किसको जाता है।1. पैवलॉव
2. पियाजे
3. स्किनर
4. इनमें से कोई नहीं
उत्तर – 2
बच्चे दुनिया के बारे में अपनी समझ का सृजन करते हैं, इसका श्रेय पियाजे को जाता है। पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांतजीन पियाजे (Jean Piaget) एक स्विस मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने बच्चों के संज्ञानात्मक विकास (cognitive development) पर महत्वपूर्ण कार्य किया। उनके अनुसार, बच्चे निष्क्रिय श्रोता नहीं होते हैं, बल्कि वे सक्रिय रूप से अपने पर्यावरण के साथ अंतःक्रिया करके दुनिया के बारे में अपनी समझ का निर्माण करते हैं।
इस तरह, बच्चे लगातार दुनिया के बारे में अपनी समझ का सृजन करते रहते हैं। |
प्रश्न – (49) निम्न मे से किसने कहा है कि शिशु अपने एवं अपने संसार के बारे में अधिकांश बाते खेल के माध्यम से सीखता है।1. क्रो एवं क्रो
2. जॉन डेवी
3. गेसल
4. स्ट्रेंग
उत्तर – 4
किस विद्वान ने यह कहा था कि शिशु अपने और अपने संसार के बारे में अधिकांश बातें खेल के माध्यम से सीखता है? इसका सही उत्तर है 4. स्ट्रेंग। स्ट्रेंग का योगदानप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक रुथ स्ट्रेंग (Ruth Strang) ने बच्चों के विकास और शिक्षा पर महत्वपूर्ण शोध किया है। उनका मानना था कि खेल सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह बच्चों के सीखने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
यह कथन शिक्षा के क्षेत्र में खेल-आधारित शिक्षण (play-based learning) के महत्व पर प्रकाश डालता है। |
प्रश्न – (50) विकास कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया है यह विचार किससे संबंधित है।1. निरंतरता का सिद्धांत
2. अंत: संबंध का सिद्धांत
3. अंत: क्रिया का सिद्धांत
4. एकीकरण का सिद्धांत
उत्तर – 1
विकास कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया है, यह विचार निरंतरता का सिद्धांत (Principle of Continuity) से संबंधित है। निरंतरता का सिद्धांतनिरंतरता का सिद्धांत बताता है कि विकास एक सतत और धीमी प्रक्रिया है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है। यह अचानक नहीं होता, बल्कि एक चरण से दूसरे चरण में धीरे-धीरे संक्रमण होता है। यह दर्शाता है कि व्यक्ति के जीवन में शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास लगातार चलता रहता है, और यह कभी रुकता नहीं है। |
प्रश्न – (51) एक 8 वर्षीय बालक अपने छोटे भाई की तरह घुटनें चलता है यह उदाहरण है।1. प्रतिगमन
2. युक्तिकरण
3. दमन
4. क्षतिपूर्ति
उत्तर – 1
एक 8 वर्षीय बालक का अपने छोटे भाई की तरह घुटनों पर चलना प्रतिगमन (Regression) का एक उदाहरण है। प्रतिगमन क्या है?प्रतिगमन (Regression) एक मनोवैज्ञानिक रक्षा तंत्र है जिसमें एक व्यक्ति, तनाव या चिंता का सामना करने पर, अपने विकास के शुरुआती चरण के व्यवहार पर लौट आता है।
अन्य विकल्प
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प्रश्न – (52) थार्नडाइक के सीखने के नियम के अनुसार गौण नियमों में निम्न में से कौन सा सम्मिलित नहीं है।1. बहुअनुक्रिया नियम
2. प्रभाव का नियम
3. मानसिक स्थिति का नियम
4. आंशिक क्रिया का नियम
उत्तर – 2
थार्नडाइक के सीखने के नियमों में से प्रभाव का नियम गौण नियमों में सम्मिलित नहीं है। यह उनके मुख्य नियमों (Primary Laws) में से एक है। थार्नडाइक के सीखने के नियमएडवर्ड एल. थार्नडाइक ने सीखने के दो प्रकार के नियम दिए हैं:
इसलिए, प्रभाव का नियम गौण नियमों के बजाय मुख्य नियमों में आता है। |
प्रश्न – (53) शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में अशाब्दिक सम्प्रेषण के तरीके है।1. मुख के हाव भाव
2. शारीरिक भाषा
3. सांकेतिक भाषा
4. उपरोक्त सभी
उत्तर – 4
शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में अशाब्दिक संप्रेषण के तरीके उपरोक्त सभी हैं। अशाब्दिक संप्रेषण के प्रकारअशाब्दिक संप्रेषण (Non-verbal communication) वह संप्रेषण है जिसमें शब्दों का उपयोग नहीं किया जाता है। यह शिक्षण प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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प्रश्न – (54) अधिगम की दृष्टि से सर्वोत्तम शिक्षण सामग्री है।1. पाठ्यपुस्तक में दी हुई
2. बाजार में उपलब्ध
3. छात्र द्वारा निर्मित
4. अध्यापक निर्मित
उत्तर – 3
अधिगम की दृष्टि से सर्वोत्तम शिक्षण सामग्री वह है जो छात्र द्वारा निर्मित हो। छात्र-निर्मित शिक्षण सामग्री क्यों है सर्वोत्तम?
अन्य विकल्प, जैसे कि पाठ्यपुस्तक में दी हुई या अध्यापक निर्मित सामग्री, भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वे छात्रों को निष्क्रिय रूप से जानकारी प्राप्त करने तक ही सीमित रख सकते हैं। छात्र द्वारा निर्मित सामग्री करके सीखने (learning by doing) के सिद्धांत पर आधारित है, जो अधिगम के लिए सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है। |
प्रश्न – (55) कौन सा कारक प्रभावी कक्षा शिक्षण में विचाराधीन नहीं होता है।1. तकनीकी की कमी
2. पृष्ठपोषण
3. शिक्षण कार्यनीति व दक्षतायें
4. सम्प्रेषण व स्पष्टता का सिद्धांत
उत्तर – 1
प्रभावी कक्षा शिक्षण में तकनीकी की कमी विचाराधीन नहीं होती है। प्रभावी कक्षा शिक्षण के कारकप्रभावी कक्षा शिक्षण का सीधा संबंध शिक्षक की योग्यता और शिक्षण के तरीकों से होता है, न कि उपलब्ध तकनीकी संसाधनों से।
तकनीकी की कमी भले ही शिक्षण को कुछ हद तक प्रभावित कर सकती है, लेकिन यह स्वयं में प्रभावी शिक्षण को निर्धारित करने वाला कारक नहीं है। एक प्रभावी शिक्षक कम तकनीकी संसाधनों के साथ भी उत्कृष्ट शिक्षण कर सकता है। |
प्रश्न – (56) शिक्षण का सत्तावादी स्तर केन्द्रित है।1. शिक्षक केन्द्रित
2. शिशु केन्द्रित
3. प्रधानाध्यापक केन्द्रित
4. अनुभव आधारित
उत्तर – 1
शिक्षण का सत्तावादी स्तर शिक्षक केंद्रित होता है। सत्तावादी शिक्षण का अर्थसत्तावादी या निरंकुश शिक्षण (Authoritarian teaching) वह शैली है जिसमें कक्षा का पूरा नियंत्रण शिक्षक के हाथ में होता है। इस प्रकार के शिक्षण में:
यह पारंपरिक शिक्षण का एक रूप है, जो आधुनिक शिक्षण विधियों के विपरीत है जो छात्र केंद्रित और सहभागी होती हैं। |
प्रश्न – (57) निम्न में से किसने सबसे पहले बुनियादी शिक्षा का विचार प्रतिपादित किया था।1. जाकिर हुसैन
2. राजेन्द्र प्रसाद
3. महात्मा गांधी
4. रवीन्द्रनाथ टैगोर
उत्तर – 3
बुनियादी शिक्षा का विचार सबसे पहले महात्मा गांधी ने प्रतिपादित किया था। महात्मा गांधी और बुनियादी शिक्षामहात्मा गांधी ने 1937 में वर्धा योजना के माध्यम से बुनियादी शिक्षा (Basic Education) का विचार प्रस्तुत किया। इसे नई तालीम (Nai Talim) भी कहा जाता है।
गांधीजी का मानना था कि यह प्रणाली बच्चों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से विकसित करने में मदद करेगी। |
प्रश्न – (58) सर्व शिक्षा अभियान किस वर्ष शुरू किया गया।1. 2009
2. 2001
3. 2008
4. 2004
उत्तर – 2
सर्व शिक्षा अभियान 2001 में शुरू किया गया था। सर्व शिक्षा अभियान (SSA)सर्व शिक्षा अभियान भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसे 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में शुरू किया गया था। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना और शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक और सामाजिक असमानताओं को दूर करना था। इस कार्यक्रम ने शिक्षा के सार्वभौमिकरण (universalization of education) के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। |
प्रश्न – (59) निशुल्क शिक्षा और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम, अधिनियमित किया गया1. लोक सभा द्वारा
2. राज्य सभा द्वारा
3. भारत की संसद द्वारा
4. कोई नहीं
उत्तर – 3
निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) भारत की संसद द्वारा अधिनियमित किया गया। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act)यह अधिनियम 4 अगस्त, 2009 को भारत की संसद द्वारा पारित किया गया था। यह अधिनियम 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा को एक मौलिक अधिकार के रूप में सुनिश्चित करता है। यह कानून 1 अप्रैल, 2010 से लागू हुआ। इस अधिनियम को पारित करने में लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन कोई भी कानून तब तक अधिनियमित नहीं होता जब तक कि वह संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित न हो जाए। इसलिए, सबसे सटीक उत्तर भारत की संसद है। |
प्रश्न – (60) शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 में एक अध्यापक के लिए न्यूनतम कार्य घंटे प्रति सप्ताह निर्धारित किए गए है।1. चालीस घंटे
2. पैंतालीस घंटे
3. पचास घंटे
4. पचपन घंटे
उत्तर – 2
शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 (Right to Education Act 2009) में एक अध्यापक के लिए न्यूनतम 45 घंटे प्रति सप्ताह कार्य के लिए निर्धारित किए गए हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act) 2009यह अधिनियम प्राथमिक शिक्षा को हर बच्चे का मौलिक अधिकार बनाता है। इसमें शिक्षकों के लिए कई मानदंड और मानक निर्धारित किए गए हैं, ताकि शिक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। इनमें से एक महत्वपूर्ण मानदंड है प्रति सप्ताह न्यूनतम कार्य घंटों का निर्धारण, जिसमें शिक्षण और तैयारी के घंटे दोनों शामिल हैं। यह सुनिश्चित करता है कि छात्रों को पर्याप्त समय और ध्यान मिले। |
प्रश्न – (61) प्रशिक्षण एवं अभ्यास संबंधित है।1. संज्ञानात्मक वाद से
2. व्यवहारवाद से
3. निर्मितवाद से
4. इनमें से कोई नहीं
उत्तर – 2
प्रशिक्षण और अभ्यास का संबंध व्यवहारवाद (Behaviorism) से है। व्यवहारवाद और अधिगमव्यवहारवाद मनोविज्ञान की एक शाखा है जो सीखने को बाहरी व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों के रूप में देखती है। इस सिद्धांत के अनुसार, सीखने की प्रक्रिया मुख्य रूप से प्रशिक्षण (training), अभ्यास (practice), और अनुभव पर आधारित होती है।
यह सिद्धांत निर्मितवाद (Constructivism) से भिन्न है, जो सीखने को ज्ञान के आंतरिक निर्माण के रूप में देखता है, और संज्ञानात्मकवाद (Cognitivism) से भी भिन्न है, जो मानसिक प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। |
प्रश्न – (62) पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की तीसरी अवस्था होती है।1. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था
2. पूर्व – संक्रियात्मक अवस्था
3. इन्द्रिय गतिक अवस्था
4. मूर्त संक्रियात्मक अवस्था
उत्तर – 4
पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास की तीसरी अवस्था मूर्त संक्रियात्मक अवस्था होती है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के चरणजीन पियाजे ने बच्चों के संज्ञानात्मक विकास को चार मुख्य चरणों में विभाजित किया है:
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प्रश्न – (63) कक्षा – कक्ष शिक्षण होना चाहिए।1. तीव्र
2. संवादमूलक
3. सरल
4. एक – तरफा
उत्तर – 2
कक्षा-कक्ष शिक्षण संवादमूलक (Interactive) होना चाहिए। संवादमूलक शिक्षण का महत्वसंवादमूलक शिक्षण वह प्रक्रिया है जहाँ शिक्षक और छात्र दोनों सक्रिय रूप से सीखने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं। यह एक-तरफा (एक-तरफा) शिक्षण के विपरीत है, जिसमें केवल शिक्षक ही बोलता है।
इसलिए, प्रभावी शिक्षण के लिए संवाद बहुत महत्वपूर्ण है। |
प्रश्न – (64) डेनियल गोलमैन संबंधित है।1. सृजनात्मकता से
2. सामाजिक वुद्धि से
3. संवेगात्मक बुद्धि से
4. कोई नहीं
उत्तर – 3
डेनियल गोलमैन का संबंध संवेगात्मक बुद्धि (Emotional Intelligence) से है। डेनियल गोलमैन और संवेगात्मक बुद्धिडेनियल गोलमैन एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक और लेखक हैं जिन्होंने संवेगात्मक बुद्धि की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने 1995 में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “Emotional Intelligence” में तर्क दिया कि पारंपरिक बुद्धि (IQ) के अलावा, जीवन में सफलता के लिए संवेगात्मक बुद्धि (EQ) भी उतनी ही, या उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है। गोलमैन के अनुसार, संवेगात्मक बुद्धि में पाँच मुख्य घटक शामिल हैं:
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प्रश्न – (65) क्रिया प्रसूत साहचर्य मुख्यत: किसकी भूमिका पर बल देता है।1. अधिगम सामग्री
2. शिक्षक
3. वातावरण
4. पुनर्बलन
उत्तर – 4
क्रिया प्रसूत साहचर्य (Operant Conditioning) मुख्य रूप से पुनर्बलन (Reinforcement) की भूमिका पर बल देता है। पुनर्बलन का महत्वमनोवैज्ञानिक बी.एफ. स्किनर (B.F. Skinner) द्वारा प्रतिपादित क्रिया प्रसूत साहचर्य सिद्धांत यह बताता है कि व्यवहार को उसके परिणामों द्वारा सीखा या बदला जा सकता है।
स्किनर के अनुसार, किसी व्यवहार को दोहराने या बंद करने का निर्णय इस बात पर निर्भर करता है कि उस व्यवहार के बाद उसे कैसा पुनर्बलन मिलता है। यही कारण है कि यह सिद्धांत पुनर्बलन की भूमिका पर सबसे अधिक बल देता है। |
प्रश्न – (66) शिक्षा मनोविज्ञान नही है।1. अनुप्रयुक्त विज्ञान
2. व्यावहारिक विज्ञान
3. सामाजिक विज्ञान
4. आदर्शमूलक विज्ञान
उत्तर – 4
शिक्षा मनोविज्ञान आदर्शमूलक विज्ञान (Normative Science) नहीं है। शिक्षा मनोविज्ञान क्या है?शिक्षा मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो शिक्षा से संबंधित समस्याओं का अध्ययन करता है। यह एक अनुप्रयुक्त विज्ञान (Applied Science) है क्योंकि यह मनोविज्ञान के सिद्धांतों को शिक्षा के क्षेत्र में लागू करता है। यह एक व्यावहारिक विज्ञान (Practical Science) भी है, क्योंकि यह शिक्षण और अधिगम की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए सिद्धांतों का उपयोग करता है। इसे सामाजिक विज्ञान (Social Science) माना जाता है क्योंकि यह मानव व्यवहार और सामाजिक संदर्भ में सीखने की प्रक्रिया का अध्ययन करता है। इसके विपरीत, आदर्शमूलक विज्ञान वह है जो यह निर्धारित करता है कि क्या सही है या कैसा होना चाहिए। उदाहरण के लिए, नैतिकता या तर्कशास्त्र आदर्शमूलक विज्ञान हैं। शिक्षा मनोविज्ञान यह बताता है कि लोग कैसे सीखते हैं, न कि उन्हें कैसे सीखना चाहिए, इसलिए यह आदर्शमूलक विज्ञान नहीं है। |
प्रश्न – (67) पियाजे द्वारा संज्ञानात्मक संरचना को उल्लेखित करने वाली शब्दावली है।1. अनुप्रतीकात्मक
2. प्रतीकात्मक
3. स्कीमा
4. अहमकेन्द्रिक
उत्तर – 3
पियाजे द्वारा संज्ञानात्मक संरचना को उल्लेखित करने वाली शब्दावली स्कीमा (Schema) है। स्कीमा का अर्थस्कीमा एक मानसिक संरचना है, जिसे जीन पियाजे ने संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत में महत्वपूर्ण माना था। यह एक व्यक्ति की समझ, ज्ञान, और धारणाओं का एक संगठित पैटर्न है।
पियाजे का सिद्धांत बताता है कि सीखना इसी तरह से होता है, जब हम नई जानकारी को अपने मौजूदा स्कीमा में शामिल करते हैं या जब हम अपनी समझ को नई जानकारी के अनुरूप समायोजित करते हैं। |
प्रश्न – (68) कक्षा में परस्पर संवाद से क्या उभरकर आना चाहिए।1. विवाद
2. सूचना
3. विचार
4. तर्क वितर्क
उत्तर – 3
कक्षा में परस्पर संवाद से विचार उभरकर आना चाहिए। संवाद और विचार का संबंधकक्षा में होने वाला संवाद केवल जानकारी के आदान-प्रदान तक सीमित नहीं होना चाहिए। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को अपनी सोच विकसित करने और नए विचारों का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
जबकि सूचना, विवाद और तर्क-वितर्क भी संवाद का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन इन सबका अंतिम लक्ष्य नए और मौलिक विचारों का उभरना है। |
प्रश्न – (69) सामाजिक अधिगम का सिद्धांत किसके द्वारा दिया गया।1. अल्बर्ट बण्डूरा
2. वाटसन
3. स्पीयरमैन
4. थार्नडाइक
उत्तर – 1
सामाजिक अधिगम का सिद्धांत अल्बर्ट बंडूरा द्वारा दिया गया था। सामाजिक अधिगम का सिद्धांत (Social Learning Theory)प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक अल्बर्ट बंडूरा (Albert Bandura) ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया था कि मनुष्य केवल प्रत्यक्ष अनुभव से ही नहीं, बल्कि दूसरों को देखकर और उनका अनुकरण करके भी सीखते हैं।
यह सिद्धांत व्यवहारवाद और संज्ञानात्मक मनोविज्ञान के बीच एक सेतु का काम करता है, क्योंकि यह मानता है कि सीखने में बाहरी व्यवहार के साथ-साथ आंतरिक मानसिक प्रक्रियाएं भी शामिल होती हैं। |
प्रश्न – (70) निर्मितवादी अधिगम उपागम में शिक्षक की भूमिका है।1. निष्क्रिय अवलोकनकर्ता
2. सरलीकरण कर्ता
3. कक्षा कक्ष प्रशासक
4. अनुदेशक
उत्तर – 2
निर्मितवादी अधिगम उपागम (Constructivist Learning Approach) में शिक्षक की भूमिका सरलीकरण कर्ता (Facilitator) की होती है। निर्मितवाद में शिक्षक की भूमिकानिर्मितवाद यह मानता है कि छात्र अपने ज्ञान का निर्माण स्वयं करते हैं। इस दृष्टिकोण में, शिक्षक का काम केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि छात्रों को सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से सहायता करना है।
इस तरह, शिक्षक एक मार्गदर्शक और सहायक की भूमिका निभाता है, न कि केवल एक जानकारी देने वाले या कक्षा के प्रशासक की। |
प्रश्न – (71) निम्न में से कौन सा मानव विकास का सिद्धांत नहीं है।1. निरन्तरता
2. विलोमियता
3. क्रमिकता
4. सामान्य से विशिष्ट
उत्तर – 2
मानव विकास का सिद्धांत विलोमीयता (Reversibility) नहीं है। मानव विकास के सिद्धांतमानव विकास एक जटिल और सतत प्रक्रिया है जो कुछ निश्चित सिद्धांतों का पालन करती है।
विलोमीयता (Reversibility) का सिद्धांत मानव विकास से संबंधित नहीं है। यह जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत की एक अवधारणा है, जो यह बताती है कि कोई व्यक्ति किसी कार्य या मानसिक प्रक्रिया को विपरीत दिशा में सोच सकता है, जैसे कि 2+3=5 को 5-3=2 के रूप में समझना। यह एक व्यक्ति के विकास का सिद्धांत नहीं है। |
प्रश्न – (72) संवेगात्मक बुद्धि में कौन सी योग्यता सम्मिलित नही है।1. संवेगों को समझना
2. संवेगों को नियमित करना
3. संवेगों की अभिव्यक्ति एवं मूल्यांकन
4. संवेगों को जागृत करना
उत्तर – 4
संवेगात्मक बुद्धि (Emotional Intelligence) में संवेगों को जागृत करना योग्यता सम्मिलित नहीं है। संवेगात्मक बुद्धि की योग्यताएंसंवेगात्मक बुद्धि वह क्षमता है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपनी और दूसरों की भावनाओं को पहचानता है, उनका मूल्यांकन करता है और उन्हें प्रभावी ढंग से नियंत्रित करता है। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित योग्यताएं शामिल होती हैं:
संवेगों को जागृत करना (arousing emotions) संवेगात्मक बुद्धि का हिस्सा नहीं है। यह किसी व्यक्ति की भावनाओं को जानबूझकर उत्तेजित करने की प्रक्रिया है, जो अक्सर भावनात्मक हेरफेर (emotional manipulation) से जुड़ी होती है। |
प्रश्न – (73) निम्न में से कौन सा अधिगम की प्रक्रिया का परिणाम नहीं है।1. ज्ञान
2. संकल्पना
3. अभिवृति
4. परिपक्वता
उत्तर – 4
अधिगम (Learning) की प्रक्रिया का परिणाम परिपक्वता (Maturation) नहीं है। अधिगम और परिपक्वता में अंतरअधिगम (Learning) एक ऐसी प्रक्रिया है जो अनुभव और अभ्यास के कारण व्यवहार में अपेक्षाकृत स्थायी परिवर्तन लाती है। यह जानबूझकर और प्रयास के माध्यम से होती है।
परिपक्वता (Maturation) जैविक और प्राकृतिक रूप से होने वाला विकास है। यह आनुवंशिक कारकों पर निर्भर करती है और इसमें किसी भी प्रकार के अभ्यास या प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती।
इसलिए, ज्ञान, संकल्पना (concept) और अभिवृत्ति (attitude) सीखने की प्रक्रिया के परिणाम हैं, जबकि परिपक्वता एक प्राकृतिक विकास प्रक्रिया है। |
प्रश्न – (74) जे. पी. गिलफोर्ड के अनुसार अधिगम है।1. सोच में परिवर्तन
2. ज्ञान का सर्जन
3. अनुभव प्राप्त करना
4. व्यवहार में परिवर्तन
उत्तर – 4
जे.पी. गिलफोर्ड के अनुसार, अधिगम (learning) व्यवहार में परिवर्तन है। अधिगम और व्यवहारगिलफोर्ड ने अधिगम को एक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया है जो व्यवहार में बदलाव लाती है। उनके अनुसार, यह परिवर्तन अनुभव या अभ्यास के परिणामस्वरूप होता है, और यह अपेक्षाकृत स्थायी होता है। यह व्यवहार में होने वाला बदलाव ज्ञान, कौशल या दृष्टिकोण के रूप में हो सकता है। यह परिभाषा व्यवहारवाद के सिद्धांतों के अनुरूप है, जो सीखने को बाहरी और मापने योग्य व्यवहार में होने वाले परिवर्तन के रूप में देखते हैं। |
प्रश्न – (75) शैक्षिक तकनीकी का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया।1. ऐलेक्जेंडर
2. जे एस रॉस
3. ब्राइमर
4. के मैककिनौन
उत्तर – 3
शैक्षिक तकनीकी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ब्राइमर (Brynmor) जोंस ने 1967 में किया था। शैक्षिक तकनीकीशैक्षिक तकनीकी (Educational Technology) का अर्थ शिक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिक ज्ञान और तकनीकी साधनों का उपयोग करना है। इसका उद्देश्य शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाना है। इसमें मशीनों, कंप्यूटरों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग शामिल हो सकता है, लेकिन इसका मुख्य ध्यान शिक्षण के सिद्धांतों और विधियों पर होता है। |
प्रश्न – (76) बच्चे के प्रशिक्षण के लिए शिक्षक को अवश्य जांच करनी चाहिए।1. शारीरिक परिपक्वता
2. मानसिक परिपक्वता
3. उपरोक्त दोनों
4. कोई नहीं
उत्तर – 3
बच्चे के प्रशिक्षण के लिए शिक्षक को उपर्युक्त दोनों की अवश्य जाँच करनी चाहिए। परिपक्वता का महत्वप्रशिक्षण का अर्थ है किसी कार्य को करने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करना। एक शिक्षक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चा उस प्रशिक्षण के लिए तैयार है, और यह तैयारी शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की होती है।
इसलिए, एक प्रभावी शिक्षक बच्चे की शारीरिक और मानसिक दोनों परिपक्वता का आकलन करके ही उसे उचित प्रशिक्षण देता है। |
प्रश्न – (77) किसी व्यक्ति का अधिगम होता है।1. बचपन तक
2. किशोरावस्था तक
3. प्रौढावस्था तक
4. जीवन पर्यन्त
उत्तर – 4
किसी व्यक्ति का अधिगम (learning) जीवन-पर्यन्त होता है। अधिगम एक सतत प्रक्रियाअधिगम एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक चलती रहती है। यह किसी विशेष आयु या अवस्था तक सीमित नहीं है। लोग अपने पूरे जीवन में नए कौशल, ज्ञान और अनुभव प्राप्त करते रहते हैं, चाहे वह औपचारिक शिक्षा के माध्यम से हो या अनौपचारिक रूप से। यह प्रक्रिया जीवन के हर चरण में होती रहती है। |
प्रश्न – (78) बालक में शारीरिक परिवर्तन जिसे बहुत अधिक प्रभावित करता है।1. रूचियां
2. कार्य
3. व्यवहार
4. सभी को
उत्तर – 4
बालक में होने वाले शारीरिक परिवर्तन सभी को प्रभावित करते हैं, जिनमें उसकी रुचियाँ, कार्य और व्यवहार शामिल हैं। शारीरिक परिवर्तन का प्रभावविकास के दौरान, विशेषकर किशोरावस्था में, बालक के शरीर में तेजी से बदलाव होते हैं। ये बदलाव केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि उसके मनोवैज्ञानिक और सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करते हैं।
इस प्रकार, बालक का शारीरिक विकास उसके जीवन के हर पहलू को गहराई से प्रभावित करता है। |
प्रश्न – (79) निम्न में से कौन सा नकारात्मक संवेग है।1. आनंद
2. चिंता
3. आशा
4. उपलब्धि
उत्तर – 2
निम्नलिखित में से चिंता एक नकारात्मक संवेग (negative emotion) है। नकारात्मक संवेग क्या हैं?नकारात्मक संवेग वे भावनाएँ हैं जो व्यक्ति के लिए अप्रिय या कष्टदायक होती हैं। वे अक्सर तनाव, निराशा, या बेचैनी का कारण बनती हैं।
अन्य विकल्प
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प्रश्न – (80) वह कारक जो व्यवहार में स्थाई औ अस्थाई के बीच परिवर्तन लाता है।1. मानसिक थकावट
2. बीमारी
3. परिपक्वन
4. प्रशिक्षण
उत्तर – 4
व्यवहार में स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के परिवर्तन लाने वाला कारक प्रशिक्षण है। प्रशिक्षण और व्यवहार में परिवर्तनप्रशिक्षण (Training) एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव लाती है। यह बदलाव स्थायी या अस्थायी दोनों हो सकता है, जो प्रशिक्षण के प्रकार और अवधि पर निर्भर करता है।
इसके विपरीत, मानसिक थकावट, बीमारी, या परिपक्वता से होने वाले परिवर्तन अक्सर स्थायी नहीं होते हैं। |
प्रश्न – (81) शैक्षिक तकनीकि में अदा (इनपुट) सामान्यत: देता है।1. शिक्षक
2. विद्यार्थी
3. कम्प्यूटर
4. टेलीविजन
उत्तर – 1
शैक्षिक तकनीकी में अदा (इनपुट) सामान्यतः शिक्षक देता है। शैक्षिक तकनीकी और इनपुटशैक्षिक तकनीकी (Educational Technology) में, “अदा” या इनपुट उस सामग्री या जानकारी को संदर्भित करता है जो सीखने की प्रक्रिया में डाली जाती है। यह जानकारी आमतौर पर शिक्षक द्वारा प्रदान की जाती है।
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प्रश्न – (82) निम्न में से कौन सा बाल अपराध का एक मनोवैज्ञानिक कारक नहीं है।1. मानसिक संघर्ष
2. प्रबल कामना
3. राजनीति
4. मंदबुद्धिता
उत्तर – 3
बाल अपराध का एक मनोवैज्ञानिक कारक राजनीति नहीं है। बाल अपराध के मनोवैज्ञानिक कारकमनोवैज्ञानिक कारक वे हैं जो किसी व्यक्ति के मन या मानसिक स्थिति से संबंधित होते हैं और उसके व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
राजनीति एक सामाजिक कारक है, न कि मनोवैज्ञानिक। यह सीधे तौर पर किसी व्यक्ति के मन या मानसिक स्थिति को प्रभावित नहीं करता है, बल्कि यह समाज की संरचना, नियमों और शक्ति से संबंधित है। |
प्रश्न – (83) निम्न में से कौन सा प्राकृतिक अभिप्रेरणा का उदाहरण नहीं है।1. प्यास
2. प्रतिष्ठा
3. सुरक्षा
4. भूख
उत्तर – 2
दिए गए विकल्पों में से, प्रतिष्ठा एक प्राकृतिक अभिप्रेरणा का उदाहरण नहीं है। प्राकृतिक और अर्जित अभिप्रेरणाप्राकृतिक अभिप्रेरणाएँ (Natural Motivations) वे होती हैं जो जन्मजात और जैविक होती हैं, जो जीवित रहने के लिए आवश्यक होती हैं। ये आंतरिक होती हैं और व्यक्ति को स्वयं को जीवित रखने और अपनी प्रजाति को बनाए रखने के लिए प्रेरित करती हैं।
इसके विपरीत, प्रतिष्ठा (Prestige) एक अर्जित अभिप्रेरणा (Acquired Motivation) है, जिसे व्यक्ति समाज में रहते हुए सीखता है। यह सामाजिक अपेक्षाओं और मानदंडों से जुड़ी होती है। |
प्रश्न – (84) निम्न मे से कौन सा शैक्षिक मनोविज्ञान का क्षेत्र नहीं है।1. व्यक्तिगत समानताएं
2. मूल्यांकन
3. पाठ्यक्रम का निर्माण
4. अधिगम
उत्तर – 1
शैक्षिक मनोविज्ञान का क्षेत्र व्यक्तिगत समानताएं नहीं है। शैक्षिक मनोविज्ञान का क्षेत्रशैक्षिक मनोविज्ञान (Educational Psychology) एक ऐसा क्षेत्र है जो सीखने और शिक्षण से संबंधित है। यह इस बात का अध्ययन करता है कि लोग कैसे सीखते हैं और शिक्षा की प्रक्रिया को कैसे सुधारा जा सकता है।
व्यक्तिगत समानताएं शैक्षिक मनोविज्ञान का क्षेत्र नहीं हैं। इसके विपरीत, यह व्यक्तिगत भिन्नताओं (Individual Differences) पर ध्यान केंद्रित करता है, जो यह बताता है कि छात्र सीखने के तरीकों और गति में एक-दूसरे से कैसे भिन्न होते हैं। |
प्रश्न – (85) फिल्म दिखाने के बाद आवश्यक सोपान है।1. उसका विवेचन
2. उसकी पुनरावृति
3. उसकी गुणवत्ता की चर्चा
4. उसकी उपादेयता
उत्तर – 1
फिल्म दिखाने के बाद सबसे आवश्यक सोपान उसका विवेचन है। विवेचन (Discussion) का महत्वशैक्षणिक प्रक्रिया में, किसी भी दृश्य-श्रव्य सामग्री जैसे फिल्म या वीडियो का उपयोग करने के बाद, उस पर चर्चा करना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
जबकि पुनरावृत्ति (repetition), गुणवत्ता की चर्चा, या उपादेयता (utility) भी महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन विवेचन ही वह प्रक्रिया है जो सीखने को एक सार्थक और स्थायी अनुभव बनाती है। |
प्रश्न – (86) ग्रामों फोन निम्न में किस तरह का उपकरण है।1. दृश्य उपकरण
2. श्रव्य उपकरण
3. मापन उपकरण
4. इनमे से कोई नहीं
उत्तर – 2
ग्रामोफ़ोन एक श्रव्य उपकरण है। ग्रामोफ़ोनग्रामोफ़ोन एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग ध्वनि को रिकॉर्ड करने और उसे सुनने के लिए किया जाता था। यह एक ऐतिहासिक उपकरण है जो रिकॉर्ड की गई ध्वनि को फिर से बजाता है। चूँकि इसका मुख्य कार्य ध्वनि से संबंधित है, यह एक श्रव्य उपकरण कहलाता है। |
प्रश्न – (87) निम्न में से दृश्य – श्रव्य सामग्री का उदाहरण है।1. रेडियो
2. टेप रिकार्डर
3. टेलीविजन
4. श्यामपटृ
उत्तर – 3
दिए गए विकल्पों में से, टेलीविजन दृश्य-श्रव्य सामग्री का एक उदाहरण है। दृश्य-श्रव्य सामग्री क्या है?दृश्य-श्रव्य सामग्री (Audio-visual aids) वह होती है जो सीखने की प्रक्रिया में देखने और सुनने दोनों इंद्रियों का उपयोग करती है।
टेलीविजन जैसे उपकरणों का उपयोग शिक्षण को अधिक प्रभावी और रोचक बनाने में मदद करता है। |
प्रश्न – (88) स्मृति मे सबसे अधिक समय तक रहती है।1. सुनी हुई
2. देखी हुई
3. देखी व सुनी हुई
4. पढी हुई
उत्तर – 3
स्मृति में सबसे अधिक समय तक देखी व सुनी हुई जानकारी रहती है। स्मृति और इंद्रियाँमनोवैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि जब हम एक ही समय में कई इंद्रियों का उपयोग करके कुछ सीखते हैं, तो वह जानकारी हमारी स्मृति में अधिक समय तक रहती है।
देखी हुई जानकारी सुनी हुई जानकारी की तुलना में अधिक समय तक रहती है, लेकिन जब दोनों को मिला दिया जाता है, तो सीखने की प्रक्रिया और भी प्रभावी हो जाती है। |
प्रश्न – (89) भाषा शिक्षण में उच्चारण शुद्धता के लिए प्रयोग किया जाता है।1. ओ.एच.पी.
2. लिंग्वाफोन
3. ग्रामोफोन
4. डिक्टोफोन
उत्तर – 2
भाषा शिक्षण में उच्चारण की शुद्धता के लिए लिंग्वाफोन का प्रयोग किया जाता है। लिंग्वाफोन क्या है?लिंग्वाफोन एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग विदेशी भाषाओं को सीखने के लिए किया जाता है। इसमें रिकॉर्ड की गई सामग्री होती है जिसमें मूल वक्ता (native speaker) द्वारा शब्दों और वाक्यों का सही उच्चारण किया जाता है। छात्र इन ध्वनियों को सुनकर और उनका अनुकरण करके अपने उच्चारण को सुधारते हैं। अन्य विकल्प:
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प्रश्न – (90) निम्न में से भाषा प्रयोगशाला का अनुभाग नहीं है।1. श्रवण कोष्ठ
2. परामर्शदाता का कोष्ठ
3. नियन्त्रण कोष्ठ
4. दूरदर्शन प्रकोष्ठ
उत्तर – 4
भाषा प्रयोगशाला का अनुभाग दूरदर्शन प्रकोष्ठ नहीं है। भाषा प्रयोगशाला के अनुभागभाषा प्रयोगशाला एक विशेष प्रकार की कक्षा होती है जिसका उपयोग विदेशी भाषा या दूसरी भाषा सीखने और अभ्यास करने के लिए किया जाता है। इसके मुख्य अनुभाग इस प्रकार हैं:
दूरदर्शन प्रकोष्ठ भाषा प्रयोगशाला का हिस्सा नहीं होता है, क्योंकि दूरदर्शन (टेलीविजन) का उपयोग आमतौर पर सामूहिक शिक्षण के लिए किया जाता है, जबकि भाषा प्रयोगशाला व्यक्तिगत अभ्यास पर ध्यान केंद्रित करती है। |
प्रश्न – (91) किस मनोवैज्ञानिक के अनुसार विकास एक सतत् और धीमी – धीमी प्रक्रिया है।1. कोलसैनिक
2. पियाजे
3. स्किनर
4. हरलॉक
उत्तर – 4
विकास एक सतत और धीमी प्रक्रिया है, यह विचार हरलॉक ने दिया था। हरलॉक और विकास का सिद्धांतमनोवैज्ञानिक एलिजाबेथ बी. हरलॉक (Elizabeth B. Hurlock) ने विकास के बारे में अपनी व्यापक समझ प्रस्तुत की थी। उन्होंने कहा था कि विकास अचानक नहीं होता, बल्कि यह एक सतत (continuous) प्रक्रिया है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है। साथ ही, यह धीमी-धीमी (gradual) प्रक्रिया है, जिसमें एक चरण से दूसरे चरण में धीरे-धीरे संक्रमण होता है। यह विचार निरंतरता के सिद्धांत (Principle of Continuity) के साथ मेल खाता है, जो यह बताता है कि विकास एक अविच्छिन्न प्रक्रिया है और इसमें कोई अचानक बदलाव नहीं होता। |
प्रश्न – (92) मैक्डूगल के अनुसार, मूल प्रवृति जिज्ञासा का संबंध संवेग कोन सा है।1. भय
2. घृणा
3. आश्चर्य
4. भूख
उत्तर – 3
मैकडूगल के अनुसार, मूल प्रवृत्ति जिज्ञासा का संबंध संवेग आश्चर्य (Wonder) से है। मैकडूगल का सिद्धांतविलियम मैकडूगल (William McDougall) ने यह सिद्धांत दिया था कि सभी व्यवहार मूल प्रवृत्तियों (instincts) से उत्पन्न होते हैं, और प्रत्येक मूल प्रवृत्ति एक विशिष्ट संवेग (emotion) से जुड़ी होती है।
इस प्रकार, मैकडूगल ने जिज्ञासा और आश्चर्य को सीधे तौर पर संबंधित बताया था। |
प्रश्न – (93) विकास शुरू होता है।1. उत्तर बाल्यावस्था से
2. प्रसव पूर्व अवस्था से
3. शेशवावस्था से
4. पूर्व बाल्यावस्था से
उत्तर – 2
विकास प्रसव पूर्व अवस्था (Prenatal Stage) से शुरू होता है। विकास का प्रारंभिक चरणविकास एक सतत और जीवन-पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है। यह जन्म से पहले ही शुरू हो जाती है।
इसलिए, किसी भी व्यक्ति का विकास उसकी माँ के गर्भ में ही शुरू हो जाता है। |
प्रश्न – (94) लारेंस कोहलबर्ग विकास के क्षेत्र में शोध के लिए जाने जाते है।1. संज्ञानात्मक
2. शारीरिक
3. नैतिक
4. गामक
उत्तर – 3
लारेंस कोहलबर्ग (Lawrence Kohlberg) विकास के क्षेत्र में नैतिक शोध के लिए जाने जाते हैं। कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांतकोहलबर्ग ने बच्चों और किशोरों में नैतिक तर्क (moral reasoning) के विकास का अध्ययन किया। उनका सबसे प्रसिद्ध कार्य नैतिक विकास के सिद्धांत (Theory of Moral Development) पर है। उन्होंने बताया कि मनुष्य नैतिक निर्णय लेने के दौरान तीन मुख्य स्तरों और छह चरणों से गुजरता है।
इस प्रकार, कोहलबर्ग का पूरा शोध नैतिकता और नैतिक निर्णय लेने की प्रक्रिया पर केंद्रित था। |
प्रश्न – (95) सबसे अधिक गहन और जटिल समाजीकरण होता है।1. व्यक्ति के पूरे जीवन मे
2. किशोरावस्था मे
3. पूर्व वाल्यावस्था मे
4. प्रौढावस्था में
उत्तर – 2
सबसे अधिक गहन और जटिल समाजीकरण किशोरावस्था में होता है। किशोरावस्था में समाजीकरणकिशोरावस्था (Adolescence) वह अवस्था है जो लगभग 12 से 19 वर्ष की आयु के बीच होती है। इस दौरान, एक व्यक्ति को कई शारीरिक, मानसिक और सामाजिक परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है, जिससे समाजीकरण की प्रक्रिया सबसे अधिक गहन हो जाती है।
जबकि समाजीकरण व्यक्ति के पूरे जीवन में होता है, लेकिन किशोरावस्था में होने वाले तीव्र परिवर्तन और नए अनुभवों के कारण यह सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण और जटिल होता है। |
प्रश्न – (96) विकास कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया है यह विचार किससे संबंधित है।1. एकीकरण सिद्धांत
2. अंत: क्रिया का सिद्धांत
3. अंत: संबंध का सिद्धांत
4. निरंतरता का सिद्धांत
उत्तर – 4
विकास कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया है, यह विचार निरंतरता का सिद्धांत से संबंधित है। निरंतरता का सिद्धांतयह सिद्धांत बताता है कि विकास एक सतत (continuous) और धीमी प्रक्रिया है जो व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है। यह किसी भी अवस्था में अचानक नहीं रुकती।
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प्रश्न – (97) परिपक्वता का संबंध है।1. विकास
2. बुद्धि
3. सृजनात्मक
4. रूचि
उत्तर – 1
परिपक्वता का संबंध विकास से है। परिपक्वता और विकास का संबंधपरिपक्वता (Maturation) विकास की एक प्रक्रिया है जो आनुवंशिकता और जैविक कारकों पर आधारित होती है। यह एक प्राकृतिक और आंतरिक प्रक्रिया है, जो किसी भी प्रकार के अभ्यास या प्रशिक्षण के बिना होती है।
जबकि बुद्धि, सृजनात्मकता और रुचि भी विकास के पहलू हैं, लेकिन परिपक्वता सीधे तौर पर जैविक विकास से जुड़ी है। |
प्रश्न – (98) शारीरिक विकास का क्षेत्र है।1. स्नायुमण्डल
2. स्मृति
3. अभिप्रेरणा
4. समायोजन
उत्तर – 1
शारीरिक विकास का क्षेत्र स्नायुमंडल (Nervous System) है। शारीरिक विकासशारीरिक विकास का संबंध शरीर के विभिन्न अंगों के विकास से है। इसमें शरीर के आकार और बनावट में होने वाले बदलाव, मांसपेशियों का विकास और विभिन्न आंतरिक प्रणालियों का विकास शामिल है।
अन्य विकल्प:
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प्रश्न – (99) मानसिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक है।1. वंशानुक्रम
2. परिवार का वातावरण
3. परिवार की सामाजिक स्थिति
4. सभी
उत्तर – 4
मानसिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक उपरोक्त सभी हैं। मानसिक विकास को प्रभावित करने वाले कारकमानसिक विकास एक जटिल प्रक्रिया है जो कई कारकों से प्रभावित होती है। ये सभी कारक मिलकर एक व्यक्ति की सोच, तर्क, स्मृति और समस्या-समाधान की क्षमताओं को निर्धारित करते हैं।
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प्रश्न – (100) विधायकता की मूल प्रवृति किस अवस्था में विकसित होती है।1. शैशवावस्था में
2. किशोरावस्था में
3. युवावस्था में
4. बाल्यावस्था में
उत्तर – 4
विधायिका की मूल प्रवृत्ति बाल्यावस्था में विकसित होती है। विधायिका की मूल प्रवृत्ति (Constructive Instinct)मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, विधायिका (constructive) या रचनात्मकता की मूल प्रवृत्ति बच्चों में चीजों को बनाने और बिगाड़ने की इच्छा के रूप में देखी जाती है। यह प्रवृत्ति विशेष रूप से बाल्यावस्था (Childhood) में विकसित होती है।
इसलिए, खिलौनों से खेलना, चित्र बनाना, या कोई नई चीज बनाना इस प्रवृत्ति को दर्शाता है, जो बाल्यावस्था में सबसे अधिक सक्रिय होती है। |