बाल – विकास एवं शिक्षा शास्त्र
प्रश्न 1 मनोविज्ञान का सम्बन्ध प्रत्यक्ष मानव व्यवहार से है ?
(अ) वाट्सन
(ब) मैक्डूगल
(स) गैरिसन
(द) वुडवर्थ
मनोविज्ञान का संबंध प्रत्यक्ष मानव व्यवहार से है, यह कथन (अ) वाटसन का है।
व्यवहारवाद और वाटसन 👨🏫
जॉन बी. वाटसन (John B. Watson) को व्यवहारवाद (Behaviorism) का जनक माना जाता है। उन्होंने पारंपरिक मनोविज्ञान (जो चेतना, मन और आत्मा का अध्ययन करता था) का विरोध किया। वाटसन का मानना था कि मनोविज्ञान को एक वस्तुनिष्ठ विज्ञान बनाने के लिए उसे केवल प्रत्यक्ष, अवलोकन योग्य व्यवहार का अध्ययन करना चाहिए, न कि व्यक्ति के आंतरिक अनुभवों का।
उनका प्रसिद्ध कथन है, “मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है।” उन्होंने जोर दिया कि किसी व्यक्ति के व्यवहार का विश्लेषण करके ही उसके मानसिक प्रक्रियाओं को समझा जा सकता है।
प्रश्न 2 जीवन की सघर्षपूर्ण परिस्थितियों के प्रति मनुष्य अथवा पशु की संपूर्ण प्रतिक्रिया ही व्यवहार है? मनोविज्ञान की परिभाषा किसने दी।
(अ) जेम्स ड्रावर
(ब) क्रो व क्रो
(स) मन
(द) वारेन
यह परिभाषा (ब) क्रो व क्रो (Crow and Crow) ने दी है।
क्रो और क्रो की परिभाषा
मनोवैज्ञानिकों क्रो और क्रो ने मनोविज्ञान को इस तरह परिभाषित किया है कि यह केवल आंतरिक मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन नहीं है, बल्कि यह वह विज्ञान है जो व्यक्ति (मनुष्य या पशु) की जीवन की संघर्षपूर्ण परिस्थितियों के प्रति संपूर्ण प्रतिक्रिया का अध्ययन करता है। इसमें वे सभी व्यवहार और क्रियाएं शामिल हैं जो व्यक्ति अपने वातावरण के साथ तालमेल बिठाने के लिए करता है।
प्रश्न 3 बाल अपराधियों को सुधारने के लिए प्रथम बाल गृह की स्थापना कब हुई।
(अ) 1884
(ब) 1885
(स) 1886
(द) 1887
बाल अपराधियों को सुधारने के लिए प्रथम बाल गृह की स्थापना (अ) 1884 में हुई।
प्रथम बाल गृह (Reformatory)
भारत में बाल अपराधियों को सुधारने की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम 1884 में उठाया गया, जब रिफॉर्मेटरी स्कूल अधिनियम (Reformatory Schools Act) पारित किया गया। इस अधिनियम के तहत, बाल अपराधियों को जेल में रखने के बजाय उन्हें विशेष सुधार गृहों (बाल गृह) में भेजा गया। इन गृहों का उद्देश्य बच्चों को दंड देना नहीं, बल्कि उन्हें शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और उचित मार्गदर्शन प्रदान करके समाज की मुख्यधारा में वापस लाना था। यह कदम इस विचार पर आधारित था कि बच्चे, जो अपराध करते हैं, वे अक्सर परिस्थितियों के शिकार होते हैं और उन्हें सुधारने का अवसर मिलना चाहिए।
प्रश्न 4 ईसा की 16 वीं सदी में मनोविज्ञान को क्या माना जाता था?
(अ) आत्मा का विज्ञान
(ब) मन का विज्ञान
(स) मस्तिष्क का विज्ञान
(द) व्यवहार का विज्ञान
ईसा की 16वीं सदी में मनोविज्ञान को (अ) आत्मा का विज्ञान माना जाता था।
मनोविज्ञान का प्रारंभिक इतिहास
मनोविज्ञान (Psychology) शब्द दो ग्रीक शब्दों से बना है:
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Psyche (साइके): जिसका अर्थ है आत्मा (Soul)
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Logos (लोगोस): जिसका अर्थ है अध्ययन (Study)
इस प्रकार, 16वीं सदी के दार्शनिकों ने मनोविज्ञान को आत्मा के अध्ययन के रूप में परिभाषित किया था। समय के साथ, इस अवधारणा में बदलाव आया, और मनोविज्ञान को मन, फिर चेतना और अंत में व्यवहार का विज्ञान माना जाने लगा।
प्रश्न 5 मनोविज्ञान शिक्षा का आधार भूत विज्ञान है, यह कथन है?
(अ) स्किनर
(ब) रायवर्थ
(स) जे. एस. मेकेन्जी
(द) डेकार्ट
मनोविज्ञान शिक्षा का आधारभूत विज्ञान है, यह कथन (अ) स्किनर का है।
बी.एफ. स्किनर और शिक्षा मनोविज्ञान
बी.एफ. स्किनर (B.F. Skinner) एक प्रसिद्ध व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिक थे। उन्होंने अधिगम (learning) और व्यवहार पर गहन शोध किया। स्किनर का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य छात्रों के व्यवहार को इस तरह से बदलना है जिससे वे प्रभावी रूप से सीख सकें। उनके अनुसार, मनोविज्ञान के सिद्धांत, विशेषकर क्रिया-प्रसूत अनुबंधन (Operant Conditioning), शिक्षकों को यह समझने में मदद कर सकते हैं कि छात्र कैसे सीखते हैं और उन्हें कैसे प्रेरित किया जा सकता है। इसलिए, उन्होंने मनोविज्ञान को शिक्षा का आधारभूत विज्ञान माना।
प्रश्न 6 वुडवर्थ ने सबसे पहले निर्माण किया?
(अ) निर्धारण मापनी
(ब) साक्षात्कार
(स) बुद्धि परीक्षण
(द) प्रश्नावली
वुडवर्थ ने सबसे पहले (द) प्रश्नावली का निर्माण किया।
प्रश्नावली का इतिहास
प्रश्नावली एक शोध उपकरण है, जिसमें लोगों से जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रश्नों की एक श्रृंखला होती है। रॉबर्ट एस. वुडवर्थ (Robert S. Woodworth), एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक, ने 1917 में साइकोन्यूरोटिक इन्वेंटरी (Psychoneurotic Inventory) नामक पहली प्रश्नावली विकसित की। इस प्रश्नावली का उद्देश्य प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सैनिकों की मानसिक स्थिरता का मूल्यांकन करना था।
हालांकि, प्रश्नावली का उपयोग बाद में विभिन्न प्रकार के शोधों में किया जाने लगा, लेकिन इसकी शुरुआत वुडवर्थ द्वारा ही हुई थी।
प्रश्न 7 जब मनोविज्ञान अपनी स्वयं की मानसिक दशा का निरीक्षण करता है तो वह पद्धति कहलाती है?
(अ) अन्तर्दर्शन
(ब) बहिर्दर्शन
(स) दोनों
(द) कोई नहीं
जब मनोविज्ञान अपनी स्वयं की मानसिक दशा का निरीक्षण करता है, तो वह पद्धति (अ) अन्तर्दर्शन (Introspection) कहलाती है।
अन्तर्दर्शन क्या है?
अन्तर्दर्शन एक ऐसी विधि है जिसमें व्यक्ति अपने स्वयं के विचारों, भावनाओं और अनुभवों का निरीक्षण और विश्लेषण करता है। यह मनोविज्ञान की सबसे पुरानी विधियों में से एक है।
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विलियम वुंट (Wilhelm Wundt), जिन्हें आधुनिक मनोविज्ञान का जनक माना जाता है, ने अपनी प्रयोगशाला में इस पद्धति का व्यापक उपयोग किया था।
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इस पद्धति का उद्देश्य व्यक्ति के चेतन अनुभवों (conscious experiences) का अध्ययन करना था।
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हालांकि, बाद में व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिकों ने इस पद्धति की आलोचना की क्योंकि यह वस्तुनिष्ठ नहीं थी और इसका वैज्ञानिक रूप से अध्ययन करना कठिन था।
इसके विपरीत, बहिर्दर्शन (Extrospection) में दूसरे व्यक्ति के व्यवहार का निरीक्षण किया जाता है।
प्रश्न 8 प्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला की स्थापना कब और कहाँ की गई ?
(अ) 1870 में जर्मनी के लिपजिंग स्थान पर
(ब) 1879 में अमेरिका में
(स) 1879 में जर्मनी के लिपजिंग स्थान पर
(द) 1887 में जर्मनी मे
प्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला की स्थापना (स) 1879 में जर्मनी के लिपजिंग स्थान पर की गई थी।
प्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला
आधुनिक मनोविज्ञान के जनक माने जाने वाले विलियम वुंट (Wilhelm Wundt) ने 1879 में जर्मनी के लिपजिग विश्वविद्यालय में पहली मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला की स्थापना की। इस प्रयोगशाला ने मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से अलग कर एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहाँ, वुंट और उनके छात्रों ने चेतना के अध्ययन के लिए अन्तर्दर्शन (Introspection) की पद्धति का उपयोग किया।
प्रश्न 9 प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का जनक माना जाता है?
(अ) मैक्डयूल को
(ब) विलियम जेम्स को
(स) वाटसन को
(द) विलियम वुन्ट को
प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का जनक (द) विलियम वुन्ट को माना जाता है।
विलियम वुन्ट
विलियम वुन्ट (Wilhelm Wundt) एक जर्मन चिकित्सक, दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक थे। उन्हें मनोविज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। 1879 में जर्मनी के लिपजिग विश्वविद्यालय में उन्होंने दुनिया की पहली मनोविज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना की, जिसने मनोविज्ञान को एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में स्थापित किया। उन्होंने मनोविज्ञान को एक वैज्ञानिक अनुशासन के रूप में अध्ययन करने के लिए प्रयोग (experimentation) और आत्म-निरीक्षण (introspection) जैसी विधियों का उपयोग किया, इसीलिए उन्हें प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का जनक माना जाता है।
प्रश्न 10 किस वैज्ञानिक ने माना है कि उचित वातावरण से बुद्धि लब्धि में वृद्धि होती है?
(अ) मेंडल
(ब) कूले
(स) स्टीफन्स
(द) क्लार्क
उचित वातावरण से बुद्धि लब्धि में वृद्धि होती है, यह विचार (स) स्टीफन्स ने दिया है।
स्टीफन्स का दृष्टिकोण
मनोवैज्ञानिक स्टीफन्स (Stephens) ने बुद्धि लब्धि (IQ) पर आनुवंशिकता और पर्यावरण के प्रभाव का अध्ययन किया। उनका मानना था कि यद्यपि बुद्धि का एक भाग आनुवंशिक होता है, लेकिन उचित और समृद्ध वातावरण प्रदान करके बुद्धि को विकसित किया जा सकता है।
यह विचार यह दर्शाता है कि सीखने के अवसर, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और एक सहायक सामाजिक माहौल बच्चे की बौद्धिक क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 11 व्यक्ति का विकास किसका परिणाम है?
(अ) वंशानुक्रम + वातावरण
(ब) वंशानुक्रम वातावरण
(स) वंशानुक्रम – वातावरण
(द) उपरोक्त सभी
व्यक्ति का विकास (अ) वंशानुक्रम + वातावरण का परिणाम है।
वंशानुक्रम और वातावरण का प्रभाव 🧠
व्यक्ति का विकास एक जटिल प्रक्रिया है जो दो मुख्य कारकों के परस्पर क्रिया पर निर्भर करती है:
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वंशानुक्रम (Heredity): इसमें व्यक्ति को अपने माता-पिता से विरासत में मिले आनुवंशिक गुण शामिल होते हैं। ये गुण व्यक्ति के शारीरिक और कुछ हद तक मानसिक विकास की क्षमता निर्धारित करते हैं।
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वातावरण (Environment): इसमें वे सभी बाहरी कारक शामिल होते हैं जो व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालते हैं। जैसे- पोषण, शिक्षा, परिवार का माहौल, और सामाजिक संपर्क।
ये दोनों कारक एक-दूसरे से स्वतंत्र नहीं हैं, बल्कि ये मिलकर व्यक्ति के संपूर्ण विकास को प्रभावित करते हैं। इसलिए, विकास को अक्सर एक सूत्र से व्यक्त किया जाता है: विकास = वंशानुक्रम × वातावरण। यह सूत्र बताता है कि दोनों कारक एक-दूसरे को गुणात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 12 Emile ग्रन्थ की रचना किसने की?
(अ) रूसो
(ब) किलपैट्रिक
(स) गाल्टन
(द) जड
“एमिल” (Emile) नामक ग्रंथ की रचना (अ) रूसो ने की थी।
जीन-जैक्स रूसो और उनका ग्रंथ
जीन-जैक्स रूसो (Jean-Jacques Rousseau) 18वीं सदी के एक प्रसिद्ध फ्रांसीसी दार्शनिक थे। उन्होंने 1762 में “एमिल, या शिक्षा पर एक ग्रंथ” (Emile, or On Education) नामक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक में, रूसो ने शिक्षा के सिद्धांतों और मनुष्य के स्वभाव पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उनका मानना था कि बच्चे को समाज के नकारात्मक प्रभावों से दूर रखकर प्राकृतिक रूप से विकसित होने दिया जाना चाहिए। इस पुस्तक ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी और आधुनिक बाल-केंद्रित शिक्षा (child-centered education) की नींव रखी।
“एमिल” एक क्रांतिकारी पुस्तक है जो बच्चों की परवरिश और शिक्षा पर रूसो के गहन विचारों को दर्शाती है।
प्रश्न 13 बाल चिन्तन की भाषा ग्रन्थ किसने प्रकाशित किया ?
(अ) जीन पियाजे
(ब) स्टेनले हाॅल
(स) थार्नडाइक
(द) रूसों
‘बाल चिंतन की भाषा’ (The Language and Thought of the Child) नामक ग्रंथ (अ) जीन पियाजे ने प्रकाशित किया।
जीन पियाजे और बाल चिंतन 🧠
जीन पियाजे (Jean Piaget) एक स्विस मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने बच्चों के संज्ञानात्मक विकास (cognitive development) पर महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने ‘द लैंग्वेज एंड थॉट ऑफ द चाइल्ड’ (1923) नामक अपनी प्रसिद्ध पुस्तक में यह बताया कि बच्चों की सोच वयस्कों से भिन्न होती है और वे दुनिया को अपने तरीके से समझते हैं। पियाजे ने बच्चों की भाषा और विचार के बीच के संबंध का अध्ययन किया और यह भी बताया कि बच्चे कैसे अपने विचारों को स्वयं से और दूसरों से व्यक्त करते हैं। यह पुस्तक बाल मनोविज्ञान के क्षेत्र में एक मील का पत्थर मानी जाती है।
प्रश्न 14 डिसलैक्सिया की समस्या मुख्य रूप से संबंधित है ?
(अ) पढने
(ब) बोलने
(स) बोलने एवं सुनने
(द) सुनने
डिसलेक्सिया की समस्या मुख्य रूप से (अ) पढ़ने से संबंधित है।
डिसलेक्सिया क्या है?
डिसलेक्सिया एक सीखने की अक्षमता है जो व्यक्ति की पढ़ने की क्षमता को प्रभावित करती है। यह मस्तिष्क की उस प्रणाली से संबंधित है जो भाषा को संसाधित करती है। डिसलेक्सिया से पीड़ित लोगों को शब्दों को पहचानने, अक्षरों को सही क्रम में पढ़ने, और वर्तनी (spelling) में कठिनाई होती है।
यह समस्या बौद्धिक क्षमता से संबंधित नहीं है, बल्कि यह केवल भाषा-आधारित कार्यों को प्रभावित करती है।
प्रश्न 15 निम्न में से कौन सा मनोवैज्ञानिक नहीं है?
(अ) जाॅन डीवी
(ब) वाटसन
(स) हल
(द) स्किनर
दिए गए विकल्पों में से, (अ) जॉन डीवी एक मनोवैज्ञानिक नहीं हैं।
जॉन डीवी कौन थे?
जॉन डीवी (John Dewey) एक प्रसिद्ध अमेरिकी दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक और शिक्षाविद थे। यद्यपि उन्होंने मनोविज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जैसे कि कार्यात्मक मनोविज्ञान (functional psychology) का विकास, लेकिन उन्हें मुख्य रूप से शिक्षा के क्षेत्र में उनके प्रगतिशील विचारों के लिए जाना जाता है।
अन्य विकल्प
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वाटसन (Watson): व्यवहारवाद (Behaviorism) के जनक।
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हल (Hull): सीखने के सिद्धांत (Learning Theory) पर शोध के लिए जाने जाते हैं।
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स्किनर (Skinner): क्रिया प्रसूत अनुबंधन (Operant Conditioning) के जनक।
ये तीनों प्रमुख रूप से मनोवैज्ञानिक थे।
प्रश्न 16 निम्न में से कौन – सा क्षेत्र मनोविज्ञान के अंतर्गत नहीं आता –
(अ) असामान्य मनोविज्ञान
(ब) औघोगिक मनोविज्ञान
(स) आर्थिक मनोविज्ञान
(द) पशु मनोविज्ञान
निम्न में से (स) आर्थिक मनोविज्ञान मनोविज्ञान के अंतर्गत नहीं आता है।
मनोविज्ञान के क्षेत्र
मनोविज्ञान मानव और पशु व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन है। इसके कई उप-क्षेत्र हैं जो विभिन्न विषयों पर ध्यान केंद्रित करते हैं:
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असामान्य मनोविज्ञान (Abnormal Psychology): यह मानसिक विकारों और असामान्य व्यवहारों का अध्ययन करता है।
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औद्योगिक मनोविज्ञान (Industrial Psychology): यह कार्यस्थल पर मानव व्यवहार का अध्ययन करता है, जैसे कर्मचारी चयन, प्रशिक्षण और उत्पादकता।
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पशु मनोविज्ञान (Animal Psychology): यह जानवरों के व्यवहार का अध्ययन करता है, जिससे मानव व्यवहार को समझने में मदद मिलती है।
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प्रश्न 17 भारत में बाल अध्ययन की शुरूआत हुई?
(अ) 1820 से
(ब) 1930 से
(स) 1710 से
(द) 1730 से
भारत में बाल अध्ययन की शुरुआत (ब) 1930 से हुई।
बाल अध्ययन का इतिहास
भारत में बाल अध्ययन का व्यवस्थित विकास 20वीं सदी की शुरुआत में हुआ। इस क्षेत्र में 1930 के दशक में महत्वपूर्ण प्रगति हुई, जब कई शोधकर्ताओं ने बच्चों के विकास, व्यवहार और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया। इस दौरान, मनोवैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने पश्चिमी सिद्धांतों को भारतीय संदर्भ में लागू करने का प्रयास किया और भारत में बच्चों की विशिष्ट आवश्यकताओं को समझने के लिए अनुसंधान करना शुरू किया।
प्रश्न 18 बाल विकास का सर्वप्रथम वैज्ञानिक विवरण प्रस्तुत किया –
(अ) प्लेटो
(ब) जाॅन डीवी
(स) पैस्टोलाॅजी
(द) हाॅल
बाल विकास का सर्वप्रथम वैज्ञानिक विवरण (स) पेस्टोलोजी ने प्रस्तुत किया।
बाल विकास में पेस्टोलोजी का योगदान
जोहान हेनरिक पेस्टोलोजी (Johann Heinrich Pestalozzi) एक स्विस शिक्षाविद और समाज सुधारक थे। उन्होंने 1774 में अपने ही बेटे पर अध्ययन किया और एक डायरी में उसके व्यवहार, विकास और सीखने की प्रक्रिया का विस्तृत अवलोकन दर्ज किया। इस दस्तावेज़ को “बेबी बायोग्राफी” (Baby Biography) के रूप में जाना जाता है और इसे बाल मनोविज्ञान के क्षेत्र में पहला वैज्ञानिक अध्ययन माना जाता है। इस काम ने बाल विकास के व्यवस्थित और वैज्ञानिक अध्ययन की नींव रखी।
प्रश्न 19 बालक का सर्वागीण विकास उसके किस विकास पर अधिक अवलम्बित है?
(अ) शारीरिक
(ब) मानसिक
(स) संवेगात्मक
(द) गामक
बालक का सर्वांगीण विकास उसके (ब) मानसिक विकास पर अधिक अवलंबित है।
मानसिक विकास का महत्व 🧠
मानसिक विकास (Mental/Cognitive Development) बालक के संपूर्ण व्यक्तित्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ बुद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सोच, तर्क, कल्पना, स्मृति, और समस्या-समाधान जैसी क्षमताएं भी शामिल हैं।
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शारीरिक विकास: शरीर का विकास मानसिक विकास के लिए आधार प्रदान करता है।
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संवेगात्मक विकास: भावनाओं को समझना और नियंत्रित करना मानसिक विकास से जुड़ा होता है।
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गामक विकास: गामक (motor) कौशल का विकास भी मस्तिष्क के सही कार्य करने पर निर्भर करता है।
चूँकि मानसिक विकास इन सभी क्षेत्रों को नियंत्रित और समन्वित करता है, यह सर्वांगीण विकास का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रश्न 20 मानव विकास जिन दो कारकों पर निर्भर करता है?
(अ) जैविक व आर्थिक
(ब) जैविक व सामाजिक
(स) सामाजिक व राजनैतिक
(द) सामाजिक व आर्थिक
मानव विकास (ब) जैविक व सामाजिक कारकों पर निर्भर करता है।
जैविक (Biological) कारक
जैविक कारक वे होते हैं जो व्यक्ति की आनुवंशिक बनावट और शारीरिक विकास से संबंधित होते हैं। इनमें वंशानुक्रम, जीन, और हार्मोन शामिल होते हैं। ये कारक व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक विकास की सीमा निर्धारित करते हैं।
सामाजिक (Social) कारक
सामाजिक कारक वे होते हैं जो व्यक्ति के पर्यावरण और सामाजिक परिवेश से संबंधित होते हैं। इनमें परिवार का माहौल, शिक्षा, संस्कृति, और सामाजिक संबंध शामिल हैं। ये कारक व्यक्ति के व्यवहार, सोच और व्यक्तित्व को आकार देते हैं।
मानव विकास एक जटिल प्रक्रिया है जो इन दोनों कारकों के बीच की परस्पर क्रिया पर निर्भर करती है।
प्रश्न 21 काॅलसनिक ने किषोरावस्था की आयु बताई है?
(अ) 10 – 12 वर्ष
(ब) 15 – 30 वर्ष
(स) 12 – 21 वर्ष
(द) 10 – 15 वर्ष
कालसनिक (Kolesnik) ने किशोरावस्था की आयु (स) 12 से 21 वर्ष बताई है।
किशोरावस्था की आयु सीमा
विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने किशोरावस्था की आयु सीमा को अलग-अलग बताया है, हालांकि आम तौर पर इसे 12 से 19 वर्ष माना जाता है।
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स्टेनली हॉल (Stanley Hall): उन्होंने इसे 12 से 18 वर्ष बताया।
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हरलॉक (Hurlock): उन्होंने इसे 12 से 21 वर्ष बताया।
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कालसनिक (Kolesnik): उन्होंने किशोरावस्था की आयु सीमा को 12 से 21 वर्ष तक माना है, जिसमें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों तरह के महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं।
प्रश्न 22 वुडवर्थ के अनुसार मानसिक विकास उच्चतम सीमा पर पहुँचता है?
(अ) 20 – 22 वर्ष
(ब) 22 – 25 वर्ष
(स) 15 – 20 वर्ष
(द) 20 – 25 वर्ष
वुडवर्थ (Woodworth) के अनुसार, मानसिक विकास उच्चतम सीमा पर (ब) 22-25 वर्ष की आयु में पहुँचता है।
वुडवर्थ और मानसिक विकास
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट एस. वुडवर्थ ने व्यक्ति के विकास पर गहन अध्ययन किया। उनका मानना था कि हालांकि मानसिक विकास बचपन से ही शुरू हो जाता है, लेकिन यह किशोरावस्था के बाद भी जारी रहता है और 22 से 25 वर्ष की आयु में अपनी चरम सीमा पर पहुँचता है। इस अवधि के बाद, मानसिक क्षमताओं में स्थिरता आती है और उनमें कोई महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं होती।
प्रश्न 23 बाल्यावस्था में बालक दृष्टिकोण अपनाना आरम्भ करता है?
(अ) कल्पनावादी
(ब) यर्थाथवादी
(स) सांसारिक
(द) बर्हिमुखी
बाल्यावस्था में बालक (ब) यथार्थवादी (Realistic) दृष्टिकोण अपनाना आरंभ करता है।
बाल्यावस्था में दृष्टिकोण का विकास
बाल्यावस्था (Childhood) की शुरुआत में (लगभग 6 वर्ष की आयु तक), बच्चे कल्पनाशील होते हैं। लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं और दुनिया के साथ अधिक बातचीत करते हैं, उनका दृष्टिकोण बदलता जाता है।
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पूर्व बाल्यावस्था (Pre-childhood): इस अवस्था में बच्चा अपनी कल्पनाओं में रहता है। वह कहानियों और काल्पनिक दुनिया को सच मानता है।
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बाल्यावस्था (6-12 वर्ष): इस दौरान, बच्चा स्कूल जाना शुरू करता है और वास्तविक दुनिया के नियमों और वास्तविकताओं को समझता है। वह कारण और प्रभाव के बीच संबंध को समझने लगता है, और उसकी सोच अधिक तार्किक और यथार्थवादी हो जाती है। वह कल्पनाओं से हटकर उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करता है जिन्हें वह देख, सुन और अनुभव कर सकता है।
प्रश्न 24 घनिश्ठ और व्यक्तिगत मित्रता उत्तर किषोरावस्था की विषेशता है यह कथन है ?
(अ) बी. एन. झा
(ब) वैलेन्टाइन
(स) काॅलसनिक
(द) राॅस
घनिष्ठ और व्यक्तिगत मित्रता उत्तर किशोरावस्था की विशेषता है, यह कथन (ब) वैलेंटाइन का है।
किशोरावस्था में मित्रता का महत्व
मनोवैज्ञानिक वैलेंटाइन (Valentine) ने किशोरावस्था के सामाजिक विकास पर शोध किया और पाया कि इस अवधि में मित्रता का स्वरूप बदल जाता है।
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बचपन में: बच्चे समूह में खेलना पसंद करते हैं, लेकिन उनकी मित्रता उतनी गहरी नहीं होती।
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उत्तर किशोरावस्था में: इस अवस्था में, मित्रता अधिक घनिष्ठ और व्यक्तिगत हो जाती है। किशोर अपने कुछ चुने हुए दोस्तों के साथ अपनी भावनाओं, विचारों और रहस्यों को साझा करते हैं। यह मित्रता उन्हें भावनात्मक समर्थन, सुरक्षा और पहचान की भावना प्रदान करती है। यह उन्हें सामाजिक कौशल सीखने और अपनी पहचान विकसित करने में भी मदद करती है।
इस प्रकार, वैलेंटाइन के अनुसार, घनिष्ठ मित्रता उत्तर किशोरावस्था का एक महत्वपूर्ण सामाजिक-मनोवैज्ञानिक पहलू है।
प्रश्न 25 कार्ल सी. गैरीसन ने किस विधि का अध्ययन किया था ?
(अ) क्षैतिजीय
(ब) लम्बात्मक
(स) सांख्यिकी
(द) प्रयोगात्मक
कार्ल सी. गैरीसन (Karl C. Garrison) ने (ब) लंबवत (Longitudinal) विधि का अध्ययन किया था।
लंबवत विधि (Longitudinal Method)
लंबवत विधि एक शोध पद्धति है जिसमें एक ही व्यक्ति या समूह का लंबी अवधि तक बार-बार अध्ययन किया जाता है।
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गैरीसन का योगदान: गैरीसन ने इस विधि का उपयोग मानव विकास, विशेषकर बाल्यावस्था और किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए किया था। उन्होंने एक ही समूह के व्यक्तियों का वर्षों तक लगातार अवलोकन करके यह समझने का प्रयास किया कि समय के साथ उनका शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास कैसे होता है।
इस विधि से, शोधकर्ता किसी भी परिवर्तन के कारणों और परिणामों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।
प्रश्न 26 व्यक्तित्व समाज द्वारा मान्य तथा अमान्य गुणों का संगठन है वह मत है ?
(अ) वारेन
(ब) रेक्स
(स) मन
(द) डैषिल
व्यक्तित्व समाज द्वारा मान्य तथा अमान्य गुणों का संगठन है, यह मत (ब) रेक्स का है।
व्यक्तित्व की परिभाषा
मनोवैज्ञानिक रेक्स (Rex) ने व्यक्तित्व को व्यक्ति के उन गुणों के समुच्चय के रूप में परिभाषित किया है जिन्हें समाज द्वारा स्वीकार (मान्य) और अस्वीकार (अमान्य) दोनों किया जाता है। इसका मतलब है कि व्यक्तित्व केवल सकारात्मक गुणों का संग्रह नहीं है, बल्कि इसमें व्यक्ति के वे गुण भी शामिल हैं जिन्हें सामाजिक रूप से वांछनीय नहीं माना जाता है। रेक्स का मानना था कि व्यक्ति अपने इन सभी गुणों के साथ मिलकर एक अद्वितीय इकाई बनाता है।
प्रश्न 27 वयः संधि काल कहते है?
(अ) शेषवास्था
(ब) पूर्व किशोरावस्था
(स) उत्तर किशोरावस्था
(द) बाल्यावस्था
वयः संधि काल (ब) पूर्व किशोरावस्था को कहते हैं।
वयः संधि काल (Puberty) 🧑🔬
वयः संधि (Puberty) वह शारीरिक और जैविक प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक बालक या बालिका लैंगिक रूप से परिपक्व होता है। यह अवधि लड़कियों में आमतौर पर 10-14 वर्ष की आयु और लड़कों में 12-16 वर्ष की आयु के बीच होती है।
यह अवस्था पूर्व किशोरावस्था (Early Adolescence) के साथ मेल खाती है, जिसमें व्यक्ति में तेजी से शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जैसे कि ऊंचाई और वजन में वृद्धि, यौन अंगों का विकास, और द्वितीयक यौन विशेषताओं का उद्भव।
प्रश्न 28 किषोरों में संवेग के नियंत्रण का सबसे अच्छा उपाय है?
(अ) शोधन
(ब) युक्तिकरण
(स) प्रक्षेपण
(द) दमन
किशोरों में संवेग के नियंत्रण का सबसे अच्छा उपाय (अ) शोधन (Sublimation) है।
शोधन क्या है ?
शोधन (Sublimation) एक रक्षा तंत्र (defense mechanism) है जिसमें व्यक्ति अपने अस्वीकार्य या नकारात्मक संवेगों और आवेगों को सामाजिक रूप से स्वीकार्य और रचनात्मक गतिविधियों में बदल देता है। यह फ्रायड के मनोविश्लेषण सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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उदाहरण: एक किशोर जिसे बहुत गुस्सा आता है, वह इस गुस्से को किसी रचनात्मक गतिविधि, जैसे खेल (स्पोर्ट्स), कला, या संगीत में लगा सकता है। यह उसे अपने संवेगों को नियंत्रित करने में मदद करता है और उसे एक सकारात्मक दिशा देता है।
इसके विपरीत:
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युक्तिकरण (Rationalization): इसमें व्यक्ति अपने व्यवहार को तर्कसंगत ठहराता है, भले ही वह गलत हो।
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प्रक्षेपण (Projection): इसमें व्यक्ति अपनी भावनाओं को दूसरों पर थोपता है।
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दमन (Repression): इसमें व्यक्ति जानबूझकर अप्रिय विचारों या भावनाओं को अपनी चेतना से बाहर निकाल देता है। यह एक अस्वस्थ तरीका है और मानसिक समस्याएं पैदा कर सकता है।
इसलिए, शोधन को संवेग नियंत्रण का सबसे स्वस्थ और प्रभावी तरीका माना जाता है।
प्रश्न 29 सीखना, आदतों, ज्ञान और अभिवृत्तियों का अर्जन है ?
(अ) गेट्स
(ब) क्रो व क्रो
(स) गिलफोर्ड
(द) स्किनर
सीखना, आदतों, ज्ञान और अभिवृत्तियों का अर्जन है, यह कथन (ब) क्रो व क्रो का है।
क्रो और क्रो की परिभाषा
मनोवैज्ञानिक क्रो और क्रो (Crow and Crow) ने सीखने को एक व्यापक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया है जिसमें न केवल जानकारी या ज्ञान प्राप्त करना शामिल है, बल्कि इसमें आदतों (जैसे कि सुबह जल्दी उठने की आदत), ज्ञान (जैसे गणित के सूत्र सीखना) और अभिवृत्तियों (जैसे कि किसी विषय के प्रति सकारात्मक या नकारात्मक दृष्टिकोण) का विकास भी शामिल है। यह परिभाषा इस बात पर जोर देती है कि सीखना एक सतत प्रक्रिया है जो व्यक्ति के व्यवहार और व्यक्तित्व के सभी पहलुओं को प्रभावित करती है।
प्रश्न 30 क्षेत्र सिद्धांत के प्रवर्तक कौन है?
(अ) गुधरी
(ब) कुर्ट लेविन
(स) मैसलो
(द) टाॅलमैन
क्षेत्र सिद्धांत (Field Theory) के प्रवर्तक (ब) कुर्ट लेविन (Kurt Lewin) हैं।
कुर्ट लेविन और क्षेत्र सिद्धांत
कुर्ट लेविन एक जर्मन-अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे जिन्हें आधुनिक सामाजिक मनोविज्ञान का जनक माना जाता है। उन्होंने क्षेत्र सिद्धांत विकसित किया, जिसमें यह बताया गया है कि किसी व्यक्ति का व्यवहार उसके ‘जीवन स्थान’ (Life Space) पर निर्भर करता है।
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जीवन स्थान: यह व्यक्ति और उसके पर्यावरण के बीच की अंतःक्रिया का कुल योग है। इसमें व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक ज़रूरतें, लक्ष्य, डर, और उसका भौतिक और सामाजिक पर्यावरण शामिल होता है।
-
गणितीय सूत्र: लेविन ने अपने सिद्धांत को एक सूत्र में व्यक्त किया: B = f(P, E), जिसका अर्थ है व्यवहार (Behavior) व्यक्ति (P) और उसके पर्यावरण (E) के बीच की अंतःक्रिया का एक कार्य (function) है।
इस सिद्धांत का उपयोग मनोविज्ञान, शिक्षा और सामाजिक विज्ञानों के कई क्षेत्रों में किया जाता है।
प्रश्न 31 स्किनर ने क्रिया प्रसुत अधिगम प्रतिक्रिया को विशेष आधार देकर महान योगदान दिया सन्
(अ) 1935
(ब) 1940
(स) 1938
(द) 1950
स्किनर ने क्रिया-प्रसूत अधिगम प्रतिक्रिया को विशेष आधार देकर महान योगदान (स) 1938 में दिया था।
क्रिया-प्रसूत अनुबंधन (Operant Conditioning)
बी.एफ. स्किनर (B.F. Skinner) ने 1938 में अपनी पुस्तक “द बिहेवियर ऑफ ऑर्गेनिज्म्स” (The Behavior of Organisms) में क्रिया-प्रसूत अनुबंधन (Operant Conditioning) के सिद्धांत का विस्तार से वर्णन किया। इस सिद्धांत में उन्होंने बताया कि सीखना पुरस्कार (reinforcement) और दंड (punishment) के माध्यम से होता है। उनके अनुसार, किसी भी व्यवहार के बाद यदि सकारात्मक परिणाम मिलता है, तो वह व्यवहार भविष्य में दोहराया जाने की संभावना बढ़ जाती है। इस काम ने व्यवहारवाद (Behaviorism) के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी।
प्रश्न 32 प्रशिक्षण स्थानान्तरण होता है?
(अ) एक प्रकार से
(ब) तीन प्रकार से
(स) दो प्रकार से
(द) चार प्रकार से
प्रशिक्षण का स्थानांतरण (ब) तीन प्रकार से होता है।
प्रशिक्षण का स्थानांतरण (Transfer of Training) 🧠
प्रशिक्षण का स्थानांतरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक स्थिति में सीखा गया ज्ञान, कौशल या आदत दूसरी स्थिति में उपयोग में आती है। यह तीन प्रकार का होता है:
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सकारात्मक स्थानांतरण (Positive Transfer): जब एक विषय में सीखा गया ज्ञान दूसरे विषय में सीखने में मदद करता है।
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उदाहरण: साइकिल चलाना सीखने के बाद मोटरसाइकिल चलाना आसान हो जाता है।
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नकारात्मक स्थानांतरण (Negative Transfer): जब एक विषय में सीखा गया ज्ञान दूसरे विषय में सीखने में बाधा उत्पन्न करता है।
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उदाहरण: बाएं हाथ से लिखने वाले व्यक्ति को दाएं हाथ से लिखने का अभ्यास करने में कठिनाई होती है।
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शून्य स्थानांतरण (Zero Transfer): जब एक विषय में सीखा गया ज्ञान दूसरे विषय में सीखने पर कोई प्रभाव नहीं डालता है।
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उदाहरण: गणित सीखना इतिहास सीखने पर कोई प्रभाव नहीं डालता है।
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प्रश्न 33 शास्त्रीय अनुबंध सिद्वान्त का प्रतिपादन रूसी शरीर शास्त्री आई पी. पावलाॅव ने किस सन् में किया?
(अ) 1903
(ब) 1904
(स) 1905
(द) 1906
शास्त्रीय अनुबंधन सिद्धांत (Classical Conditioning) का प्रतिपादन रूसी शरीर-क्रिया विज्ञानी इवान पावलोव (Ivan Pavlov) ने (अ) 1904 में किया।
शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत
इवान पावलोव ने अपने प्रसिद्ध प्रयोग में यह दर्शाया कि एक तटस्थ उद्दीपन (neutral stimulus) को एक स्वाभाविक उद्दीपन (natural stimulus) के साथ बार-बार जोड़े जाने पर वह तटस्थ उद्दीपन भी एक अनुबंधित प्रतिक्रिया (conditioned response) उत्पन्न कर सकता है।
-
प्रयोग: उन्होंने अपने प्रयोग में एक कुत्ते को भोजन (स्वाभाविक उद्दीपन) देते समय घंटी (तटस्थ उद्दीपन) बजाई। कई बार दोहराने के बाद, कुत्ता केवल घंटी की आवाज सुनकर ही लार (अनुबंधित प्रतिक्रिया) टपकाना शुरू कर देता था, भले ही उसे भोजन न दिया जाए।
इस सिद्धांत को 1904 में उनके शोध के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
प्रश्न 34 आरम्भ में सीखन की गति मन्द व बाद में तीव्र हो जाती है, इसे कहते है?
(अ) नतोदर वक्र
(ब) उन्नतोदर वक्र
(स) मिश्रित
(द) सभी
आरंभ में सीखने की गति मंद और बाद में तीव्र हो जाती है, इसे (अ) नतोदर वक्र (Concave Curve) कहते हैं।
नतोदर वक्र (Concave Curve)
सीखने का वक्र (Learning Curve) वह ग्राफ है जो सीखने की प्रक्रिया में हुई प्रगति को दर्शाता है। नतोदर वक्र तब बनता है जब:
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शुरुआत में: सीखने की गति धीमी होती है क्योंकि व्यक्ति नए विषय या कौशल को समझने का प्रयास कर रहा होता है।
-
बाद में: एक बार जब मूल बातें समझ में आ जाती हैं, तो सीखने की गति में तेजी आती है और सीखने की दर बढ़ जाती है।
इसका एक अच्छा उदाहरण टाइपिंग सीखना है। शुरुआत में, व्यक्ति को कीबोर्ड पर अक्षरों को खोजने में कठिनाई होती है, लेकिन अभ्यास के साथ गति बहुत तेजी से बढ़ जाती है।
प्रश्न 35 जब सीखने की क्रिया में बिल्कुल उन्नति नहीं होती , तो इसे कहते है?
(अ) वक्र
(ब) पठार
(स) त्वरण
(द) कोई नहीं
जब सीखने की क्रिया में बिल्कुल उन्नति नहीं होती, तो इसे (ब) पठार (Plateau) कहते हैं।
सीखने का पठार
सीखने का पठार (Plateau in Learning) एक ऐसी स्थिति है जहाँ सीखने की गति में कोई वृद्धि नहीं होती है, भले ही व्यक्ति लगातार अभ्यास कर रहा हो।
-
कारण: यह कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि प्रेरणा की कमी, थकान, या सीखने के लिए गलत तरीका अपनाना।
-
अर्थ: यह सीखने की प्रक्रिया में एक अस्थायी ठहराव को दर्शाता है, न कि सीखने की क्षमता का अंत। यह एक सामान्य घटना है और अक्सर सीखने की एक नई अवस्था में प्रवेश करने से पहले होती है।
शिक्षण में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि पठार क्यों आता है, ताकि छात्रों को इसे पार करने में मदद की जा सके।
प्रश्न 36 उद्दीपक अनु क्रिया के मध्य साहचर्य स्थापित करने वाले प्रक्रम को कहते है?
(अ) प्रेरण
(ब) संवेग
(स) अधिगम
(द) सम्प्रत्यय
उद्दीपक और अनुक्रिया के मध्य साहचर्य स्थापित करने वाले प्रक्रम को (स) अधिगम (Learning) कहते हैं।
अधिगम (Learning)
अधिगम एक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने व्यवहार में अनुभव या प्रशिक्षण के माध्यम से स्थायी परिवर्तन लाता है।
-
उद्दीपक (Stimulus): यह कोई भी बाहरी या आंतरिक कारक है जो व्यक्ति को प्रतिक्रिया देने के लिए प्रेरित करता है (जैसे, भोजन देखकर लार टपकना)।
-
अनुक्रिया (Response): यह उद्दीपक के प्रति व्यक्ति की प्रतिक्रिया है (जैसे, भोजन देखकर लार टपकना)।
अधिगम की प्रक्रिया में, व्यक्ति उद्दीपक और अनुक्रिया के बीच एक संबंध (साहचर्य) स्थापित करता है, जिससे वह भविष्य में उसी तरह के उद्दीपकों के प्रति प्रतिक्रिया दे सके। इस प्रकार, अधिगम इन दोनों के बीच संबंध बनाने की प्रक्रिया है।
प्रश्न 37 लघु पदों के सिद्वान्त का सम्बन्ध है?
(अ) रेखीय अभिक्रमित
(ब) षाखीय अभिक्रमित
(स) अवरोह अभिक्रमित
(द) सभी
लघु पदों के सिद्धांत का संबंध (अ) रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन से है।
रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन (Linear Programmed Instruction)
रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन (Linear Programmed Instruction) को बी.एफ. स्किनर ने विकसित किया था। इस विधि में, सीखने की सामग्री को छोटे-छोटे चरणों या “लघु पदों” में विभाजित किया जाता है। छात्र एक पद को पढ़ता है, उसका जवाब देता है, और फिर अगले पद पर जाता है।
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विशेषताएँ:
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लघु पद: प्रत्येक पद बहुत छोटा और समझने में आसान होता है।
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सक्रिय अनुक्रिया: छात्र को प्रत्येक पद का उत्तर देना होता है, जिससे वह सक्रिय रूप से सीखता है।
-
तत्काल प्रतिपुष्टि (Instant Feedback): छात्र को तुरंत पता चल जाता है कि उसका जवाब सही है या गलत।
-
यह सिद्धांत इस विचार पर आधारित है कि छोटे-छोटे, व्यवस्थित कदमों में सीखना सबसे प्रभावी होता है।
प्रश्न 38 अधिमग स्थानान्तरण का अर्थ वर्तमान क्रिया पर पूर्व अनुभवों का प्रभाव होता है। किसने कहा ?
(अ) अन्डरवुड
(ब) सोरेन्सन
(स) वुडवर्थ
(द) क्राॅनबेक
यह कथन (स) वुडवर्थ का है।
वुडवर्थ और अधिगम स्थानांतरण
रॉबर्ट एस. वुडवर्थ (Robert S. Woodworth) एक प्रमुख मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने अधिगम स्थानांतरण (Transfer of Learning) पर गहन अध्ययन किया। उनके अनुसार, “अधिगम स्थानांतरण का अर्थ वर्तमान क्रिया पर पूर्व अनुभवों का प्रभाव होता है।” यह परिभाषा इस बात पर ज़ोर देती है कि जब हम कोई नया काम करते हैं, तो हमारे पिछले अनुभव और सीखे हुए कौशल अनजाने में ही उस नए काम पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति फुटबॉल खेलना जानता है, तो उसे बास्केटबॉल के नियमों को सीखने में आसानी हो सकती है क्योंकि दोनों में गेंद से जुड़े कुछ सामान्य कौशल होते हैं। इसी तरह, किसी एक भाषा का व्याकरण सीखने के बाद दूसरी भाषा का व्याकरण सीखना आसान हो सकता है।
प्रश्न 39 जिस प्रक्रिया में व्यक्ति दूसरों के व्यवहार को देखकर सीखता है कहा जाता है?
(अ) सामाजिक अधिगम
(ब) अनुबन्धन
(स) प्रायोगिक अधिगम
(द) आकस्मिक अधिगम
जिस प्रक्रिया में व्यक्ति दूसरों के व्यवहार को देखकर सीखता है उसे (अ) सामाजिक अधिगम (Social Learning) कहा जाता है।
सामाजिक अधिगम क्या है ?
सामाजिक अधिगम का सिद्धांत अल्बर्ट बंडूरा (Albert Bandura) ने दिया था। यह सिद्धांत बताता है कि लोग सीधे अनुभव या पुरस्कार और दंड के बजाय अवलोकन (observation), अनुकरण (imitation) और मॉडलिंग (modeling) के माध्यम से सीखते हैं।
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अवलोकन: व्यक्ति दूसरों के व्यवहार को देखता है।
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अनुकरण: वह देखे गए व्यवहार की नकल करता है।
-
मॉडलिंग: वह उस व्यक्ति (मॉडल) के व्यवहार को अपने जीवन में अपनाता है, खासकर यदि उस व्यवहार के लिए उसे सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
इसका एक सामान्य उदाहरण यह है कि बच्चे अपने माता-पिता या शिक्षकों के व्यवहार को देखकर बहुत कुछ सीखते हैं।
प्रश्न 40 नेरोम ब्रूनर ने अधिगम की कितनी अवस्थायें बताई है?
(अ) 8
(ब) 5
(स) 3
(द) 4
जेरोम ब्रूनर (Jerome Bruner) ने अधिगम की (स) 3 अवस्थाएँ बताई हैं।
ब्रूनर का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत
जेरोम ब्रूनर, एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक, ने संज्ञानात्मक विकास पर काम किया। उनके अनुसार, बच्चे और वयस्क तीन मुख्य तरीकों से ज्ञान प्राप्त करते हैं और उसे संसाधित करते हैं। ये तीन अवस्थाएँ हैं:
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क्रियात्मक अवस्था (Enactive Stage): इस अवस्था में, बच्चा क्रियाओं या गतिविधियों के माध्यम से सीखता है। यह अवस्था शैशवावस्था में सबसे प्रमुख होती है। उदाहरण के लिए, एक बच्चा एक खिलौने के बारे में उसके साथ खेलकर सीखता है।
-
प्रतिबिंबात्मक अवस्था (Iconic Stage): इस अवस्था में, अधिगम दृश्य छवियों (mental images) के माध्यम से होता है। यह अवस्था 1 से 6 वर्ष की आयु के बीच होती है। बच्चा बिना किसी गतिविधि के, केवल एक छवि को देखकर चीजों को समझ सकता है।
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सांकेतिक अवस्था (Symbolic Stage): इस अंतिम अवस्था में, व्यक्ति भाषा और प्रतीकों के माध्यम से सीखता है। यह अवस्था 7 वर्ष की आयु के बाद शुरू होती है। इस स्तर पर, व्यक्ति अमूर्त विचारों और अवधारणाओं को समझने में सक्षम होता है।
प्रश्न 41 न्यूमैन तथा स्टर्न ने व्यक्तित्व को किन भागों मे वर्गीकृत किया है?
(अ) विष्लेशणात्मक व संष्लेशणात्मक
(ब) आयताकार व लम्बाकर
(स) अन्र्तमुखी व बहिर्मुखी
(द) कोई नहीं
न्यूमैन (Newman) तथा स्टर्न (Stern) ने व्यक्तित्व को (अ) विश्लेषणात्मक व संश्लेषणात्मक भागों में वर्गीकृत किया है।
विश्लेषणात्मक और संश्लेषणात्मक व्यक्तित्व
मनोवैज्ञानिक न्यूमैन और स्टर्न ने व्यक्तियों को उनके सोचने और जानकारी को संसाधित करने के तरीके के आधार पर वर्गीकृत किया।
-
विश्लेषणात्मक (Analytical): इस प्रकार के व्यक्ति किसी भी समस्या या जानकारी को छोटे-छोटे भागों में तोड़कर उसका अध्ययन करते हैं। वे तर्क और विवरण पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
-
संश्लेषणात्मक (Synthetic): इस प्रकार के व्यक्ति जानकारी को एक संपूर्ण इकाई के रूप में देखते हैं। वे चीजों के बीच संबंध और पैटर्न खोजने पर ध्यान देते हैं।
यह वर्गीकरण इस बात पर ज़ोर देता है कि व्यक्ति की सोच और दृष्टिकोण उसके व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
प्रश्न 42 व्यक्तित्व शारीरिक मानसिक सामाजिक संवेगात्मक क्रियाओं का रूप है जो-
(अ) सामाजिक दृष्टिकोण है
(ब) जो गव्यात्मक संगठन है
(स) जो आत्म चेतना का प्रादुर्भाव है
(द) कोई नहीं
व्यक्तित्व शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्मक क्रियाओं का रूप है जो (ब) गत्यात्मक संगठन है।
व्यक्तित्व का गत्यात्मक संगठन 🧠
व्यक्तित्व को एक गत्यात्मक संगठन (Dynamic Organization) के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसका अर्थ है कि व्यक्तित्व कोई स्थिर या अपरिवर्तनीय गुण नहीं है, बल्कि यह एक निरंतर बदलती और विकसित होने वाली प्रक्रिया है।
-
गत्यात्मक (Dynamic): इसका मतलब है कि व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू (जैसे- शारीरिक, मानसिक, सामाजिक) एक-दूसरे के साथ लगातार बातचीत और अंतःक्रिया करते हैं। ये सभी कारक एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं और व्यक्ति के व्यवहार को निर्धारित करते हैं।
-
संगठन (Organization): इसका मतलब है कि ये सभी पहलू एक अराजक ढेर के बजाय एक संगठित और एकीकृत प्रणाली के रूप में काम करते हैं।
यह परिभाषा हमें बताती है कि व्यक्तित्व एक जटिल, परस्पर जुड़ा हुआ और विकसित होने वाला तंत्र है।
प्रश्न 43 किसकी क्रियाषीलता का सम्बन्ध मनुष्य की पाचन क्रिया से भी होता है?
(अ) जनन ग्रन्थियाॅ
(ब) एड्रीनल ग्रन्थियाॅ
(स) गल ग्रन्थियाॅ
(द) अभिवृक्क ग्रन्थियाॅ
मनुष्य की पाचन क्रिया से संबंधित ग्रंथि (स) गल ग्रंथियां हैं।
पाचन और गल ग्रंथियां
गल ग्रंथियां, जिन्हें थायराइड ग्रंथियों के नाम से भी जाना जाता है, गर्दन में स्थित होती हैं। ये ग्रंथियां थायरोक्सिन नामक हार्मोन का उत्पादन करती हैं।
-
पाचन क्रिया में भूमिका: थायरोक्सिन हार्मोन शरीर के चयापचय (metabolism) की दर को नियंत्रित करता है। चयापचय वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा शरीर भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यदि थायरोक्सिन का स्तर कम होता है, तो चयापचय धीमा हो जाता है, जिससे पाचन भी प्रभावित होता है।
इस प्रकार, गल ग्रंथियां थायरोक्सिन हार्मोन के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से पाचन क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
प्रश्न 44 व्यक्तित्व समाज द्वारा मान्य तथा अमान्य गुणों का संगठन है यह मत है?
(अ) वारेन
(ब) रेक्स
(स) मन
(द) डैषील
यह मत (ब) रेक्स का है।
व्यक्तित्व की परिभाषा 👤
मनोवैज्ञानिक रेक्स (Rex) ने व्यक्तित्व को व्यक्ति के उन गुणों के समुच्चय के रूप में परिभाषित किया है जिन्हें समाज द्वारा स्वीकार (मान्य) और अस्वीकार (अमान्य) दोनों किया जाता है। इसका मतलब है कि व्यक्तित्व केवल सकारात्मक गुणों का संग्रह नहीं है, बल्कि इसमें व्यक्ति के वे गुण भी शामिल हैं जिन्हें सामाजिक रूप से वांछनीय नहीं माना जाता है। रेक्स का मानना था कि व्यक्ति अपने इन सभी गुणों के साथ मिलकर एक अद्वितीय इकाई बनाता है।
प्रश्न 45 मनोविश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के अंतर्गत आते है?
(अ) इदम
(ब) अहम
(स) परम अहम
(द) उपरोक्त सभी
मनोविश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के अंतर्गत (द) उपरोक्त सभी आते हैं।
मनोविश्लेषण का सिद्धांत 🧠
सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud), मनोविश्लेषण के जनक, ने व्यक्तित्व को तीन प्रमुख घटकों में विभाजित किया है। ये तीनों घटक व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करते हैं:
-
इदम (Id): यह व्यक्तित्व का सबसे आदिम और सहज भाग है। यह पूरी तरह से अचेतन (unconscious) होता है और अपनी इच्छाओं को तुरंत पूरा करना चाहता है, सुख के सिद्धांत (Pleasure Principle) पर काम करता है।
-
अहम् (Ego): यह व्यक्तित्व का वह हिस्सा है जो वास्तविकता से जुड़ा होता है। यह इदम की इच्छाओं को सामाजिक रूप से स्वीकार्य तरीकों से पूरा करने का प्रयास करता है और वास्तविकता के सिद्धांत (Reality Principle) पर काम करता है।
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परम अहम् (Superego): यह व्यक्तित्व का नैतिक और आदर्शवादी भाग है। यह समाज के नैतिक मानदंडों और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है और व्यक्ति को सही और गलत के बारे में बताता है।
ये तीनों घटक मिलकर व्यक्ति के व्यवहार और व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 46 व्यक्तित्व आत्म ज्ञान का ही दूसरा नाम है?
(अ) समाज शास्त्रीय दृष्टिकोण
(ब) मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण
(स) दार्षनिक दृष्टिकोण
(द) कोई नहीं
व्यक्तित्व आत्म-ज्ञान का ही दूसरा नाम है, यह (स) दार्शनिक दृष्टिकोण है।
दार्शनिक दृष्टिकोण
दार्शनिक दृष्टिकोण में व्यक्तित्व को केवल बाहरी व्यवहार या सामाजिक गुणों के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि इसे आत्मा या चेतना से जोड़ा जाता है। इस दृष्टिकोण के अनुसार, व्यक्ति का सच्चा स्वभाव उसके आंतरिक बोध और स्वयं को गहराई से समझने की क्षमता में निहित होता है। जब कोई व्यक्ति आत्म-ज्ञान प्राप्त करता है, तो वह अपने सच्चे व्यक्तित्व को पहचानता है। यह विचार भारतीय दर्शन (जैसे वेदांत) और पश्चिमी दर्शन (जैसे सुकरात के “नो दाइसेल्फ”) दोनों में पाया जाता है।
प्रश्न 47 हरमन रोर्शा परीक्षण का निर्माण कब हुआ?
(अ) 1922
(ब) 1921
(स) 1920
(द) 1910
हरमन रोर्शा परीक्षण का निर्माण (ब) 1921 में हुआ था।
रोर्शा इंकब्लाट टेस्ट
हरमन रोर्शा (Hermann Rorschach), एक स्विस मनोवैज्ञानिक थे। उन्होंने 1921 में रोर्शा इंकब्लाट टेस्ट (Rorschach Inkblot Test) विकसित किया। यह एक प्रक्षेपी परीक्षण (projective test) है जिसका उपयोग व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए किया जाता है। इस परीक्षण में, व्यक्ति को स्याही के धब्बे (inkblots) दिखाए जाते हैं और उनसे पूछा जाता है कि उन्हें धब्बे में क्या दिखाई देता है। व्यक्ति के जवाबों का विश्लेषण करके, मनोवैज्ञानिक उसके अचेतन मन (unconscious mind), व्यक्तित्व के लक्षण और भावनात्मक स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 48 अतीन्द्रिय बालक होते है?
(अ) सचेत
(ब) भावात्मक
(स) विनम्र
(द) कठोर
अतींद्रिय (Psychic) बालक (अ) सचेत होते हैं।
अतींद्रिय बालक कौन होते हैं? 🧠
अतींद्रिय बालक, जिन्हें अक्सर असाधारण रूप से संवेदनशील या असाधारण रूप से जागरूक कहा जाता है, वे होते हैं जो सामान्य से अधिक सचेत होते हैं। उनकी जागरूकता न केवल अपने आसपास के भौतिक वातावरण तक सीमित होती है, बल्कि वे दूसरों की भावनाओं, ऊर्जा और विचारों के प्रति भी अधिक संवेदनशील होते हैं।
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संवेदनशीलता: वे वातावरण में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों को महसूस कर सकते हैं।
-
भावनात्मक गहराई: वे भावनाओं को अधिक गहराई से महसूस करते हैं, चाहे वह उनकी अपनी भावनाएँ हों या दूसरों की।
-
अंतर्ज्ञान: उनमें अक्सर अंतर्ज्ञान (intuition) की प्रबल भावना होती है।
यह शब्द मनोविज्ञान में पूरी तरह से परिभाषित नहीं है, लेकिन इसे अक्सर ऐसे बच्चों का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता है जो अपने अनुभवों के प्रति अत्यधिक सचेत और जागरूक होते हैं।
प्रश्न 49 वर्तमान में सर्वोत्म माना जाने वाला व्यक्तित्व का वर्गीकरण किसकी देन है?
(अ) आलपोर्ट
(ब) कैटन
(स) जुग
(द) सभी
वर्तमान में सर्वोत्तम माना जाने वाला व्यक्तित्व का वर्गीकरण (स) जुंग की देन है।
जुंग का व्यक्तित्व वर्गीकरण 👤
कार्ल जुंग (Carl Jung), एक स्विस मनोचिकित्सक थे और मनोविश्लेषण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हस्ती थे। उन्होंने 1920 के दशक में व्यक्तित्व का एक वर्गीकरण प्रस्तुत किया जो आज भी मनोविज्ञान में अत्यधिक प्रासंगिक है। उनके अनुसार, व्यक्तियों को दो मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
-
अंतर्मुखी (Introvert): ये वे लोग होते हैं जो अपने आंतरिक विचारों और भावनाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। ये अकेले रहना पसंद करते हैं और सामाजिक गतिविधियों से दूर रहते हैं।
-
बहिर्मुखी (Extrovert): ये वे लोग होते हैं जो बाहरी दुनिया, सामाजिक संपर्क और गतिविधियों में अधिक रुचि रखते हैं। वे ऊर्जा प्राप्त करने के लिए दूसरों के साथ समय बिताना पसंद करते हैं।
यह वर्गीकरण मनोविज्ञान के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुआ क्योंकि यह व्यक्तित्व को समझने का एक सरल और व्यावहारिक तरीका प्रदान करता है।
प्रश्न 50 जुंग ने व्यक्तित्व का सिद्वान्त दिया है?
(अ) विश्लेशात्मक सिद्वान्त
(ब) मनोविश्लेशात्मक सिद्वान्त
(स) स्व – सिद्वान्त
(द) व्यक्ति विज्ञान सिद्वान्त
जुंग ने व्यक्तित्व का जो सिद्धांत दिया है, उसे (अ) विश्लेषणात्मक सिद्धांत (Analytical Psychology) कहा जाता है।
जुंग का विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान 🧠
कार्ल जुंग (Carl Jung), जो सिगमंड फ्रायड के शिष्य थे, ने अपने स्वयं के विचारों को विकसित किया और इसे विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान कहा।
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फ्रायड से अंतर: जहाँ फ्रायड का मनोविश्लेषण सिद्धांत यौन इच्छाओं और प्रारंभिक बचपन के अनुभवों पर केंद्रित था, वहीं जुंग ने सामूहिक अचेतन (collective unconscious) और आद्यप्ररूपों (archetypes) की अवधारणाओं पर जोर दिया।
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व्यक्तित्व के प्रकार: उन्होंने व्यक्तित्व को अंतर्मुखी (Introvert) और बहिर्मुखी (Extrovert) प्रकारों में वर्गीकृत किया, जो आज भी व्यापक रूप से उपयोग में हैं।
-
लक्ष्य: जुंग का सिद्धांत व्यक्ति के आत्म-साक्षात्कार (individuation) की प्रक्रिया को समझने पर केंद्रित था, यानी कैसे एक व्यक्ति अपने व्यक्तित्व के सभी पहलुओं को एकीकृत करके एक पूर्ण और संतुलित व्यक्ति बनता है।
प्रश्न 51 वातावरण के साथ सामान्य एवं स्थायी समायोजन ही व्यक्तित्व है उक्त कथन है?
(अ) आलपोर्ट
(ब) वैलेन्टाइन
(स) गेटस
(द) बोरिंग
वातावरण के साथ सामान्य एवं स्थायी समायोजन ही व्यक्तित्व है, यह कथन (स) गेट्स (Gates) का है।
गेट्स की परिभाषा
मनोवैज्ञानिक गेट्स (Gates) ने व्यक्तित्व को व्यक्ति के वातावरण के साथ समायोजन की क्षमता के रूप में परिभाषित किया है। उनके अनुसार, व्यक्तित्व कोई आंतरिक गुण नहीं है, बल्कि यह वह तरीका है जिससे कोई व्यक्ति अपने सामाजिक और भौतिक वातावरण के साथ तालमेल बिठाता है। यह समायोजन स्थायी और सामान्य होना चाहिए। इसका मतलब है कि व्यक्तित्व व्यक्ति के व्यवहार के उन स्वरूपों को दर्शाता है जो उसे विभिन्न परिस्थितियों में सफलतापूर्वक कार्य करने में मदद करते हैं।
प्रश्न 52 वांछित व्यक्तित्व होता है?
(अ) अंतर्मुखी
(ब) बहिर्मुखी
(स) संवेगीय स्थिर
(द) मनस्तापी
वांछित व्यक्तित्व (स) संवेगीय स्थिर होता है।
संवेगीय स्थिरता का महत्व
वांछित व्यक्तित्व (Desirable Personality) वह होता है जिसमें व्यक्ति सामाजिक और भावनात्मक रूप से परिपक्व होता है। यह व्यक्ति संवेगीय रूप से स्थिर (Emotionally Stable) होता है। इसका मतलब है कि वह अपनी भावनाओं को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकता है, चुनौतियों का सामना कर सकता है, और आसानी से तनाव या नकारात्मक भावनाओं से अभिभूत नहीं होता है।
इसके विपरीत:
-
अंतर्मुखी और बहिर्मुखी व्यक्तित्व के प्रकार हैं, न कि वांछनीयता के माप।
-
मनस्तापी एक व्यक्तित्व विकार है, जो अवांछित है।
इसलिए, भावनात्मक रूप से स्थिर होना एक वांछनीय और स्वस्थ व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रश्न 53 जुग ने व्यक्तित्व का विभाजन जिस पुस्तक में किया वह है,
(अ) Psychological type
(ब) Behaviourism
(स) Types of men
(द) कोई नहीं
जुंग ने व्यक्तित्व का विभाजन अपनी पुस्तक (अ) Psychological Types में किया है।
मनोवैज्ञानिक प्रकार
कार्ल गुस्ताव जुंग ने 1921 में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “साइकोलॉजिकल टाइप्स” (Psychological Types) प्रकाशित की थी। इस पुस्तक में, उन्होंने अपने व्यक्तित्व के सिद्धांतों को प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने व्यक्तियों को उनके सामाजिक व्यवहार के आधार पर दो मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया: अंतर्मुखी (Introvert) और बहिर्मुखी (Extrovert)। इसके अतिरिक्त, उन्होंने चार मनोवैज्ञानिक कार्यों (सोचना, महसूस करना, संवेदना और अंतर्ज्ञान) का भी वर्णन किया। जुंग का यह वर्गीकरण आधुनिक मनोविज्ञान में सबसे अधिक प्रभावशाली और व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले सिद्धांतों में से एक है, जिसने मायर्स-ब्रिग्स टाइप इंडिकेटर (MBTI) जैसे कई व्यक्तित्व परीक्षणों की नींव रखी।
प्रश्न 54 प्रासंगिक अन्तबोध परीक्षण का निर्माण कब हुआ?
(अ) 1975
(ब) 1935
(स) 1945
(द) 1965
प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण (Thematic Apperception Test) का निर्माण (ब) 1935 में हुआ।
प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण (TAT)
प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण (TAT) एक प्रक्षेपी व्यक्तित्व परीक्षण है। इसका विकास हेनरी ए. मरे (Henry A. Murray) और क्रिस्टीना डी. मॉर्गन (Christina D. Morgan) ने 1935 में किया था।
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उद्देश्य: यह परीक्षण व्यक्ति के आंतरिक संघर्षों, भावनाओं और प्रेरणाओं को उजागर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो उसके अचेतन मन (unconscious mind) में छिपे होते हैं।
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प्रक्रिया: परीक्षण में व्यक्ति को कुछ अस्पष्ट चित्र (ambiguous pictures) दिखाए जाते हैं और उनसे उन चित्रों के आधार पर एक कहानी बनाने के लिए कहा जाता है। व्यक्ति की कहानी में पात्रों के विचार, भावनाएं और भविष्य शामिल होते हैं।
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विश्लेषण: मनोवैज्ञानिक इन कहानियों का विश्लेषण करके व्यक्ति के व्यक्तित्व, जरूरतों और भावनात्मक स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
यह परीक्षण व्यक्तित्व मूल्यांकन के लिए आज भी व्यापक रूप से उपयोग में है।
प्रश्न 55 निम्न ग्रन्थि के दोषपूर्ण कार्य करने पर व्यक्ति का लैगिंक विकास उचित रूप से नहीं हो पाता है?
(अ) थाॅयराइड ग्रन्थि
(ब) पिटयूटरी ग्रन्थि
(स) थाइमस
(द) पीनियल ग्रन्थि
इस प्रश्न का सही उत्तर है (ब) पिट्यूटरी ग्रंथि।
पिट्यूटरी ग्रंथि और लैंगिक विकास
पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary Gland), जिसे ‘मास्टर ग्रंथि’ के नाम से भी जाना जाता है, मस्तिष्क के निचले हिस्से में स्थित होती है। यह ग्रंथि कई महत्वपूर्ण हार्मोन जारी करती है जो शरीर के अन्य ग्रंथियों के कार्यों को नियंत्रित करते हैं, जिनमें जनन ग्रंथियां (Gonads) भी शामिल हैं।
पिट्यूटरी ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन, जैसे गोनाडोट्रॉपिन्स (Gonadotropins), जनन ग्रंथियों (अंडाशय और वृषण) को उत्तेजित करते हैं।
ये जनन ग्रंथियां ही यौन हार्मोन (Testosterone और Estrogen) का उत्पादन करती हैं जो लैंगिक विकास (यौवन) के लिए आवश्यक होते हैं।
यदि पिट्यूटरी ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती है, तो इन हार्मोनों का उत्पादन बाधित हो जाता है, जिससे व्यक्ति का लैंगिक विकास ठीक से नहीं हो पाता।
प्रश्न 56 व्यक्तित्व के निर्माण में इसका अधिक महत्व होता है?
(अ) शिक्षण
(ब) अधिगम
(स) स्मृति
(द) प्रतिमान
व्यक्तित्व के निर्माण में (द) प्रतिमान (Modeling) का अधिक महत्व होता है।
व्यक्तित्व निर्माण में प्रतिमान का महत्व
प्रतिमान (Modeling) से तात्पर्य दूसरों के व्यवहार, दृष्टिकोण और मूल्यों को देखकर और उनका अनुकरण करके सीखना है।
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सामाजिक अधिगम: अल्बर्ट बंडूरा के सामाजिक अधिगम सिद्धांत के अनुसार, बच्चे अपने माता-पिता, शिक्षकों, और साथियों जैसे “प्रतिमानों” (models) का अवलोकन करके और उनकी नकल करके अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं।
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प्रभाव: एक बच्चा अपने माता-पिता को दयालु होते हुए देखकर दयालुता सीख सकता है। इसी तरह, वह किसी शिक्षक से अनुशासन सीख सकता है। ये सीखे हुए व्यवहार अंततः उसके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाते हैं।
शिक्षण, अधिगम और स्मृति व्यक्तित्व निर्माण के महत्वपूर्ण हिस्से हैं, लेकिन प्रतिमान एक ऐसा प्राथमिक तरीका है जिसके माध्यम से व्यक्ति सामाजिक और व्यवहारिक गुणों को आत्मसात करता है।
प्रश्न 57 एक मानसिक रोगी बालक के अध्ययन के लिए शिक्षा मनोविज्ञान व अनुसंधान की उपयुक्त विधि –
(अ) विकासात्मक विधि
(ब) प्रयोगात्मक विधि
(स) विकसित विधि
(द) इनमें से कोई नही
एक मानसिक रोगी बालक के अध्ययन के लिए शिक्षा मनोविज्ञान व अनुसंधान की उपयुक्त विधि (ब) प्रयोगात्मक विधि है।
प्रयोगात्मक विधि का उपयोग
प्रयोगात्मक विधि (Experimental Method) शिक्षा मनोविज्ञान और अनुसंधान में एक शक्तिशाली उपकरण है। इसका उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि विभिन्न कारक किसी व्यक्ति के व्यवहार को कैसे प्रभावित करते हैं। एक मानसिक रोगी बालक के अध्ययन में, यह विधि बहुत उपयोगी हो सकती है क्योंकि यह शोधकर्ताओं को कुछ कारकों को नियंत्रित करने और उनके प्रभावों का सटीक मूल्यांकन करने की अनुमति देती है।
उदाहरण के लिए, एक शोधकर्ता यह जानने के लिए इस विधि का उपयोग कर सकता है कि क्या एक विशेष प्रकार की चिकित्सा या शैक्षिक हस्तक्षेप बच्चे के व्यवहार को बेहतर बनाने में मदद करता है। वे बच्चों के दो समूहों की तुलना कर सकते हैं: एक समूह जिसे हस्तक्षेप मिलता है और दूसरा जिसे नहीं। इस तरह, वे हस्तक्षेप के प्रभाव का वैज्ञानिक रूप से आकलन कर सकते हैं।
प्रश्न 58 फ्रायड ने स्वप्न में यात्रा करने को किसका प्रतीक माना जाता है ?
(अ) जन्म का
(ब) मृत्यु का
(स) वर्ष का
(द) लिंग का
फ्रायड ने स्वप्न में यात्रा करने को (ब) मृत्यु का प्रतीक माना है।
स्वप्न विश्लेषण में फ्रायड का सिद्धांत
सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud), मनोविश्लेषण के जनक, ने अपने स्वप्न विश्लेषण (Dream Analysis) सिद्धांत में स्वप्नों के प्रतीकात्मक अर्थों पर गहन शोध किया। उन्होंने अपनी पुस्तक “स्वप्न का निर्वचन” (The Interpretation of Dreams) में बताया कि स्वप्न अचेतन इच्छाओं और संघर्षों का प्रकटीकरण होते हैं।
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मृत्यु का प्रतीक: फ्रायड के अनुसार, स्वप्न में यात्रा करना या अलग-अलग जगहों पर जाना अक्सर मृत्यु या जीवन के अंत का प्रतीक होता है। उनका मानना था कि अचेतन मन इन प्रतीकों का उपयोग मृत्यु के डर या किसी चीज के अंत से संबंधित भावनाओं को व्यक्त करने के लिए करता है।
इसी तरह, वह अन्य प्रतीकों की भी व्याख्या करते थे, जैसे कि:
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राजा और रानी: माता-पिता के प्रतीक
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छड़ी और सांप: पुरुष जननांग के प्रतीक
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पहाड़ और सुरंग: महिला जननांग के प्रतीक
प्रश्न 59 बालक का अपने आप में मस्त रहने की क्रिया को डाॅ – फ्रायड ने माना-
(अ) सिसिज्म
(ब) नारसिसिज्म
(स) सिज्म
(द) नारसिन
सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud) ने बालक का अपने आप में मस्त रहने की क्रिया को (ब) नार्सिसिज्म (Narcissism) माना।
नार्सिसिज्म की अवधारणा
नार्सिसिज्म एक ऐसी मनोवैज्ञानिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति स्वयं से अत्यधिक प्रेम करता है। फ्रायड ने इस शब्द का उपयोग यह वर्णन करने के लिए किया कि कैसे एक बालक का ध्यान स्वयं पर केंद्रित होता है।
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प्राथमिक नार्सिसिज्म: फ्रायड के अनुसार, जीवन के शुरुआती चरण में, शिशु अपनी दुनिया के केंद्र में होता है। वह अपनी ही ज़रूरतों और इच्छाओं पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसे फ्रायड ने प्राथमिक नार्सिसिज्म कहा।
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अर्थ: बालक का अपनी दुनिया में खोया रहना या खुद में मस्त रहना, अपनी इच्छाओं और ज़रूरतों को सबसे ऊपर रखना, इसी नार्सिसिस्टिक व्यवहार का एक हिस्सा है।
यह अवस्था बच्चे के सामान्य विकास का एक हिस्सा है, लेकिन अगर यह अत्यधिक हो जाए तो यह व्यक्तित्व विकार का रूप ले सकती है।
प्रश्न 60 हंसमुख और समाज प्रिय व्यक्ति जिस वर्ग में आते है, वह है ?
(अ) विसेरोटोनिया
(ब) एथलैटिक
(स) सोमोटोटोनिया
(द) कोई नहीं
हंसमुख और समाज-प्रिय व्यक्ति जिस वर्ग में आते हैं, वह है (अ) विसेरोटोनिया।
व्यक्तित्व का शेल्डन का वर्गीकरण
अमेरिकी मनोवैज्ञानिक विलियम एच. शेल्डन (William H. Sheldon) ने व्यक्तित्व को शरीर की बनावट के आधार पर तीन मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया है:
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विसेरोटोनिया (Viscerotonia): इस वर्ग के लोग मोटे, गोल और छोटे कद के होते हैं। वे स्वभाव से हंसमुख, मिलनसार, और आराम-पसंद होते हैं। उन्हें खाने-पीने और सामाजिक समारोहों में भाग लेना पसंद होता है। यह व्यक्तित्व प्रकार एंडोमॉर्फिक (Endomorphic) शरीर वाले लोगों में पाया जाता है।
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सोमोटोटोनिया (Somatotonia): इस वर्ग के लोग गठीले और मजबूत शरीर वाले (एथलेटिक) होते हैं। वे साहसी, ऊर्जावान और आक्रामक होते हैं। उन्हें शारीरिक गतिविधियों और जोखिम लेने वाले खेल पसंद होते हैं। यह व्यक्तित्व प्रकार मेसोमॉर्फिक (Mesomorphic) शरीर वाले लोगों में पाया जाता है।
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सेरेब्रोटोनिया (Cerebrotonia): इस वर्ग के लोग दुबले-पतले और लंबे होते हैं। वे शर्मीले, अंतर्मुखी और एकांतप्रिय होते हैं। वे बौद्धिक और कलात्मक गतिविधियों में रुचि रखते हैं। यह व्यक्तित्व प्रकार एक्टोमॉर्फिक (Ectomorphic) शरीर वाले लोगों में पाया जाता है।
इस प्रकार, हंसमुख और समाज-प्रिय व्यक्ति को शेल्डन ने विसेरोटोनिया वर्ग में रखा है।
प्रश्न 61 मानसिक परीक्षण शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया?
(अ) गाल्टन
(ब) कैटल
(स) बिने
(द) टरमन
मानसिक परीक्षण (Mental Test) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम (ब) कैटल (J.M. Cattell) ने किया था।
जेम्स मैक्कीन कैटल और मानसिक परीक्षण
जेम्स मैक्कीन कैटल (James McKeen Cattell) एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे जिन्हें मनोविज्ञान में सांख्यिकी और परीक्षण विधियों को लाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने 1890 में “मेंटल टेस्ट्स एंड मेजरमेंट्स” (Mental Tests and Measurements) नामक एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने मानसिक क्षमताओं को मापने के लिए विभिन्न परीक्षणों का वर्णन किया। इस प्रकार, “मानसिक परीक्षण” शब्द का उपयोग सबसे पहले कैटल ने किया, हालांकि अल्फ्रेड बिने ने बाद में पहला सफल बुद्धि परीक्षण विकसित किया था।
प्रश्न 62 बुद्धि लब्धि का संबोधन सूत्र किसने किया ?
(अ) स्टर्न
(ब) बिने
(स) टरमन
(द) कैटल
बुद्धि लब्धि (Intelligence Quotient या IQ) का सूत्र (स) टर्मन (Terman) ने दिया।
बुद्धि लब्धि का इतिहास 🧠
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स्टर्न (William Stern): जर्मन मनोवैज्ञानिक विलियम स्टर्न ने 1912 में बुद्धि लब्धि (IQ) की अवधारणा दी। उन्होंने मानसिक आयु (MA) को कालानुक्रमिक आयु (CA) से विभाजित करके इसका सूत्र दिया: \[IQ=\frac{MA}{CA}\]
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टर्मन (Lewis Terman): अमेरिकी मनोवैज्ञानिक लुईस टर्मन ने 1916 में स्टैनफोर्ड-बिने स्केल को संशोधित किया। उन्होंने बुद्धि लब्धि के सूत्र में 100 से गुणा करने का सुझाव दिया ताकि भिन्न (fractions) को हटाया जा सके और गणना को आसान बनाया जा सके। उनका संशोधित सूत्र था: \[IQ=\frac{MA}{CA}\times 100\]
इसलिए, हालांकि स्टर्न ने मूल अवधारणा दी, लेकिन आज जिस रूप में हम IQ सूत्र का उपयोग करते हैं, उसका श्रेय टर्मन को दिया जाता है।
प्रश्न 63 बुद्धि अमूर्त विचारों के बारे में सोचने की योग्यता है ?
(अ) बर्ट
(ब) मन
(स) राॅस
(द) टरमन
बुद्धि अमूर्त विचारों के बारे में सोचने की योग्यता है, यह कथन (द) टर्मन (Terman) का है।
बुद्धि की परिभाषा
लुईस टर्मन (Lewis Terman), एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने बुद्धि को परिभाषित करते हुए कहा कि यह अमूर्त विचारों के बारे में सोचने की क्षमता है।
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अमूर्त विचार: अमूर्त विचारों का मतलब उन अवधारणाओं से है जो भौतिक या मूर्त नहीं हैं, जैसे कि गणितीय सिद्धांत, दार्शनिक विचार, और नैतिक अवधारणाएँ।
टर्मन के अनुसार, एक बुद्धिमान व्यक्ति वह होता है जो इन अमूर्त विचारों को समझ सकता है, उनके बीच संबंध स्थापित कर सकता है और उनके आधार पर तर्क कर सकता है।
प्रश्न 64 इस बुद्धि का सम्बन्ध पुस्तकीय ज्ञान से है ?
(अ) मूर्त बुद्धि
(ब) अमूर्त बुद्धि
(स) सामाजिक बुद्धि
(द) कोई नहीं
इस बुद्धि का संबंध (ब) अमूर्त बुद्धि से है।
अमूर्त बुद्धि (Abstract Intelligence)
अमूर्त बुद्धि से तात्पर्य विचारों, प्रतीकों, शब्दों और अमूर्त अवधारणाओं को समझने और उनके साथ काम करने की क्षमता से है। इस प्रकार की बुद्धि का संबंध पुस्तकीय ज्ञान से होता है क्योंकि किताबों में अक्सर विचार, सिद्धांत और अवधारणाएं होती हैं जिन्हें समझने के लिए अमूर्त सोच की आवश्यकता होती है।
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उदाहरण: एक दार्शनिक, वैज्ञानिक, या गणितज्ञ के पास अमूर्त बुद्धि अधिक होती है क्योंकि वे ऐसी अवधारणाओं पर काम करते हैं जिन्हें भौतिक रूप से नहीं छुआ जा सकता है।
इसके विपरीत:
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मूर्त बुद्धि (Concrete Intelligence): यह चीजों और वस्तुओं के साथ काम करने की क्षमता है (जैसे, एक मैकेनिक में)।
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सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence): यह लोगों को समझने और उनके साथ बातचीत करने की क्षमता है।
प्रश्न 65 बुद्धि से सम्बन्धित प्रतिवर्ष सिद्वान्त किसका है ?
(अ) गिलफोर्ड
(ब) थाॅमसन
(स) केटल
(द) गार्डनर
बुद्धि से संबंधित प्रतिदर्श सिद्धांत (Sampling Theory) थॉमसन (Thomson) की देन है।
प्रतिदर्श सिद्धांत क्या है?
थॉमसन के प्रतिदर्श सिद्धांत के अनुसार, बुद्धि कई स्वतंत्र और विशिष्ट योग्यताओं का एक समूह है। जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को करता है, तो वह अपनी सभी मानसिक योग्यताओं में से कुछ का “प्रतिदर्श” (sample) या नमूना चुनकर उस कार्य को पूरा करता है।
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उदाहरण: यदि आप गणित की कोई समस्या हल कर रहे हैं, तो आप अपनी तर्क शक्ति, गणना कौशल, और स्मृति जैसी कुछ विशिष्ट योग्यताओं का उपयोग करते हैं, न कि सभी मानसिक योग्यताओं का।
इस सिद्धांत का मुख्य विचार यह है कि कोई भी कार्य केवल एक या दो सामान्य कारकों पर निर्भर नहीं करता, बल्कि कई छोटी-छोटी, विशिष्ट योग्यताओं के संयोजन पर निर्भर करता है।
प्रश्न 66 जालोटा ने परीक्षण दिया है?
(अ) रूचि परीक्षण
(ब) सामूहिक बुद्धि परीक्षण
(स) व्यक्तित्व परीक्षण
(द) योग्यता परीक्षण
जालोटा ने (ब) सामूहिक बुद्धि परीक्षण दिया है।
जालोटा का सामान्य मानसिक योग्यता परीक्षण
डॉ. एस.एस. जालोटा ने 1951 में हिंदी में “सामूहिक साधारण योग्यता परीक्षण” (Group Test of General Mental Ability) का निर्माण किया। इस परीक्षण का उद्देश्य 12 से 16 वर्ष की आयु के बच्चों की बुद्धि का मापन करना था। यह एक समूह परीक्षण था, जिसका अर्थ है कि इसे एक ही समय में कई छात्रों पर प्रशासित किया जा सकता था, जिससे समय और प्रयास की बचत होती थी।
प्रश्न 67 थस्टने का समूह तत्व सिद्वान्त बुद्धि के जितने प्राथमिक कारको का वर्णन करता है?
(अ) 5
(ब) 6
(स) 7
(द) 8
थर्स्टन का समूह कारक सिद्धांत (Group Factor Theory) बुद्धि के (स) 7 प्राथमिक कारकों का वर्णन करता है।
थर्स्टन का समूह कारक सिद्धांत
अमेरिकी मनोवैज्ञानिक लुई लियोन थर्स्टन (Louis Leon Thurstone) ने 1930 के दशक में बुद्धि की संरचना पर काम किया। उन्होंने कारक विश्लेषण (Factor Analysis) नामक सांख्यिकीय विधि का उपयोग करके यह निष्कर्ष निकाला कि बुद्धि एक सामान्य कारक (general factor) नहीं है, बल्कि यह सात अलग-अलग और स्वतंत्र “प्राथमिक मानसिक क्षमताओं” (Primary Mental Abilities) से बनी है।
ये 7 कारक हैं:
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शब्द प्रवाह (Verbal Fluency): शब्दों को कितनी तेज़ी से और आसानी से उत्पन्न किया जा सकता है।
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मौखिक समझ (Verbal Comprehension): शब्दों और वाक्यों का अर्थ समझने की क्षमता।
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स्थानिक क्षमता (Spatial Ability): वस्तुओं को मानसिक रूप से घुमाने और स्थानिक संबंधों को समझने की क्षमता।
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संख्यात्मक क्षमता (Numerical Ability): गणितीय गणना करने की गति और सटीकता।
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स्मृति (Memory): जानकारी को याद रखने की क्षमता।
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आगमनात्मक तर्क (Inductive Reasoning): विशिष्ट तथ्यों से सामान्य नियमों को निकालने की क्षमता।
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अवधारणात्मक गति (Perceptual Speed): समान और असमान वस्तुओं को तेज़ी से पहचानने की क्षमता।
थर्स्टन का सिद्धांत बताता है कि एक व्यक्ति किसी एक कारक में मजबूत हो सकता है, लेकिन दूसरे में कमजोर हो सकता है।
प्रश्न 68 बिने साइमन स्केल के संशोधन स्वरूप बुद्धि के वितरण की अवधारणा अस्तित्व में आई वह वर्ष था?
(अ) 1900
(ब) 1911
(स) 1935
(द) 1960
बिने-साइमन स्केल के संशोधन स्वरूप बुद्धि के वितरण की अवधारणा 1911 में अस्तित्व में आई।
बिने-साइमन स्केल का विकास
अल्फ्रेड बिने और थियोडोर साइमन ने 1905 में अपना पहला बुद्धि परीक्षण विकसित किया था। इसका उद्देश्य उन बच्चों की पहचान करना था जिन्हें विशेष शैक्षिक सहायता की आवश्यकता थी।
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1908 में संशोधन: उन्होंने 1908 में इस स्केल को संशोधित किया और मानसिक आयु (Mental Age) की अवधारणा पेश की।
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1911 में अंतिम संशोधन: 1911 में, इस स्केल का अंतिम संशोधन हुआ, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि यह वयस्कों पर भी लागू हो सके। इसी दौरान, विभिन्न मानसिक आयु समूहों में बुद्धिलब्धि के वितरण (distribution of intelligence) का अध्ययन किया गया, जिससे यह समझा जा सके कि विभिन्न आयु वर्गों के लोगों में बुद्धि किस प्रकार वितरित होती है। इस शोध ने बाद में लुईस टर्मन को 1916 में स्टैनफोर्ड-बिने स्केल विकसित करने में मदद की।
प्रश्न 69 जिसका प्रयोग कर वंश परंपरा का बुद्धि का प्रभाव का अध्ययन किया जा सकता है?
(अ) सहोदर
(ब) समान जुड़वाँ बालक
(स) स्वतंत्र बालक
(द) गोड का बालक
वंश परंपरा का बुद्धि पर प्रभाव का अध्ययन करने के लिए (ब) समान जुड़वाँ बालक (Identical Twins) का प्रयोग किया जा सकता है।
जुड़वाँ बच्चों का अध्ययन
समान जुड़वाँ बच्चे एक ही निषेचित अंडे से विकसित होते हैं, इसलिए उनकी आनुवंशिक बनावट (genetic makeup) 100% समान होती है।
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क्यों उपयोगी?
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यदि इन जुड़वाँ बच्चों को अलग-अलग वातावरण (अलग-अलग परिवारों में) में पाला जाता है, तो उनके बीच बुद्धि में कोई भी अंतर मुख्य रूप से वातावरण के कारण होगा, क्योंकि उनकी आनुवंशिक बनावट समान है।
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यदि उन्हें एक ही वातावरण में पाला जाता है, तो उनकी बुद्धि में किसी भी समानता का श्रेय आनुवंशिकता को दिया जा सकता है।
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इस विधि को जुड़वाँ अध्ययन (Twin Study) कहा जाता है और यह आनुवंशिकता और पर्यावरण के सापेक्ष प्रभाव को निर्धारित करने के लिए मनोविज्ञान में एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
प्रश्न 70 परीक्षण के बारे में सही तथ्य का चयन कीजिए।
(अ) विश्वसनीय होना चाहिए
(ब) वैद्य होना चाहिए
(स) अ व ब दोनों
(द) कोई नहीं
परीक्षण के बारे में सही तथ्य का चयन (स) अ व ब दोनों है।
विश्वसनीय और वैध परीक्षण
एक अच्छे मनोवैज्ञानिक या शैक्षिक परीक्षण में दो मुख्य गुण होने चाहिए:
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विश्वसनीयता (Reliability): इसका मतलब है कि परीक्षण लगातार और स्थिर परिणाम देता है। यदि एक ही व्यक्ति का परीक्षण बार-बार किया जाए, तो परिणाम लगभग समान ही आना चाहिए। यदि एक परीक्षण अविश्वसनीय है, तो उसके परिणाम संयोगवश या त्रुटि के कारण हो सकते हैं, और उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
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वैधता (Validity): इसका मतलब है कि परीक्षण वही मापता है जो उसे मापना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि एक गणित के परीक्षण को गणितीय कौशल को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है, तो उसे वास्तव में गणितीय कौशल को ही मापना चाहिए, न कि भाषा कौशल को। यदि एक परीक्षण वैध नहीं है, तो उसके परिणाम निरर्थक होंगे।
इसलिए, एक अच्छे परीक्षण के लिए विश्वसनीय और वैध होना दोनों ही आवश्यक है।
प्रश्न 71 थस्टर्न ने किस विधि का प्रयोग किया?
(अ) सांख्यिकी विधि का
(ब) आगमन विधि का
(स) निगमन विधि का
(द) कोई नहीं
थर्स्टन ने (अ) सांख्यिकी विधि का प्रयोग किया।
थर्स्टन का कारक विश्लेषण
लुई लियोन थर्स्टन (Louis Leon Thurstone), एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने बुद्धि के समूह कारक सिद्धांत (Group Factor Theory) को विकसित करने के लिए कारक विश्लेषण (Factor Analysis) नामक एक उन्नत सांख्यिकीय विधि का उपयोग किया।
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कारक विश्लेषण: यह एक सांख्यिकीय तकनीक है जो कई चरों (variables) के बीच सहसंबंधों (correlations) का विश्लेषण करती है। थर्स्टन ने इस विधि का उपयोग यह पता लगाने के लिए किया कि विभिन्न मानसिक परीक्षणों में पाए जाने वाले सहसंबंधों के पीछे कौन से अंतर्निहित कारक या क्षमताएं हैं।
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निष्कर्ष: इस विधि के माध्यम से ही वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि बुद्धि सात अलग-अलग प्राथमिक मानसिक क्षमताओं का एक समूह है, न कि एक एकल सामान्य कारक।
इस प्रकार, थर्स्टन के शोध में सांख्यिकी विधियों का व्यापक रूप से उपयोग किया गया था।
प्रश्न 72 कार्य परीक्षा बैटरी का निर्माण किसने किया?
(अ) डाॅ. झा ने
(ब) जालोटा ने
(स) डाॅ. सी. एम. भाटिया
(द) डाॅ. देसाई ने
कार्य परीक्षा बैटरी (Performance Test Battery) का निर्माण (स) डॉ. सी. एम. भाटिया (Dr. C. M. Bhatia) ने किया।
भाटिया बैटरी टेस्ट
डॉ. सी. एम. भाटिया ने 1955 में भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल एक सामूहिक बुद्धि परीक्षण का निर्माण किया, जिसे “भाटिया बैटरी ऑफ़ परफॉरमेंस टेस्ट्स ऑफ़ इंटेलिजेंस” (Bhatia Battery of Performance Tests of Intelligence) के नाम से जाना जाता है।
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उद्देश्य: इस परीक्षण का उद्देश्य भारत के निरक्षर और कम पढ़े-लिखे लोगों की बुद्धि का मापन करना था। इसमें ऐसे कार्य शामिल थे जिनमें भाषा का उपयोग कम या बिल्कुल नहीं होता था।
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घटक: इस बैटरी में पाँच उप-परीक्षण शामिल हैं:
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कोह का ब्लॉक डिजाइन टेस्ट (Koh’s Block Design Test)
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पास अलोंग टेस्ट (Pass Along Test)
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पैटर्न ड्राइंग टेस्ट (Pattern Drawing Test)
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पिक्चर कंस्ट्रक्शन टेस्ट (Picture Construction Test)
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सिकंदर का क्यूब टेस्ट (Alexander’s Cube Construction Test)
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यह भारत में बुद्धि परीक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान था।
प्रश्न 73 प्रति चयन के सिद्वान्त का प्रतिपादन किया ?
(अ) थस्र्टन से
(ब) थाॅमसन से
(स) स्पीयर मैन
(द) कोई नहीं
प्रतिचयन (Sampling) के सिद्धांत का प्रतिपादन (ब) थॉमसन ने किया था।
थॉमसन का प्रतिदर्श सिद्धांत (Sampling Theory)
बुद्धि के प्रतिदर्श सिद्धांत को थॉमसन ने विकसित किया था। यह सिद्धांत बताता है कि बुद्धि कई स्वतंत्र और विशिष्ट योग्यताओं से मिलकर बनी होती है। जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को करता है, तो वह अपनी सभी मानसिक योग्यताओं में से कुछ का “प्रतिदर्श” (sample) या नमूना चुनकर उस कार्य को पूरा करता है।
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मुख्य विचार: इस सिद्धांत के अनुसार, बुद्धि कोई एकल इकाई नहीं है, बल्कि यह एक भंडार है जिसमें कई छोटी, स्वतंत्र योग्यताएं होती हैं। किसी भी कार्य के लिए व्यक्ति इस भंडार से कुछ विशिष्ट योग्यताओं का चयन करता है।
इस प्रकार, एक व्यक्ति एक कार्य में अच्छा हो सकता है और दूसरे में औसत, क्योंकि उसने अलग-अलग योग्यता-समूहों का उपयोग किया है।
प्रश्न 74 जोशी द्वारा सामूहिक परीक्षण कहाँ किया गया?
(अ) बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
(ब) बैंगलोर विश्वविद्यालय
(स) मुम्बई विश्वविद्यालय
(द) दिल्ली विश्वविद्यालय
जोशी द्वारा सामूहिक परीक्षण (अ) बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में किया गया।
एम. सी. जोशी का सामूहिक परीक्षण 🧠
डॉ. एम. सी. जोशी ने 1960 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में “जोशी सामान्य मानसिक योग्यता परीक्षण” नामक सामूहिक बुद्धि परीक्षण का निर्माण किया। यह परीक्षण भारत में बुद्धि परीक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान था, जिसे हिंदी भाषा में विकसित किया गया था। यह परीक्षण शाब्दिक और अशाब्दिक दोनों प्रकार की योग्यताओं का मापन करता था। इसका उपयोग मुख्य रूप से स्कूली छात्रों की मानसिक योग्यता को मापने के लिए किया जाता था।
प्रश्न 75 बुद्धि परीक्षा में कौन से देश का योगदान अधिक है?
(अ) फ्रांस
(ब) रूस
(स) चीन
(द) अमेरिका
बुद्धि परीक्षण के क्षेत्र में फ्रांस और अमेरिका दोनों का ही महत्वपूर्ण योगदान है।
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फ्रांस (France): बुद्धि परीक्षण की नींव फ्रांस में रखी गई थी। फ्रांसीसी मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड बिने (Alfred Binet) और थियोडोर साइमन (Théodore Simon) ने 1905 में पहला सफल बुद्धि परीक्षण विकसित किया था। इसका उद्देश्य उन बच्चों की पहचान करना था जिन्हें स्कूलों में विशेष शैक्षिक सहायता की आवश्यकता थी।
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अमेरिका (America): अमेरिका ने इन परीक्षणों को व्यापक रूप से लोकप्रिय बनाया और उनका मानकीकरण किया। लुईस टर्मन (Lewis Terman) ने 1916 में बिने के परीक्षण को संशोधित कर स्टैनफोर्ड-बिने स्केल विकसित किया, और बुद्धि लब्धि (IQ) के सूत्र को भी अंतिम रूप दिया। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, अमेरिकी सेना ने भर्ती के लिए सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया, जिससे ये परीक्षण दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गए।
इस प्रकार, बुद्धि परीक्षण की शुरुआत फ्रांस में हुई, जबकि अमेरिका ने इसके विकास और वैश्विक प्रसार में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रश्न 76 यूनेस्कों द्वारा हीन बुद्धि बालकों की बुद्धि लब्धि बताई गई-
(अ) 0 – 19
(ब) 20 – 30
(स) 50 -60
(द) 70 – 50
यूनेस्को द्वारा हीन बुद्धि बालकों (Mentally Retarded Children) की बुद्धि लब्धि (अ) 0 – 19 बताई गई है।
हीन बुद्धि (Mentally Retarded) की परिभाषा
यूनेस्को (UNESCO) ने हीन बुद्धि बालकों को वर्गीकृत करते हुए उनकी बुद्धि लब्धि (IQ) को 0-19 के बीच बताया है। इन बच्चों में संज्ञानात्मक और अनुकूलनीय व्यवहार में गंभीर कमी होती है। इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले बच्चों को दैनिक जीवन के कार्यों को करने में बहुत अधिक सहायता की आवश्यकता होती है।
यह वर्गीकरण इस प्रकार है:
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सामान्य बुद्धि (Normal Intelligence): 90-110
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मंद बुद्धि (Dull Normal): 80-89
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पिछड़े बालक (Backward Children): 70-79
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सीमावर्ती बालक (Borderline): 70-79
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हीन बुद्धि (Mentally Retarded):
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मूर्ख (Idiot): 0-25
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हीन बुद्धि (Imbecile): 25-50
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मंद बुद्धि (Moron): 50-70
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आजकल, “मानसिक मंदता” (Mental Retardation) के बजाय “बौद्धिक अक्षमता” (Intellectual Disability) शब्द का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 77 भारत में सर्वप्रथम बुद्धि परीक्षण का प्रारम्भ हुआ-
(अ) 1912
(ब) 1922
(स) 1931
(द) 1950
भारत में सर्वप्रथम बुद्धि परीक्षण का प्रारंभ (ब) 1922 में हुआ।
भारत में बुद्धि परीक्षण का इतिहास
भारत में बुद्धि परीक्षण की शुरुआत 1922 में हुई, जब डॉ. सी. एच. राइस (Dr. C. H. Rice) ने लाहौर के एफ. जी. कॉलेज में अल्फ्रेड बिने के बुद्धि परीक्षण का भारतीय परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलन किया। उन्होंने इस परीक्षण को “हिन्दुस्तानी बिने परफॉर्मेंस प्वाइंट स्केल” (Hindustani Binet Performance Point Scale) नाम दिया।
इसके बाद, भारत में कई अन्य मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि परीक्षणों का निर्माण किया:
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एस. एम. मोहसिन ने 1930 में हिंदी में बुद्धि परीक्षण बनाया।
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सी. एम. भाटिया ने 1955 में “भाटिया बैटरी ऑफ़ परफॉरमेंस टेस्ट्स ऑफ़ इंटेलिजेंस” का निर्माण किया, जो निरक्षर लोगों के लिए भी उपयुक्त था।
प्रश्न 78 बुद्धि परीक्षण को कितने भागों में विभक्त किया गया?
(अ) 1
(ब) 2
(स) 3
(द) 4
बुद्धि परीक्षणों को मुख्य रूप से (ब) 2 भागों में विभक्त किया गया है।
बुद्धि परीक्षण के मुख्य प्रकार
बुद्धि परीक्षणों को उनके प्रशासन के तरीके के आधार पर दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
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व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण (Individual Intelligence Tests): ये परीक्षण एक समय में केवल एक व्यक्ति पर प्रशासित किए जाते हैं। इन परीक्षणों में, परीक्षक और परीक्षार्थी के बीच व्यक्तिगत संपर्क होता है। ये परीक्षण विशेष रूप से नैदानिक मूल्यांकन (clinical evaluation) के लिए उपयोगी होते हैं।
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उदाहरण: स्टैनफोर्ड-बिने स्केल और वेस्लर एडल्ट इंटेलिजेंस स्केल (WAIS)।
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सामूहिक बुद्धि परीक्षण (Group Intelligence Tests): ये परीक्षण एक ही समय में व्यक्तियों के एक समूह पर प्रशासित किए जा सकते हैं। इनमें निर्देश लिखित रूप में दिए जाते हैं और परीक्षक का हस्तक्षेप कम होता है। ये परीक्षण बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग (screening) के लिए उपयोगी होते हैं, जैसे कि स्कूलों या सेना में।
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उदाहरण: आर्मी अल्फा टेस्ट और आर्मी बीटा टेस्ट।
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यह वर्गीकरण मनोवैज्ञानिकों को यह निर्धारित करने में मदद करता है कि किसी व्यक्ति की बुद्धि का मूल्यांकन करने के लिए कौन सा तरीका सबसे उपयुक्त है।
प्रश्न 79 मंगोलिज्म होता है?
(अ) मानसिक रोग
(ब) समस्यात्मक बालक
(स) किशोरपराध
(द) मन्दबुद्धि
मंगोलिज्म (Mongolism) (द) मंदबुद्धि (Mentally Retarded) होता है।
मंगोलिज्म और डाउन सिंड्रोम 🧠
मंगोलिज्म एक पुरानी और अब अप्रचलित (obsolete) संज्ञा है जिसका उपयोग डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) को संदर्भित करने के लिए किया जाता था।
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नाम का इतिहास: इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले जॉन लैंगडन डाउन (John Langdon Down) ने 1866 में किया था। उन्होंने इस विकार वाले लोगों की आँखों की बनावट को मंगोलियाई लोगों की आँखों से मिलती-जुलती बताया था, इसलिए यह नाम पड़ा।
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क्यों अप्रचलित?: यह नाम नस्लवादी और अनुपयुक्त माना जाता था, इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 1965 में इसे त्याग दिया और इसकी जगह डाउन सिंड्रोम शब्द का उपयोग करने की सलाह दी।
डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार (genetic disorder) है जो क्रोमोसोम 21 की एक अतिरिक्त प्रतिलिपि के कारण होता है। इस विकार से प्रभावित व्यक्तियों में शारीरिक और मानसिक विकास में देरी होती है।
प्रश्न 80 प्रायोजना विधि का आविष्कार किस वर्ष में किया गया?
(अ) 1918
(ब) 1915
(स) 1928
(द) 1880
प्रायोजना विधि (Project Method) का आविष्कार (अ) 1918 में किया गया था।
प्रायोजना विधि का सिद्धांत 👨🏫
प्रायोजना विधि के जनक विलियम हर्ड किलपैट्रिक (William Heard Kilpatrick) हैं। यह विधि जॉन डेवी (John Dewey) के pragmatism (व्यावहारिकता) के सिद्धांत पर आधारित है।
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उद्देश्य: इस विधि का मुख्य उद्देश्य छात्रों को वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने का अवसर देना है, जिससे वे करके सीखें (learning by doing)।
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प्रक्रिया: छात्र एक उद्देश्यपूर्ण कार्य या परियोजना का चयन करते हैं, उसकी योजना बनाते हैं, उसे क्रियान्वित करते हैं, और अंत में उसका मूल्यांकन करते हैं। शिक्षक केवल एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है।
किलपैट्रिक ने 1918 में अपने लेख “द प्रोजेक्ट मेथड” में इस विधि का विस्तार से वर्णन किया।
प्रश्न 81 समायोजन की प्रक्रिया है ?
(अ) गतिशील
(ब) स्थिर
(स) स्थानापन्न
(द) कोई नहीं
समायोजन की प्रक्रिया (अ) गतिशील (Dynamic) है।
समायोजन की प्रकृति
समायोजन (Adjustment) एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं, इच्छाओं और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास करता है। यह एक गत्यात्मक (dynamic) प्रक्रिया है क्योंकि व्यक्ति और उसका वातावरण दोनों ही लगातार बदलते रहते हैं। जब भी कोई नई परिस्थिति आती है, व्यक्ति को अपने व्यवहार में बदलाव लाकर उसके साथ तालमेल बिठाना पड़ता है। यह कोई स्थिर या अंतिम अवस्था नहीं है, बल्कि जीवन भर चलने वाली एक क्रिया है।
प्रश्न 82 किषोरों में द्वन्द्व उभरने का प्रमुख कारण है?
(अ) अवसरों की प्रतिकूलता
(ब) पीडियों का अन्तर
(स) निराशा
(द) समायोजन का अभाव
किशोरों में द्वंद्व उभरने का प्रमुख कारण (द) समायोजन का अभाव है।
किशोरावस्था में द्वंद्व के कारण
किशोरावस्था (Adolescence) एक संक्रमणकालीन अवस्था है जहाँ व्यक्ति बचपन से वयस्कता की ओर बढ़ता है। इस दौरान, किशोरों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो उनके अंदर द्वंद्व (conflict) उत्पन्न करते हैं।
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समायोजन का अभाव: किशोरों को कई स्तरों पर समायोजन करना पड़ता है, जैसे:
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सामाजिक समायोजन: दोस्तों और सहपाठियों के बीच अपनी पहचान बनाना और सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा करना।
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शारीरिक समायोजन: शरीर में होने वाले तीव्र परिवर्तनों को स्वीकार करना।
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भावनात्मक समायोजन: तीव्र और बदलते संवेगों को नियंत्रित करना।
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पारिवारिक समायोजन: माता-पिता के साथ अपने संबंधों को फिर से परिभाषित करना।
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इन सभी स्तरों पर समायोजन में कमी या असफलता के कारण उनके भीतर तनाव और द्वंद्व की स्थिति उत्पन्न होती है। हालाँकि, अन्य विकल्प (जैसे पीढ़ियों का अंतर और निराशा) भी द्वंद्व के कारण हो सकते हैं, लेकिन समायोजन का अभाव इन सभी कारणों की जड़ में होता है।
प्रश्न 83 दिवास्पप्न जिसकी एक सामान्य समस्या है?
(अ) बर्हिमुखी बालक
(ब) अपराधी बालक
(स) रचनात्मक बालक
(द) प्रतिभाशाली बालक
दिव्यस्वप्न (Daydreaming) (स) रचनात्मक बालक (Creative Child) की एक सामान्य समस्या है।
दिवास्वप्न और रचनात्मकता
दिवास्वप्न का मतलब जागते हुए कल्पना में खोया रहना है। यह अक्सर रचनात्मक (creative) और प्रतिभाशाली बच्चों में देखा जाता है।
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क्यों? रचनात्मक बच्चे अक्सर अपनी कल्पनाशील दुनिया में खो जाते हैं। वे नए विचारों, कहानियों या समाधानों के बारे में सोचते रहते हैं। यह प्रवृत्ति उनके सीखने की प्रक्रिया को बाधित कर सकती है क्योंकि वे कक्षा में दिए गए निर्देशों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं।
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सकारात्मक पक्ष: हालांकि यह एक समस्या लग सकती है, दिवास्वप्न रचनात्मकता को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। यह उन्हें लीक से हटकर सोचने और नए विचार विकसित करने में मदद करता है।
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शिक्षकों के लिए: शिक्षकों को ऐसे बच्चों की इस आदत को नकारात्मक रूप में नहीं लेना चाहिए, बल्कि इसे उनकी रचनात्मकता को पोषित करने के अवसर के रूप में देखना चाहिए। उन्हें इन बच्चों को अपनी कल्पना का उपयोग करके समस्याओं को हल करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
प्रश्न 84 किशोरों को निर्णय का कोई अनुभव नहीं होता है यह कथन है?
(अ) वेलेन्टाइन
(ब) स्किनर
(स) जोन्स
(द) सिम्पसन
किशोरों को निर्णय का कोई अनुभव नहीं होता है, यह कथन (द) सिम्पसन (Simpson) का है।
किशोरावस्था और निर्णय लेना
मनोवैज्ञानिक सिम्पसन (Simpson) का मानना था कि किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था है जहाँ बालक वयस्क होने की प्रक्रिया में होता है, लेकिन उसके पास जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने का पर्याप्त अनुभव नहीं होता है।
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अनुभव की कमी: इस उम्र में, किशोरों को अक्सर अपने करियर, शिक्षा और संबंधों के बारे में बड़े निर्णय लेने पड़ते हैं, लेकिन उनके पास इन निर्णयों के संभावित परिणामों का आकलन करने के लिए आवश्यक अनुभव की कमी होती है।
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भावनात्मक प्रभाव: किशोरों के निर्णय अक्सर तर्क के बजाय भावनाओं से प्रभावित होते हैं, जिससे उनके लिए सही निर्णय लेना और भी कठिन हो जाता है।
सिम्पसन के अनुसार, यह अनुभव की कमी ही किशोरावस्था में होने वाले कई संघर्षों और गलतियों का मुख्य कारण है।
प्रश्न 85 “Maladjustment” का शाब्दिक अर्थ होता है?
(अ) समायोजन
(ब) कुसमायोजन
(स) संतुलित
(द) असंतुलित
“Maladjustment” का शाब्दिक अर्थ (ब) कुसमायोजन होता है।
कुसमायोजन (Maladjustment) क्या है?
“Maladjustment” शब्द दो भागों से बना है:
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“Mal” एक लैटिन उपसर्ग है जिसका अर्थ है “खराब” या “अनुचित”।
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“Adjustment” का अर्थ है “समायोजन” या “अनुकूलन”।
इस प्रकार, “Maladjustment” का शाब्दिक अर्थ “खराब समायोजन” या “अनुचित समायोजन” है, जिसे हिंदी में कुसमायोजन कहते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपने आंतरिक विचारों, भावनाओं और बाहरी वातावरण के बीच संतुलन स्थापित करने में असफल रहता है। कुसमायोजन के परिणामस्वरूप तनाव, चिंता और अन्य मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
प्रश्न 86 सम्पूर्ण व्यक्तित्व की पूर्ण एवं संतुलित क्रियाषीलता को मानसिक स्वास्थ्य कहते है, यह कथन है?
(अ) कुप्पूस्वामी
(ब) ल्यूकन
(स) हैडफील्ड
(द) लाडेल
सम्पूर्ण व्यक्तित्व की पूर्ण एवं संतुलित क्रियाशीलता को मानसिक स्वास्थ्य कहते हैं, यह कथन (स) हैडफील्ड (J. A. Hadfield) का है।
हैडफील्ड की परिभाषा
जे. ए. हैडफील्ड एक ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य पर गहन अध्ययन किया। उनके अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ केवल मानसिक बीमारी का न होना नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण व्यक्तित्व के सभी पहलुओं (शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक और बौद्धिक) के बीच एक पूर्ण और संतुलित तालमेल है। उनका मानना था कि एक मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति वह होता है जो जीवन की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकता है और अपने वातावरण के साथ सफलतापूर्वक समायोजन कर सकता है।
प्रश्न 87 मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया –
(अ) क्लिफोर्ड बीयर्स
(ब) हैडफील्ड
(स) क्रो व क्रो
(द) ड्रेवर
मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान (Mental Hygiene) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग (अ) क्लिफोर्ड बीयर्स (Clifford Beers) ने किया।
क्लिफोर्ड बीयर्स और मानसिक स्वास्थ्य आंदोलन 🧠
क्लिफोर्ड बीयर्स (Clifford Beers) एक अमेरिकी कार्यकर्ता थे, जिन्होंने स्वयं मानसिक बीमारी का अनुभव किया था। उन्होंने मानसिक संस्थानों में व्याप्त दुर्व्यवहार और अमानवीय परिस्थितियों को उजागर किया।
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पुस्तक और आंदोलन: 1908 में, उन्होंने अपनी आत्मकथा “ए माइंड दैट फाउंड इटसेल्फ” (A Mind That Found Itself) लिखी, जिसमें उन्होंने अपने अनुभवों का वर्णन किया। इस पुस्तक ने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज के दृष्टिकोण को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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शब्द का प्रयोग: बीयर्स ने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर जोर देने के लिए “मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान” शब्द का प्रयोग किया। उन्होंने 1908 में “नेशनल कमेटी फॉर मेंटल हाइजीन” की स्थापना की, जो मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों के उपचार में सुधार करने के लिए समर्पित थी।
प्रश्न 88 मनो – विक्षेप अन्तर्गत कौनसा रोग आता है?
(अ) चिन्ता
(ब) हठ – प्रवृति
(स) उन्माद
(द) चक्र मनोदशा
मनो-विक्षेप (Psychosis) क्या है ?
मनो-विक्षेप एक गंभीर मानसिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति का वास्तविकता से संपर्क टूट जाता है। यह एक सिंड्रोम है, न कि एक विशिष्ट रोग, जिसके अंतर्गत कई प्रकार के रोग आते हैं। इन रोगों में अक्सर निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं:
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भ्रम (Delusions): व्यक्ति ऐसे विश्वास रखता है जो वास्तविकता पर आधारित नहीं होते।
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मतिभ्रम (Hallucinations): व्यक्ति ऐसी चीजें देखता, सुनता, या महसूस करता है जो वास्तव में मौजूद नहीं हैं।
मनो-विक्षेप के अंतर्गत आने वाले रोग:
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उन्माद (Mania): यह बाइपोलर डिसऑर्डर का एक चरण है जिसमें व्यक्ति में अत्यधिक ऊर्जा, अतिउत्साह, और तेज विचार उत्पन्न होते हैं। यह मनो-विक्षेप का एक रूप हो सकता है।
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चक्र मनोदशा (Cyclothymic Disorder): यह बाइपोलर डिसऑर्डर का एक हल्का रूप है जिसमें उन्माद और अवसाद के हल्के लक्षण चक्रीय रूप से आते-जाते रहते हैं। यह भी मनो-विक्षेप के अंतर्गत आता है।
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सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia): यह सबसे प्रसिद्ध मनो-विक्षेप रोग है, जिसमें व्यक्ति की सोच, भावनाएं और व्यवहार अव्यवस्थित हो जाते हैं।
दिए गए विकल्पों में, उन्माद (Mania) एक स्पष्ट मनोदशा संबंधी विकार है, जो मनो-विक्षेप का हिस्सा हो सकता है।
प्रश्न 89 ब्रेल लिपि से किसको पढाना चाहिए –
(अ) बहरे
(ब) अन्धे
(स) गूंगे
(द) विकलांग
ब्रेल लिपि से (ब) अंधे बच्चों को पढ़ाना चाहिए।
ब्रेल लिपि क्या है?
ब्रेल लिपि एक प्रकार की स्पर्श-आधारित लेखन प्रणाली है, जिसे फ्रांसीसी शिक्षक लुई ब्रेल ने 19वीं सदी में विकसित किया था। यह लिपि विशेष रूप से दृष्टिबाधित (अंधे) लोगों के लिए बनाई गई है। इसमें कागज पर उभरे हुए बिंदुओं की एक श्रृंखला होती है, जिन्हें छूकर पढ़ा जाता है। ब्रेल लिपि में हर अक्षर, संख्या और विराम चिह्न के लिए एक विशिष्ट पैटर्न होता है, जिसे उंगलियों से महसूस किया जा सकता है।
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उपयोग: ब्रेल लिपि का उपयोग दृष्टिबाधित लोग पढ़ने, लिखने, और गणितीय तथा वैज्ञानिक प्रतीकों को समझने के लिए करते हैं। यह उन्हें स्वतंत्र रूप से शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करती है।
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अन्य विकल्प: बहरे और गूंगे लोग ब्रेल लिपि का उपयोग नहीं करते, क्योंकि यह सुनने या बोलने की अक्षमता से संबंधित नहीं है। विकलांग एक बहुत व्यापक शब्द है, जिसमें कई प्रकार की अक्षमताएं शामिल हैं। ब्रेल लिपि विशेष रूप से केवल दृष्टिबाधित लोगों के लिए है।
प्रश्न 90 वैयक्तिक विभिन्नता की अवधारणा के जनक है?
(अ) गाल्टन
(ब) थाॅर्नडाइक
(स) टरमन
(द) वुडवर्थ
वैयक्तिक विभिन्नता (Individual Differences) की अवधारणा के जनक (अ) गाल्टन (Francis Galton) हैं।
फ्रांसिस गाल्टन का योगदान 👨🔬
सर फ्रांसिस गाल्टन (Sir Francis Galton) एक ब्रिटिश पॉलीमैथ थे, जिन्होंने कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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वैयक्तिक विभिन्नता: उन्होंने सबसे पहले यह व्यवस्थित अध्ययन शुरू किया कि व्यक्तियों में शारीरिक और मानसिक गुणों (जैसे बुद्धि, ऊंचाई, आदि) में क्या अंतर होते हैं। उन्होंने पाया कि ये अंतर सामान्य वितरण वक्र (Normal Distribution Curve) का पालन करते हैं, जिसे गाल्टन वक्र भी कहा जाता है।
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अनुसंधान विधियाँ: गाल्टन ने इन विभिन्नताओं को मापने के लिए सांख्यिकीय तरीकों और उपकरणों का विकास किया, जिससे आधुनिक मनोविज्ञान में मानसिक परीक्षण (Mental Testing) की नींव पड़ी।
इस प्रकार, गाल्टन को वैयक्तिक विभिन्नताओं के अध्ययन का अग्रणी माना जाता है, और उनकी अवधारणा ने शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में क्रांति ला दी।
प्रश्न 91 सर्वप्रथम परिपक्वता शब्द का प्रयोग किसने किया?
(अ) हरलाॅक
(ब) गैसेल
(स) गैरेट
(द) ड्रेवर
सर्वप्रथम परिपक्वता (Maturation) शब्द का प्रयोग (ब) गैसल (Arnold Gesell) ने किया।
गैसल का परिपक्वता सिद्धांत
अर्नाल्ड गैसल एक अमेरिकी बाल रोग विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिक थे। उन्होंने बच्चों के विकास का गहन अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला कि विकास का एक बड़ा हिस्सा आनुवंशिक कारकों (hereditary factors) द्वारा निर्धारित होता है। उन्होंने इस प्रक्रिया को परिपक्वता कहा।
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परिपक्वता (Maturation): यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति के आनुवंशिक रूप से निर्धारित विकास पैटर्न समय के साथ सामने आते हैं। उदाहरण के लिए, एक बच्चा चलना या बोलना तभी शुरू करेगा जब उसका तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियां उस कार्य के लिए पर्याप्त रूप से परिपक्व हो जाएंगी।
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विकास बनाम परिपक्वता: गैसल के अनुसार, सीखने और पर्यावरण का महत्व है, लेकिन परिपक्वता ही विकास की गति और क्रम को निर्धारित करती है। उनका मानना था कि विकास का अधिकांश भाग आंतरिक जैविक घड़ियों द्वारा नियंत्रित होता है।
प्रश्न 92 आदतें होती है?
(अ) जन्मजात
(ब) अर्जित
(स) जम्मजात व अर्जित
(द) त्रुटिपूर्ण
आदत (Habits) (ब) अर्जित (acquired) होती हैं।
आदतें कैसे बनती हैं?
आदत वह व्यवहार है जो व्यक्ति बार-बार दोहराता है, जिससे वह उसके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाता है। आदतें जन्मजात नहीं होतीं, बल्कि उन्हें सीखा (learned) जाता है।
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अर्जित: व्यक्ति अपने जीवन के अनुभवों, वातावरण और प्रशिक्षण के माध्यम से आदतें बनाता है। जैसे, सुबह जल्दी उठना, नियमित रूप से ब्रश करना, या किसी विशेष तरह से बात करना, ये सभी व्यवहार हैं जिन्हें व्यक्ति ने अपने जीवन में सीखा है।
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मस्तिष्क की भूमिका: आदतें बार-बार दोहराए जाने वाले कार्यों से बनती हैं। जब कोई व्यवहार दोहराया जाता है, तो मस्तिष्क में तंत्रिका मार्ग मजबूत हो जाते हैं, जिससे वह कार्य कम प्रयास में और स्वचालित रूप से होने लगता है।
इसलिए, आदतें जन्म से नहीं आतीं, बल्कि उन्हें जीवन भर अर्जित किया जाता है।
प्रश्न 93 अस्थिकरण पूर्ण होता है?
(अ) बाल्यावस्था में
(ब) किशोरावस्था में
(स) युवावस्था में
(द) शेषवावस्था में
अस्थिकरण (Ossification) किशोरावस्था में पूर्ण होता है।
अस्थिकरण और विकास 🦴
अस्थिकरण वह प्रक्रिया है जिसमें उपास्थि (cartilage) हड्डी में बदल जाती है। यह एक महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रिया है जो बचपन से शुरू होती है और शरीर को संरचना और स्थिरता प्रदान करती है।
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किशोरावस्था में पूर्णता: अस्थिकरण की प्रक्रिया किशोरावस्था के अंत तक लगभग पूरी हो जाती है। इस दौरान, हड्डियों की लंबाई और घनत्व तेजी से बढ़ता है, और हड्डियों के सिरे, जिन्हें एपिफिसिस (epiphyses) कहा जाता है, पूरी तरह से कठोर हो जाते हैं। एक बार जब एपिफिसियल प्लेटें बंद हो जाती हैं, तो हड्डियों का विकास रुक जाता है।
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विकास के चरण:
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शैशवावस्था: अस्थिकरण की प्रक्रिया शुरू होती है।
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बाल्यावस्था: अस्थिकरण जारी रहता है।
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किशोरावस्था: यह प्रक्रिया अपने चरम पर होती है और हड्डियों का विकास पूर्ण होता है।
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युवावस्था: अस्थिकरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी होती है, और हड्डियों का विकास रुक जाता है।
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इसलिए, अस्थिकरण बाल्यावस्था और किशोरावस्था के दौरान होता है, लेकिन यह किशोरावस्था में पूर्ण होता है।
प्रश्न 94 किन्डरगार्टन प्रणाली के प्रवर्तक है?
(अ) किलपैट्रिक
(ब) फ्रोबेल
(स) जाॅल डीवी
(द) आर्मस्ट्रांग
किंडरगार्टन प्रणाली के प्रवर्तक (ब) फ्रोबेल (Friedrich Fröbel) हैं।
फ्राइडरिच फ्रोबेल और किंडरगार्टन
फ्राइडरिच फ्रोबेल (1782-1852) एक जर्मन शिक्षाशास्त्री थे, जिन्हें आधुनिक बाल शिक्षा का जनक माना जाता है। उन्होंने बच्चों की शिक्षा के लिए 1837 में पहला “किंडरगार्टन” (Kindergarten) स्थापित किया, जिसका शाब्दिक अर्थ “बच्चों का बगीचा” है।
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मूल सिद्धांत: फ्रोबेल का मानना था कि बच्चे पौधों के समान होते हैं, जिन्हें खिलने के लिए प्यार, देखभाल और सही वातावरण की आवश्यकता होती है। उन्होंने खेल, गीत, कहानी और प्राकृतिक वस्तुओं के साथ रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से सीखने पर जोर दिया।
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उद्देश्य: किंडरगार्टन का मुख्य उद्देश्य बच्चों को औपचारिक शिक्षा के लिए तैयार करना और उनके स्वाभाविक विकास को बढ़ावा देना था।
प्रश्न 95 वातारवरण में बालक है?
(अ) एक अबोध प्राणी
(ब) एक उच्च संगठित ऊर्जा तंत्र
(स) शारीरिक स्रोत
(द) सम्प्रेणकर्ता
वातावरण में बालक (ब) एक उच्च संगठित ऊर्जा तंत्र है।
बालक और वातावरण का संबंध
मनोविज्ञान में, बालक को निष्क्रिय प्राप्तकर्ता नहीं माना जाता है। बल्कि, वह अपने वातावरण के साथ लगातार अंतःक्रिया (interact) करता है और उससे सीखता है। इस संदर्भ में, “उच्च संगठित ऊर्जा तंत्र” का अर्थ है कि बालक एक ऐसा जीवित प्राणी है जो:
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सक्रिय है: वह अपनी ऊर्जा का उपयोग करके अपने आसपास की दुनिया को समझने, उस पर प्रतिक्रिया करने और उसे बदलने का प्रयास करता है।
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संगठित है: उसकी शारीरिक और मानसिक प्रणालियाँ एक साथ काम करती हैं ताकि वह अपने वातावरण के साथ प्रभावी ढंग से तालमेल बिठा सके।
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ऊर्जावान है: उसके पास सीखने, खेलने और विकसित होने के लिए आंतरिक प्रेरणा और ऊर्जा होती है।
यह दृष्टिकोण इस बात पर जोर देता है कि बालक अपने विकास में एक सक्रिय भूमिका निभाता है, न कि केवल एक निष्क्रिय प्राणी के रूप में जो अपने वातावरण से प्रभावित होता है।
प्रश्न 96 निम्न में से कौनसी ज्ञानात्मक प्रक्रिया है?
(अ) खेलना
(ब) प्रतिवृती क्रियाये
(स) चिन्तन
(द) दौड़ना
चिन्तन (Thinking) एक ज्ञानात्मक प्रक्रिया (Cognitive Process) है।
ज्ञानात्मक प्रक्रियाएँ क्या हैं? 🧠
ज्ञानात्मक प्रक्रियाएँ वे मानसिक प्रक्रियाएँ हैं जिनके द्वारा व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करता है, समझता है, और उसका उपयोग करता है।
इनमें शामिल हैं:
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सोचना (Thinking): विचारों को व्यवस्थित करने, समस्या-समाधान करने और निर्णय लेने की क्षमता।
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अवधारणा (Perception): इंद्रियों के माध्यम से जानकारी प्राप्त करना और उसे समझना।
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स्मृति (Memory): जानकारी को संग्रहित करना और उसे याद रखना।
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भाषा (Language): विचारों को व्यक्त करने और समझने के लिए शब्दों का उपयोग करना।
दिए गए विकल्पों में, खेलना, प्रतिवर्ती क्रियाएं और दौड़ना शारीरिक क्रियाएं हैं, जबकि चिन्तन (Thinking) एक मानसिक और ज्ञानात्मक प्रक्रिया है।
प्रश्न 97 शिक्षा का अधिकार अधिनियम देश भर में कब से लागू हुआ?
(अ) 1 अप्रैल 2009
(ब) 1 अप्रैल 2010
(स) 1 नवंबर 2009
(द) 1 नवंबर 2010
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) देश भर में (ब) 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009
बच्चों का निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE), 2009, भारतीय संसद द्वारा 4 अगस्त 2009 को पारित किया गया था। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है। यह अधिनियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21-A के तहत शिक्षा को एक मौलिक अधिकार बनाता है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद, यह अधिनियम 1 अप्रैल 2010 से पूरे भारत में (जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़कर) लागू हुआ।
यह अधिनियम शिक्षा को एक अधिकार-आधारित ढांचा प्रदान करता है और केंद्र तथा राज्य सरकारों पर इस मौलिक अधिकार को लागू करने की कानूनी जिम्मेदारी डालता है।
प्रश्न 98 निः शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम किस राज्य में लागू नहीं है?
(अ) केरल
(ब) पंजाब
(स) जम्मू – कश्मीर
(द) अरुणाचल प्रदेश
निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम (RTE Act, 2009) भारत के सभी राज्यों में लागू हुआ था, सिवाय (स) जम्मू-कश्मीर के।
जम्मू और कश्मीर की स्थिति 🗺️
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009, 1 अप्रैल 2010 को लागू हुआ था। उस समय, यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत में लागू किया गया था, क्योंकि अनुच्छेद 370 के कारण वहां केंद्रीय कानून सीधे लागू नहीं होते थे। हालांकि, अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर में भी लागू हो गया है। इसलिए, ऐतिहासिक रूप से, जम्मू-कश्मीर ही वह राज्य था जहाँ यह लागू नहीं था।
प्रश्न 99 क्रियात्मक अनुसंधान का उद्देश्य है –
(अ) नवीन ज्ञान की खोज
(ब) शैक्षिक परिस्थितियों में व्यवहार विज्ञान का विकार
(स) विघालय तथा कक्षा की शैक्षिक कार्य प्रणाली में सुधार लाना
(द) इसमें से सभी
क्रियात्मक अनुसंधान का उद्देश्य (स) विद्यालय तथा कक्षा की शैक्षिक कार्यप्रणाली में सुधार लाना है।
क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research) 👨🔬
क्रियात्मक अनुसंधान एक ऐसा शोध है जो किसी विशिष्ट समस्या का समाधान करने के लिए किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी तत्काल समस्या को हल करना है। शिक्षा के क्षेत्र में, इसका उपयोग शिक्षक या प्रशासक द्वारा अपनी कक्षा या विद्यालय की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए किया जाता है।
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उद्देश्य: क्रियात्मक अनुसंधान का सीधा संबंध व्यवहार में परिवर्तन से होता है। इसका लक्ष्य कोई नया सिद्धांत बनाना या नवीन ज्ञान की खोज करना नहीं है, बल्कि यह जानना है कि एक विशेष शैक्षिक परिस्थिति में क्या काम करता है और क्या नहीं।
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उदाहरण: एक शिक्षक यह जानने के लिए क्रियात्मक अनुसंधान कर सकता है कि क्या एक नई शिक्षण पद्धति छात्रों के गणित के प्रदर्शन में सुधार ला सकती है। वह इस पद्धति को लागू करेगा, परिणामों का मूल्यांकन करेगा और आवश्यकतानुसार अपनी रणनीति में सुधार करेगा।
यह अनुसंधान किसी भी शैक्षिक समस्या को हल करने के लिए एक व्यावहारिक और प्रभावी उपकरण है।
प्रश्न 100 सूक्ष्म क्रियात्मक विकास है?
(अ) वस्त्र पहनना
(ब) सीढ़ी चढना
(स) दौड़ना
(द) कूदना
सूक्ष्म क्रियात्मक विकास (अ) वस्त्र पहनना है।
सूक्ष्म क्रियात्मक विकास (Fine Motor Development)
सूक्ष्म क्रियात्मक विकास का संबंध शरीर की छोटी मांसपेशियों, विशेषकर हाथ, उँगलियों और कलाई की मांसपेशियों के समन्वय से होता है। इन क्रियाओं में परिशुद्धता और नियंत्रण की आवश्यकता होती है।
दिए गए विकल्पों में:
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वस्त्र पहनना: इसके लिए उँगलियों की छोटी-छोटी हरकतों की आवश्यकता होती है, जैसे बटन लगाना, ज़िप खींचना, या लेस बाँधना। यह एक सूक्ष्म क्रियात्मक कौशल है।
इसके विपरीत, सीढ़ी चढ़ना, दौड़ना और कूदना सकल क्रियात्मक विकास (Gross Motor Development) के उदाहरण हैं, जिनमें शरीर की बड़ी मांसपेशियों (जैसे पैर और धड़) का उपयोग होता है।